गणेश संकष्टी चतुर्थी – व्रत, विधि और लाभ
सबके कार्य को सफल बनाने वाले भगवान श्री गणेश का महत्वपूर्ण दिन गणेश संकष्टी माना जाता है। गणेश संकष्टी चतुर्थी, जिसे सकट चौथ और विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दौरान आने वाली चतुर्थी तिथि को विशेष रूप से महा सकट चौथ कहा जाता है।
गणेश संकष्टी मंत्र
॥ॐ गं ग्लौं गणपतये नमः॥ (OM GAMM GLAUM GANAPATAYE NAMAHA)
गणेश संकष्टी व्रत विधि
- गणेश संकष्टी व्रत की तैयारी:
- एकादशी के पूर्व दशमी तिथि को ब्रह्मचर्य रहे।
- चतुर्थी तिथि के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- गणेश संकष्टी पूजा विधि:
- भगवान गणेश की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- उनको गंगाजल, दूध, घी, शहद और फूल अर्पित करें।
- गणपति स्तोत्र और गणेश चालीसा का पाठ करें।
- दीप प्रज्ज्वलित करें और धूप-अगरबत्ती लगाएं।
- भगवान गणेश को मोदक, लड्डू और अन्य मिठाई का भोग लगाएं।
- रात्रि में भजन-कीर्तन करें।
- गणेश संकष्टी व्रत का पारण:
- अगले दिन पंचमी तिथि को सूर्योदय के बाद ही व्रत का पारण करें।
- ब्राह्मणों को भोजन खिलाएं और दान दें।
- इसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें।
गणेश संकष्टी मे ध्यान रखने योग्य बातें
- गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली महिलाएं, बीमार लोग और बच्चे इस व्रत को न रखें।
- यदि आप व्रत नहीं रख सकते हैं तो भी आप इस दिन भगवान गणेश की पूजा कर सकते हैं और दान कर सकते हैं।
गणेश संकष्टी व्रत के लाभ
- विघ्नों का नाश: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना जाता है, इसलिए संकष्टी व्रत करने से जीवन में आने वाले विघ्नों का नाश होता है।
- समृद्धि और सौभाग्य: इस व्रत को करने से धन, संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- स्वास्थ्य लाभ: इस व्रत को करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- मनोकामना पूर्ति: गणेश संकष्टी व्रत से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- शांति और संतोष: यह व्रत मन में शांति और संतोष का भाव उत्पन्न करता है।
- विवाह में सफलता: जो लोग विवाह में समस्या का सामना कर रहे हैं, उन्हें यह व्रत करने से लाभ होता है।
- परिवारिक सुख: परिवार में सुख और समृद्धि बढ़ती है।
- शत्रुओं पर विजय: इस व्रत से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
- धार्मिक लाभ: इस व्रत से धार्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है।
- धैर्य और साहस: यह व्रत धैर्य और साहस में वृद्धि करता है।
- बाधाओं का निवारण: जीवन में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह व्रत आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।
- ज्ञान और बुद्धि: गणेश जी को बुद्धि का देवता माना जाता है, इसलिए इस व्रत से ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है।
- कार्यक्षेत्र में सफलता: यह व्रत कार्यक्षेत्र में सफलता और उन्नति दिलाने में सहायक होता है।
- कर्ज से मुक्ति: संकष्टी व्रत करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न
गणेश संकष्टी व्रत कब किया जाता है?
- यह व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है।
संकष्टी व्रत के दिन क्या विशेष पूजा की जाती है?
- भगवान गणेश की विधिवत पूजा, गणपति स्तोत्र का पाठ, और गणेश चालीसा का पाठ किया जाता है।
क्या इस व्रत में व्रती को दिन भर उपवास रखना चाहिए?
- हाँ, इस व्रत में व्रती को सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक उपवास रखना चाहिए।
क्या फलाहार किया जा सकता है?
- हाँ, फलाहार किया जा सकता है, लेकिन कुछ लोग निराहार भी रहते हैं।
क्या इस व्रत को महिलाएं भी कर सकती हैं?
- हाँ, पुरुष और महिलाएं दोनों इस व्रत को कर सकते हैं।
क्या व्रत के दिन कुछ खास चीजों से परहेज करना चाहिए?
- हाँ, मांस, मदिरा, और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
इस व्रत का क्या धार्मिक महत्व है?
- यह व्रत भगवान गणेश की कृपा प्राप्ति और विघ्नों के नाश के लिए किया जाता है।
क्या इस व्रत को करने से गणेश जी की कृपा जल्दी प्राप्त होती है?
- हाँ, विश्वासपूर्वक व्रत करने से गणेश जी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
क्या संकष्टी व्रत एक ही दिन में पूरा होता है?
- हाँ, यह व्रत चतुर्थी के दिन शुरू होकर उसी दिन समाप्त होता है।
क्या इस व्रत में पूजा के समय गणपति की मूर्ति विशेष होनी चाहिए?
- पूजा के लिए मिट्टी की गणपति मूर्ति का उपयोग करना शुभ माना जाता है।
क्या इस व्रत को नियमित रूप से करना चाहिए?
- हाँ, अधिकतम लाभ के लिए इसे नियमित रूप से करना चाहिए।
क्या इस व्रत को करने से किसी भी मनोकामना की पूर्ति हो सकती है?
- हाँ, यह व्रत मनोकामना पूर्ति के लिए अति प्रभावी माना जाता है।
क्या व्रत के दौरान किसी विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए?
- हाँ, “ॐ गं ग्लौं गणपतये नमः” का जाप करना चाहिए।
क्या संकष्टी व्रत की पूजा घर में ही की जा सकती है?
- हाँ, पूजा घर में भी की जा सकती है, लेकिन मंदिर में करना अधिक शुभ माना जाता है।
क्या संकष्टी व्रत में व्रती को पूरी रात जागरण करना चाहिए?
- नहीं, पूरी रात जागरण करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन इच्छानुसार किया जा सकता है।