स्वाधिष्ठान चक्र जगाओ – रचनात्मकता और आनंद की बाढ़ लाओ
Activate Swadhisthana Chakra – स्वाधिष्ठान चक्र हमारे भीतर आनंद, रचनात्मकता और भावनात्मक स्वतंत्रता का स्रोत है। यह चक्र जल तत्व से जुड़ा है और जीवन में सहज बहाव की भावना देता है। जब यह चक्र असंतुलित होता है तो व्यक्ति अंदर से भारी महसूस करता है। मन में उत्साह घटता है और भावनाएं अव्यवस्थित लगती हैं। संबंधों में दूरी आती है और जीवन का आनंद कम हो जाता है।
DivyayogAshram के अनुसार स्वाधिष्ठान चक्र की सक्रियता व्यक्ति के भीतर नई रचनात्मक ऊर्जा जगाती है। भावनाएं संतुलित होती हैं। मन हल्का और आनंदित महसूस होता है। यह चक्र प्रेम, कल्पना, कला और भावनात्मक अनुभवों को गहराई देता है।
आज की व्यस्त दुनिया में यह चक्र अक्सर अवरुद्ध हो जाता है। लगातार तनाव, भावनाओं को दबाना और थकान इस चक्र को कमजोर कर देते हैं। सही साधना अपनाने से व्यक्ति अपने भीतर फिर से प्रवाह, सहजता और उत्साह महसूस करता है।
यह साधना सरल है और किसी भी व्यक्ति के लिए उपयुक्त है। थोड़े दिनों में ही मन का भारीपन दूर होता है और नए अनुभवों के लिए ऊर्जा जगती है। यह चक्र जीवन में आनंद, प्रेम और रचनात्मक क्षमता का विस्तार करता है।
स्वाधिष्ठान चक्र के सक्रिय होने से मिलने वाले फायदे
- रचनात्मकता और कल्पना शक्ति बढ़ती है।
- भावनात्मक तनाव कम होता है।
- संबंधों में निकटता और समझ बढ़ती है।
- जीवन में आनंद के नए स्रोत खुलते हैं।
- मन हल्का और संतुलित महसूस होता है।
- कला, संगीत और लेखन में प्रवाह बढ़ता है।
- भावनाओं को सही दिशा मिलती है।
- भीतर उत्साह और प्रेरणा बढ़ती है।
- नकारात्मकता कम महसूस होती है।
- संकोच और झिझक घटती है।
- आत्मविश्वास और आकर्षण बढ़ता है।
- जीवन में प्रवाह और सहजता आती है।
- पुरानी भावनात्मक चोटें शांत होती हैं।
- संबंधों में गर्माहट और मधुरता बढ़ती है।
- व्यक्ति भीतर से खुला और आनंदित महसूस करता है।
Activate Swadhisthana Chakra – विधि
1. स्थान और वातावरण तैयार करें
शांत स्थान चुनें। नारंगी आसन बिछाएं। एक दीपक जलाएं। वातावरण को स्वच्छ रखें।
2. श्वास को गहरा करें
धीमे श्वास लें और मुलायम श्वास छोड़ें। हर श्वास से मन शांत होता जाए।
3. ध्यान मुद्रा में बैठें
रीढ़ सीधी रखें। हाथ घुटनों पर रखें। आँखें हल्की बंद रखें। नाभि के नीचे वाले क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करें।
4. ऊर्जा की कल्पना करें
नाभि के नीचे एक नारंगी प्रकाश बिंदु कल्पित करें। यह प्रकाश हर श्वास में उज्ज्वल होता जाए।
5. मंत्र जप करें
मन ही मन यह मंत्र बोलें
“ॐ वं नमः”
इस मंत्र का कंपन स्वाधिष्ठान चक्र को सक्रिय करता है।
11 मिनट जप करें। चाहें तो नारंगी माला का उपयोग करें। इसके साथ माला लेने से लाभ और अधिक मिल सकता है।
6. जल तत्व की अनुभूति करें
कल्पना करें कि ऊर्जा भीतर एक शांत जल की तरह बह रही है।
7. साधना के अंत में कृतज्ञता व्यक्त करें
ईश्वर और ऊर्जा को धन्यवाद दें। यह कदम साधना को पूर्ण बनाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. यह साधना कौन करे?
वह व्यक्ति करे जिसे रचनात्मकता, भावनाओं या आनंद में बाधा महसूस हो।
2. क्या कुछ दिनों में बदलाव दिखता है?
हाँ। मन में हल्कापन और उत्साह जल्दी महसूस होता है।
3. क्या किसी विशेष रंग का उपयोग जरूरी है?
नारंगी रंग मन को ऊर्जा देता है। इसलिए इसका उपयोग लाभकारी है।
4. क्या इस चक्र से रिश्ते सुधरते हैं?
हाँ। यह चक्र भावनात्मक मेलजोल बढ़ाता है।
5. क्या इसे सुबह करना जरूरी है?
सुबह अच्छा समय है। पर शाम भी उपयुक्त रहती है।
6. क्या यह विधि भावनात्मक घावों को भरती है?
हाँ। यह भीतर की भावनाओं को संतुलित करती है।
7. क्या यह साधना रोज करनी चाहिए?
कम से कम 11 दिन लगातार करें। इससे ऊर्जा स्थिर होती है।
- DivyayogAshram’s 100+ Ebook
- Get mantra diksha
- BOOK Dhanada yakshini Sadhana Shivir- At DivyayogAshram
- BAGALAMUKHI EBOOK (HINDI & MARATHI)
- PITRA DOSHA NIVARAN PUJAN BOOKING
- Contact us for puja: 91 7710812329
स्वाधिष्ठान चक्र आनंद, रचनात्मकता और भावनात्मक सामंजस्य का केंद्र है। जब यह चक्र कमजोर होता है तो व्यक्ति भीतर से थका, दबा और असंतुलित महसूस करता है। DivyayogAshram के मार्गदर्शन से यह चक्र फिर से सक्रिय होकर जीवन में बहाव और सहजता लाता है।
इस सामग्री में स्वाधिष्ठान चक्र का महत्व, इसके लाभ और इसकी सरल जागरण विधि को स्पष्ट भाषा में समझाया गया है। “ॐ वं नमः” मंत्र का कंपन चक्र को ऊर्जा देकर भीतर से खोलता है। यह साधना किसी भी आयु के व्यक्ति के लिए उपयुक्त है।
भावनात्मक स्वतंत्रता, संबंधों में गर्माहट, रचनात्मक प्रवाह, और मानसिक हल्केपन के लिए यह साधना अत्यंत प्रभावी है। सही वातावरण, सही मनस्थिति और सही ध्यान प्रक्रिया इस चक्र को तेज़ी से सक्रिय करती है।







