Buy now

spot_img
spot_img

आनंद यक्षिणी / Ananda Yakshini Mantra

आनंद यक्षिणी मंत्र जीवन में आनंद और समृद्धि प्राप्त करने की साधना

आनंद यक्षिणी मंत्र एक प्राचीन तांत्रिक साधना है जो आनंद, समृद्धि और जीवन के हर पहलू में सफलता प्राप्त करने के लिए जपा जाता है। यह मंत्र यक्षिणियों की शक्ति को जागृत करता है और साधक को आध्यात्मिक एवं भौतिक लाभ प्रदान करता है। इस मंत्र का जप विशेष रूप से मानसिक और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए किया जाता है।

मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं आनंद यक्षिणे स्वाहा

अर्थ:
“ॐ” से ब्रह्मांडीय ऊर्जा का आह्वान होता है।
“ह्रीं” माँ शक्ति का बीज मंत्र है जो मानसिक संतुलन और आंतरिक शांति लाता है।
“श्रीं” धन और समृद्धि का प्रतीक है।
“क्लीं” आकर्षण और सफलता का मंत्र है।
“ऐं” विद्या और बुद्धि का आह्वान करता है।
“आनंद यक्षिणे” आनंद यक्षिणी का आह्वान करता है, जो आनंद और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं।
“स्वाहा” मंत्र को पूर्णता देता है, इसका अर्थ है ‘यह अर्पित है’।

मंत्र जप के लाभ

  1. मानसिक शांति और आनंद की प्राप्ति।
  2. धन, वैभव और समृद्धि में वृद्धि।
  3. रोजगार और व्यापार में सफलता।
  4. शत्रुओं से मुक्ति।
  5. रिश्तों में सुधार।
  6. प्रेम और आकर्षण की वृद्धि।
  7. बाधाओं का निवारण।
  8. आध्यात्मिक शक्ति का विकास।
  9. स्वास्थ्य लाभ।
  10. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा।
  11. आत्मविश्वास में वृद्धि।
  12. लक्ष्यों की प्राप्ति।
  13. पारिवारिक सुख-शांति।
  14. शिक्षा और बुद्धि में वृद्धि।
  15. कार्यों में सफलता।
  16. व्यक्तिगत और व्यावसायिक उन्नति।
  17. सकारात्मक ऊर्जा का विस्तार।

मंत्र विधि

जप का दिन

आनंद यक्षिणी मंत्र का जप किसी भी शुभ दिन प्रारंभ किया जा सकता है, विशेष रूप से शुक्रवार को। यह दिन देवी की पूजा और तांत्रिक साधनाओं के लिए शुभ माना जाता है।

जप की अवधि और मुहूर्त

  • मंत्र जप के लिए 11 से 21 दिनों की साधना करें।
  • प्रत्येक दिन सूर्योदय या सूर्यास्त के समय जप करना श्रेष्ठ माना जाता है।
  • मंत्र जप के लिए ब्रह्म मुहूर्त (प्रातः 4 से 6 बजे) विशेष शुभ माना जाता है।

मंत्र जप

  • 11 से 21 दिन तक निरंतर मंत्र का जप करें।
  • प्रतिदिन 11 माला (एक माला में 108 मंत्र) यानी कुल 1188 मंत्र जपें।
  • माला रुद्राक्ष या स्फटिक की होनी चाहिए।

सामग्री

  1. पीला वस्त्र बिछाएं।
  2. घी का दीपक जलाएं।
  3. सफेद चंदन और केसर का तिलक करें।
  4. फल और मिठाई का भोग लगाएं।
  5. गुलाब या कमल का फूल चढ़ाएं।

Spiritual store

मंत्र जप के नियम

  1. 20 वर्ष से ऊपर के स्त्री-पुरुष दोनों जप कर सकते हैं।
  2. नीले और काले वस्त्र न पहनें।
  3. धूम्रपान, मद्यपान, पान और मांसाहार का सेवन न करें।
  4. ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  5. दिनचर्या और आहार शुद्ध रखें।
  6. माता-पिता और गुरु का आशीर्वाद लें।
  7. साधना के दौरान नकारात्मक विचारों से बचें।

जप के दौरान सावधानियां

  1. मानसिक एकाग्रता बनाए रखें।
  2. मंत्र का उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट हो।
  3. कोई बाहरी व्यक्ति जप के दौरान न हो।
  4. साधना के दौरान अनुशासन का पालन करें।
  5. क्रोध और तनाव से बचें।
  6. किसी भी प्रकार का अधर्म न करें।

Know more about yakshini mantra vidhi

आनंद यक्षिणी मंत्र पृश्न-उत्तर

1. मंत्र का कौन जप कर सकता है?

आनंद यक्षिणी मंत्र का जप 20 वर्ष से ऊपर के स्त्री और पुरुष कर सकते हैं। साधक को नियमों का पालन करना आवश्यक है।

2. क्या नीले और काले कपड़े पहन सकते हैं?

नहीं, नीले और काले रंग के कपड़े पहनना निषेध है। इन रंगों को नकारात्मक ऊर्जा से संबंधित माना जाता है।

3. क्या साधना के दौरान मांसाहार कर सकते हैं?

साधना के दौरान मांसाहार, धूम्रपान, मद्यपान और पान का सेवन पूर्णतया वर्जित है।

4. कितने दिनों तक मंत्र जप करना चाहिए?

मंत्र जप की अवधि 11 से 21 दिन तक होनी चाहिए। प्रत्येक दिन 11 माला (1188 मंत्र) का जप करना होता है।

5. क्या ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है?

हाँ, साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है। इससे साधक की ऊर्जा का संरक्षण होता है।

6. क्या जप के समय कोई विशेष समय होता है?

मंत्र जप के लिए प्रातः ब्रह्म मुहूर्त (4 से 6 बजे) या सूर्यास्त का समय सर्वोत्तम माना जाता है।

7. कौन से फूल का उपयोग किया जा सकता है?

साधना के दौरान गुलाब या कमल के फूल का उपयोग करना शुभ होता है।

8. क्या साधना के दौरान कोई विशेष स्थान होना चाहिए?

साधना किसी शांत और स्वच्छ स्थान पर करनी चाहिए जहाँ कोई व्यवधान न हो।

9. क्या मंत्र का उच्चारण महत्वपूर्ण है?

हाँ, मंत्र का शुद्ध उच्चारण अत्यंत महत्वपूर्ण है। गलत उच्चारण से साधना निष्फल हो सकती है।

10. क्या साधना के दौरान बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित है?

साधना के दौरान बाहरी व्यक्ति का हस्तक्षेप वर्जित है ताकि साधक की ऊर्जा प्रभावित न हो।

11. मंत्र का जप करने से क्या शत्रुओं से मुक्ति मिलती है?

हाँ, आनंद यक्षिणी मंत्र का जप शत्रुओं से मुक्ति और सुरक्षा प्रदान करता है।

12. क्या साधना के दौरान मन में नकारात्मक विचार आ सकते हैं?

साधना के दौरान नकारात्मक विचारों से बचने के लिए एकाग्रता बनाए रखें और मन को शांत रखें।

spot_img
spot_img

Related Articles

Stay Connected

65,000FansLike
782,365SubscribersSubscribe
spot_img
spot_img

Latest Articles

spot_img
spot_img
Select your currency