देवी-देवताओं की पूजा: क्या चढ़ाना है और क्या है वर्जित?
देवी-देवताओं की पूजा में कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें चढ़ाना वर्जित माना गया है। यहाँ कुछ सामान्य वर्जनाएँ दी गई हैं:
- तुलसी के पत्ते: तुलसी के पत्तों का उपयोग भगवान शिव और देवी दुर्गा की पूजा में नहीं किया जाता है। तुलसी का पत्ता केवल भगवान विष्णु और उनके अवतारों को चढ़ाने के लिए उपयुक्त माना जाता है।
- केतु पुष्प (केतकी का फूल): भगवान शिव की पूजा में केतकी के फूल का उपयोग वर्जित है। पौराणिक कथा के अनुसार, केतकी के फूल ने झूठ का सहारा लिया था, इसलिए इसे शिव पूजा में वर्जित कर दिया गया।
- तूथपेस्ट और साबुन: पूजा से पहले स्नान करना और प्राकृतिक रूप से शुद्ध होना आवश्यक होता है, लेकिन कुछ लोग पूजा से पहले कृत्रिम चीजों का उपयोग करते हैं जो अनुचित माना जाता है।
- सूर्यास्त के बाद तुलसी और शंख: हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्यास्त के बाद तुलसी और शंख का उपयोग पूजा में नहीं किया जाता है।
- लाल मिर्च या खट्टा पदार्थ: पूजा में तीखी और खट्टी चीजों का चढ़ावा वर्जित है, क्योंकि ये अशुद्ध मानी जाती हैं। देवी-देवताओं को केवल सादा या मीठा प्रसाद ही अर्पित करना चाहिए।
- बासी फूल और फल: पूजा में ताजे फूल और फल ही चढ़ाए जाते हैं। बासी या मुरझाए हुए फूलों को देवी-देवताओं पर अर्पित करना वर्जित है।
- अर्क और मद्य पदार्थ: ज्यादातर पूजा में मद्य पदार्थ, जैसे शराब, का प्रयोग वर्जित माना जाता है। विशेष प्रकार की तांत्रिक पूजाओं में इनका उपयोग किया जाता है, लेकिन सामान्य पूजा में ये अर्पित नहीं किए जाते।
- कांटेदार और दूध वाले पौधे: कांटेदार पौधे और दूध छोड़ने वाले पौधे जैसे आक और मदार को सभी देवी-देवताओं की पूजा में वर्जित माना गया है, क्योंकि इन्हें अशुभ माना जाता है।
- प्लास्टिक या कृत्रिम फूल: पूजा में कृत्रिम फूलों का उपयोग नहीं करना चाहिए। देवी-देवताओं को केवल प्राकृतिक और ताजे फूल ही अर्पित किए जाने चाहिए।
- तांबे के बर्तन में दूध: पूजा में तांबे के बर्तन में दूध अर्पित करना वर्जित है, क्योंकि तांबा और दूध का संयोजन अपवित्र माना गया है।
इन वर्जित चीजों का ध्यान रखने से पूजा शुद्ध और पूर्ण मानी जाती है।
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पूजा नियम
सभी देवी-देवताओं की पूजा में कुछ विशेष वर्जनाएँ और नियम होते हैं जिनका पालन करना आवश्यक माना जाता है। यहां कुछ सामान्य वर्जनाएँ दी गई हैं:
- शराब और मांस: पूजा करते समय शराब और मांस का सेवन वर्जित होता है। इसे पूजा के स्थान के पवित्रता को भंग करने वाला माना जाता है।
- चमड़े का सामान: चमड़े के बने सामान जैसे कि बेल्ट, पर्स या जूते को पूजा स्थल पर ले जाना वर्जित है, क्योंकि इसे अपवित्र माना जाता है।
- अशुद्धता: शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध होना महत्वपूर्ण है। महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान मंदिर या पूजा में शामिल नहीं होने की सलाह दी जाती है। इसी प्रकार शारीरिक रूप से अस्वच्छ व्यक्ति को पूजा में नहीं बैठना चाहिए।
- क्रोध और अहंकार: पूजा में शांत मन और विनम्रता जरूरी है। क्रोध, अहंकार, और किसी के प्रति द्वेष भावना से पूजा करना गलत माना जाता है।
- प्याज, लहसुन और तामसिक भोजन: देवी-देवताओं की पूजा में प्याज, लहसुन और अन्य तामसिक पदार्थों का सेवन वर्जित है। इसे शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए अनुचित माना जाता है।
- अनुचित वेशभूषा: पूजा में साफ और उचित वस्त्र पहनना चाहिए। विशेषकर चमकीले, भड़कीले और अनुचित कपड़े पहनने से पूजा का महत्व कम हो सकता है।
- भोग और प्रसाद: पूजा में भोग चढ़ाने से पहले उसे खुद न खाएं। देवी-देवताओं को अर्पित भोग को प्रसाद बनने के बाद ही ग्रहण करना चाहिए।
- गलत मंत्रोच्चारण: पूजा में मंत्र का सही उच्चारण आवश्यक है। गलत मंत्रों का उच्चारण वर्जित माना जाता है, क्योंकि इससे पूजा का प्रभाव कम हो सकता है।