Bhairavi chalisa paath for protections

Bhairavi gupta chalisa paath नकारात्मक उर्जा को नष्ट कर देवताओ की कृपा दिलाने वाली भैरवी चालीसा का पाठ करने से अनेक लाभ होते हैं। माँ भैरवी, देवी दुर्गा के एक स्वरूप हैं, जो अपनी शक्ति, साहस और करुणा के लिए जानी जाती हैं। भैरवी चालीसा एक महत्त्वपूर्ण भक्ति पाठ है, जिसे पाठ करने से माँ भैरवी की कृपा प्राप्त होती है। इस चालीसा का नियमित पाठ करने से भक्तों को विभिन्न लाभ मिलते हैं, जैसे मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ, आर्थिक समृद्धि आदि।

चालीसा

॥ दोहा ॥
जय भैरवी माँ जगदंबा, करुणा सागर प्यारी।
चालीसा की बाणी से, दूर करो सब भारी॥

जय भैरवी माँ, शक्ति रूपा, संकट हरने वाली।
भक्तों के दुःख हरने को, सदा कृपा करने वाली॥

सप्तशती में वर्णित तेरा, रूप महिमा भारी।
चंड-मुंड संहारिणी, महिषासुर मर्दिनी न्यारी॥

काली का तुम रूप धारण, शुंभ-निशुंभ संहारी।
भक्तों के संकट हरने, आयी दुष्ट संघारी॥

करुणा तेरी अपरम्पार, भक्तों पर जो करे।
ध्यान लगाए जो सच्चा, संकट सब टाले॥

नमो नमो जगदंबा माता, भवसागर तरने।
तुम्हरे ध्यान लगावे जो, संताप मिटाने॥

नवदुर्गा का रूप धारण, भक्तन के हितकारी।
करुणा की अवतार तुम्हीं, त्राहि त्राहि हारी॥

भैरवी माँ की महिमा गाऊं, मन में श्रद्धा धारण।
दुष्ट दलन की शक्ति तुम्हीं, सबका उद्धार करने॥

सर्वसिद्धि देने वाली, संकट हरण हारी।
जय जय भैरवी माँ, करुणा सागर प्यारी॥

लाभ

  1. मानसिक शांति: भैरवी चालीसा का पाठ करने से मन में शांति और स्थिरता आती है।
  2. आध्यात्मिक प्रगति: यह आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वालों के लिए लाभदायक होता है।
  3. स्वास्थ्य लाभ: इससे स्वास्थ्य में सुधार होता है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
  4. सकारात्मक ऊर्जा: भैरवी चालीसा पढ़ने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  5. धन-संपत्ति: आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
  6. संकटों से मुक्ति: जीवन के संकटों और समस्याओं का समाधान होता है।
  7. संतान सुख: जिन लोगों को संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो रही, उनके लिए यह लाभदायक है।
  8. दांपत्य जीवन में सुख: वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
  9. भय का नाश: सभी प्रकार के भय और अज्ञानता का नाश होता है।
  10. शत्रुओं का नाश: दुश्मनों और विरोधियों से रक्षा होती है।
  11. ईश्वरीय कृपा: माँ भैरवी की कृपा प्राप्त होती है।
  12. धार्मिक लाभ: धर्म-कर्म में रुचि बढ़ती है।
  13. आत्मविश्वास में वृद्धि: आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है।
  14. मुक्ति का मार्ग: मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  15. शक्ति और साहस: मानसिक और शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है।
  16. धैर्य और सहनशीलता: जीवन में धैर्य और सहनशीलता आती है।
  17. विद्या और ज्ञान: ज्ञान और विद्या की प्राप्ति होती है।
  18. समाज में प्रतिष्ठा: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है।
  19. कर्मों का फल: अच्छे कर्मों का फल शीघ्र ही प्राप्त होता है।
  20. सकारात्मक दृष्टिकोण: जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है।

भैरवी चालीसा पाठ विधि

  1. साफ-सफाई: पाठ करने से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
  2. पूजा स्थान: एक शांत और साफ स्थान पर माँ भैरवी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  3. प्रारंभिक मंत्र: भैरवी चालीसा पाठ शुरू करने से पहले गणेश वंदना और अन्य प्रारंभिक मंत्रों का पाठ करें।
  4. दीप प्रज्वलन: दीपक जलाएं और अगरबत्ती जलाएं।
  5. आसन: स्वच्छ आसन पर बैठकर पाठ करें।
  6. जल और पुष्प: एक लोटा जल और पुष्प माँ भैरवी के चरणों में अर्पित करें।
  7. संकल्प: एक छोटा संकल्प लें कि आप यह पाठ किस उद्देश्य से कर रहे हैं।
  8. पाठ: पूरे मनोयोग से भैरवी चालीसा का पाठ करें।
  9. आरती: पाठ समाप्त होने के बाद भैरवी माँ की आरती करें।
  10. प्रसाद: अंत में सभी को प्रसाद वितरित करें।

दिन, अवधि और मुहूर्त

  • दिन: किसी भी दिन भैरवी चालीसा का पाठ किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से मंगलवार और शुक्रवार को करना अधिक शुभ माना जाता है।
  • अवधि: किसी विशेष अवसर पर या नियमित रूप से दैनिक रूप में भी किया जा सकता है।
  • मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) में पाठ करना सबसे अच्छा माना जाता है। इसके अलावा, संध्या समय (शाम 6-8 बजे) में भी पाठ किया जा सकता है।

नियम

  1. शुद्धता: शरीर, मन और वाणी की शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. संकल्प: बिना किसी विक्षेप के पाठ करें।
  3. समय: नियमित समय पर पाठ करें।
  4. आसन: एक निश्चित स्थान पर बैठकर पाठ करें।
  5. भक्ति: पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पाठ करें।
  6. नियमितता: नियमित रूप से पाठ करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  7. प्रसाद: पाठ के बाद प्रसाद का वितरण अवश्य करें।

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भैरवी चालीसा पाठ सावधानियां

  1. ध्यान: पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें और इधर-उधर की बातें न सोचें।
  2. स्थिरता: एक ही स्थान पर बैठकर पाठ करें, बार-बार उठना नहीं चाहिए।
  3. समय: नियमित समय पर पाठ करें, समय का उल्लंघन न करें।
  4. श्रद्धा: पाठ करते समय माँ भैरवी के प्रति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखें।
  5. साफ-सफाई: पाठ करने के स्थान को साफ और पवित्र रखें।
  6. साधना: अन्य किसी साधना में विघ्न न डालें।
  7. ध्यान: पाठ करते समय ध्यान और प्राणायाम का भी अभ्यास करें।
  8. धूम्रपान: पाठ के दौरान धूम्रपान, शराब आदि का सेवन न करें।
  9. वाणी: अपशब्दों का प्रयोग न करें।
  10. सात्विक आहार: सात्विक भोजन का सेवन करें।

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भैरवी चालीसा सामान्य प्रश्न

  1. भैरवी चालीसा क्या है?
    भैरवी चालीसा माँ भैरवी की स्तुति और महिमा का वर्णन करने वाला भक्ति पाठ है।
  2. भैरवी चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
    किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से मंगलवार और शुक्रवार को करना शुभ माना जाता है।
  3. भैरवी चालीसा का पाठ कैसे करना चाहिए?
    शुद्धता और श्रद्धा के साथ, नियमित समय पर, साफ-सुथरे स्थान पर, संकल्प लेकर पाठ करें।
  4. भैरवी चालीसा के पाठ से क्या लाभ होते हैं?
    मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ, आर्थिक समृद्धि, संतान सुख, भय का नाश आदि अनेक लाभ होते हैं।
  5. क्या भैरवी चालीसा का पाठ विशेष अवसरों पर ही करना चाहिए?
    नहीं, भैरवी चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, विशेष अवसरों पर इसका महत्व और बढ़ जाता है।
  6. भैरवी के प्रमुख रूप कौन-कौन से हैं?
    माँ भैरवी के प्रमुख रूप हैं – महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती, आदि शक्ति।
  7. भैरवी चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    अपनी श्रद्धा और समय के अनुसार, दैनिक या साप्ताहिक रूप से कर सकते हैं।
  8. क्या भैरवी चालीसा का पाठ करने से शत्रु बाधा दूर होती है?
    हां, भैरवी चालीसा का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है और सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।
  9. क्या भैरवी चालीसा का पाठ करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है?
    हां, भैरवी चालीसा का पाठ करने से धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
  10. क्या भैरवी चालीसा का पाठ करने से सभी समस्याओं का समाधान होता है?
    हां, भैरवी चालीसा का पाठ करने से जीवन की अनेक समस्याओं का समाधान होता है।
  11. भैरवी चालीसा का पाठ करने के लिए कौन-कौन से नियम हैं?
    शुद्धता, नियमितता, श्रद्धा, समय का पालन आदि नियम हैं।
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