अनंग त्रयोदशी 2025 – मंत्र, लाभ और विधि
अनंग त्रयोदशी मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव, पार्वती, कामदेव और रति की पूजा की जाती है। यह व्रत प्रेमी जोड़ों के लिए बहुत खास माना जाता है। वर्ष 2025 में यह व्रत 2 दिसंबर, मंगलवार को पड़ रहा है। इस दिन त्रयोदशी तिथि का आरंभ 1 दिसंबर को दोपहर 12:30 बजे से होगा, जो 2 दिसंबर को दोपहर 2:45 बजे समाप्त होगी।
व्रत मंत्र
- ॥ॐ क्लीं अनंगाय कामदेवाय क्लीं नमः॥ (OM KLEEM ANANGAAY KAAMDEVAAY KLEEM NAMAHA)
अनंग त्रयोदशी की विधि
- व्रत की तैयारी:
- एकादशी के पूर्व दशमी तिथि को ब्रह्मचर्य रहे।
- त्रयोदशी तिथि के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा विधि:
- भगवान शिव, पार्वती या कामदेव और रति की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- इनकी विधिवत पूजा करें।
- इन मंत्रों का जाप करें।
- दीप प्रज्ज्वलित करें और धूप-अगरबत्ती लगाएं।
- भगवान को फल, फूल और मिठाई अर्पित करें।
- रात्रि में भजन-कीर्तन करें।
- व्रत का पारण:
- चतुर्दशी तिथि को सूर्योदय के बाद ही व्रत का पारण करें।
- ब्राह्मणों को भोजन खिलाएं और दान दें।
- इसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें।
ध्यान रखने योग्य बातें
- गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली महिलाएं, बीमार लोग और बच्चे इस व्रत को न रखें।
- यदि आप व्रत नहीं रख सकते हैं तो भी आप इस दिन भगवान शिव, पार्वती, कामदेव और रति की पूजा कर सकते हैं और दान कर सकते हैं।
अनंग त्रयोदशी व्रत एक विशेष व्रत है जिसे भगवान कामदेव और देवी रति की पूजा के लिए किया जाता है। इसे करने से विवाह, प्रेम और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
व्रत के लाभ
- विवाह में सफलता: यह व्रत उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो विवाह में विलंब या समस्या का सामना कर रहे हैं।
- प्रेम संबंधों में सुधार: यह व्रत प्रेम संबंधों को मजबूत करता है और उनमें सुधार लाता है।
- पति-पत्नी के बीच प्रेम: व्रत करने से पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास में वृद्धि होती है।
- दाम्पत्य जीवन में सुख: इस व्रत को करने से दाम्पत्य जीवन में सुख और संतोष प्राप्त होता है।
- सौंदर्य और आकर्षण: व्रत करने से व्यक्ति के आकर्षण और सौंदर्य में वृद्धि होती है।
- संतान सुख: इस व्रत को करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और संतान से जुड़े कष्ट दूर होते हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह व्रत आध्यात्मिक दृष्टि से उन्नति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
- समृद्धि और सौभाग्य: व्रत करने से व्यक्ति को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- शांति और संतोष: मन में शांति और संतोष का भाव उत्पन्न होता है।
- किसी भी प्रकार के तनाव का नाश: मानसिक तनाव और चिंताओं का नाश होता है।
- सौभाग्य की प्राप्ति: यह व्रत जीवन में सौभाग्य और अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करता है।
- शत्रुओं से रक्षा: व्रत करने से शत्रुओं से रक्षा होती है और जीवन में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है।
- धर्मिक लाभ: इस व्रत को करने से धर्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: यह व्रत जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
- कष्टों का निवारण: जीवन में आने वाले कष्टों का निवारण होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
अनंग त्रयोदशी व्रत -सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न
अनंग त्रयोदशी व्रत कब किया जाता है?
- यह व्रत फाल्गुन महीने की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है।
व्रत का उद्देश्य क्या है?
- इस व्रत का उद्देश्य प्रेम, सौंदर्य, और विवाह में सफलता प्राप्त करना है।
इस व्रत में किस देवता की पूजा की जाती है?
- भगवान कामदेव और देवी रति की पूजा की जाती है।
क्या यह व्रत केवल विवाहित लोग कर सकते हैं?
- नहीं, इसे अविवाहित और विवाहित दोनों कर सकते हैं, विशेष रूप से विवाह की कामना रखने वाले।
व्रत के दिन क्या नियमों का पालन करना चाहिए?
- शुद्धता, संयम, और फलाहार का पालन करना चाहिए, साथ ही तामसिक भोजन से बचना चाहिए।
व्रत में कौन सा मंत्र जाप किया जाता है?
- “ॐ कामदेवाय विद्महे, पुष्पबाणाय धीमहि, तन्नो अनंगः प्रचोदयात्” मंत्र का जाप किया जाता है।
क्या इस व्रत को करते समय दिनभर उपवास रखना होता है?
- हाँ, उपवास रखना चाहिए और शाम को पूजा के बाद ही भोजन करना चाहिए।
क्या इस व्रत को स्त्रियाँ भी कर सकती हैं?
- हाँ, पुरुष और स्त्रियाँ दोनों इस व्रत को कर सकते हैं।
इस व्रत का क्या धार्मिक महत्व है?
- यह व्रत प्रेम, सौंदर्य, और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
व्रत के दौरान कौन सी पूजा सामग्री आवश्यक होती है?
- पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, और कामदेव की प्रतिमा या चित्र की आवश्यकता होती है।
इस व्रत में कोई विशेष कथा सुननी चाहिए?
- हाँ, कामदेव और रति की कथा सुननी चाहिए।
व्रत के दिन कोई विशेष उपाय करना चाहिए?
- हाँ, व्रत के दिन भगवान कामदेव और रति की विधिवत पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
इस व्रत को केवल एक बार करना चाहिए या नियमित रूप से?
- इसे नियमित रूप से या कम से कम साल में एक बार करना चाहिए।