Yojangandha Yogini Sabar Mantra for Predictions

योजनगंधा योगिनी

योजनगंधा योगिनी एक दिव्य देवी हैं जो साधकों को उनके स्वप्न में प्रश्नों के उत्तर प्रदान करती हैं। उनकी साधना विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी होती है जो अपने जीवन में किसी विशेष समस्या का समाधान खोज रहे हैं या भविष्य के बारे में जानना चाहते हैं। योजनगंधा योगिनी देवी को साबर मंत्रों के माध्यम से प्रसन्न किया जाता है, जो कि तंत्र शास्त्र में अत्यधिक प्रभावशाली माने जाते हैं।

साबर मंत्र

“योजनगंधा जोगनी, ॠद्धि सिद्धि से भरपूर, मै आयो तोय जांचणे, करजो कारज जरूर”

योजनगंधा योगिनी साधना विधि

  1. सामग्री: एक स्वच्छ स्थान, सफेद वस्त्र, सफेद पुष्प, धूप, दीपक, कुमकुम, चंदन, योजनगंधा योगिनी की मूर्ति या चित्र, और मंत्र की पुस्तक।
  2. स्नान: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  3. स्थान चयन: एक शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठें।
  4. आसन: सफेद वस्त्र पर आसन बिछाकर बैठें।
  5. मूर्ति या चित्र: योजनगंधा योगिनी की मूर्ति या चित्र को अपने सामने रखें।
  6. पूजन: देवी को सफेद पुष्प, धूप, दीपक, कुमकुम, और चंदन अर्पित करें।
  7. मंत्र जाप: निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जाप करें:
    “ॐ ह्रीं श्रीं योजनगंधा योगिनी स्वाहा।”
  8. ध्यान: देवी का ध्यान करें और उनसे अपने प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
  9. स्वप्न में प्रश्न: साधना के बाद, सोते समय अपने मन में प्रश्न करें और देवी से स्वप्न में उत्तर प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
  10. आवृत्ति: इस विधि को 21 दिनों तक नियमित रूप से करें।

योजनगंधा योगिनी मंत्र के लाभ

  1. स्वप्न में उत्तर: देवी साधक को स्वप्न में उनके प्रश्नों के उत्तर देती हैं।
  2. भविष्य दृष्टि: साधक को भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं की जानकारी प्राप्त होती है।
  3. समस्या समाधान: देवी साधक की समस्याओं का समाधान करती हैं।
  4. भयमुक्ति: साधक को भय से मुक्ति मिलती है।
  5. सकारात्मक ऊर्जा: साधक के आसपास सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
  6. मानसिक शांति: साधक को मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  7. आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  8. सफलता: देवी साधक के कार्यों में सफलता प्रदान करती हैं।
  9. स्वास्थ्य: देवी की कृपा से साधक स्वस्थ और निरोगी रहता है।
  10. समृद्धि: देवी की उपासना से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
  11. शत्रुओं से रक्षा: देवी साधक को शत्रुओं से रक्षा करती हैं।
  12. परिवार की सुख-शांति: देवी की कृपा से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
  13. आत्मविश्वास: साधक का आत्मविश्वास बढ़ता है।
  14. सपनों की सच्चाई: साधक के सपने सच्चे और स्पष्ट होते हैं।
  15. प्राकृतिक आपदाओं से बचाव: देवी की कृपा से प्राकृतिक आपदाओं से बचाव होता है।
  16. प्रेम में सफलता: साधक को प्रेम में सफलता मिलती है।
  17. विवाह में सफलता: साधक के विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
  18. संतान प्राप्ति: साधक को संतान सुख प्राप्त होता है।
  19. सत्संग का लाभ: साधक को संतों का संग प्राप्त होता है।
  20. दिव्य दृष्टि: साधक को दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है।

योजनगंधा योगिनी की साधना का दिन

योजनगंधा योगिनी की साधना विशेष रूप से पूर्णिमा की रात में की जाती है। इसके अलावा, सोमवार और शुक्रवार के दिन भी देवी की साधना के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। इनकी साधना ११ से १८ दिन की होती है।

योजनगंधा योगिनी साबर मंत्र – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. योजनगंधा योगिनी कौन हैं?

योजनगंधा योगिनी एक दिव्य देवी हैं जो साधकों को उनके स्वप्न में प्रश्नों के उत्तर प्रदान करती हैं। वे विशेष रूप से तांत्रिक साधनाओं में सिद्धि प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं।

2. योजनगंधा योगिनी का साबर मंत्र क्या है?

योजनगंधा योगिनी का मंत्र है:
“योजनगंधा जोगनी, ॠद्धि सिद्धि से भरपूर, मै आयो तोय जांचणे, करजो कारज जरूर”

3. योजनगंधा योगिनी की साधना करने का सही समय क्या है?

योजनगंधा योगिनी की साधना के लिए पूर्णिमा की रात विशेष रूप से उपयुक्त मानी जाती है। इसके अलावा, सोमवार और शुक्रवार के दिन भी साधना के लिए शुभ माने जाते हैं।

4. योजनगंधा योगिनी की साधना करने के लिए किन सामग्रियों की आवश्यकता होती है?

साधना के लिए निम्नलिखित सामग्रियों की आवश्यकता होती है:

  • स्वच्छ स्थान
  • सफेद वस्त्र
  • सफेद पुष्प
  • धूप
  • दीपक
  • कुमकुम
  • चंदन
  • योजनगंधा योगिनी की मूर्ति या चित्र
  • मंत्र की पुस्तक

5. योजनगंधा योगिनी की साधना की विधि क्या है?

साधना की विधि निम्नलिखित है:

  1. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. एक शांत और स्वच्छ स्थान पर सफेद वस्त्र पर आसन बिछाकर बैठें।
  3. योजनगंधा योगिनी की मूर्ति या चित्र को अपने सामने रखें।
  4. देवी को सफेद पुष्प, धूप, दीपक, कुमकुम, और चंदन अर्पित करें।
  5. “ॐ ह्रीं श्रीं योजनगंधा योगिनी स्वाहा” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  6. देवी का ध्यान करें और उनसे अपने प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
  7. साधना के बाद, सोते समय अपने मन में प्रश्न करें और देवी से स्वप्न में उत्तर प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
  8. इस विधि को 21 दिनों तक नियमित रूप से करें।

6. योजनगंधा योगिनी की साधना के क्या लाभ हैं?

योजनगंधा योगिनी की साधना से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  1. स्वप्न में उत्तर प्राप्ति
  2. भविष्य दृष्टि
  3. समस्या समाधान
  4. भयमुक्ति
  5. सकारात्मक ऊर्जा
  6. मानसिक शांति
  7. आध्यात्मिक उन्नति
  8. कार्यों में सफलता
  9. स्वास्थ्य में वृद्धि
  10. आर्थिक स्थिति में सुधार
  11. शत्रुओं से रक्षा
  12. परिवार की सुख-शांति
  13. आत्मविश्वास में वृद्धि
  14. सपनों की सच्चाई
  15. प्राकृतिक आपदाओं से बचाव
  16. प्रेम में सफलता
  17. विवाह में सफलता
  18. संतान प्राप्ति
  19. सत्संग का लाभ
  20. दिव्य दृष्टि प्राप्ति

7. क्या योजनगंधा योगिनी की साधना के लिए किसी गुरु की आवश्यकता होती है?

योजनगंधा योगिनी की साधना के लिए गुरु का मार्गदर्शन लाभकारी होता है, लेकिन यदि कोई साधक सही विधि और श्रद्धा के साथ साधना करता है, तो वह भी लाभ प्राप्त कर सकता है।

8. साधना के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

साधना के दौरान निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  1. साधना का स्थान स्वच्छ और शांत होना चाहिए।
  2. साधक को स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
  3. साधना के दौरान पूरी एकाग्रता और श्रद्धा बनाए रखें।
  4. नियमित रूप से साधना करें और विधि का पालन करें।

9. योजनगंधा योगिनी की साधना का समापन कैसे करें?

साधना का समापन करते समय देवी को धन्यवाद दें और उनसे अपनी मनोकामना की पूर्ति की प्रार्थना करें। अंत में, देवी के मंत्र का 11 बार जाप करके साधना का समापन करें।

10. क्या योजनगंधा योगिनी की साधना के लिए कोई विशेष उपाय हैं?

साधना के दौरान निम्नलिखित विशेष उपाय कर सकते हैं:

  1. रात्रि के समय साधना करना अधिक प्रभावी माना जाता है।
  2. साधना के दौरान सफेद वस्त्र धारण करें।
  3. साधना के पहले और बाद में दीपक जलाकर रखें।

11. क्या योजनगंधा योगिनी साधना से किसी विशेष समस्या का समाधान हो सकता है?

हाँ, योजनगंधा योगिनी साधना से किसी भी विशेष समस्या का समाधान प्राप्त किया जा सकता है। देवी साधक को स्वप्न में सही दिशा और समाधान का मार्गदर्शन देती हैं।

12. साधना के दौरान किस प्रकार के स्वप्न मिल सकते हैं?

साधना के दौरान साधक को स्पष्ट और दिव्य स्वप्न मिलते हैं जिनमें देवी स्वयं प्रकट होकर प्रश्नों के उत्तर देती हैं या समस्या का समाधान बताती हैं।

13. क्या साधना के बाद अन्य लोगों के साथ स्वप्न साझा किया जा सकता है?

साधना के दौरान मिले स्वप्न व्यक्तिगत होते हैं और उन्हें अन्य लोगों के साथ साझा करने से बचना चाहिए, ताकि देवी की कृपा और स्वप्न का प्रभाव बना रहे।

14. क्या योजनगंधा योगिनी साधना केवल रात में ही की जा सकती है?

यद्यपि रात्रि का समय योजनगंधा योगिनी साधना के लिए अधिक प्रभावी माना जाता है, लेकिन दिन के समय भी शांत और स्वच्छ वातावरण में साधना की जा सकती है।

15. क्या साधना के दौरान किसी विशेष प्रकार के भोजन का सेवन करना चाहिए?

साधना के दौरान साधक को सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए और मांस, मद्य, और अन्य तामसिक पदार्थों से बचना चाहिए।

16. साधना के दौरान किस प्रकार के धूप और दीपक का उपयोग करना चाहिए?

साधना के दौरान सफेद धूप और घी के दीपक का उपयोग करना शुभ माना जाता है।

17. क्या साधना के दौरान कोई विशेष पूजा सामग्री का उपयोग करना चाहिए?

साधना के दौरान सफेद पुष्प, कुमकुम, चंदन, और सफेद वस्त्र का उपयोग करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

18. क्या योजनगंधा योगिनी साधना से मानसिक शांति प्राप्त की जा सकती है?

हाँ, योजनगंधा योगिनी साधना से साधक को मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है, जिससे उसकी एकाग्रता और ध्यान में वृद्धि होती है।

19. क्या साधना के दौरान किसी विशेष दिशा का ध्यान रखना चाहिए?

साधना के दौरान पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है, ताकि ऊर्जा का प्रवाह साधक की ओर हो।

20. क्या योजनगंधा योगिनी साधना से आर्थिक समस्याओं का समाधान हो सकता है?

हाँ, योजनगंधा योगिनी साधना से आर्थिक समस्याओं का समाधान प्राप्त किया जा सकता है। देवी की कृपा से साधक की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और समृद्धि का आगमन होता है।

अंत में

योजनगंधा योगिनी की साधना अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है। इस साधना से साधक को आध्यात्मिक उन्नति, भौतिक सुख, और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा मिलती है। देवी की कृपा से साधक के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का आगमन होता है। देवी की साधना में नियमितता और श्रद्धा का होना अत्यंत आवश्यक है। साधक को साधना करते समय पूर्ण एकाग्रता और श्रद्धा रखनी चाहिए, ताकि देवी की कृपा से उसे अपने प्रश्नों के उत्तर मिल सकें और जीवन में सफलता प्राप्त हो सके।