Ganesha Dwadash naam strot for Wishes

गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् के बारे में जानकारी

गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण हिन्दू स्तोत्र है, जो भगवान गणेश के बारह नामों का वर्णन करता है। यह स्तोत्र गणेश भक्तों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है। इसे पाठ करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। यह स्तोत्र विशेष रूप से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् व उसका संपूर्ण अर्थ

गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् में भगवान गणेश के बारह नामों का उल्लेख है। ये बारह नाम भगवान गणेश के विभिन्न रूपों, शक्तियों और गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रत्येक नाम का अपना विशेष महत्व और अर्थ है। इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से साधक को अनेक प्रकार की सिद्धियों और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम्:

  1. प्रथमं वक्रतुंडं च एकदंतं द्वितीयकम्। तृतीयं कृष्णपिंगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्॥
  • अर्थ: सबसे पहले भगवान गणेश को वक्रतुंड नाम से पूजा जाता है, जो सभी विघ्नों का नाशक है। दूसरे नाम एकदंत का अर्थ है ‘एक दांत वाले गणेश’। तीसरे नाम कृष्णपिंगाक्ष का अर्थ है ‘काले और पिंगल रंग के नेत्रों वाले गणेश’। चौथे नाम गजवक्त्र का अर्थ है ‘हाथी के मुख वाले गणेश’।
  1. लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च। सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम्॥
  • अर्थ: पाँचवे नाम लम्बोदर का अर्थ है ‘लम्बे पेट वाले गणेश’। छठे नाम विकट का अर्थ है ‘भीषण रूप वाले गणेश’। सातवें नाम विघ्नराजेन्द्र का अर्थ है ‘विघ्नों के राजा’। आठवें नाम धूम्रवर्ण का अर्थ है ‘धुएँ के रंग के गणेश’।
  1. नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम्। एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम्॥
  • अर्थ: नवें नाम भालचन्द्र का अर्थ है ‘चंद्रमा को मस्तक पर धारण करने वाले गणेश’। दसवें नाम विनायक का अर्थ है ‘सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शक’। ग्यारहवें नाम गणपति का अर्थ है ‘गणों के स्वामी’। बारहवें नाम गजानन का अर्थ है ‘हाथी के समान मुख वाले गणेश’।
  1. द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः। न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं परम्॥
  • अर्थ: जो व्यक्ति इन बारह नामों का पाठ तीनों संध्याओं (सुबह, दोपहर, शाम) में करता है, उसे किसी भी प्रकार का विघ्न भय नहीं होता और उसे सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् का पाठ भगवान गणेश की कृपा पाने का एक प्रभावी माध्यम है। इस स्तोत्र के प्रत्येक नाम के माध्यम से भगवान गणेश के विभिन्न गुणों और शक्तियों का स्मरण होता है, जिससे साधक को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और समस्त प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् के लाभ

  1. विघ्न बाधा से मुक्ति: यह स्तोत्र सभी प्रकार की विघ्न-बाधाओं को दूर करता है।
  2. धन और संपत्ति: इसे पाठ करने से धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  3. स्वास्थ्य लाभ: शरीर के रोगों से मुक्ति मिलती है।
  4. शत्रु नाश: शत्रुओं से सुरक्षा प्राप्त होती है।
  5. मन की शांति: मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है।
  6. करियर में उन्नति: कार्यस्थल पर सफलता और उन्नति मिलती है।
  7. शुभ समय: हर काम में शुभ समय का आभास होता है।
  8. विवाह योग: विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
  9. विद्या प्राप्ति: शिक्षा में उन्नति और विद्या प्राप्त होती है।
  10. पारिवारिक सुख: परिवार में सुख-शांति और समृद्धि रहती है।
  11. दुख नाश: जीवन के सभी दुखों का नाश होता है।
  12. मोक्ष प्राप्ति: अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् की विधि

गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् की साधना का शुभारंभ किसी शुभ दिन से करें। बुधवार या चतुर्थी को इसका पाठ करना विशेष लाभकारी होता है। साधना की अवधि 41 दिन की होती है, जिसमें प्रतिदिन 108 बार इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। पूजा का मुहूर्त सूर्योदय के बाद का समय सबसे उत्तम होता है। साधक को अपने पूजा स्थल को शुद्ध और स्वच्छ रखना चाहिए।

गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् के नियम

  1. पूजा की शुद्धता: साधना के दौरान मन और शरीर की शुद्धता बनाए रखें।
  2. साधना को गुप्त रखें: अपनी साधना को गोपनीय रखें और अनावश्यक चर्चा से बचें।
  3. व्रत का पालन: साधना के दौरान व्रत का पालन करें और सात्विक भोजन ग्रहण करें।
  4. एकाग्रता बनाए रखें: मन की एकाग्रता बनाए रखें और ध्यान भंग न होने दें।
  5. सदाचार: साधना के दौरान सदाचार का पालन करें और किसी भी प्रकार का गलत कार्य न करें।

गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् की सावधानियां

गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् का पाठ करते समय कुछ सावधानियों का पालन करना आवश्यक है। साधना के समय मन को एकाग्र रखें और विचारों को भटकने न दें। साधना के दौरान किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से दूर रहें। व्रत का पालन सही तरीके से करें और भोजन में सात्विकता का ध्यान रखें। साधना के लिए समय का चयन महत्वपूर्ण है; सूर्योदय या संध्याकाल में साधना करने से विशेष लाभ मिलता है।

गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् के प्रश्न उत्तर

  1. प्रश्न: गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् क्या है?
    उत्तर: गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् भगवान गणेश के 12 नामों का वर्णन करने वाला स्तोत्र है।
  2. प्रश्न: इसका पाठ करने से क्या लाभ होता है?
    उत्तर: यह स्तोत्र सभी प्रकार की विघ्न-बाधाओं को दूर कर मनोकामनाएं पूर्ण करता है।
  3. प्रश्न: साधना की अवधि कितनी होती है?
    उत्तर: साधना की अवधि 41 दिन होती है।
  4. प्रश्न: गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् का पाठ कब करना चाहिए?
    उत्तर: इसे बुधवार या चतुर्थी को करना विशेष लाभकारी होता है।
  5. प्रश्न: पूजा स्थल को कैसे सजाना चाहिए?
    उत्तर: पूजा स्थल को स्वच्छ और शुद्ध रखना चाहिए।
  6. प्रश्न: साधना के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?
    उत्तर: साधना के दौरान मन को विचलित नहीं होने देना चाहिए और नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए।
  7. प्रश्न: साधना का समय क्या होना चाहिए?
    उत्तर: साधना का समय सूर्योदय के बाद या संध्याकाल का होता है।
  8. प्रश्न: साधना के दौरान कौन से व्रत का पालन करना चाहिए?
    उत्तर: साधना के दौरान सात्विक व्रत का पालन करना चाहिए।
  9. प्रश्न: गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् का पाठ किस प्रकार करना चाहिए?
    उत्तर: गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् का पाठ एकाग्रता और शुद्धता के साथ करना चाहिए।
  10. प्रश्न: साधना के लिए कौन से दिन विशेष हैं?
    उत्तर: बुधवार और चतुर्थी साधना के लिए विशेष दिन हैं।
  11. प्रश्न: साधना के दौरान कौन-कौन सी सावधानियां रखनी चाहिए?
    उत्तर: साधना के दौरान मन की शुद्धता, व्रत पालन, और नकारात्मकता से बचना चाहिए।
  12. प्रश्न: साधना की समाप्ति पर क्या करना चाहिए?
    उत्तर: साधना की समाप्ति पर भगवान गणेश की आरती करें और प्रसाद बांटें।

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