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Shri Ganesha Stavan for Peace & Prosperity

श्री गणेश स्तवन पाठ जो दरिद्रता क्लेश को आपसे दूर रखे

श्री गणेश स्तवन भगवान गणेश को समर्पित एक दिव्य स्तोत्र है, जिसका पाठ करके भक्त गणेश जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। यह स्तवन पाठ भगवान गणेश के गुणों, उनकी शक्तियों और उनके आशीर्वादों का बखान करता है। इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ने से जीवन में समृद्धि, शांति, और सभी प्रकार के विघ्नों का नाश होता है।

श्री गणेश स्तवन और उसका अर्थ

श्री गणेश स्तवन

  1. वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ अर्थ:
    हे वक्रतुंड, महाकाय, सूर्य के समान तेजस्वी भगवान! मेरे सभी कार्यों को सदा निर्विघ्न पूर्ण करें।
  2. गजाननं भूतगणाधिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोकविनाशकारणं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥ अर्थ:
    भूतगणों द्वारा सेवित, कपित्थ और जम्बूफल को भोगने वाले, पार्वतीपुत्र, शोक नाशक, विघ्नेश्वर के चरणों में प्रणाम।
  3. एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि। तन्नो दंती प्रचोदयात्॥ अर्थ:
    हम एकदन्त और वक्रतुंड का ध्यान करते हैं। वह दंतधारी भगवान हमें प्रेरणा दें।
  4. गणेशाय नमस्तुभ्यं सिद्धिबुद्धिप्रदायक। सर्वविघ्नहरायेश नमः ते विघ्ननायक॥ अर्थ:
    गणेश जी को नमस्कार, जो सिद्धि और बुद्धि के दाता हैं। सभी विघ्नों का नाश करने वाले विघ्ननायक, आपको नमस्कार।
  5. गणेशं वन्दे विनायकं, भूतिमंगलदायकम्। वरदं मंगलारम्भे, सर्वकार्यविधायकम्॥ अर्थ:
    गणेश जी का वंदन करता हूँ, जो मंगल और शुभता के दाता हैं। समस्त कार्यों के प्रारंभ में सफलता प्रदान करने वाले हैं।
  6. एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः। विघ्ननाशाय वरदाय सुरश्रेष्ठाय ते नमः॥ अर्थ:
    एकदन्त, शुद्ध, सुमुख, विघ्ननाशक और वरदायी को बार-बार प्रणाम। देवताओं में श्रेष्ठ को नमस्कार।
  7. लम्बोदराय विश्वेशाय वक्रतुंडाय ते नमः। सृष्टिकर्त्रे नमस्तुभ्यं, सिद्धिदात्री नमो नमः॥ अर्थ:
    लम्बोदर, विश्वेश, वक्रतुंड, सृष्टिकर्ता और सिद्धिदात्री को नमस्कार है।
  8. गजाननाय शान्ताय सर्वविघ्नविनाशिने। वरदायायकर्त्रे च, प्रणमामि गणेश्वरम्॥ अर्थ:
    गजानन, शांत, सभी विघ्नों के नाशक, वरदायी, और कर्ता गणेश्वर को प्रणाम करता हूँ।
  9. त्वमेव प्रार्थना करते त्वंहि सर्वाधिपो गणेश। त्वमेव शरणं मेऽस्तु त्वंहि सर्वं गणेश्वर॥ अर्थ:
    हे गणेश, मैं आपको ही प्रार्थना करता हूँ। आप ही सबके अधिपति हैं। आप ही मेरे शरणदाता हैं, आप ही सब कुछ हैं।
  10. महेश्वरं सुवन्दनं, गणाधिपं सुदर्शनम्। भवसागरमग्नानां मोक्षदं परमेश्वरम्॥ अर्थ:
    महेश्वर, गणाधिप, सुदर्शन गणेशजी को प्रणाम करता हूँ, जो भवसागर में डूबे हुए जीवों को मोक्ष प्रदान करते हैं।

श्री गणेश स्तवन के लाभ

  1. विघ्न नाश: पाठ से जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं।
  2. समृद्धि की प्राप्ति: आर्थिक समृद्धि और धन-धान्य में वृद्धि होती है।
  3. मानसिक शांति: मन की अशांति और तनाव दूर होते हैं।
  4. कार्य सिद्धि: सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
  5. विद्या और बुद्धि में वृद्धि: ज्ञान और विवेक में वृद्धि होती है।
  6. भय का नाश: भय और चिंता से मुक्ति मिलती है।
  7. स्वास्थ्य लाभ: स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का निवारण होता है।
  8. शत्रु नाश: शत्रुओं से रक्षा होती है।
  9. परिवार में सुख-शांति: परिवार में शांति और सामंजस्य बढ़ता है।
  10. आध्यात्मिक उन्नति: साधना और भक्ति में प्रगति होती है।
  11. मोक्ष प्राप्ति: मोक्ष के मार्ग की ओर अग्रसर होता है।
  12. भगवान गणेश की कृपा: गणेश जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  13. मनोकामना पूर्ण: सभी इच्छाओं और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

श्री गणेश स्तवन पाठ विधि

दिन:
श्री गणेश स्तवन का पाठ विशेष रूप से बुधवार और चतुर्थी तिथि पर करना उत्तम होता है।

अवधि:
यह पाठ 41 दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए।

मुहूर्त:
प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में पाठ करना सर्वोत्तम है।

Know more about Ganesha mantra

श्री गणेश स्तवन के नियम

  1. गोपनीयता: पूजा और साधना को गुप्त रखें।
  2. शुद्धता: पाठ के समय शुद्ध वस्त्र धारण करें और स्नान कर लें।
  3. स्थिरता: पाठ करते समय एक ही स्थान पर स्थिर होकर बैठें।
  4. एकाग्रता: मन को एकाग्र रखें और भगवान गणेश का ध्यान करें।
  5. व्रत: साधना के दौरान संयम और व्रत का पालन करें।

Ganesha sadhana samagri with diksha

श्री गणेश स्तवन में सावधानियाँ

  1. उच्चारण: पाठ का उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट होना चाहिए।
  2. ध्यान: ध्यान भंग न होने दें और मन को शांत रखें।
  3. सामग्री: पूजन सामग्री की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  4. विहार: साधना के समय मांसाहार और तामसिक भोजन का सेवन न करें।
  5. नियमितता: पाठ नियमित रूप से एक ही समय पर करना चाहिए।

श्री गणेश स्तवन- प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: श्री गणेश स्तवन क्या है?
उत्तर: श्री गणेश स्तवन भगवान गणेश को समर्पित स्तोत्र है, जो उनके गुणों और शक्तियों का वर्णन करता है।

प्रश्न 2: श्री गणेश स्तवन का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: श्री गणेश स्तवन का पाठ बुधवार और चतुर्थी तिथि पर करना सर्वोत्तम है।

प्रश्न 3: पाठ की अवधि कितनी होनी चाहिए?
उत्तर: पाठ की अवधि 41 दिनों तक होनी चाहिए।

प्रश्न 4: क्या विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है?
उत्तर: हां, भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र, दीपक, फूल, रोली, चावल, और मोदक की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 5: श्री गणेश स्तवन का क्या लाभ है?
उत्तर: श्री गणेश स्तवन का पाठ करने से विघ्नों का नाश, समृद्धि, और गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है।

प्रश्न 6: क्या पाठ के समय कुछ विशेष नियम हैं?
उत्तर: हां, पाठ करते समय गोपनीयता, शुद्धता, और एकाग्रता बनाए रखनी चाहिए।

प्रश्न 7: क्या स्त्री और पुरुष दोनों पाठ कर सकते हैं?
उत्तर: हां, स्त्री और पुरुष दोनों श्री गणेश स्तवन का पाठ कर सकते हैं।

प्रश्न 8: क्या मांसाहार के सेवन की अनुमति है?
उत्तर: नहीं, साधना के दौरान मांसाहार और तामसिक भोजन वर्जित है।

प्रश्न 9: पाठ का सही समय क्या है?
उत्तर: पाठ का सही समय प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से

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