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Diwali Mahalakshmi Pujan – Complete Guide

दीपावली की महालक्ष्मी पूजा 2024 – लाभ, आर्थिक समृद्धि से शांति तक

दिवाली का त्योहार विशेष रूप से धन की देवी महालक्ष्मी पूजन के लिए प्रसिद्ध है। यहां संपूर्ण पूजा विधि दी गई है जिसे आप घर पर आसानी से कर सकते हैं, लेकिन सबसे पहले जानते है दिवाली मे लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहुर्थ।

दिवाली लक्ष्मी पूजन 2024: 31 अक्टूबर या 1 नवंबर?

अमावस्या तिथि:

अमावस्या तिथि की शुरुआत 31 अक्टूबर 2024 को शाम 3:12 बजे होगी और यह 1 नवंबर 2024 को शाम 5:13 बजे तक रहेगी। इसके बाद प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी, इसलिए अमावस्या की रात 31 अक्टूबर 2024 मानी जाएगी।

31 अक्टूबर का वाराणसी का सूर्यास्त: 5:33 PM

31 अक्टूबर का मुंबई का सूर्यास्त: 6.05 PM

प्रदोष काल:

दिवाली पर लक्ष्मी पूजन अमावस्या की रात के प्रदोष काल में किया जाता है, जो सूर्यास्त के बाद का समय होता है। सूर्यास्त से 1.30 घंटे पहले और सूर्यास्त के 1.30 घंटे बाद का समय प्रदोष काल कहलाता है। इसी समय में लक्ष्मी पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है और इससे अधिकतम फल की प्राप्ति होती है।

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पूजा की तैयारी

  • सबसे पहले घर को साफ करें, विशेष रूप से पूजा स्थल को।
  • एक स्वच्छ चौकी (मंदिर) पर लाल या पीले वस्त्र बिछाएं।
  • उस पर चावल से अष्टदल (8 पंखुड़ियों वाला कमल) बनाएं और महालक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • गणेश जी की मूर्ति भी रखें क्योंकि हर शुभ कार्य में उनकी पूजा अनिवार्य है।

सामग्री का प्रबंध करें

  • देवी लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर
  • गणेश जी की मूर्ति
  • घी या तेल का दीपक
  • धूप, अगरबत्ती
  • फूल (लोटस या कोई भी अन्य फूल)
  • मिठाई या नैवेद्य
  • पानी से भरा तांबे का कलश
  • कुमकुम, हल्दी, चावल, सुपारी
  • धान्य (अनाज जैसे गेहूं, चावल)
  • सिक्के, गहने, नोट

कलश स्थापना

  • एक तांबे के कलश में जल भरें और उसमें सुपारी, फूल, और सिक्के डालें।
  • कलश के ऊपर एक नारियल रखें और उसके चारों ओर लाल कपड़ा बांधें। यह कलश देवी लक्ष्मी का प्रतीक होता है।

भगवान गणेश की पूजा

  • सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। उन्हें फूल, कुमकुम, चावल, और मिठाई अर्पित करें।
  • गणेश जी की आरती करें और उनसे शुभ फल की प्रार्थना करें।

महालक्ष्मी पूजा

  • देवी लक्ष्मी की मूर्ति को स्नान कराएं (जल, दूध, घी, शहद और चीनी से) और फिर साफ पानी से धोकर वस्त्र पहनाएं।
  • उन्हें कुमकुम, चावल, और फूल अर्पित करें।
  • देवी को सोने, चांदी, और सिक्कों के साथ-साथ मिठाई और नैवेद्य अर्पित करें।
  • 5 माला लक्ष्मी मंत्र का जप करे।
  • दीप जलाकर देवी लक्ष्मी की आरती करें। दीपक को चारों दिशाओं में घुमाएं और परिवार के सभी सदस्य आरती में शामिल हों।

संपूर्ण आरती और मंत्रोच्चार

  • लक्ष्मी माता की पूजा के बाद लक्ष्मी जी की आरती “ओम जय लक्ष्मी माता” गायें।
  • इसके बाद सभी परिवारजन देवी से आशीर्वाद प्राप्त करें।
  • आरती के बाद प्रसाद बांटें और पूजन संपन्न करें।

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महत्वपूर्ण मंत्र

पूजा के दौरान ये मंत्र जपें:

  • “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः”
  • “ॐ ऐं श्रीं कनक लक्ष्मेय मम् सर्व कार्य सिद्धिं देही देही स्वाहा”

पूजा समापन

  • पूजा के समापन पर सभी परिवारजनों को साथ लेकर घर के मुख्य दरवाजे पर दीप जलाएं।
  • पूजा के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें और देवी लक्ष्मी से परिवार में समृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद मांगें।

महालक्ष्मी पूजन के लाभ

दिवाली पर महालक्ष्मी पूजन विशेष महत्व रखता है। यह पूजन केवल आध्यात्मिक ही नहीं बल्कि भौतिक लाभ भी प्रदान करता है। यहां महालक्ष्मी पूजन के प्रमुख लाभ दिए गए हैं:

  1. धन की वृद्धि: महालक्ष्मी धन की देवी हैं। उनकी पूजा से धन में वृद्धि होती है और आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।
  2. संपन्नता: पूजा से घर में संपन्नता और ऐश्वर्य आता है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
  3. कर्ज से मुक्ति: जो व्यक्ति कर्ज में होता है, महालक्ष्मी की कृपा से उसे धीरे-धीरे कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  4. व्यापार में वृद्धि: व्यापारियों के लिए लक्ष्मी पूजन विशेष लाभकारी होता है, जिससे व्यापार में वृद्धि और उन्नति होती है।
  5. सकारात्मक ऊर्जा: पूजा के माध्यम से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  6. पारिवारिक सौहार्द्र: महालक्ष्मी पूजन से परिवार में शांति और प्रेम बना रहता है।
  7. स्वास्थ्य लाभ: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  8. सुखद वैवाहिक जीवन: विवाहित जीवन में सुख-शांति और आपसी समझ बढ़ती है।
  9. आध्यात्मिक शांति: महालक्ष्मी की पूजा से मन को शांति और संतोष की अनुभूति होती है।
  10. अन्न और धन की समृद्धि: अन्न और धन के भंडार हमेशा भरे रहते हैं।
  11. कुंडली दोष निवारण: पूजा से कुंडली में लक्ष्मी संबंधी दोषों का निवारण होता है।
  12. मानसिक तनाव से मुक्ति: पूजा से मानसिक तनाव कम होता है और मन में शांति रहती है।
  13. आशीर्वाद प्राप्ति: देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे जीवन में हर क्षेत्र में उन्नति होती है।
  14. प्रभावी निर्णय क्षमता: लक्ष्मी पूजन से निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है।
  15. सकारात्मक परिणाम: जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम और उपलब्धियां प्राप्त होती हैं।

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दान का महत्व और इसके लाभ

दान का भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। यह न केवल धार्मिक कार्यों में बल्कि समाज के उत्थान और आत्मिक शांति के लिए भी आवश्यक माना जाता है। दान का अर्थ है अपनी संपत्ति या साधनों का एक हिस्सा दूसरों की भलाई के लिए समर्पित करना। यह किसी भी रूप में हो सकता है, जैसे धन, वस्त्र, भोजन, शिक्षा या सेवा।

दान के प्रकार

  1. अन्नदान: भूखे और जरूरतमंद लोगों को भोजन कराना सबसे श्रेष्ठ दान माना जाता है। इससे तात्कालिक रूप से भूख मिटती है और सामाजिक संतुलन में भी मदद मिलती है।
  2. वस्त्रदान: गरीबों को वस्त्र दान करना उन्हें गरिमा और आत्मसम्मान प्रदान करता है।
  3. विद्यादान: शिक्षा का दान सबसे श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि इससे जीवनभर के लिए ज्ञान की रोशनी मिलती है।
  4. धनदान: आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मदद करने से समाज में संतुलन बना रहता है और जीवन में समृद्धि आती है।
  5. रक्तदान: जीवन रक्षा के लिए रक्तदान सबसे महान सेवा मानी जाती है, जिससे किसी की जान बचाई जा सकती है।
  6. भूमिदान: पुराने समय में यह प्रचलित था, जिसमें राजा-महाराजा गरीबों को जमीन दान करते थे।

दान के लाभ

  1. कर्म सुधार: दान से कर्मों का शोधन होता है और जीवन में अच्छे परिणाम मिलते हैं।
  2. आत्मिक शांति: दान करने से आत्मा को संतोष और शांति मिलती है।
  3. सामाजिक संतुलन: दान समाज में आर्थिक असमानता को कम करने में मदद करता है।
  4. पुनर्जन्म में लाभ: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दान से अगले जन्म में अच्छे कर्मों का फल मिलता है।
  5. सकारात्मक ऊर्जा: दान करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।

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महालक्ष्मी पूजन से जुड़े सामान्य प्रश्न

क्या महालक्ष्मी की पूजा घर के बाहर भी की जा सकती है?
आमतौर पर घर के अंदर पूजा करना बेहतर माना जाता है।

महालक्ष्मी पूजन कब किया जाता है?
दिवाली के दिन, खासकर अमावस्या की रात को, महालक्ष्मी पूजन किया जाता है।

पूजन का शुभ मुहूर्त क्या होता है?
लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल (शाम के समय) होता है, जो सूर्यास्त के बाद लगभग 1.30 घंटे तक रहता है।

पूजन के लिए किन चीजों की आवश्यकता होती है?
महालक्ष्मी की मूर्ति, गणेश जी की मूर्ति, दीपक, धूप, चावल, कुमकुम, सुपारी, फूल, मिठाई, और धन।

क्या लक्ष्मी पूजन में गणेश जी की पूजा भी जरूरी है?
हां, हर शुभ कार्य से पहले गणेश जी की पूजा अनिवार्य मानी जाती है।

क्या पूजा में परिवार के सभी सदस्य शामिल हो सकते हैं?
हां, लक्ष्मी पूजन में सभी परिवारजन का शामिल होना शुभ माना जाता है।

लक्ष्मी पूजन के दौरान कौन-कौन से मंत्र जपने चाहिए?
“ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” और “ॐ लक्ष्मी नमः” जैसे मंत्रों का जप किया जा सकता है।

क्या पूजा में विशेष रंगों का महत्व होता है?
हां, लाल और पीला रंग लक्ष्मी पूजन में शुभ माना जाता है।

क्या महालक्ष्मी पूजन से धन की वृद्धि होती है?
मान्यता है कि महालक्ष्मी की पूजा से धन, समृद्धि और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है।

क्या दीपावली के अलावा भी लक्ष्मी पूजन किया जा सकता है?
हां, हर शुक्रवार को महालक्ष्मी पूजन किया जा सकता है।

क्या लक्ष्मी पूजन के बाद घर के मुख्य दरवाजे पर दीप जलाना जरूरी है?
हां, यह शुभता का प्रतीक माना जाता है।

किसी विशेष दिशा में पूजा करनी चाहिए?
पूजन स्थल पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए।

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