Navgrah Mantra – Unlock The Cosmic Code Hidden by Ancient Sages!
नवग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु) हमारे जीवन पर अत्यधिक प्रभाव डालते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, हर ग्रह हमारे कर्म, मनोवृति, स्वास्थ्य, संबंध, समृद्धि, और आध्यात्मिक विकास को प्रभावित करता है। इन नवग्रहों को शांत करने, अनुकूल बनाने तथा उनसे कृपा प्राप्त करने के लिए वैदिक ऋषियों ने विशेष बीज मंत्रों की खोज की, जिनमें दिव्य कंपन (divine vibrations) छिपे हुए हैं।
नवग्रह मंत्र (The Mystical Secret of Navgrah Mantras)
1. बीज मंत्रों में छिपी शक्ति
हर ग्रह का एक विशिष्ट बीज मंत्र होता है, जैसे “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः”। इन मंत्रों में बीजाक्षर (जैसे ह्रां, क्लीं, शं) होते हैं, जो सृष्टि की सूक्ष्म ऊर्जा को जगाते हैं। ये बीजाक्षर किसी चाबी की तरह कार्य करते हैं, जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा को खोले बिना नहीं खुलते।
2. ध्वनि की स्पंदनात्मक शक्ति (Vibrational Power of Sound)
जब कोई साधक शुद्ध उच्चारण और श्रद्धा से नवग्रह मंत्रों का जप करता है, तो उसके चारों ओर एक ऊर्जा-क्षेत्र (Aura) बनता है। यह ऊर्जा-क्षेत्र ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को रोकता है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
3. मंत्र, ग्रह और शरीर का संबंध
हर ग्रह शरीर के किसी न किसी भाग से जुड़ा होता है:
- सूर्य – हृदय और आत्मा
- चंद्र – मन और मनोवृति
- मंगल – रक्त और ऊर्जा
- बुध – तंत्रिका तंत्र और बुद्धि
- गुरु – जिगर और ज्ञान
- शुक्र – प्रजनन शक्ति और सुख
- शनि – हड्डियाँ और कर्म
- राहु – भ्रम और आकस्मिक परिवर्तन
- केतु – मोक्ष और रहस्यमय शक्तियाँ
मंत्रों के जप से इन अंगों की ऊर्जा संतुलित होती है।
4. कर्म और ग्रहों का बंधन
नवग्रह हमारे पूर्व जन्मों के कर्मों का फल देने वाले माध्यम हैं। जब हम किसी विशेष ग्रह का मंत्र जपते हैं, तो उस ग्रह से संबंधित कर्मों के बंधन ढीले होने लगते हैं और भाग्य का द्वार खुलता है।
गुप्त साधना विधि (Hidden Sadhana Technique)
- सही मुहूर्त का चयन करें (विशेषतः ग्रहवार जैसे सूर्य के लिए रविवार)
- ग्रह से संबंधित वस्तु रखें (जैसे शनि के लिए काली उड़द, राहु के लिए नीला वस्त्र)
- दीपक जलाकर आसन पर बैठें
- ध्यानपूर्वक 108 या 1008 बार मंत्र जप करें
- जप के बाद ग्रह की पूजा करें और दान दें
नवग्रह बीज मंत्र (Navgrah Beej Mantras)
ग्रह | मंत्र |
---|---|
सूर्य | ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः |
चंद्र | ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः |
मंगल | ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः |
बुध | ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः |
गुरु | ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः |
शुक्र | ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः शुक्राय नमः |
शनि | ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः |
राहु | ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः |
केतु | ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः |
गुप्त लाभ (Hidden Benefits)
- शत्रुओं से रक्षा
- रोगों में राहत
- मन की शांति और स्थिरता
- धन और व्यवसाय में वृद्धि
- रिश्तों में मधुरता
- ग्रह दशा और साढ़े साती का निवारण
- आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष का द्वार
FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1: क्या नवग्रह मंत्र सभी को जपने चाहिए?
हाँ, लेकिन किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से सलाह लेकर ग्रहों के अनुसार जप करना श्रेष्ठ होता है।
Q2: मंत्र का जप कब करें?
सूर्य उदय से पहले या सूर्यास्त के बाद शांत वातावरण में करें।
Q3: क्या मंत्र जप में नियम तोड़ने से दोष लगता है?
नियम भंग होने से प्रभाव में कमी आती है, पर यदि मन शुद्ध हो तो क्षमा हो जाती है।
Q4: क्या मंत्र बिना दीक्षा के जप सकते हैं?
बीज मंत्रों को दीक्षा से जपने पर ज्यादा प्रभावशाली होते हैं, परंतु श्रद्धा से जपने पर भी फल देते हैं।
Q5: क्या एक साथ सभी मंत्र जप सकते हैं?
विशिष्ट समस्याओं के लिए संबंधित ग्रह का मंत्र ही करें। सबका एक साथ जप भी किया जा सकता है, पर नियमपूर्वक।