गणेश अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र जो मनुष्य का भाग्य बदल दे
गणेश अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र भगवान गणेश के 108 पवित्र नामों का संग्रह है। यह स्तोत्र भगवान गणेश की महिमा का गुणगान करता है और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। इन 108 नामों का पाठ विशेष रूप से विघ्नों के नाश, बुद्धि और समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है। गणेश अष्टोत्तर शतनामावली का पाठ भगवान गणेश की विशेष कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
गणेश अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र लाभ
- विघ्नों का नाश: जीवन के सभी विघ्न और बाधाएँ दूर होती हैं।
- बुद्धि और ज्ञान की वृद्धि: पढ़ाई और विद्या में विशेष सफलता मिलती है।
- धन और समृद्धि की प्राप्ति: आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
- स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में लाभ होता है।
- मन की शांति: मानसिक तनाव और चिंता दूर होती है।
- संतान सुख: संतान प्राप्ति और संतानों का कल्याण होता है।
- कार्य में सफलता: किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
- परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख, शांति, और समृद्धि बढ़ती है।
- शत्रु नाश: शत्रुओं का नाश होता है और सुरक्षा मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: आत्मा की उन्नति और आध्यात्मिक जागरूकता प्राप्त होती है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
- मोक्ष की प्राप्ति: जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति और मोक्ष प्राप्त होता है।
गणेश अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र
ॐ विनायकाय नमः ॐ विघ्ननाशाय नमः ॐ धूम्रवर्णाय नमः ॐ गजाननाय नमः ॐ लम्बोदराय नमः ॐ एकदन्ताय नमः ॐ विकटाय नमः ॐ विघ्नराजाय नमः ॐ गणाध्यक्षाय नमः ॐ फालचन्द्राय नमः ॐ गजकर्णकाय नमः ॐ श्रीगणेश्वराय नमः ॐ वक्रतुन्डाय नमः ॐ सिद्धिविनायकाय नमः ॐ बुद्धिप्रियाय नमः ॐ हेरम्बाय नमः ॐ सुमुखाय नमः ॐ चतुर्बाहवे नमः ॐ चतुर्मुखाय नमः ॐ शूर्पकर्णाय नमः ॐ हरिहरात्मजाय नमः ॐ सुराधिपाय नमः ॐ सूरजाय नमः ॐ भवात्मजाय नमः ॐ बालगणपतये नमः ॐ महोत्कटाय नमः ॐ श्रीगणेशाय नमः ॐ षण्मुखप्रियाय नमः ॐ कृपासिंधवे नमः ॐ गजाननाय नमः ॐ स्वर्णवर्णाय नमः ॐ वासुदेवाय नमः ॐ शम्भूप्रियाय नमः ॐ अविनायकाय नमः ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः | ॐ महागणपतये नमः ॐ सर्वविघ्नहराय नमः ॐ शुभाय नमः ॐ कुमारगुरवे नमः ॐ गजाननाय नमः ॐ भालचन्द्राय नमः ॐ गणाधिपाय नमः ॐ वक्रतुंडाय नमः ॐ शिवप्रियाय नमः ॐ शिवात्मजाय नमः ॐ शिवपुत्राय नमः ॐ उमासुताय नमः ॐ शिवपुत्राय नमः ॐ गौरीपुत्राय नमः ॐ विघ्नहराय नमः ॐ शुद्धात्मने नमः ॐ सिद्धिदाय नमः ॐ मूषिकवाहनाय नमः ॐ मोदकप्रियाय नमः ॐ मुक्तिदाय नमः ॐ अनंताय नमः ॐ हरिद्राय नमः ॐ एकदन्ताय नमः ॐ गणपतये नमः ॐ एकाक्षराय नमः ॐ अव्यक्ताय नमः ॐ शूराय नमः ॐ सुमुखाय नमः ॐ कुमारगुरवे नमः ॐ ब्रह्माचारिणे नमः ॐ बुद्धिदाय नमः ॐ शिवनन्दनाय नमः ॐ भवसुताय नमः ॐ देवदेवाय नमः ॐ विभावासाय नमः | ॐ भालचन्द्राय नमः ॐ गुणनिधये नमः ॐ गजाननाय नमः ॐ महेशाय नमः ॐ विश्ववन्द्याय नमः ॐ विश्वात्मने नमः ॐ विश्वेशाय नमः ॐ क्षेमकराय नमः ॐ महाशक्तिमते नमः ॐ जयप्रदाय नमः ॐ वरदाय नमः ॐ वीराय नमः ॐ योगाधिपाय नमः ॐ अशोकाय नमः ॐ गणाधिपाय नमः ॐ सिद्धिदाय नमः ॐ मूषिकवाहनाय नमः ॐ विघ्नराजाय नमः ॐ विनायकाय नमः ॐ विघ्ननाशनाय नमः ॐ दायाय नमः ॐ वक्रतुंडाय नमः ॐ बुद्धिप्रियाय नमः ॐ मंगलाय नमः ॐ विघ्नविनाशाय नमः ॐ ज्ञानरूपाय नमः ॐ शिवानन्दाय नमः ॐ विघ्नहराय नमः ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः ॐ दयाकराय नमः ॐ प्रसन्नवदनाय नमः ॐ विघ्नेश्वराय नमः ॐ विघ्नहर्त्रे नमः ॐ एकदन्ताय नमः ॐ एकाक्षराय नमः ॐ गौरिपुत्राय नमः ॐ गजकर्णकाय नमः ॐ गुणनिधये नमः |
गणेश अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र की विधि
- दिन: किसी भी शुभ दिन से प्रारंभ कर सकते हैं, विशेषकर बुधवार या चतुर्थी तिथि को।
- अवधि (41 दिन): इस स्तोत्र का पाठ 41 दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए।
- मुहूर्त: प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त (4-6 बजे) में पाठ करना सर्वोत्तम होता है।
- स्थान: स्वच्छ और शांत स्थान पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
गणेश अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र के नियम
- पूजा विधि: गणेश जी की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक जलाकर, पुष्प और नैवेद्य अर्पित करके स्तोत्र का पाठ करें।
- स्वच्छता: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- भक्ति और श्रद्धा: पाठ के समय भगवान गणेश के प्रति पूर्ण भक्ति और श्रद्धा रखें।
- साधना को गुप्त रखें: अपनी साधना और पाठ को गुप्त रखें, इसका अनावश्यक प्रचार न करें।
- दैनिक नियम: नियमितता बनाए रखें और पाठ को बीच में न छोड़ें।
- एकाग्रता: पाठ के दौरान मन को एकाग्र रखें और ध्यान भटकने न दें।
Know more about Ganesh sabar mantra
गणेश अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र के समय सावधानियाँ
- संयमित आहार: सात्विक भोजन ग्रहण करें और तामसिक भोजन से बचें।
- शुद्ध मन: पाठ के समय मन को शांत और शुद्ध रखें।
- विकारों से दूर रहें: क्रोध, लोभ, और ईर्ष्या जैसी नकारात्मक भावनाओं से दूर रहें।
- ध्यान और एकाग्रता: पाठ के समय ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें।
- अनुचित कार्यों से बचें: पाठ के समय और साधना के दौरान अनुचित कार्यों से बचें।
- समय का पालन करें: मुहूर्त और समय का विशेष ध्यान रखें।
गणेश अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र के प्रश्न और उत्तर
- प्रश्न: गणेश अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र क्या है?
उत्तर: यह भगवान गणेश के 108 पवित्र नामों का संग्रह है जो उनकी महिमा का वर्णन करता है। - प्रश्न: गणेश अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र का महत्व क्या है?
उत्तर: यह स्तोत्र भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने और विघ्नों को दूर करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली है। - प्रश्न: गणेश अष्टोत्तर शतनामावली का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में, विशेषकर बुधवार या चतुर्थी तिथि को पाठ करना श्रेष्ठ है। - प्रश्न: गणेश अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र की विधि क्या है?
उत्तर: स्वच्छ स्थान पर बैठकर, गणेश जी की पूजा कर, ध्यानपूर्वक स्तोत्र का पाठ करें। - प्रश्न: क्या गणेश अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र को 41 दिनों तक करना चाहिए?
उत्तर: हाँ, 41 दिनों तक नियमित रूप से पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। - प्रश्न: गणेश अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र के क्या लाभ हैं?
उत्तर: बुद्धि, ज्ञान, समृद्धि, स्वास्थ्य और शत्रु नाश जैसे लाभ होते हैं। - प्रश्न: गणेश अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर: स्वच्छता, संयमित आहार, और मानसिक शांति का ध्यान रखें। - प्रश्न: क्या गणेश अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र को गुप्त रखना चाहिए?
उत्तर: हाँ, साधना और पाठ को गुप्त रखना चाहिए, इसका प्रचार नहीं करना चाहिए। - प्रश्न: गणेश अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र का पूर्ण अर्थ क्या है?
उत्तर: यह भगवान गणेश के विभिन्न रूपों, गुणों, और उनके दिव्य कार्यों का विस्तार से वर्णन करता है। - प्रश्न: गणेश अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र के लिए कौन सा दिन शुभ होता है?
उत्तर: बुधवार और चतुर्थी तिथि को यह स्तोत्र शुरू करना अत्यंत शुभ माना जाता है। - प्रश्न: गणेश अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र के समय किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?
उत्तर: स्वच्छता, संयम, और साधना में एकाग्रता बनाए रखें। - प्रश्न: क्या गणेश अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं?
उत्तर: हाँ, श्रद्धा और भक्ति से पाठ करने पर सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।