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Dakshinamurti Shiva Stotra for Peace Wisdom & Protection

दक्षिणामूर्ति शिव स्तोत्र- आध्यात्मिक ज्ञान, बुद्धि, और आंतरिक शांति बढाये

Dakshinamurti Shiva Stotra का नियमित पाठ से ज्ञान, संगीत, योग, और आत्म-साक्षात्कार का सुख प्राप्त होता है। भगवान शिव के दक्षिण की ओर मुख करके ध्यान मुद्रा में बैठने की वजह से इन्हें “दक्षिणामूर्ति” कहा जाता है।

दक्षिणामूर्ति शिव स्तोत्र व उसका हिंदी अर्थ

दक्षिणामूर्ति स्तोत्रम्

श्लोक 1:
विष्णुः शर्वः रमेशः शशिशतशिरः सर्पधारी च शंभुः
जीवानां देवतात्मा मुनिजनसुखदः सच्चिदानन्दमूर्तिः।
ज्ञानाधारः प्रदाता भवभयरहितः व्याप्तलोको गुरुः स्यात्
संसारव्याधिनाशं विधिनुतनयितुः प्रीतये दक्षिणास्यः॥

अर्थ:
भगवान विष्णु, शर्व (शिव), रमेश (विष्णु), शशिशेखर (चन्द्रमा धारण करने वाले), सर्पों को धारण करने वाले शंभु, जीवों के आत्मा स्वरूप, मुनियों को सुख देने वाले, सच्चिदानंद स्वरूप भगवान दक्षिणामूर्ति, जो ज्ञान के आधार और प्रदाता हैं, संसार के भय को नष्ट करने वाले और सभी लोकों में व्याप्त गुरु हैं, वे हमें संसार के रोगों से मुक्त करें।

श्लोक 2:
मौनव्याख्या प्रकटित परब्रह्मतत्त्वं युवानं
वर्षिष्ठांते वसदृषिगणैः आवृतं ब्रह्मनिष्ठैः।
आचार्येन्द्रं करकलित चिन्मुद्रमानन्दमूर्तिं
स्वात्मारामं मुदितवदनं दक्षिणामूर्तिमीडे॥

अर्थ:
मैं उस दक्षिणामूर्ति की वंदना करता हूँ, जो मौन के माध्यम से परब्रह्म के तत्व को प्रकट करते हैं, जो युवा हैं, जो ज्ञान में निपुण ऋषियों से घिरे रहते हैं, जो चिन्मुद्रा धारण करते हैं, और जो आनन्दमूर्ति हैं। वे अपने भीतर आत्माराम रहते हैं, और उनके मुख पर सदैव प्रसन्नता रहती है।

श्लोक 3:
चित्रं वटतरोर्मूले वृद्धाः शिष्या गुरुर्युवा।
गुरोस्तु मौनं व्याख्यानं शिष्यास्तु चिन्हसंशयाः॥

अर्थ:
यह अत्यंत विचित्र दृश्य है कि वट वृक्ष के नीचे एक युवा गुरु वृद्ध शिष्यों को मौन के माध्यम से उपदेश दे रहे हैं, और शिष्य उस मौन व्याख्यान को समझ रहे हैं।

श्लोक 4:
निधये सर्वविद्यानां भिषजे भवरोगिणाम्।
गुरवे सर्वलोकानां दक्षिणामूर्तये नमः॥

अर्थ:
सभी विद्याओं के निधि, संसारिक रोगों के भिषक, सभी लोकों के गुरु दक्षिणामूर्ति को प्रणाम।

श्लोक 5:
ओं नमः प्रणवार्थाय शुद्ध ज्ञानैकमूर्तये।
निर्मलाय प्रशान्ताय दक्षिणामूर्तये नमः॥

अर्थ:
ॐ प्रणव के अर्थस्वरूप, शुद्ध ज्ञान की एकमात्र मूर्ति, निर्मल और शांत दक्षिणामूर्ति को प्रणाम।

दक्षिणामूर्ति शिव स्तोत्र के लाभ

  1. आध्यात्मिक जागृति: स्तोत्र का नियमित पाठ आध्यात्मिक जागृति को बढ़ाता है।
  2. ज्ञान की वृद्धि: यह स्तोत्र भक्तों में ज्ञान और बुद्धि को बढ़ाता है।
  3. मानसिक शांति: नियमित पाठ से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  4. बाधाओं का नाश: जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने में सहायक।
  5. ध्यान में वृद्धि: ध्यान और साधना में गहराई प्राप्त करने में मदद करता है।
  6. सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मकता का नाश होता है।
  7. आत्मविश्वास में वृद्धि: आत्मविश्वास और आंतरिक शक्ति का विकास करता है।
  8. शारीरिक स्वास्थ्य: शरीर में ऊर्जा का संतुलन बनाए रखने में सहायक।
  9. भावनात्मक स्थिरता: भावनाओं को नियंत्रित करने और स्थिर रखने में मदद करता है।
  10. भय का नाश: सभी प्रकार के भय और अज्ञात डर का नाश करता है।
  11. समृद्धि और सफलता: जीवन में समृद्धि और सफलता लाने में सहायक।
  12. शिक्षा में सुधार: विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी, स्मरण शक्ति और समझ में वृद्धि करता है।
  13. दिव्य संरक्षण: सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों और ऊर्जा से सुरक्षा प्रदान करता है।

दक्षिणामूर्ति शिव स्तोत्र की विधि

दिन और अवधि:

दक्षिणामूर्ति शिव स्तोत्र का पाठ किसी भी शुभ दिन से प्रारंभ किया जा सकता है। नियमित रूप से ४१ दिन तक इसका पाठ करें।

मुहूर्त:

ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ४ से ६ बजे) या सूर्यास्त के बाद का समय उत्तम है।

सामग्री:

  • दक्षिणामूर्ति शिव की मूर्ति या चित्र।
  • दीपक, धूप, सफेद फूल, और नैवेद्य।
  • कुशासन या ऊनी आसन।

पाठ की विधि:

  1. शुद्ध स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. पूजा स्थल को शुद्ध और स्वच्छ रखें।
  3. दीपक और धूप जलाकर पूजा आरंभ करें।
  4. दक्षिणामूर्ति शिव की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर श्रद्धा भाव से स्तोत्र का पाठ करें।

दक्षिणामूर्ति शिव स्तोत्र के नियम

  1. उम्र: २० वर्ष के ऊपर के व्यक्ति स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।
  2. लिंग: स्त्री और पुरुष दोनों स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।
  3. वस्त्र: सफेद या हल्के रंग के वस्त्र धारण करें।
  4. विहार: धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार का सेवन न करें।
  5. ब्रह्मचर्य: स्तोत्र पाठ के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  6. मौन व्रत: पाठ के दौरान मौन रहें और मन को एकाग्र करें।
  7. श्रद्धा और भक्ति: पाठ पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ करें।
  8. आसन का चयन: कुशासन या ऊनी आसन का प्रयोग करें।
  9. समय का पालन: प्रतिदिन निश्चित समय पर ही पाठ करें।
  10. अनुशासन: पाठ के अनुशासन का पालन करें और किसी भी स्थिति में इसे न छोड़ें।

Know more about Dakshinamurti shiva mantra

दक्षिणामूर्ति शिव स्तोत्र पाठ में सावधानियाँ

  1. ध्यान केंद्रित रखें: Dakshinamurti Shiva Stotra पाठ के दौरान ध्यान को केंद्रित रखें और बाहरी विचारों से मुक्त रहें।
  2. अभिमान न करें: साधना और स्तोत्र पाठ को लेकर अभिमान नहीं करना चाहिए।
  3. अनुचित आचरण: साधना के दौरान किसी प्रकार के अनुचित आचरण से बचें।
  4. विशिष्ट आहार: साधना के दौरान सात्विक आहार का पालन करें।
  5. अन्य गतिविधियाँ: स्तोत्र पाठ के दौरान किसी अन्य गतिविधि में मन न लगाएँ।
  6. गोपनीयता: अपनी साधना और स्तोत्र पाठ के बारे में दूसरों को न बताएं।
  7. शुद्धि का पालन: शुद्धि का पालन करें और मन, वचन, कर्म से पवित्र रहें।

Know more about shiva navdurga puja

दक्षिणामूर्ति शिव स्तोत्र: प्रश्न उत्तर

  1. प्रश्न: Dakshinamurti Shiva Stotra का क्या अर्थ है?
    उत्तर: यह स्तोत्र भगवान दक्षिणामूर्ति की महिमा का वर्णन करता है, जो ज्ञान और आत्म-साक्षात्कार के देवता हैं।
  2. प्रश्न: दक्षिणामूर्ति शिव स्तोत्र का पाठ कब किया जाना चाहिए?
    उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ४ से ६ बजे) या सूर्यास्त के बाद किया जाना चाहिए।
  3. प्रश्न: स्तोत्र पाठ के लिए कौन-कौन से नियम पालन करने चाहिए?
    उत्तर: शुद्धता, ब्रह्मचर्य, और अनुशासन का पालन करना चाहिए।
  4. प्रश्न: स्तोत्र पाठ के दौरान कौन-से वस्त्र नहीं पहनने चाहिए?
    उत्तर: गहरे रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए, हल्के रंग के कपड़े पहनें।
  5. प्रश्न: स्तोत्र पाठ की अवधि क्या होनी चाहिए?
    उत्तर: स्तोत्र पाठ की अवधि ४१ दिन तक होनी चाहिए।
  6. प्रश्न: स्तोत्र पाठ के दौरान कौन-कौन सी सामग्री आवश्यक होती है?
    उत्तर: दीपक, धूप, सफेद फूल, नैवेद्य, और दक्षिणामूर्ति शिव की मूर्ति या चित्र।
  7. प्रश्न: क्या महिलाएं भी स्तोत्र पाठ कर सकती हैं?
    उत्तर: हाँ, स्त्री और पुरुष दोनों स्तोत्र पाठ कर सकते हैं।
  8. प्रश्न: क्या स्तोत्र पाठ के दौरान मासाहार का सेवन किया जा सकता है?
    उत्तर: नहीं, स्तोत्र पाठ के दौरान मासाहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
  9. प्रश्न: स्तोत्र पाठ के लिए क्या विशेष स्थान का चयन करना चाहिए?
    उत्तर: हाँ, स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करना चाहिए।
  10. प्रश्न: स्तोत्र पाठ के दौरान क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
    उत्तर: ध्यान केंद्रित रखें, मौन रहें, और शुद्धता का पालन करें।
  11. प्रश्न: स्तोत्र पाठ के लाभ क्या हैं?
    उत्तर: ज्ञान वृद्धि, मानसिक शांति, भय का नाश, और आध्यात्मिक उन्नति।
  12. प्रश्न: स्तोत्र पाठ के दौरान ध्यान केंद्रित रखने के लिए क्या करना चाहिए?
    उत्तर: मौन रहें, मन को एकाग्र करें, और बाहरी विचारों से मुक्त रहें।

BOOK (29-30 MARCH 2025) PRATYANGIRA SADHANA SHIVIR AT DIVYAYOGA ASHRAM (ONLINE/ OFFLINE)

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