अपने भक्तो को सुख-शांति देने वाले भद्रसेन भैरव भैरव भगवान शिव के रौद्र रूपों में से एक हैं और इनकी उपासना से शक्ति, साहस, और सुरक्षा प्राप्त होती है। भद्रसेन भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, सुख-शांति, और मानसिक शांति आती है।
भद्रसेन भैरव मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ
भद्रसेन भैरव मंत्र:
॥ॐ भ्रं भद्रसेन भैरवाय फट्॥
मंत्र का अर्थ:
- ॐ: यह ध्वनि ब्रह्मांड की मूल ध्वनि है, जो सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी भगवान को समर्पित है।
- भ्रं: यह बीज मंत्र है जो ऊर्जा और शक्ति को जागृत करता है।
- भद्रसेन भैरवाय: यह भद्रसेन भैरव को संदर्भित करता है, जो शिव के भैरव रूप हैं।
- फट्: यह बीज मंत्र है जो नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने का प्रतीक है।
भद्रसेन भैरव मंत्र के लाभ
- सुरक्षा: मंत्र के जप से जीवन में सुरक्षा मिलती है।
- साहस: यह मंत्र साहस और वीरता को बढ़ाता है।
- शांति: मानसिक और भावनात्मक शांति प्राप्त होती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
- समृद्धि: आर्थिक समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
- स्वास्थ्य: अच्छा स्वास्थ्य और लंबी आयु का वरदान मिलता है।
- रक्षा: जीवन के हर क्षेत्र में रक्षा होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: आत्मा की उन्नति और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
- विघ्न बाधा नाश: जीवन की विघ्न बाधाओं का नाश होता है।
- क्लेश मुक्ति: गृहस्थ जीवन में क्लेश और संघर्ष समाप्त होते हैं।
- मानसिक शक्ति: मानसिक शक्ति और धैर्य की प्राप्ति होती है।
- दुश्मनों पर विजय: शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
- शांति: पारिवारिक जीवन में शांति और आनंद मिलता है।
- सिद्धि प्राप्ति: विभिन्न सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
- तंत्र बाधा नाश: तांत्रिक बाधाओं का नाश होता है।
- आत्मबल: आत्मबल में वृद्धि होती है।
- धन प्राप्ति: धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
- योग्यता: योग्यता और कार्य क्षमता में वृद्धि होती है।
- धार्मिक उन्नति: धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- कर्ज मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।
भद्रसेन भैरव मंत्र विधि
मंत्र जप का दिन, अवधि, और मुहूर्त:
- दिन: मंगलवार और शनिवार विशेष रूप से अनुकूल माने जाते हैं।
- अवधि: मंत्र जप की अवधि 11 से 21 दिन होनी चाहिए।
- मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे तक) सबसे उत्तम समय है।
मंत्र जप सामग्री
- भद्रसेन भैरव की प्रतिमा या तस्वीर
- एक माला (रुद्राक्ष माला विशेष रूप से उत्तम)
- धूप और दीपक
- लाल कपड़ा
- लाल चंदन
- नैवेद्य (फल, मिठाई आदि)
- शुद्ध जल
- पुष्प
मंत्र जप संख्या
प्रत्येक दिन निम्न संख्या में मंत्र जप करें:
- एक माला (108 बार): न्यूनतम संख्या
- ग्यारह माला (1188 बार): अधिकतम संख्या
मंत्र जप के नियम
- शुद्धता: जप करते समय मन और शरीर की शुद्धता बनाए रखें।
- समर्पण: पूर्ण समर्पण और श्रद्धा के साथ जप करें।
- स्थान: शांत और पवित्र स्थान पर बैठकर जप करें।
- समय: प्रतिदिन एक ही समय पर जप करें।
- आसन: लाल या सफेद कपड़े के आसन पर बैठें।
- ध्यान: भद्रसेन भैरव के रूप का ध्यान करते हुए जप करें।
- व्रत: जप के दिनों में व्रत रखें।
- संकल्प: जप शुरू करने से पहले संकल्प लें।
- मौन: जप के समय मौन रहें और मन को एकाग्र रखें।
- संख्या: जप की निर्धारित संख्या का पालन करें।
मंत्र जप सावधानी
- अपवित्रता: अपवित्र स्थान या अवस्था में जप न करें।
- व्यवधान: जप के दौरान किसी भी प्रकार का व्यवधान न हो।
- संकल्प भंग: संकल्प भंग न करें।
- नशा: जप के दिनों में नशा और मांसाहार से दूर रहें।
- नींद: जप करते समय आलस्य और नींद न आने दें।
- ध्यान: ध्यान को भटकने न दें।
- मंत्र का उच्चारण: मंत्र का सही उच्चारण करें।
- धैर्य: धैर्य और संयम बनाए रखें।
- सात्विकता: सात्विक भोजन करें।
- विरोधाभास: किसी भी प्रकार की नकारात्मक सोच से दूर रहें।
मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर
- भद्रसेन भैरव कौन हैं?
- भद्रसेन भैरव भगवान शिव के भैरव रूप हैं।
- भद्रसेन भैरव का मंत्र क्या है?
- भद्रसेन भैरव मंत्र: ॥ॐ भ्रं भद्रसेन भैरवाय फट्॥
- इस मंत्र का क्या अर्थ है?
- इस मंत्र का अर्थ है: “भद्रसेन भैरव की ऊर्जा और शक्ति को जागृत करना।”
- मंत्र जप का सबसे अच्छा दिन कौन सा है?
- मंगलवार और शनिवार।
- मंत्र जप की अवधि क्या होनी चाहिए?
- 11 से 21 दिन।
- मंत्र जप का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
- ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे तक)।
- मंत्र जप के लिए कौन-कौन सी सामग्री चाहिए?
- भद्रसेन भैरव की प्रतिमा, माला, धूप, दीपक, लाल कपड़ा, लाल चंदन, नैवेद्य, शुद्ध जल, पुष्प।
- मंत्र जप की न्यूनतम संख्या कितनी होनी चाहिए?
- एक माला (108 बार)।
- मंत्र जप की अधिकतम संख्या कितनी होनी चाहिए?
- ग्यारह माला (1188 बार)।
- मंत्र जप के दौरान कौन-कौन से नियमों का पालन करना चाहिए?
- शुद्धता, समर्पण, समय का पालन, संकल्प, मौन, ध्यान, व्रत आदि।
- मंत्र जप के समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
- अपवित्रता, व्यवधान, संकल्प भंग, नशा, आलस्य, ध्यान, उच्चारण आदि।
- भद्रसेन भैरव की पूजा से क्या लाभ होता है?
- सुरक्षा, साहस, शांति, समृद्धि, स्वास्थ्य, आत्मबल, आर्थिक उन्नति आदि।
- क्या मंत्र जप करते समय व्रत रखना चाहिए?
- हां, व्रत रखना चाहिए।
- मंत्र जप के लिए कौन सा आसन प्रयोग करना चाहिए?
- लाल या सफेद कपड़े का आसन।
- मंत्र जप के लिए कौन सी माला उत्तम है?
- रुद्राक्ष माला।
- मंत्र जप के समय ध्यान किस पर होना चाहिए?
- भद्रसेन भैरव के रूप पर।
- मंत्र जप करते समय कौन सी अवस्था में नहीं होना चाहिए?
- अपवित्र अवस्था में नहीं होना चाहिए।
- क्या मंत्र जप के दौरान नकारात्मक सोच रखना उचित है?
- नहीं, नकारात्मक सोच से दूर रहना चाहिए।
- मंत्र जप के दौरान सात्विक भोजन क्यों करना चाहिए?
- सात्विक भोजन से मानसिक और शारीरिक शुद्धता बनी रहती है।
- मंत्र जप के बाद क्या करना चाहिए?
- मंत्र जप के बाद भगवान को नैवेद्य अर्पित करें और प्रसाद ग्रहण करें।