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Bagalamukhi Kavacham for Strong Protection

बगलामुखी कवच पाठ: शत्रु व संकट से सुरक्षा पाये

माता बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक महत्वपूर्ण देवी हैं, जिन्हें वाकसिद्धि और शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। उनकी साधना से साधक को शत्रुओं पर विजय, वाणी में शक्ति, और सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति प्राप्त होती है। बगलामुखी कवच का पाठ शत्रुओं से रक्षा और आत्मरक्षा के लिए अत्यधिक प्रभावी माना गया है।

संपूर्ण बगलामुखी कवचम् व उसका अर्थ

ध्यान:

पीताम्बरां मकरकुण्डलिनीं चन्द्रार्धवक्त्रां,
शङ्खं चक्रं गदामभयवरदं पीताश्रयां बगलां।
नीलोत्पलस्थितां त्रिनेत्रविलसत्कण्ठोज्ज्वलां पीतधृक्,
पीताम्बरधरां त्रिलोकजननीं पीतासना नाशयेत्॥

अर्थ: ध्यान में माँ बगलामुखी को पीताम्बर (पीला वस्त्र) धारण किए हुए, मकर के आकार के कुंडल पहने, अर्धचन्द्र के आकार के मुखवाली, शंख, चक्र, गदा और अभयमुद्रा में स्थित, पीले कमल पर विराजमान देखा जाता है। उनके त्रिनेत्र और पीले आभूषण साधक को उनके दैवीय स्वरूप की याद दिलाते हैं। वे त्रिलोक की जननी हैं और साधक के शत्रुओं का नाश करती हैं।

कवच:

ॐ अस्य श्री बगलामुखी कवचस्य, नारद ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, बगलामुखी देवता, ह्लीं बीजं, सर्ववाक् स्तम्भनार्थे जपे विनियोगः॥

अर्थ: इस बगलामुखी कवच का ऋषि नारद हैं, छंद अनुष्टुप है, देवी बगलामुखी देवता हैं, बीज मंत्र “ह्लीं” है, और इसका उपयोग शत्रु और दुश्मनों की वाणी को स्तम्भित करने के लिए किया जाता है।

ॐ ह्लीं पातु शीर्षदेशे बगलामुखी सर्वदा। ह्लीं बीजं पातु ललाटं, सर्ववाक् स्तम्भकारिणी॥

अर्थ: “ह्लीं” बीज मंत्र से माँ बगलामुखी मेरे सिर की सदैव रक्षा करें। यह बीज मंत्र मेरे ललाट की रक्षा करे और मेरे शत्रुओं की वाणी को स्तम्भित करे।

ॐ ह्लीं पातु नेत्रयुग्मं, कर्णयुग्मं च बगलामुखी। नासिकायां च ह्लीं पातु, जिव्हायां च बगलामुखी॥

अर्थ: “ह्लीं” मंत्र से माँ बगलामुखी मेरी आँखों, कानों, नाक और जिव्हा (जीभ) की रक्षा करें।

ॐ ह्लीं पातु कण्ठदेशे, हृदयदेशे च बगलामुखी। गुह्यं पातु सदा देवी, सर्वांगे च बगलामुखी॥

अर्थ: माँ बगलामुखी मेरे कंठ, हृदय, गुप्तांग और पूरे शरीर की रक्षा करें।

ॐ ह्लीं पातु पादयुग्मं, जंघायां बगलामुखी। अवरुद्धं च मे सर्वं, बगलामुखी सदा पातु॥

अर्थ: माँ बगलामुखी मेरे पैरों और जंघाओं की रक्षा करें। वे मेरी संपूर्ण रक्षा करें और मुझे सभी बुराइयों से बचाएं।

अर्थ का सार:

इस कवच के माध्यम से साधक देवी बगलामुखी से संपूर्ण शरीर और जीवन की रक्षा की प्रार्थना करता है। इस कवच के नियमित पाठ से साधक को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है, साथ ही उसकी वाणी और संकल्प में शक्ति का संचार होता है। यह कवच साधक को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक सुरक्षा प्रदान करता है।

बगलामुखी कवच के लाभ

  1. शत्रु नाश: इस कवच का पाठ करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  2. वाणी में शक्ति: साधक की वाणी में शक्ति का संचार होता है, जिससे उसकी बातों का प्रभाव बढ़ता है।
  3. संकल्प सिद्धि: साधक के संकल्प पूरे होते हैं।
  4. मन की शांति: इस कवच का पाठ करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  5. आत्मरक्षा: साधक की आत्मरक्षा के लिए यह कवच अत्यंत प्रभावी है।
  6. विवादों का समाधान: यह कवच विवादों और झगड़ों को शांत करता है।
  7. न्याय में सफलता: यदि साधक किसी कानूनी विवाद में है, तो इस कवच का पाठ करने से उसे न्याय में सफलता प्राप्त होती है।
  8. अशुभ शक्तियों से सुरक्षा: यह कवच साधक को अशुभ और नकारात्मक शक्तियों से बचाता है।
  9. धन और संपत्ति की रक्षा: यह कवच धन और संपत्ति की सुरक्षा करता है।
  10. शत्रुओं की वाणी को स्तम्भित करना: शत्रु की वाणी को यह कवच निष्क्रिय कर देता है।
  11. व्यापार में सफलता: व्यापार में आने वाली बाधाओं को दूर करता है।
  12. आध्यात्मिक उन्नति: साधक को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
  13. परिवार की सुरक्षा: यह कवच साधक के परिवार की भी रक्षा करता है।
  14. भय का नाश: साधक के भीतर से सभी प्रकार के भय का नाश होता है।
  15. दीर्घायु: साधक की आयु बढ़ती है और उसका स्वास्थ्य उत्तम रहता है।

बगलामुखी कवच विधि

दिन: बगलामुखी कवच का पाठ विशेषकर मंगलवार या शनिवार को प्रारंभ करना शुभ माना जाता है।

अवधि: इस कवच की साधना कुल ४१ दिनों तक की जाती है, जिसमें साधक को प्रतिदिन नियमित रूप से इस कवच का पाठ करना चाहिए।

मुहूर्त:

  • ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में कवच का पाठ सबसे उत्तम माना जाता है।
  • इस समय साधक को स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।

साधना सामग्री:

  • पीला वस्त्र
  • देवी बगलामुखी की प्रतिमा या चित्र
  • पीला आसन
  • घी का दीपक
  • पीले चावल, हल्दी, कुमकुम
  • हल्दी का माला
  • प्रसाद (मिठाई या फल)

नियम

  1. पूजा को गुप्त रखें: इस साधना को गुप्त रूप से करना चाहिए, किसी को भी इसके बारे में न बताएं।
  2. सात्विक आहार: साधक को साधना के दौरान सात्विक आहार का पालन करना चाहिए।
  3. ध्यान और एकाग्रता: साधना के दौरान ध्यान और एकाग्रता का विशेष ध्यान रखें।
  4. व्रत का पालन: साधना के दिनों में साधक को व्रत का पालन करना चाहिए।
  5. नियमितता: साधना के ४१ दिन बिना किसी अवरोध के पूर्ण करें।
  6. शुद्धता: साधना के समय स्वयं की और स्थान की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।

Kamakhya sadhana shivir

बगलामुखी कवच सावधानी

  1. अधर्म से बचें: साधना के दौरान अधर्म या अनैतिक कार्यों से बचें।
  2. ध्यान में विघ्न न डालें: साधना के समय ध्यान में विघ्न डालने वाली किसी भी गतिविधि से बचें।
  3. आलस्य न करें: साधना में आलस्य करना आपकी साधना को असफल कर सकता है।
  4. समय का पालन: साधना का समय नियमित रखें, इसे टालने का प्रयास न करें।
  5. मन को स्थिर रखें: साधना के समय मन को स्थिर और शांत रखने का प्रयास करें।

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बगलामुखी कवच से संबंधित प्रश्न और उत्तर

  1. बगलामुखी कवच क्या है?
    बगलामुखी कवच देवी बगलामुखी का एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो शत्रुओं से रक्षा और आत्मरक्षा के लिए किया जाता है।
  2. बगलामुखी कवच का पाठ कब करना चाहिए?
    इसका पाठ ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में करना सबसे शुभ माना जाता है।
  3. बगलामुखी कवच की साधना कितने दिनों की होती है?
    साधना ४१ दिनों की होती है।
  4. क्या बगलामुखी कवच शत्रु नाश में सहायक होता है?
    हां, यह कवच शत्रु नाश और शत्रुओं की वाणी को स्तम्भित करने में अत्यधिक प्रभावी है।
  5. क्या इस कवच का पाठ व्यापार में सफलता दिलाता है?
    हां, यह कवच व्यापार में आने वाली बाधाओं को दूर करता है।
  6. क्या बगलामुखी कवच के लिए विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है?
    हां, पीला वस्त्र, देवी बगलामुखी की प्रतिमा, पीले चावल, हल्दी, कुमकुम आदि की आवश्यकता होती है।
  7. बगलामुखी कवच का पाठ किस दिशा में करना चाहिए?
    उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके पाठ करना उत्तम माना जाता है।
  8. क्या इस कवच का पाठ व्रत के साथ किया जाता है?
    हां, साधक को साधना के दिनों में व्रत का पालन करना चाहिए।
  9. क्या इस कवच का पाठ सभी कर सकते हैं?
    हां, स्त्री-पुरुष, कोई भी व्यक्ति इसका पाठ कर सकता है, बशर्ते वे नियमों का पालन करें।
  10. क्या इस कवच का पाठ पूजा स्थल पर ही करना चाहिए?
    हां, पूजा स्थल पर या स्वच्छ और शांत स्थान पर पाठ करना चाहिए।
  11. क्या इस कवच का पाठ गुप्त रूप से करना चाहिए?
    हां, साधना को गुप्त रखना चाहिए, किसी को भी इसके बारे में नहीं बताना चाहिए।

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