spot_img

2nd Day Pitra Shraddh Vidhi

द्वितीया श्राद्ध- पित्रों की संतुष्टी

द्वितीया श्राद्ध पितृपक्ष के दौरान दूसरा श्राद्ध होता है, जो विशेष महत्व रखता है। यह श्राद्ध द्वितीया तिथि को किया जाता है और इसे पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन, विशेष रूप से उन पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है जिनका निधन द्वितीया तिथि को हुआ था। द्वितीया श्राद्ध का उद्देश्य पूर्वजों को सम्मान देना और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करना है।

किन-किन का श्राद्ध करना चाहिए?

  1. पुत्री: जिनकी पुत्रियाँ हैं, उनका श्राद्ध द्वितीया तिथि को करना चाहिए।
  2. बहन: बहन का श्राद्ध भी द्वितीया के दिन किया जाता है।
  3. माता की बहन: माता की बहन का श्राद्ध भी इस दिन विशेष महत्व रखता है।
  4. पिता की बहन: पिता की बहन के श्राद्ध का आयोजन द्वितीया तिथि को किया जाता है।
  5. अन्य पूर्वज: जिनके बारे में जानकारी है और जिनका निधन द्वितीया तिथि को हुआ हो, उनका भी श्राद्ध करना चाहिए।

द्वितीया श्राद्ध विधि

  1. स्नान: द्वितीया के दिन पवित्र स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. संकल्प: श्राद्ध का संकल्प लें और एक पवित्र स्थान पर बैठें।
  3. पिंडदान: पूर्वजों के प्रतीक के रूप में पिंड स्थापित करें और तर्पण करें।
  4. हवन: हवन करें और अग्नि में तर्पण सामग्री अर्पित करें।
  5. भोजन: ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।

मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र: “॥ॐ सर्व पित्रेश्वराय स्वधा॥”

अर्थ: इस मंत्र का अर्थ है – “मैं सभी पितरों के अधिपति को स्वधा अर्पित करता हूँ।” स्वधा का अर्थ होता है श्रद्धा और समर्पण। इस मंत्र से पूर्वजों की आत्मा को शांति और तृप्ति प्राप्त होती है।

“हे पितृ देवताः, द्वितीया तिथौ यः प्राणान् त्यक्तवान्, तस्य आत्मा शान्तिं प्राप्नुयात्।”

अर्थ: हे पितृ देवता, द्वितीया तिथि को जिनका निधन हुआ है, उनकी आत्मा को शांति प्राप्त हो।

द्वितीया श्राद्ध से लाभ

  1. पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
  2. परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
  3. पितृ दोष समाप्त होता है।
  4. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  5. आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
  6. संतान सुख प्राप्त होता है।
  7. जीवन में बाधाओं में कमी आती है।
  8. कर्मों का दोष समाप्त होता है।
  9. धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ मिलता है।
  10. मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  11. पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  12. जीवन में स्थिरता और समृद्धि आती है।

Pitra pujan

द्वितीया श्राद्ध भोग

द्वितीया श्राद्ध के दौरान सात्विक भोजन अर्पित किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से खीर, पूरी, पुए, लड्डू, और मौसमी फल शामिल होते हैं। इन भोगों को पितरों की आत्मा को तृप्ति देने के लिए अर्पित किया जाता है। यह भोजन पवित्र और शुद्ध होना चाहिए।

पितरों को भोजन में क्या-क्या दें?

  1. खीर: दूध, चावल और शक्कर से बनी खीर पितरों को अर्पित करें।
  2. पूरी: गेहूं के आटे से बनी पूरी भी अर्पित करें।
  3. पुए: मीठे पुए पितरों के भोग में शामिल करें।
  4. लड्डू: तिल और गुड़ से बने लड्डू भी अर्पित करें।
  5. फल: मौसमी और ताजे फल भी भोग में शामिल करें।

द्वितीया श्राद्ध नियम

  1. पवित्रता: श्राद्ध से पहले पवित्र स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. श्रद्धा: श्राद्ध पूरी श्रद्धा और ध्यान से करें।
  3. भोजन: सात्विक और शुद्ध भोजन ही अर्पित करें।
  4. संकल्प: श्राद्ध के संकल्प को गंभीरता से लें।
  5. दक्षिणा: ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उचित दक्षिणा दें।

Rudra sadhana for removing pitra yoni

द्वितीया श्राद्ध FAQs

प्रश्न 1: द्वितीया श्राद्ध क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: द्वितीया श्राद्ध पितृपक्ष के दौरान विशेष महत्व रखता है और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है।

प्रश्न 2: द्वितीया श्राद्ध में किनका श्राद्ध करना चाहिए?
उत्तर: पुत्री, बहन, माता की बहन, पिता की बहन और अन्य पूर्वज जिनका निधन द्वितीया को हुआ हो, उनका श्राद्ध करना चाहिए।

प्रश्न 3: द्वितीया श्राद्ध में कौन-कौन सी विधियाँ करनी चाहिए?
उत्तर: स्नान, संकल्प, पिंडदान, तर्पण, हवन, और ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।

प्रश्न 4: श्राद्ध के लिए किस प्रकार का भोजन अर्पित करना चाहिए?
उत्तर: सात्विक भोजन जैसे खीर, पूरी, पुए, लड्डू और मौसमी फल अर्पित करें।

प्रश्न 5: श्राद्ध करते समय कौन-कौन सी सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
उत्तर: पवित्रता बनाए रखें, श्रद्धा से श्राद्ध करें, और केवल शुद्ध भोजन अर्पित करें।

spot_img
spot_img

Related Articles

KAMAKHYA SADHANA SHIVIRspot_img
PITRA DOSHA NIVARAN PUJANspot_img

Latest Articles

FREE HOROSCOPE CONSULTINGspot_img
BAGALAMUKHI SHIVIR BOOKINGspot_img
Select your currency