Dhanada Yakshini Mantra- Invoke Wealth

Dhanada Yakshini Mantra- Invoke Wealth

धनदा यक्षिणी मंत्र – आर्थिक समृद्धि और सफलता के लिए शक्तिशाली साधना

धनदा यक्षिणी का मंत्र साधना आर्थिक समृद्धि और जीवन में उन्नति के लिए किया जाता है। यक्षिणी तांत्रिक परंपरा में विशेष स्थान रखती हैं और धनदा यक्षिणी को विशेष रूप से धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। उनका मंत्र जप करने से साधक को धन, ऐश्वर्य और भाग्य की प्राप्ति होती है।

धनदा यक्षिणी मंत्र और अर्थ

मंत्र:
॥ॐ ऐं ह्रीं श्रीं धनदा यक्षिणे मम् कार्य कुरु कुरु नमः॥

अर्थ:
इस मंत्र में “” से ब्रह्मांड की ऊर्जा का आह्वान होता है। “ऐं” विद्या, “ह्रीं” शक्ति, और “श्रीं” लक्ष्मी का बीज मंत्र है। “धनदा यक्षिणे” का मतलब है धन की दात्री यक्षिणी। “मम् कार्य कुरु कुरु” का अर्थ है मेरे कार्यों को सिद्ध करो। “नमः” का अर्थ है नमस्कार।

धनदा यक्षिणी मंत्र विनियोग

विनियोग:
ॐ अस्य श्री धनदा यक्षिणी महा मन्त्रस्य, कुबेर ऋषिः, महालक्ष्मी छन्दः, धनदा यक्षिणी देवता, श्रीं बीजं, ह्रीं शक्तिः, ऐं कीलकं, मम सर्वकार्य सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः॥

अर्थ:
इस विनियोग मंत्र में निम्नलिखित का वर्णन है:

  • कुबेर ऋषिः: कुबेर इस मंत्र के ऋषि या मूल प्रणेता हैं।
  • महालक्ष्मी छन्दः: इस मंत्र का छंद (काव्य शैली) महालक्ष्मी से संबंधित है।
  • धनदा यक्षिणी देवता: धनदा यक्षिणी को इस मंत्र की देवता के रूप में पूजा जाता है।
  • श्रीं बीजं: ‘श्रीं’ बीज मंत्र है, जो समृद्धि और लक्ष्मी का प्रतीक है।
  • ह्रीं शक्तिः: ‘ह्रीं’ शक्ति बीज मंत्र है, जो देवी की ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है।
  • ऐं कीलकं: ‘ऐं’ बीज मंत्र, जो विद्या (ज्ञान) का प्रतीक है।
  • मम सर्वकार्य सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः: यह मंत्र मेरे सभी कार्यों की सिद्धि के लिए जप किया जाता है।

विनियोग मंत्र का उपयोग मुख्य मंत्र के जप से पहले किया जाता है ताकि उसकी शक्ति और प्रभाव को बढ़ाया जा सके। यह साधक की निष्ठा और उद्देश्य को स्पष्ट करता है।

धनदा यक्षिणी मंत्र के लाभ

  1. आर्थिक समृद्धि में वृद्धि।
  2. धन संचय और स्थिरता।
  3. व्यापार में लाभ।
  4. व्यवसाय में उन्नति।
  5. घर में सुख-शांति।
  6. संतान के भविष्य के लिए धन।
  7. ऋण मुक्ति।
  8. वित्तीय चिंताओं का नाश।
  9. अचल संपत्ति में वृद्धि।
  10. अच्छे भाग्य की प्राप्ति।
  11. निवेश में लाभ।
  12. अपार ऐश्वर्य का आह्वान।
  13. जीवन में संतुष्टि।

धनदा यक्षिणी मंत्र विधि

धनदा यक्षिणी मंत्र जप के लिए उचित समय और विधि का पालन करना जरूरी है। मंत्र जप को सुबह के समय करना शुभ माना जाता है। साधना के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करें, जैसे कि शुक्र या गुरु वार का दिन।

धनदा यक्षिणी मंत्र जप

धनदा यक्षिणी मंत्र का जप 11 से 21 दिन तक रोजाना किया जाना चाहिए।

मंत्र जप संख्या

रोजाना 11 माला (1188 मंत्र) का जप करें।

सामग्री

  • पीले वस्त्र
  • गाय का घी का दीपक
  • सफेद चंदन
  • केसर
  • पीले पुष्प
  • धूप और कपूर

Nati Yakshini sadhana samagri with diksha

मंत्र जप के नियम

  1. उम्र 20 वर्ष से ऊपर होनी चाहिए।
  2. स्त्री-पुरुष कोई भी कर सकते हैं।
  3. नीले या काले कपड़े न पहनें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार का सेवन न करें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

Know more about yakshini mantra

धनदा यक्षिणी मंत्र जप में सावधानियाँ

  1. मन एकाग्र रखें।
  2. सही उच्चारण का पालन करें।
  3. शुद्ध स्थान पर बैठकर जप करें।
  4. आसन का उपयोग करें, सीधे जमीन पर न बैठें।
  5. एक ही समय पर जप करें।
  6. अत्यधिक भावुक न हों।

धनदा यक्षिणी मंत्र से संबंधित प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: क्या धनदा यक्षिणी मंत्र सभी के लिए है?

उत्तर: हां, यह मंत्र सभी कर सकते हैं। उम्र 20 वर्ष से ऊपर होनी चाहिए।

प्रश्न 2: क्या मंत्र जप में किसी विशेष दिशा का पालन करना चाहिए?

उत्तर: हां, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके जप करना उत्तम है।

प्रश्न 3: क्या महिलाएं भी मंत्र जप कर सकती हैं?

उत्तर: हां, महिलाएं भी मंत्र जप कर सकती हैं।

प्रश्न 4: क्या मंत्र जप के दौरान विशेष नियमों का पालन करना चाहिए?

उत्तर: हां, सफेद और पीले वस्त्र पहनना चाहिए, और काले-नीले कपड़े न पहनें।

प्रश्न 5: क्या मंत्र जप के लिए कोई विशेष समय है?

उत्तर: सुबह का समय सर्वोत्तम है। गुरुवार या शुक्रवार को शुरू करें।

प्रश्न 6: मंत्र जप के दौरान क्या खाने-पीने से बचना चाहिए?

उत्तर: धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार का सेवन न करें।

प्रश्न 7: क्या मंत्र जप के समय आसन का उपयोग करना जरूरी है?

उत्तर: हां, कुश का आसन या साफ आसन का उपयोग करें।

प्रश्न 8: मंत्र जप के बाद क्या करना चाहिए?

उत्तर: जप के बाद देवी की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।

प्रश्न 9: क्या मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन जरूरी है?

उत्तर: हां, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

प्रश्न 10: मंत्र जप में त्रुटि होने पर क्या करें?

उत्तर: त्रुटि होने पर शुद्धिकरण कर पुनः जप करें।

प्रश्न 11: क्या मंत्र सिद्ध होने के बाद भी जप करना चाहिए?

उत्तर: हां, नियमित जप से अधिक लाभ होता है।

प्रश्न 12: क्या मंत्र जप से तुरंत फल मिलता है?

उत्तर: मंत्र जप का फल साधक की श्रद्धा और नियम पालन पर निर्भर करता है।