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Rin Mukti Ganesha Stotra for Debt

ऋण मुक्ति गणेश स्तोत्र – आर्थिक समस्या व कर्ज मुक्ति के लिये

ऋण मुक्ति गणेश स्तोत्र एक प्रभावी स्तोत्र है, जिसे भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। इस स्तोत्र का पाठ ऋण से मुक्ति पाने के लिए विशेष रूप से किया जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और बुद्धि, समृद्धि, एवं ऋद्धि-सिद्धि का देवता माना जाता है। ऋण मुक्ति गणेश स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन से आर्थिक संकट दूर होते हैं और उसे ऋण से मुक्ति मिलती है।

ऋण मोचन गणेश स्तोत्र व उसका अर्थ

ऋण मुक्ति गणेश स्तोत्र भगवान गणेश की स्तुति का एक प्रभावशाली स्तोत्र है जो ऋण और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए पढ़ा जाता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के सभी ऋणों और आर्थिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है। यह स्तोत्र भगवान गणेश के विभिन्न स्वरूपों और नामों की महिमा का वर्णन करता है।

संपूर्ण ऋण मोचन गणेश स्तोत्र का पाठ:

  1. संकष्टनाशनं नाम्ना महागणपतिस्तु यः। अनायकविनायकः सर्वदुःखविनाशकः॥
  2. ऋणान्मुक्तो भविष्यामि भवस्येह जन्मनि। दुष्कृतं दारिद्रयं च समूलं नश्यतामिति॥
  3. स्तोत्रं श्रीगणनाथस्य पठनीयं सदा बुधैः। विनायकं सदा ध्यात्वा ऋणमोचनमुक्तये॥
  4. ऋणार्तो यदि सततं पठते मंगलं महत्। ऋणान्मुक्तो भवेत्स्वामी सत्यं सत्यं वचो मम॥
  5. इति श्रीऋणमोचन गणेशस्तोत्रं संपूर्णम्॥

अर्थ:

  1. संकष्टनाशनं नाम्ना महागणपतिस्तु यः
    अनायकविनायकः सर्वदुःखविनाशकः। अर्थ: वह महागणपति जो संकटनाशन नाम से विख्यात है, जो अनायक (विघ्नों का नायक नहीं, अर्थात विघ्नों का नाशक) और सभी दुःखों का विनाशक है।
  2. ऋणान्मुक्तो भविष्यामि भवस्येह जन्मनि। दुष्कृतं दारिद्रयं च समूलं नश्यतामिति। अर्थ: मैं इस जन्म में सभी ऋणों से मुक्त हो जाऊंगा, और मेरा दुष्कर्म और दरिद्रता जड़ से नष्ट हो जाए।
  3. स्तोत्रं श्रीगणनाथस्य पठनीयं सदा बुधैः। विनायकं सदा ध्यात्वा ऋणमोचनमुक्तये। अर्थ: बुद्धिमान लोगों को श्री गणनाथ के इस स्तोत्र का सदा पाठ करना चाहिए। गणेश जी का ध्यान करते हुए इस स्तोत्र का पाठ ऋण मुक्ति के लिए करना चाहिए।
  4. ऋणार्तो यदि सततं पठते मंगलं महत्। ऋणान्मुक्तो भवेत्स्वामी सत्यं सत्यं वचो मम। अर्थ: जो व्यक्ति ऋणग्रस्त है, यदि वह इस मंगलमय स्तोत्र का सतत पाठ करता है, तो वह ऋणों से मुक्त हो जाता है। यह मेरा सत्य वचन है।
  5. इति श्रीऋणमोचन गणेशस्तोत्रं संपूर्णम्। अर्थ: इस प्रकार श्री ऋणमोचन गणेश स्तोत्र का पाठ समाप्त होता है।

ऋण मोचन गणेश स्तोत्र

का पाठ नियमित रूप से करने से भगवान गणेश की कृपा से व्यक्ति के जीवन के सभी ऋण समाप्त होते हैं और आर्थिक उन्नति होती है। इस स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है जो आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं और ऋण के बोझ से दबे हुए हैं। स्तोत्र का श्रद्धा और भक्ति के साथ पाठ करने से भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

ऋण मुक्ति गणेश स्तोत्र के लाभ

  1. आर्थिक संकट से मुक्ति: नियमित पाठ से आर्थिक संकट दूर होते हैं।
  2. ऋण मुक्ति: सभी प्रकार के ऋणों से छुटकारा मिलता है।
  3. मानसिक शांति: व्यक्ति के मन में शांति और संतुलन आता है।
  4. सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  5. विघ्न बाधा से मुक्ति: हर प्रकार की विघ्न बाधा से मुक्ति मिलती है।
  6. सौभाग्य की प्राप्ति: भाग्य में सुधार होता है और अच्छे अवसर प्राप्त होते हैं।
  7. व्यापार में उन्नति: व्यवसाय में वृद्धि और उन्नति होती है।
  8. रिश्तों में सुधार: पारिवारिक संबंधों में मधुरता आती है।
  9. आत्मविश्वास में वृद्धि: व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है।
  10. संकल्प शक्ति में वृद्धि: संकल्प और दृढ़ संकल्प में वृद्धि होती है।
  11. स्वास्थ्य लाभ: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  12. शांति और समृद्धि: परिवार में शांति और समृद्धि आती है।
  13. संकटों से सुरक्षा: सभी प्रकार के संकटों से सुरक्षा मिलती है।
  14. मानसिक दृढ़ता: मानसिक दृढ़ता और सहनशक्ति में वृद्धि होती है।
  15. सफलता की ओर अग्रसर: व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है।

विधि

दिन: मंगलवार और शुक्रवार इस स्तोत्र का पाठ करने के लिए सबसे शुभ माने जाते हैं।

अवधि: इस स्तोत्र का नियमित रूप से 41 दिनों तक पाठ करना चाहिए। यह अवधि अति महत्वपूर्ण है क्योंकि गणेश जी की कृपा प्राप्ति के लिए यह न्यूनतम समय है।

मुहूर्त: प्रातःकाल का समय सर्वोत्तम होता है। ब्रह्म मुहूर्त में पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। अगर सुबह का समय संभव न हो, तो संध्या समय भी उत्तम होता है।

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ऋण मुक्ति गणेश स्तोत्र के नियम

  1. पूजा: पूजा की विधि में भगवान गणेश की प्रतिमा या तस्वीर के समक्ष दीपक जलाएं।
  2. धूप और नैवेद्य: धूप और नैवेद्य (मिठाई, फल आदि) अर्पित करें।
  3. साधना को गुप्त रखें: साधना के दौरान अपने संकल्प को गुप्त रखें और इसे दूसरों के साथ साझा न करें।
  4. स्वच्छता: पूजा स्थल और साधक का शारीरिक और मानसिक स्वच्छता बनाए रखें।

ऋण मुक्ति गणेश स्तोत्र सावधानी

  1. एकाग्रता: पाठ के समय मन को एकाग्र रखें और इधर-उधर के विचारों से बचें।
  2. श्रद्धा: बिना श्रद्धा के पाठ करने से कोई फल नहीं मिलता है।
  3. विधि का पालन: निर्धारित विधि और नियमों का पालन करें।
  4. नियमितता: नियमित पाठ अत्यंत आवश्यक है; किसी भी दिन न छोड़ें।
  5. अन्य कार्यों से बचें: पाठ के दौरान किसी अन्य कार्य में मन न लगाएं।

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ऋण मुक्ति गणेश स्तोत्र के प्रश्न उत्तर

  1. प्रश्न: ऋण मुक्ति गणेश स्तोत्र का महत्व क्या है?
    उत्तर: यह स्तोत्र आर्थिक संकट से मुक्ति और मनोवैज्ञानिक संतुलन प्राप्त करने में सहायक है।
  2. प्रश्न: किस प्रकार के ऋणों से मुक्ति मिलती है?
    उत्तर: सभी प्रकार के ऋणों से, चाहे वे व्यक्तिगत हों या व्यवसायिक।
  3. प्रश्न: इस स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए?
    उत्तर: प्रातःकाल या संध्या समय, विशेष रूप से मंगलवार और शुक्रवार को।
  4. प्रश्न: क्या ऋण मुक्ति गणेश स्तोत्र का पाठ गुप्त रखना चाहिए?
    उत्तर: हाँ, साधना को गुप्त रखना अति आवश्यक है।
  5. प्रश्न: क्या स्तोत्र पाठ के दौरान किसी विशेष पूजा की आवश्यकता होती है?
    उत्तर: हाँ, गणेश जी की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाना और धूप-दीप करना चाहिए।
  6. प्रश्न: क्या कोई विशेष अवधि है जिसके दौरान यह पाठ किया जाना चाहिए?
    उत्तर: 41 दिनों की अवधि तक नियमित रूप से पाठ करना चाहिए।
  7. प्रश्न: क्या स्तोत्र पाठ के दौरान कोई विशेष सावधानी बरतनी चाहिए?
    उत्तर: एकाग्रता, श्रद्धा और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  8. प्रश्न: क्या स्तोत्र के पाठ से अन्य लाभ भी होते हैं?
    उत्तर: हाँ, मानसिक शांति, सफलता, और समृद्धि भी प्राप्त होती है।
  9. प्रश्न: ऋण मुक्ति गणेश स्तोत्र को कौन पढ़ सकता है?
    उत्तर: कोई भी व्यक्ति, जो आर्थिक संकट से जूझ रहा हो।
  10. प्रश्न: क्या इस स्तोत्र के पाठ से रिश्तों में सुधार होता है?
    उत्तर: हाँ, परिवारिक संबंधों में मधुरता आती है।
  11. प्रश्न: क्या यह स्तोत्र व्यवसाय में उन्नति के लिए भी लाभकारी है?
    उत्तर: हाँ, व्यापार में उन्नति और वृद्धि होती है।
  12. प्रश्न: ऋण मुक्ति गणेश स्तोत्र की पूजा के लिए कौन सा समय सर्वोत्तम है?
    उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त या संध्या का समय सर्वोत्तम है।
  13. प्रश्न: क्या स्तोत्र का पाठ अकेले करना चाहिए या किसी के साथ?
    उत्तर: अकेले पाठ करना अधिक प्रभावी होता है।

ऋण मुक्ति गणेश स्तोत्र का सही तरीके से और विधिपूर्वक पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक संकट समाप्त होते हैं और समृद्धि की ओर कदम बढ़ता है। इसका पाठ श्रद्धा, नियम, और अनुशासन के साथ करने से ही अपेक्षित फल प्राप्त होते हैं।

BOOK (29-30 MARCH 2025) PRATYANGIRA SADHANA SHIVIR AT DIVYAYOGA ASHRAM (ONLINE/ OFFLINE)

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