अश्विनीकुमारों की कथा और उनकी चिकित्सा कौशल का वर्णन वेदों और पुराणों में मिलता है। अश्विनीकुमार, जो देवताओं के चिकित्सक और जुड़वां भाई हैं, को देवताओं का वैद्य कहा जाता है। उन्हें ‘अश्विनी देवता’ भी कहा जाता है, और वे अपने उपचारात्मक शक्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं।
अश्विनीकुमारों के बारे में
अश्विनीकुमार, सूर्य देवता और संज्ञा देवी (या सरण्यु) के पुत्र हैं। वे जुड़वां भाई हैं और घोड़े की तरह तेज और शक्तिशाली माने जाते हैं। अश्विनीकुमारों का नाम “अश्व” शब्द से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ ‘घोड़ा’ होता है। उनके दो प्रमुख नाम नासत्य और दस्र हैं।
अश्विनीकुमारों द्वारा की गई चिकित्सा के उदाहरण
- च्यवन ऋषि की कथा:
च्यवन ऋषि एक महान ऋषि थे, जो अत्यंत वृद्ध और दुर्बल हो गए थे। उनकी पत्नी सुकन्या, जो एक राजकुमारी थीं, ने अश्विनीकुमारों से उनके पति को पुनः युवा और स्वस्थ करने का अनुरोध किया। अश्विनीकुमारों ने अपनी अद्भुत चिकित्सा शक्ति का प्रयोग करके च्यवन ऋषि को पुनः युवा बना दिया। इस घटना के बाद, च्यवन ऋषि ने अमृत प्राप्त करने के लिए अश्विनीकुमारों की सहायता की। - रूपिणी पत्नी सुकन्या की कहानी:
एक बार एक ऋषि की पत्नी सुकन्या, जो अत्यंत रूपवती थी, ने अश्विनीकुमारों से अपनी सौंदर्य और स्वास्थ्य को बनाए रखने का आशीर्वाद मांगा। अश्विनीकुमारों ने उसे अमृत समान औषधियों का सेवन कराया, जिससे वह हमेशा युवा और सुंदर बनी रही। - कर्ण के जीवन में हस्तक्षेप:
एक अन्य कथा के अनुसार, महाभारत के समय में जब कर्ण को युद्ध के दौरान तीव्र पीड़ा और रक्तस्राव हो रहा था, तब अश्विनीकुमारों ने आकर उसकी चिकित्सा की और उसे शीघ्र ही ठीक कर दिया। - त्रिशंकु को पुनर्जीवित करना:
त्रिशंकु, एक राजा, जो अपने शरीर के साथ स्वर्ग में जाना चाहते थे, ने विश्वामित्र से सहायता मांगी थी। जब देवताओं ने त्रिशंकु को स्वर्ग से धकेल दिया, अश्विनीकुमारों ने उसे पुनर्जीवित किया और उसकी चिकित्सा की। - वृषणश्रवा के घाव भरना:
वृषणश्रवा नामक राजा के घावों को भी अश्विनीकुमारों ने अपने दिव्य औषधि और उपचार से ठीक किया।
अश्विनीकुमारों की चिकित्सा शक्ति
- अश्विनीकुमारों की चिकित्सा शक्तियों को अक्सर जादुई और दिव्य माना जाता है।
- वे केवल शारीरिक घावों को ठीक करने में सक्षम थे।
- पुनर्जन्म और कायाकल्प (पुनः युवा बनाना) की शक्तियों से भी संपन्न थे।
- वे अपने चिकित्सा कौशल के लिए ऋग्वेद में भी प्रशंसित हैं
- उनके पास अमरत्व का अमृत भी है,
- ये अमृत देवताओं और चुनिंदा मनुष्यों को प्रदान करते थे।
अंत मे
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इन कथाओं से यह स्पष्ट होता है कि अश्विनीकुमार न केवल वैद्य थे, बल्कि उनके पास दिव्य शक्तियाँ भी थीं जो उन्हें किसी भी प्रकार की बीमारी या चोट को ठीक करने में सक्षम बनाती थीं। उनके उपचारात्मक कौशल और उनके द्वारा की गई चमत्कारी चिकित्सा ने उन्हें भारतीय पौराणिक कथाओं में एक विशेष स्थान दिलाया है।