Lakshmi Kavacham Path for Wealth & Prosperity
लक्ष्मी कवच पाठः सुख समृद्धि व भाग्य बृद्धि
लक्ष्मी कवच पाठ, देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने और जीवन में समृद्धि, धन, और शांति को बनाए रखने के लिए किया जाता है। इस पाठ में देवी लक्ष्मी को आह्वान करते हुए उनसे रक्षा और आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है। यह कवच न केवल आर्थिक समृद्धि के लिए, बल्कि परिवार की सुख-शांति और जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने के लिए भी अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
संपूर्ण लक्ष्मी कवच पाठ
॥ लक्ष्मी कवचम् ॥
ॐ अस्य श्री लक्ष्मी कवच स्तोत्र महा मन्त्रस्य,
इन्द्रादेवता, अनुष्टुप्छन्दः, श्री महालक्ष्मी: परा देवता।
श्री महालक्ष्मी प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः॥
॥ध्यानम्॥
वन्दे लक्ष्मीमनपायिनीम्।
स्वर्णद्युतिमिन्दिरामिन्दुकलामानोज्ञां
मुक्ताभरणामारक्तवर्णामारक्तपुष्पां ध्यायेत्॥
॥कवचम्॥
सर्वाभीष्टप्रदं दिव्यं कवचं सर्व सिद्धिदम्।
पठन्ति ये नराः नित्यं न ते श्रीहीनमानवाः॥१॥
श्रीलक्ष्मी मस्तकं पातु, हिरण्मयीं च लोचने।
कर्णो वाणीरूपा मां, नासिकां नारायणप्रिया॥२॥
मुखं पातु महालक्ष्मीः, जिव्हां वैकुण्ठवासिनी।
कण्ठं कात्यायनी पातु, स्कन्धौ स्कन्धजननिनम्॥३॥
करौ हरिप्रिया पातु, वक्षः पातु रमाप्रिया।
हृदयं विष्णुपत्नी च, उदरं चन्दनाशुभा॥४॥
कटिं कुबेरपत्नी च, ऊरु नारायणप्रिया।
जानुनी रत्नगर्भा च, जङ्घे जनार्दनप्रिया॥५॥
पादौ विष्णुप्रिया पातु, सर्वाङ्गं सर्वमङ्गला।
अन्तःपुरे च मां पातु, महालक्ष्मी: सनातनी॥६॥
पातु लक्ष्मीर्दिनेशे, पातु लक्ष्मीः प्रदोषके।
पातु लक्ष्मीः प्रभाते च, पातु लक्ष्मीः नितान्तरे॥७॥
दुष्टारिभयदं घोरं चोरव्याघ्रादिभीषणम्।
महारोगादिदारिद्र्यं व्याधिं हारयते सदा॥८॥
॥इति श्री लक्ष्मी कवचम् सम्पूर्णम्॥
लक्ष्मी कवच का अर्थ
ध्यान:
- “मैं देवी लक्ष्मी की वंदना करता हूँ, जो नित्य कल्याणकारी हैं। जिनका स्वरूप स्वर्ण के समान है, जो चंद्रमा की कला के समान सुशोभित हैं, जो मोतियों के आभूषण धारण करती हैं, और जिनका रंग रक्तवर्ण है।”
कवच:
- “यह दिव्य कवच सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला और समस्त सिद्धियों को प्रदान करने वाला है। जो मनुष्य इसका नित्य पाठ करते हैं, वे कभी भी धनहीन नहीं होते।”
- “श्री लक्ष्मी मेरे मस्तक की रक्षा करें, जिनकी रूप ह्रिण्यमयी है। वे मेरी आँखों की रक्षा करें। जिनकी वाणी की रूप ममता है, वे मेरे कानों की रक्षा करें। नारायण की प्रिय, वे मेरी नाक की रक्षा करें।”
- “महालक्ष्मी मेरे मुख की रक्षा करें, जो वैकुंठवासिनी हैं। कात्यायनी मेरे कंठ की रक्षा करें। स्कंधजननी मेरे स्कंध की रक्षा करें।”
- “हरिप्रिया मेरे हाथों की रक्षा करें, रमाप्रिया मेरे वक्ष की रक्षा करें। विष्णुपत्नी मेरे हृदय की रक्षा करें, चंदनाशुभा मेरे उदर की रक्षा करें।”
- “कुबेरपत्नी मेरे कटि की रक्षा करें, नारायणप्रिया मेरे ऊरु की रक्षा करें। रत्नगर्भा मेरे जानुओं की रक्षा करें, जनार्दनप्रिया मेरी जंघाओं की रक्षा करें।”
- “विष्णुप्रिया मेरे पाँवों की रक्षा करें, सर्वमंगलामयी देवी लक्ष्मी मेरे समस्त अंगों की रक्षा करें। महालक्ष्मी, जो सनातनी हैं, मेरी रक्षा करें।”
- “लक्ष्मी देवी दिन के समय मेरी रक्षा करें, प्रदोषकाल में मेरी रक्षा करें, प्रभात में मेरी रक्षा करें और सभी समय में मेरी रक्षा करें।”
- “यह कवच घोर दुष्टों, चोरों, व्याघ्रों और महारोगों से रक्षा करता है और सदा दरिद्रता, रोगों को दूर करता है।”
लक्ष्मी कवच पाठ के लाभ
- आर्थिक समृद्धि: लक्ष्मी कवच पाठ के नियमित जप से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन की प्राप्ति होती है।
- धन का संरक्षण: यह पाठ व्यक्ति को अनावश्यक खर्चों से बचाता है और धन की सुरक्षा करता है।
- सुख-शांति: जीवन में सुख, शांति और संतुलन बनाए रखने में सहायक।
- व्यापार में वृद्धि: व्यापार और व्यवसाय में सफलता और उन्नति की प्राप्ति।
- स्वास्थ्य में सुधार: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार।
- परिवार की सुरक्षा: परिवार के सदस्यों को हर प्रकार की बुराई से सुरक्षा।
- कर्ज मुक्ति: इस पाठ से कर्ज और आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है।
- शत्रु नाश: शत्रुओं से रक्षा और उनकी नकारात्मकता से मुक्ति।
- संतान सुख: संतान की प्राप्ति और उनके भविष्य की सुरक्षा।
- विवाह में सफलता: विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने में सहायक।
- सकारात्मक ऊर्जा: घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
- समृद्धि की वृद्धि: घर में समृद्धि की वृद्धि और खुशहाली।
- दुर्भाग्य से रक्षा: जीवन में आने वाले कठिन समय से रक्षा।
- संतान की सुरक्षा: बच्चों की सुरक्षा और उनके लिए शुभता का आह्वान।
- आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति और साधना में सफलता।
लक्ष्मी कवच पाठ विधि
दिन, अवधि, और मुहूर्त
- दिन: लक्ष्मी कवच पाठ का जप विशेष रूप से शुक्रवार को करना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित है।
- अवधि: इस पाठ का जप 41 दिनों तक किया जाना चाहिए, जिससे साधक की मनोकामनाएं पूर्ण हो सके।
- मुहूर्त: ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) और संध्या के समय (शाम 6 से 8 बजे) इस पाठ के लिए सबसे उत्तम समय माने गए हैं।
पूजा सामग्री
- श्री लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र: देवी लक्ष्मी का चित्र या मूर्ति के समक्ष पाठ करें।
- दीपक और धूप: पाठ के समय दीपक और धूप जलाना आवश्यक है।
- फूल: ताजे फूल अर्पित करें, विशेष रूप से कमल के फूल, जो देवी लक्ष्मी को प्रिय हैं।
- चंदन: चंदन से तिलक करें और इसे मूर्ति पर भी अर्पित करें।
- पंचामृत: पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और चीनी) से अभिषेक करें।
- मंत्र पुष्पांजलि: पाठ के अंत में मंत्र पुष्पांजलि अर्पित करें।
लक्ष्मी कवच पाठ के नियम
- पूजा की पवित्रता: पाठ के समय पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- गुप्त साधना: लक्ष्मी कवच पाठ को गुप्त रखें और इसे अन्य लोगों से साझा न करें। यह साधना की गोपनीयता बनाए रखने में सहायक है।
- नियमितता: पाठ को नियमित रूप से करें, इसे बीच में न छोड़ें।
- आहार में सात्विकता: साधना के दौरान सात्विक आहार ग्रहण करें और तामसिक भोजन से दूर रहें।
- ध्यान और ध्यान: पाठ के पहले और बाद में ध्यान करें, जिससे मन की एकाग्रता बढ़े।
- ब्रह्मचर्य का पालन: साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- सकारात्मक विचार: पाठ के समय सकारात्मक विचार रखें और नकारात्मकता से दूर रहें।
- शुद्धता: साधना स्थल और साधना के समय की शुद्धता बनाए रखें।
- एकाग्रता: पाठ के समय मन को एकाग्र रखें और किसी भी प्रकार के भटकाव से बचें।
- वस्त्र: पाठ के समय हल्के रंग के वस्त्र पहनें, जो शुद्धता का प्रतीक हो।
लक्ष्मी कवच पाठ के दौरान सावधानियाँ
- स्वास्थ्य का ध्यान: यदि स्वास्थ्य समस्या है तो पाठ के दौरान विशेष सावधानी बरतें।
- मानसिक स्थिति: मानसिक शांति बनाए रखें और तनाव से दूर रहें।
- पाठ की सही विधि: पाठ की विधि का सही से पालन करें और किसी भी चरण को छोड़ें नहीं।
- ध्यान: पाठ के समय ध्यान रखें कि आप पूरी तरह से उसमें लीन हैं।
- संतुलित जीवनशैली: साधना के दौरान संतुलित जीवनशैली अपनाएं।
- खाने-पीने में संयम: साधना के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करें और संयम बनाए रखें।
- पूजा का स्थान: पूजा का स्थान साफ-सुथरा और पवित्र होना चाहिए।
- साधना का पालन: साधना को नियमित रूप से करें और बीच में इसे न छोड़ें।
- समर्पण: साधना के प्रति पूर्ण समर्पण और श्रद्धा बनाए रखें।
- आवश्यक वस्त्र: सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनें और साधना के समय शुद्धता का ध्यान रखें।
लक्ष्मी कवच पाठ से संबंधित प्रश्न और उनके उत्तर
- लक्ष्मी कवच पाठ क्या है?
- यह देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाने वाला एक शक्तिशाली पाठ है।
- इस पाठ का उद्देश्य क्या है?
- इसका उद्देश्य जीवन में समृद्धि, सुख, शांति और आर्थिक स्थिरता प्राप्त करना है।
- क्या लक्ष्मी कवच पाठ का जप कोई भी कर सकता है?
- हां, इसे कोई भी स्त्री या पुरुष कर सकता है।
- लक्ष्मी कवच पाठ का सही समय क्या है?
- ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) और संध्या के समय (शाम 6 से 8 बजे) इसका जप करना श्रेष्ठ माना गया है।
- क्या इस पाठ के लिए विशेष सामग्री की आवश्यकता है?
- हां, देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र, दीपक, धूप, फूल, चंदन, और पंचामृत की आवश्यकता होती है।
- पाठ की अवधि कितनी होनी चाहिए?
- इस पाठ की अवधि 41 दिनों तक होनी चाहिए।
- क्या पाठ के दौरान विशेष वस्त्र पहनने चाहिए?
- हल्के रंग के वस्त्र पहनने चाहिए, जैसे सफेद या पीला।
- क्या इस पाठ के लिए विशेष आहार का पालन करना आवश्यक है?
- हां, सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए और तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए।
- क्या इस पाठ को गुप्त रखा जाना चाहिए?
- हां, इस साधना को गुप्त रखना चाहिए।
- क्या इस पाठ से कर्ज मुक्ति संभव है?
- हां, इस पाठ से कर्ज और आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है।
- क्या इस पाठ से शत्रुओं से रक्षा होती है?
- हां, लक्ष्मी कवच पाठ से शत्रुओं से रक्षा होती है।
- पाठ के दौरान कौन से आसन का उपयोग करना चाहिए?
- कुश का आसन सबसे उत्तम माना गया है।
- क्या पाठ के समय संगीत सुन सकते हैं?
- पाठ के समय मौन और शांत वातावरण में जप करना चाहिए।
- क्या इस पाठ को नियमित रूप से करना आवश्यक है?
- हां, इसे नियमित रूप से करना चाहिए, और बीच में इसे नहीं छोड़ना चाहिए।
- क्या इस पाठ से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं?
- हां, श्रद्धा और विश्वास के साथ किए गए इस पाठ से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं।
लक्ष्मी कवच पाठ देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का एक अत्यंत प्रभावी साधन है। इसका सही विधि से पालन कर, साधक न केवल आर्थिक रूप से समृद्धि प्राप्त कर सकता है, बल्कि जीवन में सुख, शांति, और सुरक्षा भी सुनिश्चित कर सकता है। इस पाठ को गुप्त रखते हुए और नियमों का पालन करते हुए करने से इसके प्रभाव कई गुना बढ़ जाते हैं।