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Shri Venkateshwar Chalisa – Prosperity Devotion & Bliss

श्री व्यंकटेश्वर चालीसा – सुख समृद्धि व मनोकामना पुर्ति

श्री व्यंकटेश्वर चालीसा का भक्तों के जीवन में विशेष स्थान है। यह पाठ भगवान व्यंकटेश्वर के प्रति श्रद्धा और आस्था को प्रकट करता है। यह चालीसा पाठ व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। इनको को विष्णुजी का अवतार माना गया है। उनकी आराधना से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।


व्यंकटेश्वर चालीसा पाठ

दोहा:
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान।।

श्री वेंकटेश्वर चालीसा पाठ

॥दोहा॥

श्री वेंकट गिरिधाम तव, अचल मनोहारी।
सकल सृष्टि सुकृति को, करती तव सवारी॥
ब्रह्मा विष्णु महेश भी, गाते तव गुणगान।
दीनबंधु वेंकटेश, रक्षक भगवंत महान॥

॥चालीसा॥
जय श्री वेंकटेश प्रभु, जय मुरलीधर प्यारे।
सकल जगत में तेरा, जयकारा उजियारे॥
तुम हो परम कृपालु, दीनों के हितकारी।
भक्तों के दुख हरने, आए हो सुखकारी॥1॥

शेषनाग की शैया पर, शोभित तव स्वरूप।
नील कमल सम लोचन, जगत बने अनूप॥
लक्ष्मीपति नारायण, नित्य मंगलकारी।
अलख निरंजन ब्रह्म हो, जग के आधार भारी॥2॥

तिरुपति धाम महान, वेंकटगिरि है प्यारा।
जो तव दर्शन करता, मिटता भव का अंधियारा॥
सप्तगिरि के बीच में, तेरा पावन धाम।
भक्तों की अर्चना से, होते सभी काम॥3॥

अन्नदान से तेरा, पुण्य बड़ा महान।
जग में कोई न भूखे, तव यह वरदान॥
निज चरणों की रज से, मिटें सकल संताप।
सुख-संपत्ति देता है, तव नाम का जाप॥4॥

जो सच्चे मन से तव, नाम का करे ध्यान।
उसका हर कष्ट हरें, वेंकटेश भगवान॥
दान और धर्म से तव, बढ़े मनुज का मान।
दया और कृपा से तव, बंधन हों सब ढीले॥5॥

लक्ष्मी संग विराजते, तव दिव्य आभा भारी।
नभ में चंद्र सम शोभित, तेरी छवि मनोहारी॥
धन्य भक्त वह होता, जो तव नाम पुकारे।
श्री वेंकटेश के चरणों में, सदा ध्यान लगाए॥6॥

॥दोहा॥

श्री वेंकटेश प्रभु, तव महिमा अपरंपार।
जो तव शरण आता, हो भव से पार॥
जो सच्चे मन से करे, तव चालीसा पाठ।
सुख, शांति, समृद्धि बढ़े, मिटें सकल दुख-घात॥

यह पाठ भक्तों को श्री वेंकटेश्वर भगवान की कृपा और आशीर्वाद पाने में सहायक है। इसे नियमित पढ़ने से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है।


लाभ

  1. मनोकामनाओं की पूर्ति।
  2. आर्थिक समृद्धि।
  3. रोगों से मुक्ति।
  4. शत्रु बाधा का निवारण।
  5. वैवाहिक जीवन में सुख।
  6. करियर में सफलता।
  7. आध्यात्मिक उन्नति।
  8. मानसिक शांति।
  9. परिवार में प्रेम।
  10. संतान प्राप्ति।
  11. पुण्य अर्जन।
  12. वास्तुदोष निवारण।
  13. आध्यात्मिक ज्ञान।
  14. आत्मविश्वास में वृद्धि।
  15. दु:स्वप्न से मुक्ति।
  16. यात्रा में सुरक्षा।
  17. दीर्घायु प्राप्ति।

पाठ की विधि

दिन: मंगलवार और शनिवार का दिन सर्वोत्तम।
अवधि: नियमित 41 दिनों तक करें।
मुहूर्त: ब्रह्ममुहूर्त में पाठ करें।

पाठ से पूर्व स्नान कर पवित्र हो जाएं। दीपक जलाकर भगवान का ध्यान करें। शांत चित्त से पाठ आरंभ करें।

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नियम

  1. पाठ नियमित समय पर करें।
  2. पूजा और साधना को गुप्त रखें।
  3. शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  4. भगवान के प्रति समर्पण भाव रखें।
  5. किसी भी नकारात्मक विचार से बचें।

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सावधानियाँ

  1. पाठ स्थिर मन और शांत वातावरण में करें।
  2. बीच में पाठ को न रोकें।
  3. अनहोनी स्थिति में पाठ पुनः आरंभ करें।
  4. अपवित्र स्थान पर पाठ न करें।
  5. भोजन के बाद पाठ से बचें।

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प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: श्री व्यंकटेश्वर चालीसा क्या है?
उत्तर: यह भगवान व्यंकटेश्वर की स्तुति में लिखा गया पाठ है।

प्रश्न 2: श्री व्यंकटेश्वर भगवान कौन हैं?
उत्तर: भगवान विष्णु का अवतार, जो तिरुपति के पर्वत पर विराजमान हैं।

प्रश्न 3: चालीसा पाठ का सर्वोत्तम समय क्या है?
उत्तर: ब्रह्ममुहूर्त में पाठ सर्वोत्तम है।

प्रश्न 4: चालीसा पाठ की अवधि कितनी होती है?
उत्तर: 41 दिनों तक नियमित रूप से पाठ करना चाहिए।

प्रश्न 5: चालीसा पाठ के लाभ क्या हैं?
उत्तर: मनोकामनाओं की पूर्ति और मानसिक शांति मिलती है।

प्रश्न 6: क्या साधना को गुप्त रखना आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, साधना को गुप्त रखने से अधिक लाभ होता है।

प्रश्न 7: क्या पाठ के लिए विशेष दिन होते हैं?
उत्तर: मंगलवार और शनिवार उत्तम माने जाते हैं।

प्रश्न 8: पाठ के दौरान क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
उत्तर: पाठ शांत और पवित्र स्थान पर करें।

प्रश्न 9: क्या पाठ अधूरा छोड़ सकते हैं?
उत्तर: नहीं, अधूरा पाठ अशुभ माना जाता है।

प्रश्न 10: क्या बच्चों को पाठ करना चाहिए?
उत्तर: हाँ, बच्चों को सरल शब्दों में समझाकर पाठ करवा सकते हैं।

प्रश्न 11: पाठ के लिए क्या सामग्री चाहिए?
उत्तर: दीपक, फूल, और भगवान का चित्र या मूर्ति।

प्रश्न 12: क्या चालीसा पाठ में गलतियाँ हो सकती हैं?
उत्तर: कोशिश करें कि गलतियाँ न हों। यदि हो, तो भगवान से क्षमा माँगें।

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