रक्षा व आकर्षण के लिये काली मंत्र
सुरक्षा व आर्थिक उन्नति प्रदान करने वाली महाकाली का ये मंत्र जीवन मे आने वाली सभी बाधायें कमोयों को नष्ट करता है। ये माता १० महाविद्या मे से पृथम महाविद्या मानी जाती है. इनकी पूजा से हर तरह की विघ्न बाधा, नजर, शत्रु बाधा, तंत्र बाधा से मुक्ति मिलती है, वही दिनो दिन आकर्षण शक्ति बढती है. काली देवी को शक्ति, समय और परिवर्तन की देवी माना जाता है। वह मां दुर्गा का एक उग्र रूप हैं और बुराई, नकारात्मक ऊर्जा और अज्ञानता का नाश करती हैं। काली मंत्र का जाप भक्तों को असीम शक्ति, साहस और आत्मविश्वास प्रदान करता है।
महाकाली मंत्र व उसका अर्थ
मंत्र: ॥ॐ क्रीं कालिके क्रीं फट्ट॥
- “ॐ” ब्रह्मांड का पृथम शब्द
- “क्रीं‘ काली बीज, शक्ति मंत्र
- “कालिके” महाकाली
- “फट्ट” शक्ति बढाने वाली
काली मंत्र विधि
1. स्थान: साफ-सुथरे और शांत स्थान पर पूजा करें।
2. समय: रात का समय (मध्य रात्रि) काली पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।
3. स्नान: शुद्ध स्नान करके स्वच्छ काले वस्त्र पहनें।
4. आसन: काले वस्त्र का आसन बिछाएं और उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
5. आह्वान: दीपक जलाकर काली देवी का आह्वान करें।
6. मंत्र जाप: मंत्र का उच्चारण मन में शांति और एकाग्रता के साथ करें। माला (रुद्राक्ष या चंदन) से 108 बार जाप करें।
7. ध्यान: काली देवी का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें कि वे आपकी मनोकामनाएँ पूर्ण करें।
8. प्रसाद: नैवेद्य के रूप में फल, मिठाई और नारियल अर्पित करें।
9. अंतिम प्रार्थना: मंत्र जाप के बाद देवी को धन्यवाद दें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
सामग्री (समाग्री)
1. काले वस्त्र
2. आसन (काले वस्त्र का)
3. दीपक और तेल
4. माचिस
5. अगरबत्ती
6. नैवेद्य (फल, मिठाई, नारियल)
7. फूल (लाल या काले)
8. चंदन
9. कुमकुम
10. माला (रुद्राक्ष या चंदन)
काली मंत्र के लाभ
1. आध्यात्मिक शक्ति: आध्यात्मिक शक्तियों की प्राप्ति होती है।
2. मानसिक शांति: मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
3. शारीरिक स्वास्थ्य: शरीर में ऊर्जा और स्वास्थ्य का संचार होता है।
4. बाधाओं से मुक्ति: जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
5. आकर्षण: व्यक्ति में आकर्षण शक्ति बढ़ती है।
6. साहस: साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
7. सुरक्षा: दुश्मनों और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
8. धन-संपत्ति: धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
9. विद्या प्राप्ति: विद्या और ज्ञान की वृद्धि होती है।
10. संतान सुख: संतान सुख की प्राप्ति होती है।
11. रोग निवारण: सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
12. मनोकामना पूर्ण: सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
13. योग्यता: जीवन में योग्यता और सफलता प्राप्त होती है।
14. भय निवारण: सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।
15. समृद्धि: समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है।
16. पारिवारिक सुख: पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
17. आध्यात्मिक ज्ञान: आध्यात्मिक ज्ञान और समझ बढ़ती है।
18. दिव्य दृष्टि: दिव्य दृष्टि और अंतर्ज्ञान की प्राप्ति होती है।
19. भूत-प्रेत बाधा: भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है।
20. विजय: जीवन के सभी क्षेत्रों में विजय प्राप्त होती है।
उपयुक्त दिन और अवधि
दिन: अमावस्या और काली चौदस (दीपावली के दिन) काली देवी की पूजा के लिए विशेष माने जाते हैं।
अवधि: 40 दिनों तक नियमित रूप से मंत्र जाप करें।
सावधानियाँ
1. शुद्धता: शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। पूजा के स्थान को स्वच्छ रखें।
2. नियमितता: नियमित रूप से और निश्चित समय पर पूजा करें।
3. व्रत: यदि संभव हो, तो पूजा के दिन व्रत रखें।
4. मन की एकाग्रता: पूजा के समय मन को एकाग्र रखें और अनावश्यक विचारों को दूर करें।
5. शब्दों की पवित्रता: मंत्र का उच्चारण शुद्ध और सही तरीके से करें।
6. नकारात्मकता से दूर: पूजा के समय और उसके बाद नकारात्मक विचारों और कार्यों से दूर रहें।
7. संकल्प: पूजा करते समय अपने संकल्प को दृढ़ और स्पष्ट रखें।
8. सामग्री की शुद्धता: पूजा सामग्री को शुद्ध और ताजा रखें।
9. स्नेह और श्रद्धा: पूजा करते समय स्नेह और श्रद्धा का भाव बनाए रखें।
10. धैर्य: लाभ प्राप्ति के लिए धैर्य रखें और निरंतरता बनाए रखें।
11. आहार: पूजा के दिन सात्विक भोजन का सेवन करें और मांसाहार, शराब आदि से बचें।
12. वाणी: पूजा के दिन वाणी पर संयम रखें और झूठ, अपशब्दों से बचें।
13. मंत्र का सही उच्चारण: मंत्र का उच्चारण सही ढंग से और शुद्धता के साथ करें।
14. समय का पालन: पूजा और मंत्र जाप का समय निश्चित रखें और उसे नियमित रूप से पालन करें।
15. देवी के प्रति समर्पण: पूजा करते समय पूर्ण समर्पण और आस्था के साथ करें।
16. आसन का उपयोग: हमेशा एक ही आसन का उपयोग करें और उसे शुद्ध और पवित्र रखें।
17. दीपक जलाएं: पूजा के समय दीपक जलाना अनिवार्य है, इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
18. दिशा का ध्यान: पूजा करते समय उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
काली मंत्र: (सामान्य प्रश्न)
1. काली देवी कौन हैं?
काली देवी को शक्ति, समय और परिवर्तन की देवी माना जाता है। वह मां दुर्गा का उग्र रूप हैं और नकारात्मकता, अज्ञानता और बुराई का नाश करती हैं।
2. काली देवी का प्रमुख मंत्र क्या है?
काली देवी का प्रमुख मंत्र है:
ॐ क्रीं कालीकायै नमः।
3. काली मंत्र का जाप कब और कैसे करना चाहिए?
रात का समय (विशेषकर मध्य रात्रि) काली मंत्र जाप के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त में भी जाप किया जा सकता है।
4. काली मंत्र जाप की विधि क्या है?
1. साफ-सुथरे स्थान पर स्नान करके स्वच्छ काले वस्त्र पहनें।
2. काले वस्त्र का आसन बिछाएं और उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
3. दीपक जलाकर काली देवी का आह्वान करें।
4. माला से 108 बार मंत्र का जाप करें।
5. काली देवी का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें।
6. नैवेद्य अर्पित करें।
7. अंतिम प्रार्थना करके देवी को धन्यवाद दें।
5. काली देवी मंत्र जाप के लिए उपयुक्त दिन कौन से हैं?
अमावस्या और काली चौदस (दीपावली के दिन) काली देवी की पूजा के लिए विशेष माने जाते हैं।
6. काली मंत्र जाप की अवधि कितनी होनी चाहिए?
काली मंत्र जाप की अवधि 40 दिनों तक नियमित रूप से होनी चाहिए।
7. मंत्र जाप करते समय किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?
1. शुद्धता का ध्यान रखें।
2. नियमित रूप से पूजा करें।
3. पूजा के दिन व्रत रखें।
4. मन को एकाग्र रखें।
5. मंत्र का शुद्ध उच्चारण करें।
6. नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
7. संकल्प को दृढ़ रखें।
8. सामग्री को शुद्ध और ताजा रखें।
9. स्नेह और श्रद्धा का भाव बनाए रखें।
10. धैर्य रखें और निरंतरता बनाए रखें।
8. क्या काली मंत्र जाप से सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं?
काली देवी मंत्र का जाप श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से भक्त की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। हालांकि, धैर्य और निरंतरता आवश्यक है।
9. मंत्र जाप के दौरान क्या व्रत रखना अनिवार्य है?
व्रत रखना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यदि संभव हो तो पूजा के दिन व्रत रखें। इससे पूजा का प्रभाव बढ़ता है।