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Aditya Vrat Rituals – Health and Success

आदित्य व्रत के अद्भुत लाभ – स्वास्थ्य, समृद्धि और मानसिक शांति का स्रोत

आदित्य व्रत सूर्यदेव की उपासना के लिए किया जाता है। सूर्यदेव जीवन के स्रोत हैं। उनकी आराधना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रवाह होता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ माना जाता है, जो अपने पूराने रोगों से परेशान हैं।

आदित्य व्रत का मुहूर्त

आदित्य व्रत का सही समय सूर्योदय के पहले और सूर्यास्त के बाद होता है। इस व्रत को अश्विन मास के रविवार से प्रारंभ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। आदित्य व्रत की पूजा सूर्योदय के समय करनी चाहिए। यह समय सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि सूर्यदेव की कृपा का प्रभाव सबसे अधिक होता है।

आदित्य व्रत विधि

  • स्नान: प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • सूर्य देव की स्थापना: पूर्व दिशा की ओर मुख करके दीपक जलाएं।
  • मंत्र जाप: सूर्यदेव के समक्ष “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
  • तांबे के लोटे से जल अर्पण: सूर्य को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं।

मंत्र:

ॐ घृणि सूं सूर्याय नमः

सूर्य को अर्घ्य देने के बाद उनका ध्यान करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।

व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं

  • क्या खाएं: फल, दूध, मेवा, और उपवास वाले विशेष आहार।
  • क्या न खाएं: तामसिक भोजन, मसालेदार और मांसाहारी भोजन से बचें।

आदित्य व्रत से लाभ

  1. स्वास्थ्य में सुधार।
  2. सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
  3. धन-संपत्ति में वृद्धि।
  4. मन की शांति।
  5. वैवाहिक जीवन में सुख।
  6. संतान सुख की प्राप्ति।
  7. लंबी आयु।
  8. रोगों से मुक्ति।
  9. मनोकामनाओं की पूर्ति।
  10. मानसिक शांति।
  11. सकारात्मक विचारधारा।
  12. शत्रुओं से रक्षा।
  13. करियर में सफलता।
  14. आत्मविश्वास में वृद्धि।
  15. पारिवारिक कलह से मुक्ति।
  16. आर्थिक स्थिरता।
  17. भौतिक सुखों की प्राप्ति।

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व्रत के नियम

  • सूर्योदय से पहले उठें।
  • शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • दिनभर अन्न का त्याग करें।
  • सूर्यदेव के मंत्र का जाप करें।
  • दिन में दो बार सूर्य को जल अर्पित करें।

आदित्य व्रत की संपूर्ण कथा

आदित्य व्रत की कथा का प्रमुख प्रसंग सांब से जुड़ा हुआ है, जो भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र थे। एक बार सांब ने महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण कुष्ठ रोग से पीड़ित हो गए। श्रीकृष्ण ने उन्हें सूर्यदेव की उपासना करने और आदित्य व्रत का पालन करने की सलाह दी। सूर्यदेव को स्वास्थ्य और जीवन के देवता माना जाता है, और उनकी उपासना से रोगों का नाश होता है।

सांब ने भगवान सूर्य की उपासना करते हुए यह व्रत किया। सूर्योदय के समय उन्होंने तांबे के पात्र में जल भरकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित किया और आदित्य मंत्र का जाप किया:

ॐ घृणि सूर्याय नमः

सांब ने पूरे विधि-विधान से यह व्रत किया और कुछ ही समय बाद उनका कुष्ठ रोग ठीक हो गया। इस प्रकार, भगवान सूर्य की कृपा से वे रोगमुक्त हो गए। यह कथा यह सिखाती है कि आदित्य व्रत के पालन से न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रोगों से भी मुक्ति मिलती है।

आदित्य व्रत की कथा धार्मिक ग्रंथों में अत्यधिक प्रभावशाली मानी गई है, और इसे करने से व्यक्ति को सभी प्रकार की पीड़ाओं और कष्टों से मुक्ति मिलती है

भोग

सूर्यदेव को गुड़, तिल और चावल का भोग चढ़ाएं। इनसे सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

व्रत की शुरुआत और समाप्ति

  • व्रत की शुरुआत: रविवार को सूर्योदय से पहले करें।
  • व्रत की समाप्ति: सूर्यास्त के बाद जल ग्रहण कर व्रत तोड़ें।

सावधानियाँ

  • व्रत के दौरान तामसिक विचारों से दूर रहें।
  • केवल शुद्ध भोजन का सेवन करें।
  • व्रत के नियमों का कड़ाई से पालन करें।
  • सूर्यदेव का अपमान न करें।
  • व्रत के समय संयम रखें।

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आदित्य व्रत प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: आदित्य व्रत का महत्व क्या है?
उत्तर: यह व्रत सूर्यदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है, जो जीवन में सुख और समृद्धि लाता है।

प्रश्न 2: आदित्य व्रत कब करना चाहिए?
उत्तर: आदित्य व्रत रविवार को सूर्योदय के समय करना शुभ माना जाता है।

प्रश्न 3: व्रत में किस मंत्र का जाप करना चाहिए?
उत्तर: “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए।

प्रश्न 4: व्रत में क्या खाया जा सकता है?
उत्तर: फल, दूध, और उपवास वाले विशेष आहार खा सकते हैं।

प्रश्न 5: आदित्य व्रत से कौन-कौन से लाभ होते हैं?
उत्तर: यह व्रत स्वास्थ्य, समृद्धि, और मानसिक शांति प्रदान करता है।

प्रश्न 6: क्या इस व्रत में अन्न का त्याग आवश्यक है?
उत्तर: हां, दिनभर अन्न का त्याग करना चाहिए।

प्रश्न 7: सूर्यदेव को जल चढ़ाने का महत्व क्या है?
उत्तर: जल चढ़ाने से सूर्यदेव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

प्रश्न 8: व्रत के दौरान कौन से नियमों का पालन करना चाहिए?
उत्तर: सूर्योदय से पहले उठें, शुद्ध वस्त्र धारण करें, और अन्न का त्याग करें।

प्रश्न 9: व्रत की समाप्ति कब करनी चाहिए?
उत्तर: सूर्यास्त के बाद जल ग्रहण कर व्रत समाप्त करें।

प्रश्न 10: क्या व्रत के समय तामसिक भोजन का सेवन कर सकते हैं?
उत्तर: नहीं, तामसिक भोजन का सेवन वर्जित है।

प्रश्न 11: क्या आदित्य व्रत से स्वास्थ्य लाभ होता है?
उत्तर: हां, यह व्रत स्वास्थ्य में सुधार लाता है।

प्रश्न 12: व्रत के समय कौन-कौन से भोग चढ़ाने चाहिए?
उत्तर: सूर्यदेव को गुड़, तिल, और चावल का भोग चढ़ाएं।

BOOK (10 JUNE 2025) KATYAYANI KUMBH VIVAH PUJAN (VAT PURNIMA) SHIVIR AT DIVYAYOGA ASHRAM (ONLINE/ OFFLINE)

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