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Akashagami Chetak Mantra – Discover Spiritual Growth

आकाशगामि चेटक मंत्र: पाप मुक्ति, उन्नति और बाधा निवारण का अद्भुत उपाय

आकाशगामि चेटक मंत्र का अभ्यास साधक को पापों से मुक्ति, ऊपरी बाधाओं से राहत और जीवन में उन्नति प्रदान करता है। यह मंत्र आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है, जो व्यक्ति के मानसिक और भौतिक जीवन में सकारात्मकता भरता है। यह साधना जीवन के हर क्षेत्र में सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है। मंत्र का जप न केवल आत्मिक शुद्धि का माध्यम है, बल्कि दैविक कृपा पाने का सशक्त उपाय भी है।


दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र व उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र:

  • “ॐ पूर्वाय नमः।
  • ॐ आग्नेयाय नमः।
  • ॐ दक्षिणाय नमः।
  • ॐ नैऋत्याय नमः।
  • ॐ पश्चिमाय नमः।
  • ॐ वायव्याय नमः।
  • ॐ उत्तराय नमः।
  • ॐ ईशानाय नमः।
  • ॐ ऊर्ध्वाय नमः।
  • ॐ अधः स्वाहाः।”

अर्थ:

यह दिग्बंधन मंत्र दसों दिशाओं में सुरक्षा और ऊर्जा का कवच निर्मित करता है। इसका भावार्थ इस प्रकार है:

  • “ॐ पूर्वाय नमः”: पूर्व दिशा के देवता को नमन, जो ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक हैं।
  • “ॐ आग्नेयाय नमः”: आग्नेय दिशा के देवता को प्रणाम, जो ऊर्जा और शक्ति के दाता हैं।
  • “ॐ दक्षिणाय नमः”: दक्षिण दिशा के रक्षक देवता को वंदन, जो संकटों से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
  • “ॐ नैऋत्याय नमः”: नैऋत्य दिशा के अधिष्ठाता को नमन, जो बुरी शक्तियों का नाश करते हैं।
  • “ॐ पश्चिमाय नमः”: पश्चिम दिशा के देवता को प्रणाम, जो स्थिरता और शांति के प्रतीक हैं।
  • “ॐ वायव्याय नमः”: वायव्य दिशा के अधिष्ठाता को वंदन, जो स्वास्थ्य और जीवन में संतुलन बनाए रखते हैं।
  • “ॐ उत्तराय नमः”: उत्तर दिशा के देवता को नमन, जो समृद्धि और आध्यात्मिक विकास प्रदान करते हैं।
  • “ॐ ईशानाय नमः”: ईशान दिशा के देवता को प्रणाम, जो सभी दिशाओं के स्वामी और दैविक ऊर्जा के स्रोत हैं।
  • “ॐ ऊर्ध्वाय नमः”: आकाश दिशा के देवता को नमन, जो दिव्यता और आत्मिक उन्नति के प्रतीक हैं।
  • “ॐ अधः स्वाहाः”: पाताल दिशा के रक्षक देवता को वंदन, जो भौतिक और आध्यात्मिक स्थायित्व प्रदान करते हैं।

दिग्बंधन का उद्देश्य

यह मंत्र साधक के चारों ओर सुरक्षा का घेरा बनाता है और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है। यह ध्यान, साधना, या किसी विशेष अनुष्ठान से पहले किया जाता है ताकि साधना निर्विघ्न और सकारात्मक रूप से संपन्न हो सके।


आकाशगामि चेटक मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र:

“ॐ ह्रीं ॐ हुं हुं हुं ॐ”

संपूर्ण अर्थ:

यह मंत्र आकाशगामि चेटक की दिव्य शक्ति और कृपा का आह्वान करता है। इस मंत्र में प्रयुक्त हर शब्द का गहन अर्थ और महत्व है:

  • “ॐ”: यह ब्रह्मांड की आदिशक्ति और परमात्मा का प्रतीक है। यह मंत्र का आरंभ करते हुए ऊर्जा को केंद्रित करता है और साधक को ईश्वर से जोड़ता है।
  • “ह्रीं”: यह बीज मंत्र देवी और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। यह साधक को पापों से मुक्त करता है और भीतर की शुद्धि करता है।
  • “हुं हुं हुं”: यह मंत्र की शक्ति का विस्तार है। यह शब्द तीन बार उच्चारित होता है, जो शरीर, मन, और आत्मा की शुद्धि और सुरक्षा करता है। यह नकारात्मक ऊर्जाओं और बाधाओं को दूर करता है।
  • “ॐ”: पुनः ॐ का उच्चारण साधना को पूर्णता और सकारात्मक ऊर्जा से भरने के लिए किया जाता है।

भावार्थ:

आकाशगामि चेटक मंत्र साधक को शुद्धता, सुरक्षा, और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है। यह न केवल पापों से मुक्ति का मार्ग है, बल्कि जीवन में उन्नति और समृद्धि का साधन भी है। यह मंत्र उन सभी बाधाओं और परेशानियों को दूर करता है, जो साधक की प्रगति में रुकावट बनती हैं।

मंत्र के जप का प्रभाव:

  1. यह साधक को मानसिक शांति प्रदान करता है।
  2. आंतरिक और बाहरी नकारात्मक ऊर्जाओं को समाप्त करता है।
  3. आध्यात्मिक बल और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
  4. यह साधक के जीवन में दिव्यता और सकारात्मकता का संचार करता है।

जप काल में इन चीजों का सेवन ज्यादा करें

  • देसी घी
  • ताजे फल
  • शुद्ध दूध
  • सात्त्विक भोजन
  • तुलसी का सेवन
  • मेवे और शहद
  • मुनक्का
  • नारियल पानी
  • गंगाजल
  • नींबू पानी
  • अदरक का रस
  • हल्दी का दूध
  • हरी सब्जियां
  • नीम की पत्तियां
  • आंवला
  • त्रिफला
  • पवित्र जल

आकाशगामि चेटक मंत्र साधना विधि

सामग्री:

  • सफेद वस्त्र
  • एक दीपक
  • कुमकुम और हल्दी
  • सफेद फूल
  • तांबे का लोटा
  • गौमूत्र
  • सफेद चंदन

मंत्र जप का दिन, अवधि और मुहूर्त:

  • दिन: सोमवार या पूर्णिमा
  • अवधि: 20 मिनट
  • मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे)

विधि:

  1. स्वच्छ स्थान पर आसन लगाएं।
  2. दीपक जलाएं।
  3. आकाशगामि चेटक मंत्र का जप करें।
  4. सफेद फूल अर्पित करें।
  5. अंत में भगवान को धन्यवाद दें।

मंत्र जप के नियम

  1. जप के समय 20 वर्ष से ऊपर होना चाहिए।
  2. स्त्री-पुरुष कोई भी साधना कर सकते हैं।
  3. नीले या काले कपड़े न पहनें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से बचें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

Panchanguli sadhana shivir


जप में सावधानियां

  • पवित्रता बनाए रखें।
  • गलत उच्चारण न करें।
  • जप के दौरान मन को एकाग्र रखें।
  • नकारात्मक विचारों से बचें।

Get mantra diksha


आकाशगामि चेटक मंत्र के लाभ

  1. पापों से मुक्ति।
  2. मानसिक शांति।
  3. ऊपरी बाधाओं का निवारण।
  4. दैविक कृपा।
  5. आत्मिक शुद्धि।
  6. जीवन में उन्नति।
  7. रोगों से छुटकारा।
  8. धन में वृद्धि।
  9. परिवार में सुख-शांति।
  10. शिक्षा में सफलता।
  11. कार्यक्षेत्र में उन्नति।
  12. शत्रुओं से रक्षा।
  13. आध्यात्मिक विकास।
  14. सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
  15. मानसिक बल में वृद्धि।
  16. जीवन में स्थिरता।
  17. संबंधों में मधुरता।
  18. परमात्मा से जुड़ाव।

Akashgami chetak sadhana with diksha


मंत्र जप से संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न: क्या यह मंत्र हर किसी के लिए प्रभावी है?

उत्तर: हां, यह मंत्र सभी के लिए प्रभावी है, लेकिन नियमों का पालन करना जरूरी है।

प्रश्न: मंत्र का जप कब शुरू करें?

उत्तर: सोमवार या पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में जप शुरू करें।

प्रश्न: मंत्र जप के दौरान क्या पहनना चाहिए?

उत्तर: सफेद वस्त्र पहनें।

प्रश्न: क्या साधना के दौरान नकारात्मक विचार प्रभावित करते हैं?

उत्तर: हां, नकारात्मक विचार साधना में बाधा डाल सकते हैं।

प्रश्न: क्या महिलाएं इस मंत्र का जप कर सकती हैं?

उत्तर: हां, महिलाएं भी इस मंत्र का जप कर सकती हैं।


यह साधना जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाने वाली है। आकाशगामि चेटक मंत्र साधक को परमात्मा से जोड़ता है और आध्यात्मिक बल प्रदान करता है।

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