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Aarti for Inner Peace and Prosperity

आरती आत्मशांति की – अंतरमन की समृद्धि का दिव्य मार्ग

यह आरती उन साधकों के लिए है जो अपने जीवन में आत्मिक शांति, मानसिक संतुलन और भौतिक/आध्यात्मिक समृद्धि प्राप्त करना चाहते हैं। यह आरती ब्रह्मांडीय ऊर्जा को आह्वान करती है और साधक के अंतर्मन से अशांति, तनाव, भय और दरिद्रता को दूर करने में सहायक होती है।


आरती का प्रारंभ कैसे करे? – ध्यान और शुद्धिकरण मंत्र

🔸 ध्यान मंत्र:
“ॐ शांतिः शांतिः शांतिः। आत्मदीपो भव।”
(हे आत्मा! तू ही दीपक बन जा — स्वयं में प्रकाश फैला।)

🔸 शुद्धिकरण मंत्र:
“ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचिः॥”


आत्मशांति और समृद्धि की आरती

आरती ओमकार की, संतोष स्वरूपा मां की।
शांति जो दे अंतरमन को, महाशक्ति वह धाम की॥

🔅
आरती शांति स्वरूपिणी की, मन मंदिर की देवी।
जहाँ बसे वहाँ भक्ति जगे, न कोई दुःख न हेभी॥
बुद्धि-विवेक प्रदान करे, मोह-माया को हरती।
निर्मल बुद्धि, स्वच्छ विचार, आत्मा को सुधरती॥
आरती ओमकार की…

🔅
दुःख-चिंता का नाश करे, सुख-शांति का वर दे।
नव ऊर्जा से भर दे तन, जीवन को सुंदर कर दे॥
सिद्धि-संपत्ति की दात्री, आत्मिक योग की माई।
जहाँ जपे तेरा नाम सदा, वहाँ घटे न कमाई॥
आरती ओमकार की..

🔅
अंधकार जो भीतर बैठा, तू है दीपक उसकी।
स्वार्थ-वासना से मुक्त करे, पावन गाथा तेरी रस की॥
तृष्णा को तू रोक सके, क्रोध-विकार मिटाए।
सहनशीलता का दान दे, दृढ़ साधना सिखाए॥
आरती ओमकार की

🔅
श्वास-श्वास में बसे तू ही, जब जप हो तेरा नाम।
प्रभु, तू बन जा मेरे भीतर, सदा दिव्य इक धाम॥
ध्यान धरें जो चरणों में, उनका कल्याण होवे।
मन-वचन-कर्म से आराधना, वो भी जीवन पावे॥
आरती ओमकार की..

🔅
तेरा रूप न देखा कोई, फिर भी तू हर जगह।
तू ही शक्ति, तू ही लक्ष्मी, तू ही आत्मा सदा॥
जड़-जंगम में व्याप्त है, हर अणु में तेरा रूप।
तेरी शरण में जो आए, मिटे जीवन का संपूर्ण क्लेश॥
आरती ओमकार की

🔅
प्रेम-करुणा बरसा दे तू, बैर-द्वेष को हरले।
साधक को तू निर्विकार कर, आत्मा से जोड़ ले॥
तेरे ध्यान में जो रम जाए, उसे कभी न डर हो।
संघर्षों में भी मुस्काए, जीवन में प्रगति भर हो॥
आरती ओमकार की


गहरे रहस्य और भावार्थ

श्लोकभावार्थ
आरती शांति स्वरूपिणी कीपरमशक्ति को शांतिदायिनी के रूप में स्वीकार करना – जो हमारे भीतर संतुलन लाती है।
बुद्धि-विवेक प्रदान करेकेवल भक्ति नहीं, विवेक और स्पष्टता भी दे ताकि हम जीवन निर्णय समझदारी से ले सकें।
नव ऊर्जा से भर दे तनयह ऊर्जा सिर्फ शारीरिक नहीं, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक भी होती है।
तृष्णा को तू रोक सकेभौतिक इच्छाओं की सीमाएं तय करना और आत्मिक संतुलन बनाना।
श्वास-श्वास में बसे तू हीसाधना का उच्चतम स्तर – जहाँ सांसों में भी उस परमशक्ति का स्मरण बना रहे।
प्रेम-करुणा बरसा दे तूबिना प्रेम और करुणा के आत्मा शांत नहीं हो सकती, इसलिए यह दो प्रमुख साधन हैं।

आरती का प्रयोग कैसे करें – विधि

दैनिक प्रयोग विधि:

  1. प्रातः या रात्रि में स्नान के बाद शांत स्थान पर बैठे।
  2. दीपक, धूप, जल पात्र, ताजे पुष्प, और मौन मन लेकर शुरू करें।
  3. आरती से पहले ध्यान मंत्र और शुद्धिकरण मंत्र का जाप करें।
  4. “आत्मिक शांति और समृद्धि की आरती” को शुद्ध स्वर में गाएं या सुनें। (य़ड रखे इस आरती की जगह पर कोई भी देवी – देवता की आरती गा सकते है)
  5. अंत में 5 मिनट मौन रहकर केवल “ॐ शांतिः” का जाप करें।

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आरती का विशेष प्रयोग

पूर्णिमा, अमावस्या, एकादशी, और गुरुवार को यह आरती विशेष फलदायक होती है।

यह आरती किसी भी देवी या ईश्वर की पूजा के अंत में भी जोड़ सकते हैं।

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आरती से मिलने वाले दिव्य लाभ

  1. मानसिक तनाव और चिंता में तत्काल राहत।
  2. आत्मिक जागरण और चित्त की शुद्धि।
  3. जीवन में स्थिरता और संतुलन की अनुभूति।
  4. दुर्भाग्य और दरिद्रता का अंत।
  5. आर्थिक क्षेत्र में सहज सफलता।
  6. परिवार में प्रेम और एकता का संचार।
  7. आत्मविश्वास में वृद्धि।
  8. नकारात्मक ऊर्जा का नाश।
  9. साधना में गहराई और ध्यान की सिद्धि।
  10. निर्णय लेने की शक्ति में सुधार।
  11. आध्यात्मिक उन्नति और आत्मबोध।
  12. चक्रों की संतुलन और कुंडलिनी जागरण में सहायता।
  13. रात्रि में शांत नींद और स्वप्न दोष का अंत।
  14. क्रोध, द्वेष, ईर्ष्या जैसे दोषों से मुक्ति।
  15. गुरु कृपा और दिव्य मार्गदर्शन की प्राप्ति।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. यह आरती किसे करनी चाहिए?
उत्तर: कोई भी व्यक्ति जो मानसिक शांति, आत्मिक प्रगति और समृद्धि चाहता है, वह कर सकता है।

प्र. क्या इसे किसी विशेष देवता की आरती से जोड़ सकते हैं?
उत्तर: हाँ, यह आरती सार्वभौमिक है – किसी भी देवी-देवता की पूजा के बाद इसका पाठ कर सकते हैं।

प्र. क्या इसे घर में रोज़ गा सकते हैं?
उत्तर: बिल्कुल, प्रतिदिन या विशेष दिनों में इसका नियमित गान अत्यंत शुभ होता है।

प्र. इसका प्रभाव कब दिखता है?
उत्तर: नियमित साधना करने पर 11 दिन में मानसिक परिवर्तन, 21 दिन में ऊर्जा स्तर में वृद्धि और 40 दिन में जीवन में स्थायित्व दिखता है।


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