आज्ञा चक्र: तीसरी आँख के जागरण का मार्ग और ॐ मंत्र का महत्व
आज्ञा चक्र (3rd Eye Chakra) को छठा चक्र माना जाता है, जिसे “तीसरी आंख” या “भ्रूमध्य” भी कहते हैं। यह चक्र हमारी अंतर्दृष्टि, मानसिक स्पष्टता और आत्मज्ञान का केंद्र होता है। आज्ञा चक्र का स्थान माथे के बीच, भौंहों के बीच स्थित होता है। जब यह चक्र सक्रिय और संतुलित होता है, तो व्यक्ति की मानसिक शक्तियाँ बढ़ती हैं, और उसे सच्चाई का गहन अनुभव होता है।
आज्ञा चक्र का महत्व
- स्थान: माथे के मध्य में, भौहों के बीच।
- तत्व: शून्य तत्व
- रंग: गहरा नीला या बैंगनी।
- चमक: प्रकाश।
- शारीरिक संबंध: मस्तिष्क, आँखें, पीनियल ग्रंथि।
- मूल तत्व: अंतर्ज्ञान, मानसिक जागरूकता, उच्च स्तर की समझ।
आज्ञा चक्र मंत्र
आज्ञा चक्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण और प्राचीन मंत्र “ॐ” (Om) है। इसे ब्रह्मांड का मौलिक ध्वनि माना जाता है, जो हमारी चेतना और उच्चतर सच्चाई से संबंध स्थापित करता है।
ॐ मंत्र का नियमित जाप आज्ञा चक्र को जागृत करता है और हमारी आंतरिक दृष्टि को खोलता है। जब आप ॐ का उच्चारण करते हैं, तो यह आपके पूरे शरीर में कंपन उत्पन्न करता है, विशेषकर आपके माथे और सिर के क्षेत्र में।
मंत्र उच्चारण की विधि
- एक शांत स्थान पर बैठें, रीढ़ की हड्डी सीधी रखें और आँखें बंद करें।
- अपने माथे के बीच, भौंहों के मध्य ध्यान केंद्रित करें।
- गहरी सांस लें और धीरे-धीरे “ॐ” का उच्चारण करें।
- मंत्र का उच्चारण इस तरह करें कि “आ” (A) का उच्चारण लंबे समय तक हो, फिर “उ” (U) और अंत में “म” (M) पर कंपन महसूस करें।
- “आ” से कंपन पेट और छाती में महसूस होता है।
- “उ” गले में और “म” का कंपन माथे पर होता है।
यह प्रक्रिया कई बार दोहराएँ, और हर बार ध्यान को अपनी तीसरी आँख पर केंद्रित रखें।
know more about kundalini chakra mantra vidhi
ॐ मंत्र के लाभ
- मानसिक शांति और संतुलन।
- आंतरिक दृष्टि का विकास।
- आत्मज्ञान और सच्चाई की प्राप्ति।
- मानसिक विकारों का निवारण।
- अंतर्दृष्टि और ध्यान की गहराई में वृद्धि।
आज्ञा चक्र के जागरण से व्यक्ति को अद्भुत मानसिक शक्ति, गहन ध्यान, और आध्यात्मिक अनुभव की प्राप्ति होती है। यदि आप ध्यान के दौरान इस मंत्र का अभ्यास करते हैं, तो आप धीरे-धीरे अपने आंतरिक ज्ञान और आत्मबोध का अनुभव कर पाएंगे।
कुंडलिनी योग – आज्ञा चक्र और ॐ मंत्र से जुड़े सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर
1. आज्ञा चक्र क्या है?
- आज्ञा चक्र छठा चक्र है, जिसे “तीसरी आंख” के नाम से भी जाना जाता है। यह अंतर्ज्ञान, मानसिक स्पष्टता, और आत्मज्ञान से जुड़ा है और माथे के बीच स्थित होता है।
2. आज्ञा चक्र को जागृत करने के लाभ क्या हैं?
- आज्ञा चक्र के जागरण से व्यक्ति की मानसिक शक्तियाँ बढ़ती हैं, आंतरिक दृष्टि खुलती है, निर्णय क्षमता मजबूत होती है, और आध्यात्मिक विकास होता है।
3. आज्ञा चक्र का कौन सा मंत्र है?
- आज्ञा चक्र का प्रमुख मंत्र ॐ (Om) है। यह मंत्र ब्रह्मांड की मौलिक ध्वनि को दर्शाता है और व्यक्ति की चेतना को जागृत करता है।
4. ॐ मंत्र का उच्चारण कैसे करें?
- ॐ का उच्चारण गहरी सांस लेकर करते हैं। इसमें “आ,” “उ,” और “म” ध्वनि को ध्यान से और कंपन के साथ बोलते हैं, जिसमें “म” पर ध्यान केंद्रित करके माथे के बीच ध्यान किया जाता है।
5. क्या ॐ मंत्र के उच्चारण से आज्ञा चक्र जागृत हो सकता है?
- हाँ, ॐ मंत्र का नियमित और सही उच्चारण आज्ञा चक्र को जागृत करने में मदद करता है। यह मानसिक संतुलन लाता है और आत्मज्ञान को बढ़ाता है।
6. क्या आज्ञा चक्र का संतुलन बिगड़ सकता है?
- हाँ, अगर आज्ञा चक्र असंतुलित हो जाता है, तो व्यक्ति भ्रम, गलतफहमी, मानसिक थकान और निर्णय क्षमता में कमी महसूस कर सकता है। ध्यान और मंत्र जाप से इसे संतुलित किया जा सकता है।
7. कुंडलिनी चक्र क्या है और इसका आज्ञा चक्र से क्या संबंध है?
- कुंडलिनी चक्र शरीर में सात ऊर्जा केंद्र होते हैं, जिसमें आज्ञा चक्र छठा केंद्र है। कुंडलिनी ऊर्जा के जागरण के दौरान सभी चक्र सक्रिय होते हैं, जिसमें आज्ञा चक्र विशेष रूप से मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र है।
8. आज्ञा चक्र को जागृत करने में कितना समय लगता है?
- यह समय व्यक्ति की साधना, ध्यान की गहराई और गुरु के मार्गदर्शन पर निर्भर करता है। कुछ लोगों को महीनों या सालों का समय लग सकता है, जबकि कुछ को इससे जल्दी भी अनुभव हो सकते हैं।
9. आज्ञा चक्र जागरण के दौरान क्या अनुभव होते हैं?
- जब आज्ञा चक्र जागृत होता है, तो व्यक्ति को तीसरी आँख के बीच में कंपन, गहरी मानसिक स्पष्टता, और शक्तिशाली अंतर्ज्ञान का अनुभव हो सकता है। कई बार ध्यान के दौरान उज्ज्वल प्रकाश या दिव्य दृष्टि का अनुभव भी होता है।
10. कुंडलिनी जागरण के लिए ॐ मंत्र क्यों महत्वपूर्ण है?
- ॐ मंत्र कुंडलिनी जागरण के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा और चेतना को सक्रिय करता है। यह शरीर के सभी चक्रों पर प्रभाव डालता है, विशेषकर आज्ञा चक्र पर, जो कुंडलिनी जागरण का अंतिम लक्ष्य होता है।
11. क्या आज्ञा चक्र के जागरण में कोई खतरा होता है?
- यदि आज्ञा चक्र को बिना सही मार्गदर्शन के जागृत करने का प्रयास किया जाए, तो मानसिक असंतुलन या भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसलिए गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक है।
12. आज्ञा चक्र के जागरण के बाद क्या जीवन में कोई परिवर्तन होता है?
- आज्ञा चक्र के जागरण के बाद व्यक्ति की मानसिकता, दृष्टिकोण और जीवन की समझ में गहरा परिवर्तन आता है। व्यक्ति अधिक अंतर्दृष्टि, शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक रूप से जागरूक हो जाता है।