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Mata Chandraghanta Mantra for wealth & fame

माता चंद्रघंटा की कृपा – मंत्र जप से जीवन में शांति और विजय प्राप्त करें

माता चंद्रघंटा मंत्र का जप हर तरह का सुख देने वाला होता है। ये देवी दुर्गा के नवस्वरूपों में से तीसरा रूप हैं। यह रूप शक्ति और साहस का प्रतीक है। इनके माथे पर घंटे के आकार का चंद्रमा सुशोभित होता है, जिससे इन्हें ‘चंद्रघंटा’ नाम प्राप्त हुआ। इनकी उपासना से साधक को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और मन शांत होता है। माता चंद्रघंटा की कृपा से साधक के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।

माता चंद्रघंटा मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:
॥ॐ ह्रीं देवी चंद्रघंटायै दुं नमः॥

अर्थ:
“ॐ” परमात्मा का प्रतीक है, “ह्रीं” शक्ति का बीज मंत्र है। इस मंत्र में माता चंद्रघंटा को नमन करते हुए साधक उनके आशीर्वाद की कामना करता है। “दुं” शक्ति और रक्षा का प्रतीक है, जो साधक को सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से बचाता है।

माता चंद्रघंटा मंत्र के लाभ

  1. शत्रुओं से रक्षा।
  2. मानसिक शक्ति में वृद्धि।
  3. धन-समृद्धि की प्राप्ति।
  4. रोगों से मुक्ति।
  5. पारिवारिक सुख-शांति।
  6. नकारात्मकता से बचाव।
  7. आत्मिक उन्नति।
  8. जीवन में शांति।
  9. विवाह में आने वाली बाधाओं से मुक्ति।
  10. संतान सुख।
  11. क्रोध और आक्रामकता में कमी।
  12. दुर्घटनाओं से बचाव।
  13. मनोबल में वृद्धि।
  14. धार्मिक ज्ञान में वृद्धि।
  15. कर्मों में सुधार।
  16. परिवार में एकता।
  17. स्वास्थ्य में सुधार।

माता चंद्रघंटा मंत्र विधि

मंत्र जप से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। लाल या पीले कपड़े पहनें। पूजा स्थान में दीप जलाएं और माता चंद्रघंटा की तस्वीर या मूर्ति रखें। जप के दौरान आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करें। मंत्र का जप रोज 11 से 21 दिन तक करें।

मंत्र जप का दिन, अवधि, मुहूर्त

इस मंत्र का जप शुक्रवार से शुरू करना शुभ माना जाता है। सुबह 4 से 6 बजे का समय सर्वश्रेष्ठ है। साधक को यह जप कम से कम 11 दिन और अधिकतम 21 दिन तक निरंतर करना चाहिए।

सामग्री

माता चंद्रघंटा के मंत्र जप के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  • लाल या पीला आसन।
  • दीपक और अगरबत्ती।
  • लाल फूल।
  • सफेद चंदन।
  • अक्षत (चावल)।
  • गुड़ और नारियल।

मंत्र जप संख्या

मंत्र जप की संख्या 11 माला यानी 1188 मंत्र रोज जप करना चाहिए। इससे साधक को शीघ्र फल प्राप्त होता है। यदि समय कम हो तो कम से कम 5 माला रोज जप करनी चाहिए।

मंत्र जप के नियम

  • साधक की आयु 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  • स्त्री-पुरुष कोई भी जप कर सकता है।
  • नीले और काले वस्त्र न पहनें।
  • जप के दौरान धूम्रपान, मांसाहार और नशे से दूर रहें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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मंत्र जप की सावधानियाँ

मंत्र जप के दौरान मन को शांत और एकाग्र रखें। जप करते समय अत्यधिक सोच या बातचीत से बचें। मंत्र जप के लिए स्वच्छ और पवित्र स्थान का चयन करें। जप को गुप्त रखें और इसे किसी से न बताएं।

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माता चंद्रघंटा मंत्र- प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: माता चंद्रघंटा किसका प्रतीक हैं?
उत्तर: माता चंद्रघंटा शक्ति और साहस का प्रतीक हैं।

प्रश्न 2: मंत्र का अर्थ क्या है?
उत्तर: मंत्र में माता चंद्रघंटा को नमन और रक्षा की कामना की जाती है।

प्रश्न 3: किस दिन मंत्र जप शुरू करना चाहिए?
उत्तर: शुक्रवार को जप शुरू करना उत्तम माना जाता है।

प्रश्न 4: मंत्र जप का समय क्या है?
उत्तर: सुबह 4 से 6 बजे तक का समय सर्वोत्तम होता है।

प्रश्न 5: मंत्र जप कितने दिन करना चाहिए?
उत्तर: मंत्र का जप कम से कम 11 दिन और अधिकतम 21 दिन करना चाहिए।

प्रश्न 6: मंत्र जप के दौरान कौन से कपड़े पहनें?
उत्तर: लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए।

प्रश्न 7: मंत्र जप के नियम क्या हैं?
उत्तर: 20 वर्ष से ऊपर के स्त्री-पुरुष, नीले या काले कपड़े न पहनें, मांसाहार न करें।

प्रश्न 8: क्या मंत्र जप गुप्त रखना चाहिए?
उत्तर: हां, मंत्र जप को गुप्त रखना चाहिए।

प्रश्न 9: क्या मंत्र जप के दौरान धूम्रपान कर सकते हैं?
उत्तर: नहीं, धूम्रपान और नशे से दूर रहना चाहिए।

प्रश्न 10: मंत्र जप के लिए किस दिशा में मुख करें?
उत्तर: पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके जप करना चाहिए।

प्रश्न 11: मंत्र जप का लाभ क्या है?
उत्तर: मंत्र जप से शांति, समृद्धि और शत्रुओं से रक्षा होती है।

प्रश्न 12: मंत्र जप के लिए कौन सा आसन उचित है?
उत्तर: लाल या पीला आसन मंत्र जप के लिए उपयुक्त है।

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