श्री गणपति अथर्वशीर्ष पाठ, हर विघ्न को नष्ट करे
श्री गणपति अथर्वशीर्ष पाठ एक पवित्र ग्रंथ है, जिसका पाठ का उल्लेख अथर्ववेद में मिलता है और इसे गणेश जी की उपासना का महत्वपूर्ण स्तोत्र माना जाता है। कोई भी कार्य करने के पहले, इस गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करके निकलना चाहिये।
श्री गणपति अथर्वशीर्ष पाठ
ओम नमस्ते गणपतये । त्वमेव प्रत्यक्षं तत्त्वमसि । त्वमेव केवलं कर्तासि । त्वमेव केवलं धर्तासि । त्वमेव केवलं हर्तासि । त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि । त्वं साक्षादात्मासि नित्यम् ।
ऋतं वच्मि । सत्यं वच्मि । अव त्वं माम् । अव वक्तारम् । अव श्रोतारम् । अव दातारम् । अव धातारम् । अवानूचानमव शिष्यं । अव पाश्चातात् । अव पुरस्तात् । अवोत्तरात्तात् । अव दक्षिणात्तात् । अव चोध्वारात्तात् । अवाधरात्तात् । सर्वतो मां पाहि पाहि समन्तात् ॥
अर्थ: हे गणपति! आपको नमस्कार है। आप ही साक्षात् तत्त्व हो। आप ही सभी कार्यों के कर्ता, धर्ता और हर्ता हो। आप ही यह सब ब्रह्म हो। आप ही आत्मा हो। मैं सत्य बोलता हूँ और सत्य ही प्रकट करता हूँ। आप मे मेरे हर विघ्न बाधा को नष्ट करे।
श्री गणपति अथर्वशीर्ष पाठ के लाभ
- ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि: पाठ करने से मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है।
- विघ्नों का नाश: सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं।
- स्वास्थ्य लाभ: नियमित पाठ से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- धन की प्राप्ति: धन संबंधी परेशानियाँ समाप्त होती हैं।
- समस्त पापों का नाश: अज्ञानवश किए गए पापों से मुक्ति मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
- मन की शांति: मानसिक तनाव और चिंता से छुटकारा मिलता है।
- परिवार में सुख-शांति: परिवार में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
- व्यापार में वृद्धि: व्यापार में लाभ होता है।
- शत्रुओं का नाश: शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है।
- सभी इच्छाओं की पूर्ति: मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
- मोक्ष की प्राप्ति: जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है।
श्री गणपति अथर्वशीर्ष पाठ की विधि
- दिन: किसी भी दिन शुरू कर सकते हैं, विशेषकर बुधवार शुभ माना जाता है।
- अवधि (41 दिन): इस पाठ को 41 दिनों तक निरंतर करना चाहिए।
- मुहूर्त: सुबह के समय, सूर्योदय से पहले, शुभ माना जाता है।
- स्थान: स्वच्छ और पवित्र स्थान पर बैठकर पाठ करें।
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श्री गणपति अथर्वशीर्ष पाठ के नियम
- पूजा विधि: गणेश जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाकर, पुष्प अर्पित करें।
- स्वच्छता: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- भक्ति और श्रद्धा: पाठ करते समय मन में पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखें।
- साधना को गुप्त रखें: अपनी साधना और पाठ को दूसरों से गुप्त रखें।
श्री गणपति अथर्वशीर्ष पाठ के समय सावधानियाँ
- संयमित आहार: इस दौरान सादा और सात्विक भोजन ग्रहण करें।
- शुद्ध मन: पाठ करते समय मन को शांत और पवित्र रखें।
- दूर रहें विकारों से: क्रोध, ईर्ष्या, और अन्य नकारात्मक भावनाओं से दूर रहें।
- विनम्रता: पाठ के दौरान और इसके बाद भी नम्रता का पालन करें।
श्री गणपति अथर्वशीर्ष पाठ के प्रश्न और उत्तर
- प्रश्न: श्री गणपति अथर्वशीर्ष पाठ क्या है?
उत्तर: यह भगवान गणेश की स्तुति में रचित एक पवित्र ग्रंथ है। - प्रश्न: श्री गणपति अथर्वशीर्ष का क्या महत्व है?
उत्तर: यह पाठ बुद्धि, समृद्धि, और विघ्न विनाश के लिए महत्वपूर्ण है। - प्रश्न: श्री गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: सूर्योदय से पहले, विशेषकर बुधवार को करना शुभ माना जाता है। - प्रश्न: श्री गणपति अथर्वशीर्ष पाठ की विधि क्या है?
उत्तर: स्वच्छ स्थान पर बैठकर, दीपक जलाकर, पुष्प अर्पित करके पाठ करें। - प्रश्न: क्या श्री गणपति अथर्वशीर्ष पाठ को 41 दिनों तक करना चाहिए?
उत्तर: हां, 41 दिनों तक नियमित रूप से पाठ करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। - प्रश्न: श्री गणपति अथर्वशीर्ष पाठ के क्या लाभ हैं?
उत्तर: ज्ञान, स्वास्थ्य, समृद्धि, और मोक्ष प्राप्ति जैसे लाभ होते हैं। - प्रश्न: श्री गणपति अथर्वशीर्ष पाठ के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर: स्वच्छता, संयमित आहार, और मानसिक शांति का ध्यान रखें। - प्रश्न: क्या श्री गणपति अथर्वशीर्ष पाठ को गुप्त रखना चाहिए?
उत्तर: हां, साधना और पाठ को गोपनीय रखना चाहिए। - प्रश्न: श्री गणपति अथर्वशीर्ष पाठ का अर्थ क्या है?
उत्तर: पाठ में गणेश जी को सृष्टि के कर्ता, धर्ता और हर्ता बताया गया है। - प्रश्न: श्री गणपति अथर्वशीर्ष पाठ के लिए कौन सा दिन शुभ होता है?
उत्तर: बुधवार को यह पाठ शुरू करना अत्यंत शुभ माना जाता है। - प्रश्न: श्री गणपति अथर्वशीर्ष पाठ के समय किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?
उत्तर: स्वच्छता, संयम, और साधना में एकाग्रता बनाए रखें। - प्रश्न: क्या श्री गणपति अथर्वशीर्ष पाठ से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं?
उत्तर: हां, भक्त की सच्ची श्रद्धा और भक्ति से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।