अन्नपूर्णा कवच पाठ: धन धान्य, सुख समृद्धि के लिये
अन्नपूर्णा कवच पाठ करना हर ग्रहस्थ ब्यक्ति के लिये जरूरी माना गया हैं। माता अन्नपूर्णा सभी प्रकार की भौतिक और आध्यात्मिक संपत्ति की प्रदाता हैं। अन्नपूर्णा कवच एक शक्तिशाली और पवित्र स्तोत्र है, जो साधक को देवी अन्नपूर्णा की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस कवच का नियमित रूप से पाठ करने से साधक को धन-धान्य, समृद्धि, सुख-शांति और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
संपूर्ण अन्नपूर्णा कवचम् और उसका अर्थ
ध्यान:
शुक्लांबरधरां देवीं श्वेतपद्मासनस्थिताम्।
धनधान्यसमायुक्तां नमस्तेऽन्नपूर्णेश्वरी॥
अर्थ: जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, श्वेत कमल पर विराजमान हैं, धन-धान्य से परिपूर्ण हैं, उन अन्नपूर्णा देवी को मेरा प्रणाम है।
कवच:
ॐ करः पातु शिरो देशे अन्नपूर्णा महामाया। ह्रीं बीजं पातु ललाटं श्रीं बीजं चक्षु-देशिके॥
अर्थ: “ॐ” शब्द मेरे सिर की रक्षा करे, अन्नपूर्णा देवी महामाया मेरी ललाट (माथे) की रक्षा करें, “ह्रीं” बीज मंत्र से ललाट की, और “श्रीं” बीज मंत्र से मेरी आँखों की रक्षा हो।
ॐ ह्रीं पातु नासिका देशे, अन्नपूर्णा महामाया। श्रीं बीजं पातु मुखं देशे, कण्ठदेशे पातु मातृकः॥
अर्थ: “ॐ ह्रीं” से मेरी नाक की रक्षा हो, अन्नपूर्णा देवी महामाया मेरी नाक की रक्षा करें, “श्रीं” बीज मंत्र से मेरे मुख (मुँह) की, और मेरी गर्दन की रक्षा मातृका देवी करें।
ॐ ह्रीं श्रीं पातु हृदयदेशे, अन्नपूर्णा सर्वरक्षिका। नाभिदेशे पातु मातृकाः, श्रीं बीजं सर्वतं।
अर्थ: “ॐ ह्रीं श्रीं” मंत्र से मेरी हृदय की रक्षा हो, अन्नपूर्णा देवी सर्वत्र रक्षा करती हैं, मेरी नाभि की रक्षा मातृका देवी करें और “श्रीं” बीज मंत्र से संपूर्ण शरीर की रक्षा हो।
ह्रीं बीजं पातु सकलांगं, अन्नपूर्णा सर्वरक्षिका। ॐ ह्रीं श्रीं अन्नपूर्णायै नमः।
अर्थ: “ह्रीं” बीज मंत्र से पूरे शरीर की रक्षा हो, अन्नपूर्णा देवी सर्वत्र रक्षा करती हैं। “ॐ ह्रीं श्रीं” से अन्नपूर्णा देवी को नमस्कार है।
अर्थ का सार:
इस कवच के माध्यम से साधक देवी अन्नपूर्णा से अपने शरीर और जीवन की रक्षा की प्रार्थना करता है। देवी अन्नपूर्णा को सम्पूर्ण जगत की माँ और भरण-पोषण की देवी माना जाता है। इस कवच के पाठ से साधक अपने जीवन में सभी प्रकार की बाधाओं, संकटों और परेशानियों से मुक्ति पाता है और उसे धन, धान्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
यह कवच साधक को मानसिक शांति और सुरक्षा प्रदान करता है, साथ ही यह आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करता है। अन्नपूर्णा देवी का आह्वान और इस कवच का पाठ भक्त को आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है, जिससे वह जीवन की कठिनाइयों का सामना कर सके।
लाभ
- धन-धान्य की वृद्धि: इस कवच के पाठ से घर में धन-धान्य और समृद्धि की वृद्धि होती है।
- भोजन की आपूर्ति: देवी अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से भोजन की कमी कभी नहीं होती।
- संपत्ति की सुरक्षा: यह कवच आपकी संपत्ति और संपन्नता की सुरक्षा करता है।
- सुख-शांति: घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: साधक को आध्यात्मिक उन्नति और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- शत्रुओं से रक्षा: यह कवच शत्रुओं से रक्षा करता है और आपके जीवन में बाधाएं नहीं आने देता।
- संतान प्राप्ति: इस कवच के प्रभाव से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- स्वास्थ्य की सुरक्षा: यह कवच साधक के स्वास्थ्य की सुरक्षा करता है।
- मन की शांति: इस कवच का पाठ करने से मन शांत और स्थिर रहता है।
- विवाह में सफलता: यह कवच विवाहित जीवन में शांति और सामंजस्य बनाए रखता है।
- ऋण से मुक्ति: इस कवच के पाठ से कर्ज और आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है।
- कार्यक्षेत्र में सफलता: यह कवच कार्यक्षेत्र में सफलता और उन्नति प्रदान करता है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार: यह कवच जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
- बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति: यह कवच साधक को बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति में सहायक होता है।
- सम्पूर्ण सुरक्षा: यह कवच साधक को हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा, बाधाओं और विपत्तियों से सुरक्षा प्रदान करता है।
अन्नपूर्णा कवच विधि
अन्नपूर्णा कवच की साधना विशेष रूप से शुक्रवार को प्रारंभ की जाती है। यह साधना कुल ४१ दिनों तक की जाती है, जिसमें साधक को प्रतिदिन कवच का पाठ करना होता है।
मुहूर्त:
- कवच पाठ का सबसे उत्तम समय ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) होता है।
- साधना के दौरान साधक को स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।
सामग्री:
- लाल वस्त्र
- देवी अन्नपूर्णा की प्रतिमा या चित्र
- लाल आसन
- घी का दीपक
- चावल, हल्दी, कुमकुम
- मिठाई या फल का प्रसाद
नियम
- पूजा को गुप्त रखें: इस साधना को गुप्त रूप से करना चाहिए, किसी को भी इसके बारे में न बताएं।
- सात्विक आहार: साधक को साधना के दौरान सात्विक आहार का पालन करना चाहिए।
- ध्यान और एकाग्रता: साधना के दौरान ध्यान और एकाग्रता का विशेष ध्यान रखें।
- व्रत का पालन: साधना के दिनों में साधक को व्रत का पालन करना चाहिए।
- नियमितता: साधना के ४१ दिन बिना किसी अवरोध के पूर्ण करें।
- शुद्धता: साधना के समय स्वयं की और स्थान की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
सावधानी
- किसी भी प्रकार का अधर्म न करें: साधना के दौरान अधर्म या अनैतिक कार्यों से बचें।
- ध्यान में विघ्न न डालें: साधना के समय ध्यान में विघ्न डालने वाली किसी भी गतिविधि से बचें।
- साधना में आलस्य न करें: साधना में आलस्य करना आपकी साधना को असफल कर सकता है।
- समय का पालन: साधना का समय नियमित रखें, इसे टालने का प्रयास न करें।
- मन को स्थिर रखें: साधना के समय मन को स्थिर और शांत रखने का प्रयास करें।
अन्नपूर्णा कवच से संबंधित प्रश्न और उत्तर
- अन्नपूर्णा कवच क्या है?
अन्नपूर्णा कवच देवी अन्नपूर्णा का शक्तिशाली स्तोत्र है जो साधक को समृद्धि और सुरक्षा प्रदान करता है। - अन्नपूर्णा कवच का पाठ कब करना चाहिए?
इसका पाठ ब्रह्म मुहूर्त में करना सबसे शुभ माना जाता है। - अन्नपूर्णा कवच की साधना कितने दिनों की होती है?
साधना ४१ दिनों की होती है। - क्या अन्नपूर्णा कवच धन-धान्य की प्राप्ति में सहायक होता है?
हां, यह कवच धन-धान्य और समृद्धि की प्राप्ति में सहायक होता है। - अन्नपूर्णा कवच से मन की शांति कैसे मिलती है?
नियमित पाठ से मन शांत और संतुलित रहता है। - इस कवच के पाठ से शत्रुओं का नाश होता है?
हां, यह कवच शत्रुओं से रक्षा करता है और उन्हें पराजित करता है। - क्या अन्नपूर्णा कवच से स्वास्थ्य लाभ होता है?
हां, यह कवच साधक को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा प्रदान करता है। - अन्नपूर्णा कवच का पाठ किस दिन प्रारंभ करना चाहिए?
इसे शुक्रवार के दिन प्रारंभ करना शुभ होता है। - इस कवच का पाठ गुप्त रूप से क्यों करना चाहिए?
ताकि साधना की ऊर्जा में कोई विघ्न न आए और वह पूर्णतः प्रभावी हो। - क्या यह कवच विवाह में सफलता दिलाता है?
हां, यह कवच विवाह में सफलता और सौहार्द्र की प्राप्ति में सहायक होता है। - अन्नपूर्णा कवच का पाठ कैसे करें?
स्वच्छता का ध्यान रखते हुए, शुद्ध आसन पर बैठकर इस कवच का पाठ करें।