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1st Day of Pitra Shraddh Vidhi

प्रतिपदा श्राद्ध विधि: अपने पूर्वजो की आत्मा को तृप्त करे

प्रतिपदा श्राद्ध पितृपक्ष के दौरान पहला श्राद्ध होता है, जो विशेष महत्व रखता है। प्रतिपदा तिथि के दिन, पूर्वजों की आत्मा को तृप्त करने के लिए यह श्राद्ध किया जाता है। यह दिन पितृपक्ष की शुरुआत को चिन्हित करता है और इसे बड़े श्रद्धा और मान्यता के साथ किया जाता है। प्रतिपदा श्राद्ध के माध्यम से पितरों की आत्मा को शांति और आशीर्वाद प्राप्त होता है, और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

किन-किन का श्राद्ध करना चाहिए?

  1. माता-पिता: प्रतिपदा श्राद्ध में सबसे पहले माता-पिता का श्राद्ध करना चाहिए।
  2. दादा-दादी: दादा-दादी का श्राद्ध भी प्रतिपदा के दिन करना अनिवार्य है।
  3. पितामह-पितामही: पितामह और पितामही का श्राद्ध भी इस दिन किया जाता है।
  4. भाई-बहन: विशेष रूप से भाई और बहन के श्राद्ध को भी ध्यान में रखना चाहिए।
  5. अन्य पूर्वज: जिनका नाम या पहचान ज्ञात नहीं है, उनका भी श्राद्ध इस दिन किया जा सकता है।
  6. प्रतिपदाः जिनकी मृत्यु प्रतिपदा के दिन हुई हो, उनके लिये भी श्राद्ध किया जाता है।

प्रतिपदा श्राद्ध विधि

  1. स्नान: प्रतिपदा के दिन पवित्र स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. संकल्प: श्राद्ध का संकल्प लें और एक पवित्र स्थान पर बैठें।
  3. पिंडदान: पूर्वजों के प्रतीक के रूप में पिंड स्थापित करें।
  4. तर्पण: जल में तर्पण के माध्यम से पूर्वजों को अर्पित करें।
  5. हवन: हवन करें और अग्नि में तर्पण सामग्री अर्पित करें।
  6. भोजन: ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।

मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र: “॥ॐ सर्व पित्रेश्वराय स्वधा॥”

अर्थ: इस मंत्र का अर्थ है – “मैं सभी पितरों के अधिपति को समिधा अर्पित करता हूँ।” स्वधा का अर्थ होता है श्रद्धा और समर्पण। यह मंत्र पितरों की आत्मा को तृप्ति और शांति प्रदान करता है।

पित्र श्लोक व उसका अर्थ

“प्रतिपदायामृतस्य काले यः प्राणान् त्यक्तवान्।
तस्य आत्मा शान्तिं यास्यतु मे पित्र देव दयामयी।”

अर्थ: प्रतिपदा तिथि पर जिनका निधन हुआ है, उनकी आत्मा को शांति प्राप्त हो, ऐसी कृपा पित्र देवता की हो।

प्रतिपदा श्राद्ध लाभ

  1. पूर्वजों की आत्मा की शांति प्राप्त होती है।
  2. परिवार में सुख और शांति बनी रहती है।
  3. पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
  4. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  5. आर्थिक समृद्धि आती है।
  6. संतान सुख प्राप्त होता है।
  7. बाधाओं और कष्टों में कमी होती है।
  8. कर्मों का दोष समाप्त होता है।
  9. धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ मिलता है।
  10. मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  11. पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  12. जीवन में स्थिरता और समृद्धि आती है।

Know more about Pitra mantra

प्रतिपदा श्राद्ध भोग

प्रतिपदा श्राद्ध के दौरान सात्विक भोजन अर्पित किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से खीर, पूरी, पुए, लड्डू, और मौसमी फल शामिल होते हैं। इन भोगों को पितरों की आत्मा को तृप्ति देने के लिए अर्पित किया जाता है। यह भोजन पवित्र और शुद्ध होना चाहिए, जिससे पितरों की आत्मा संतुष्ट हो सके।

प्रतिपदा श्राद्ध-पितरों को भोजन में क्या-क्या दें?

  1. खीर: दूध, चावल और शक्कर से बनी खीर पितरों को अर्पित करें।
  2. पूरी: गेहूं के आटे से बनी पूरी भी अर्पित करें।
  3. पुए: मीठे पुए पितरों के भोग में शामिल करें।
  4. लड्डू: तिल और गुड़ से बने लड्डू भी अर्पित करें।
  5. फल: मौसमी और ताजे फल भी भोग में शामिल करें।

नियम

  1. पवित्रता: श्राद्ध से पहले पवित्र स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. श्रद्धा: श्राद्ध पूरी श्रद्धा और ध्यान से करें।
  3. भोजन: सात्विक और शुद्ध भोजन ही अर्पित करें।
  4. संकल्प: श्राद्ध के संकल्प को गंभीरता से लें।
  5. दक्षिणा: ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उचित दक्षिणा दें।

Pitra dosha nivaran puja

प्रतिपदा श्राद्ध पृश्न उत्तर

प्रश्न 1: प्रतिपदा श्राद्ध क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: प्रतिपदा श्राद्ध पितृपक्ष की शुरुआत होती है और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है।

प्रश्न 2: प्रतिपदा श्राद्ध में किनका श्राद्ध करना चाहिए?
उत्तर: माता-पिता, दादा-दादी, पितामह-पितामही और अन्य पूर्वजों का श्राद्ध करना चाहिए।

प्रश्न 3: प्रतिपदा श्राद्ध में कौन-कौन सी विधियाँ करनी चाहिए?
उत्तर: स्नान, संकल्प, पिंडदान, तर्पण, हवन, और ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।

प्रश्न 4: श्राद्ध के लिए किस प्रकार का भोजन अर्पित करना चाहिए?
उत्तर: सात्विक भोजन जैसे खीर, पूरी, पुए, लड्डू और मौसमी फल अर्पित करें।

प्रश्न 5: श्राद्ध करते समय कौन-कौन सी सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
उत्तर: पवित्रता बनाए रखें, श्रद्धा से श्राद्ध करें, और केवल शुद्ध भोजन अर्पित करें।

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