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Dakshinamurti Shiva Mantra for Peace & Protection

दक्षिणामूर्ति शिव मंत्र – पारिवारिक सुरक्षा के साथ सुख समृद्धि पायें

दक्षिणामूर्ति शिव मंत्र, बहुत ही शक्तिशाली मंत्र माना जाता है। ये मंत्र मनुष्य के जीवन मे हर तरह की सुरक्षा के साथ सुख शांती लाता है। दक्षिणामूर्ति की आराधना से साधक को ज्ञान, शांति, और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है।


दक्षिणामूर्ति शिव मंत्र व उसका अर्थ

मंत्र: ॥ॐ ह्रौं दक्षिणामुर्तिये सर्व कार्य साधय साधय ह्रौं नमः॥

अर्थ:

  • ॐ (Om): यह बीज मंत्र ब्रह्मांडीय ऊर्जा और ईश्वर का प्रतीक है। यह ध्वनि हर मंत्र की शुरुआत में जोड़कर उसे पवित्र और शक्तिशाली बनाती है।
  • ह्रौं (Hraum): यह भगवान शिव का बीज मंत्र है, जो उन्हें संबोधित करता है और उनके विशेष गुणों का आह्वान करता है।
  • दक्षिणामुर्तिये (Dakshinamurtiye): दक्षिणामूर्ति भगवान शिव का एक रूप हैं जो ज्ञान, शिक्षा, और विवेक का प्रतीक हैं। वे दक्षिण की ओर मुख करके ध्यानमग्न मुद्रा में विराजमान रहते हैं, इसलिए उन्हें “दक्षिणामूर्ति” कहा जाता है।
  • सर्व कार्य साधय साधय: इस मंत्र में साधक भगवान से प्रार्थना करता है कि “मेरे सभी कार्यों को सिद्ध करें और पूरा करें।” यह वाक्यांश सभी बाधाओं को दूर करने और इच्छित कार्यों को सफलता पूर्वक संपन्न करने की कामना करता है।
  • ह्रौं (Hraum): पुनः शिव का बीज मंत्र है, जो उनके विशेष गुणों का आह्वान करता है और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए दोहराया जाता है।
  • नमः (Namah): इसका अर्थ है “नमस्कार” या “समर्पण।” यह शब्द भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण और श्रद्धा को दर्शाता है।

इस प्रकार, ॥ॐ ह्रौं दक्षिणामुर्तिये सर्व कार्य साधय साधय ह्रौं नमः॥ मंत्र का अर्थ है: “हे दक्षिणामूर्ति भगवान! मेरी सभी कार्यों को सफल बनाएं। मैं आपको प्रणाम करता हूँ।”

यह मंत्र साधक के सभी कार्यों में सफलता और समृद्धि लाने के लिए शक्ति प्रदान करता है और जीवन की बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है।

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दक्षिणामूर्ति शिव मंत्र के लाभ

  1. आध्यात्मिक जागृति: मंत्र का जाप करने से आध्यात्मिक उन्नति और जागृति होती है।
  2. ज्ञान की प्राप्ति: यह मंत्र ज्ञान और बुद्धि का विकास करता है।
  3. मनोबल बढ़ाता है: साधक के मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि करता है।
  4. अवरोधों का नाश: जीवन के सभी प्रकार के अवरोधों को दूर करता है।
  5. दुष्ट शक्तियों से रक्षा: दुष्ट शक्तियों और तंत्र-मंत्र से सुरक्षा प्रदान करता है।
  6. मानसिक शांति: मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  7. आत्म-साक्षात्कार: आत्म-साक्षात्कार की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
  8. विनम्रता और संयम: साधक के भीतर विनम्रता और संयम का विकास करता है।
  9. रोगों से मुक्ति: शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति दिलाता है।
  10. अवसाद से राहत: अवसाद और नकारात्मकता से छुटकारा दिलाता है।
  11. भाग्य वृद्धि: व्यक्ति के भाग्य और समृद्धि में वृद्धि करता है।
  12. संबंधों में सुधार: परिवार और सामाजिक संबंधों में सुधार लाता है।
  13. सुरक्षा कवच: जीवन के सभी क्षेत्रों में सुरक्षा कवच प्रदान करता है।

दक्षिणामूर्ति शिव मंत्र जप की विधि

मंत्र जप का दिन और अवधि:

किसी भी शुभ दिन से मंत्र जप प्रारंभ किया जा सकता है। मंत्र का जाप ११ से २१ दिन तक रोज करना चाहिए।

मुहूर्त:

ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ४ से ६ बजे) या शाम को सूर्यास्त के बाद का समय मंत्र जप के लिए उत्तम होता है।

मंत्र जप सामग्री:

  1. सफेद वस्त्र।
  2. कुशासन या ऊनी आसन।
  3. सफेद फूल और अक्षत (चावल)।
  4. दीपक और धूप।
  5. दक्षिणामूर्ति शिव की तस्वीर या मूर्ति।

मंत्र जप संख्या:

प्रतिदिन ११ माला (११८८ मंत्र) का जाप करना चाहिए।


दक्षिणामूर्ति शिव मंत्र जप के नियम

  1. उम्र: २० वर्ष के ऊपर के व्यक्ति मंत्र जप कर सकते हैं।
  2. लिंग: स्त्री और पुरुष दोनों मंत्र जप कर सकते हैं।
  3. वस्त्र: मंत्र जप के दौरान नीले या काले रंग के कपड़े न पहनें।
  4. विहार: धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार का सेवन न करें।
  5. ब्रह्मचर्य: मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  6. मौन व्रत: जप के दौरान मौन रहें और मन को एकाग्र करें।
  7. स्नान और स्वच्छता: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  8. पूजा स्थल: स्वच्छ और शांत स्थान पर ही मंत्र जप करें।
  9. श्रद्धा और भक्ति: मंत्र जप पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ करें।
  10. आसन का चयन: मंत्र जप के लिए कुशासन या ऊनी आसन का प्रयोग करें।
  11. निर्धारित समय: प्रतिदिन निश्चित समय पर ही मंत्र जप करें।
  12. अनुशासन: मंत्र जप के अनुशासन का पालन करें और किसी भी स्थिति में इसे न छोड़ें।

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दक्षिणामूर्ति शिव मंत्र जप में सावधानियाँ

  1. ध्यान केंद्रित रखें: मंत्र जप के दौरान ध्यान को केंद्रित रखें और बाहरी विचारों से मुक्त रहें।
  2. अभिमान न करें: साधना और मंत्र जप को लेकर अभिमान नहीं करना चाहिए।
  3. अनुचित आचरण: साधना के दौरान किसी प्रकार के अनुचित आचरण से बचें।
  4. विशिष्ट आहार: साधना के दौरान सात्विक आहार का पालन करें।
  5. अन्य गतिविधियाँ: मंत्र जप के दौरान किसी अन्य गतिविधि में मन न लगाएँ।
  6. दूसरों को न बताएं: अपनी साधना और मंत्र जप के बारे में दूसरों को न बताएं।
  7. शुद्धि का पालन: शुद्धि का पालन करें और मन, वचन, कर्म से पवित्र रहें।

दक्षिणामूर्ति शिव मंत्र: प्रश्न उत्तर

  1. प्रश्न: दक्षिणामूर्ति शिव मंत्र का क्या अर्थ है?
    उत्तर: यह मंत्र साधक को भयों से मुक्त करता है और सभी प्रकार के संकटों से सुरक्षा प्रदान करता है।
  2. प्रश्न: दक्षिणामूर्ति शिव मंत्र का जाप कब किया जाना चाहिए?
    उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ४ से ६ बजे) या सूर्यास्त के बाद किया जाना चाहिए।
  3. प्रश्न: मंत्र जप के लिए कौन-कौन से नियम पालन करने चाहिए?
    उत्तर: शुद्धता, ब्रह्मचर्य, और अनुशासन का पालन करना चाहिए।
  4. प्रश्न: मंत्र जप के दौरान कौन-से वस्त्र नहीं पहनने चाहिए?
    उत्तर: नीले और काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
  5. प्रश्न: मंत्र जप की अवधि क्या होनी चाहिए?
    उत्तर: मंत्र जप की अवधि ११ से २१ दिन तक होनी चाहिए।
  6. प्रश्न: मंत्र जप में कितनी माला का जाप करना चाहिए?
    उत्तर: प्रतिदिन ११ माला का जाप करना चाहिए।
  7. प्रश्न: क्या महिलाओं को भी मंत्र जप करना चाहिए?
    उत्तर: हाँ, स्त्री और पुरुष दोनों मंत्र जप कर सकते हैं।
  8. प्रश्न: क्या मंत्र जप के दौरान मासाहार का सेवन किया जा सकता है?
    उत्तर: नहीं, मंत्र जप के दौरान मासाहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
  9. प्रश्न: क्या मंत्र जप के लिए किसी विशेष स्थान का चयन करना चाहिए?
    उत्तर: हाँ, मंत्र जप के लिए स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करना चाहिए।
  10. प्रश्न: मंत्र जप के दौरान कौन-सी सामग्री आवश्यक होती है?
    उत्तर: सफेद वस्त्र, कुशासन, सफेद फूल, दीपक, और दक्षिणामूर्ति शिव की तस्वीर या मूर्ति।
  11. प्रश्न: मंत्र जप के दौरान किस प्रकार का आचरण उचित है?
    उत्तर: साधना के दौरान शुद्ध और विनम्र आचरण रखना चाहिए।
  12. प्रश्न: मंत्र जप के लाभ क्या हैं?
    उत्तर: आध्यात्मिक जागृति, ज्ञान की प्राप्ति, भय से मुक्ति, और मानसिक शांति।

इस प्रकार, दक्षिणामूर्ति शिव मंत्र जप साधक को आत्म-साक्षात्कार की दिशा में मार्गदर्शन करता है और जीवन की कठिनाइयों से मुक्त करता है।

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