Bhairavi Kavacham- Divine Protection & Spiritual Empowerment

भैरवी कवचम् पाठ: दिव्य सुरक्षा और आध्यात्मिक उन्नति का परम मार्गदर्शन

महाविद्या भैरवी कवचम् एक महत्वपूर्ण व शक्तिशाली पाठ है, जो माँ भैरवी की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। माँ भैरवी, दस महाविद्याओं में से एक हैं और उन्हें शक्ति, भयंकर रूप और सुरक्षा की देवी माना जाता है। भैरवी कवचम् का पाठ विशेष रूप से उन साधकों द्वारा किया जाता है जो तांत्रिक साधना में रत होते हैं, लेकिन यह साधारण भक्तों के लिए भी अत्यंत लाभकारी होता है। इस पाठ को सही विधि, नियम और सावधानियों के साथ किया जाना आवश्यक है ताकि देवी की कृपा प्राप्त हो सके और जीवन में सुख, शांति, और सुरक्षा बनी रहे।

संपूर्ण पाठ

भैरवी कवचम् के संपूर्ण पाठ में अनेक शक्तिशाली मंत्र और श्लोक होते हैं, जो देवी भैरवी की स्तुति और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए समर्पित होते हैं। इसे तांत्रिक ग्रंथों में उल्लिखित विशेष मंत्रों के साथ पढ़ा जाता है। कवच का आरंभ देवी के आवाहन और स्तुति से होता है और इसे साधक के संपूर्ण शरीर की रक्षा के लिए विभिन्न अंगों पर कवच के रूप में लगाया जाता है।

भैरवी कवचम् (संस्कृत में)

ॐ अस्य श्री भैरवी कवचस्य, श्री भैरव ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः,
श्री भैरवी देवता, ह्लीं बीजं, क्लीं शक्तिः, स्वाहा कीलकम्।
श्री भैरवी प्रसाद सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः॥

ॐ भैरवी पातु शीर्षं मे, ह्लीं बीजं सर्वदा स्थिरम्।
नेत्रे क्लीं पातु सर्वज्ञा, कर्णौ मे सर्वशक्तिदा॥१॥

ह्रीं बीजं पातु वक्त्रं मे, कण्ठं मे पातु सर्वदा।
हृदयं पातु सर्वेशी, पातु मम नाभिकं स्थिरम्॥२॥

गुह्यं गुप्तप्रदा पातु, भैरवी सर्वमङ्गला।
जङ्घे मे पातु सर्वज्ञा, सर्वशक्तिप्रदा स्थिरा॥३॥

भैरवी पातु सर्वाङ्गं, सर्वेशी सर्वदा मम।
अन्तः प्राणादिकं पातु, भैरवी सर्वदाऽऽविकम्॥४॥

एवं स्तोत्रमिदं पुण्यं, यः पठेत्तु समाहितः।
सिद्ध्यन्ति सर्वकार्याणि, सिद्ध्यन्ति सर्वसंपदः॥५॥

भैरवी कवचम् का हिंदी अर्थ

श्लोक 1
हे भैरवी देवी,
पाठ: “ॐ भैरवी पातु शीर्षं मे, ह्लीं बीजं सर्वदा स्थिरम्। नेत्रे क्लीं पातु सर्वज्ञा, कर्णौ मे सर्वशक्तिदा॥१॥”
अर्थ: “हे देवी भैरवी, आप मेरे सिर की रक्षा करें। ह्लीं बीज मंत्र मेरे सिर को स्थिरता प्रदान करे। सर्वज्ञ देवी मेरी आंखों की रक्षा करें, और सर्वशक्तिदा देवी मेरे कानों की रक्षा करें।”

श्लोक 2
हे सर्वेश्वरी,
पाठ: “ह्रीं बीजं पातु वक्त्रं मे, कण्ठं मे पातु सर्वदा। हृदयं पातु सर्वेशी, पातु मम नाभिकं स्थिरम्॥२॥”
अर्थ: “ह्रीं बीज मंत्र मेरे मुख की रक्षा करें, और सर्वदा मेरे कंठ की रक्षा करें। सर्वेश्वरी देवी मेरे हृदय और नाभि की रक्षा करें।”

श्लोक 3
हे सर्वमंगलकारिणी,
पाठ: “गुह्यं गुप्तप्रदा पातु, भैरवी सर्वमङ्गला। जङ्घे मे पातु सर्वज्ञा, सर्वशक्तिप्रदा स्थिरा॥३॥”
अर्थ: “गुप्तप्रदा देवी मेरे गुप्त अंगों की रक्षा करें, और सर्वमंगलकारिणी देवी मेरी जंघाओं की रक्षा करें। सर्वज्ञ देवी मेरी सभी अंगों को स्थिरता प्रदान करें।”

श्लोक 4
हे सर्वशक्तिमयी,
पाठ: “भैरवी पातु सर्वाङ्गं, सर्वेशी सर्वदा मम। अन्तः प्राणादिकं पातु, भैरवी सर्वदाऽऽविकम्॥४॥”
अर्थ: “हे भैरवी देवी, आप मेरे सभी अंगों की और सभी दिशाओं में मेरी रक्षा करें। भैरवी देवी मेरे भीतर के प्राणों और आत्मा की भी रक्षा करें।”

श्लोक 5
हे पुण्य प्रदान करने वाली,
पाठ: “एवं स्तोत्रमिदं पुण्यं, यः पठेत्तु समाहितः। सिद्ध्यन्ति सर्वकार्याणि, सिद्ध्यन्ति सर्वसंपदः॥५॥”
अर्थ: “जो साधक इस पुण्यदायी स्तोत्र का समर्पित होकर पाठ करता है, उसके सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं और उसे सभी प्रकार की संपदाएं प्राप्त होती हैं।”

भैरवी कवचम् के लाभ

  1. भय का नाश: भैरवी कवचम् का पाठ करने से साधक के सभी प्रकार के भय और असुरक्षाएं दूर होती हैं। यह कवच साधक को आत्मबल प्रदान करता है।
  2. रोगों से मुक्ति: इस कवच का नियमित पाठ करने से साधक सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति पाता है। देवी की कृपा से साधक का स्वास्थ्य सदैव अच्छा रहता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: भैरवी कवचम् का पाठ करने से साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है। साधक के भीतर शांति, धैर्य और ज्ञान की वृद्धि होती है।
  4. दुश्मनों से सुरक्षा: इस कवच के पाठ से साधक के शत्रु, प्रतिद्वंद्वी और अन्य नकारात्मक शक्तियाँ साधक को हानि नहीं पहुंचा सकते। यह कवच शत्रुओं को पराजित करने में सहायक होता है।
  5. अकस्मात मृत्यु से रक्षा: भैरवी कवचम् का नियमित पाठ करने से साधक अकाल मृत्यु के भय से मुक्त हो जाता है। यह कवच साधक को दीर्घायु और स्वस्थ जीवन प्रदान करता है।
  6. घर में सुख-शांति: इस कवच का पाठ करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। परिवार के सभी सदस्यों में प्रेम और सौहार्द बना रहता है।
  7. तांत्रिक प्रभावों से सुरक्षा: तांत्रिक साधना करने वाले साधकों के लिए भैरवी कवचम् विशेष रूप से उपयोगी है। यह कवच साधक को तांत्रिक प्रभावों, भूत-प्रेत बाधाओं और अन्य नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रखता है।
  8. धन-संपत्ति में वृद्धि: इस कवच का पाठ साधक को आर्थिक रूप से संपन्न बनाता है। देवी की कृपा से धन-धान्य में वृद्धि होती है और साधक को कभी धन की कमी नहीं होती।
  9. मनोकामनाओं की पूर्ति: भैरवी कवचम् का नियमित पाठ साधक की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने में सहायक होता है। साधक की मनोकामनाएं देवी की कृपा से पूरी होती हैं।
  10. दुखों से मुक्ति: इस कवच के पाठ से साधक के जीवन से सभी प्रकार के दुख, कष्ट और विपत्तियाँ दूर हो जाती हैं। साधक के जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
  11. साधना में सफलता: भैरवी कवचम् का पाठ साधक को तांत्रिक साधनाओं में सफलता दिलाता है। यह कवच साधना के मार्ग में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करता है।
  12. शक्ति का संवर्धन: इस कवच का नियमित पाठ साधक के भीतर अपार शक्ति का संचार करता है। साधक को मानसिक और शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है।
  13. संपूर्ण परिवार की सुरक्षा: इस कवच का पाठ न केवल साधक बल्कि उसके संपूर्ण परिवार को देवी की कृपा से सुरक्षित रखता है।
  14. विपत्तियों से सुरक्षा: भैरवी कवचम् का पाठ करने से साधक के जीवन में आने वाली सभी प्रकार की विपत्तियाँ, प्राकृतिक आपदाएँ, और दुर्घटनाएँ टल जाती हैं।
  15. अध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति: इस कवच का पाठ साधक को गहन अध्यात्मिक ज्ञान और बोध की प्राप्ति कराता है। साधक को मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

भैरवी कवचम् की विधि

दिन और अवधि:

भैरवी कवचम् का पाठ शुरू करने के लिए किसी शुभ दिन का चयन करना चाहिए। मंगलवार और शुक्रवार को देवी की साधना के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस पाठ को 41 दिनों तक लगातार किया जाना चाहिए, जिसे “साधना की अवधि” कहते हैं। इस दौरान साधक को नियमपूर्वक साधना करनी होती है।

मूहुर्त:

भैरवी कवचम् का पाठ करने के लिए प्रातःकाल या रात्रि के समय ब्रह्ममुहूर्त (रात्रि 3 बजे से प्रातः 5 बजे तक) का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस समय वातावरण शुद्ध और शांत होता है, जिससे साधना में अधिक एकाग्रता और सफलता प्राप्त होती है।

नियम

  1. पूजा और साधना को गुप्त रखें: भैरवी कवचम् की साधना एक अत्यंत गोपनीय क्रिया है। साधक को अपनी साधना को गुप्त रखना चाहिए और इसे किसी अन्य व्यक्ति के साथ साझा नहीं करना चाहिए। इससे साधना का प्रभाव अधिक होता है।
  2. शुद्धता और संयम: साधना के दौरान शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। साधक को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। साथ ही, साधक को संयमित जीवनशैली अपनानी चाहिए।
  3. नियमितता: साधना के दौरान नियमितता अत्यंत महत्वपूर्ण है। साधक को रोज़ाना एक ही समय पर, एक ही स्थान पर, एक ही विधि से साधना करनी चाहिए। इससे साधना का प्रभाव बढ़ता है।
  4. देवी की प्रतिमा या चित्र: साधना के समय साधक को देवी भैरवी की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठकर साधना करनी चाहिए। इससे साधक की एकाग्रता बढ़ती है और साधना में सफलता प्राप्त होती है।
  5. मंत्र जाप: भैरवी कवचम् के साथ-साथ साधक को देवी के बीज मंत्रों का जाप भी करना चाहिए। यह मंत्र साधक की साधना को अधिक शक्तिशाली बनाते हैं।
  6. पवित्र वस्त्र और आसन: साधना के दौरान साधक को पवित्र वस्त्र पहनने चाहिए और शुद्ध आसन का उपयोग करना चाहिए। काले या लाल रंग के वस्त्र और आसन को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  7. पूजा सामग्री: साधना के लिए आवश्यक सामग्री में चंदन, कपूर, दीपक, धूप, फल, फूल, नैवेद्य, और देवी को अर्पित करने के लिए लाल वस्त्र शामिल होते हैं।

Kamakhya sadhana shivir

भैरवी कवचम् की सावधानियाँ

  1. गुप्त साधना: भैरवी कवचम् की साधना अत्यंत शक्तिशाली होती है, इसलिए इसे गुप्त रखना आवश्यक है। साधना के दौरान और बाद में इसके बारे में किसी से चर्चा नहीं करनी चाहिए।
  2. आवश्यक नियमों का पालन: साधना के दौरान सभी नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। साधक को किसी भी प्रकार की गलती या लापरवाही से बचना चाहिए, अन्यथा साधना का प्रभाव नकारात्मक हो सकता है।
  3. शुद्धता का ध्यान: साधना के दौरान शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए। अपवित्र स्थान, विचार, या भोजन साधना में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।
  4. साधना का समय और स्थान: साधना के लिए निर्धारित समय और स्थान का चयन करते समय ध्यान रखें कि वह स्थान शांत और शुद्ध हो। साधना के समय किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं होना चाहिए।
  5. उचित मार्गदर्शन: भैरवी कवचम् की साधना शुरू करने से पहले किसी योग्य गुरु या तांत्रिक से मार्गदर्शन प्राप्त करना आवश्यक है। बिना मार्गदर्शन के साधना शुरू करने से साधक को हानि हो सकती है।
  6. अहंकार से बचें: साधना के दौरान और साधना की सफलता के बाद साधक को अहंकार से बचना चाहिए। देवी की कृपा से प्राप्त शक्तियों का दुरुपयोग न करें।
  7. साधना के बाद शुद्धिकरण: साधना समाप्ति के बाद साधक को शुद्धिकरण करना चाहिए और देवी का धन्यवाद ज्ञापित करना चाहिए। यह साधना को पूर्ण और सफल बनाता है।

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भैरवी कवचम् पाठ: प्रश्न और उनके उत्तर

1. प्रश्न: भैरवी कवचम् क्या है?

उत्तर: भैरवी कवचम् एक तांत्रिक स्तोत्र है, जो देवी भैरवी की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। यह साधक को नकारात्मक शक्तियों और बाधाओं से बचाने के लिए एक शक्तिशाली कवच के रूप में कार्य करता है।

2. प्रश्न: भैरवी कवचम् का पाठ किसे करना चाहिए?

उत्तर: भैरवी कवचम् का पाठ सभी भक्त कर सकते हैं, विशेषकर वे साधक जो तांत्रिक साधना या आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर हैं। यह पाठ जीवन में शांति, सुरक्षा, और सफलता प्राप्त करने के लिए अत्यंत लाभकारी है।

3. प्रश्न: भैरवी कवचम् का पाठ करने के लिए सबसे शुभ समय क्या है?

उत्तर: भैरवी कवचम् का पाठ प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 3 से 5 बजे के बीच) या रात्रि के समय करना शुभ माना जाता है। यह समय साधना के लिए सर्वोत्तम होता है, क्योंकि तब वातावरण शांत और शुद्ध रहता है।

4. प्रश्न: भैरवी कवचम् के प्रमुख लाभ क्या हैं?

उत्तर: इस पाठ से भय का नाश, रोगों से मुक्ति, शत्रुओं से सुरक्षा, अकाल मृत्यु से रक्षा, आर्थिक समृद्धि, तांत्रिक प्रभावों से सुरक्षा, और मनोकामनाओं की पूर्ति जैसे लाभ होते हैं।

5. प्रश्न: भैरवी कवचम् की साधना कितने दिनों तक करनी चाहिए?

उत्तर: भैरवी कवचम् की साधना को 41 दिनों तक निरंतर करना चाहिए। यह अवधि साधना की सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

6. प्रश्न: भैरवी कवचम् की साधना के दौरान कौन-कौन से नियमों का पालन करना चाहिए?

उत्तर: साधना के दौरान शुद्धता, ब्रह्मचर्य का पालन, साधना का गुप्त रखना, और नियमितता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। साधना के समय उपयुक्त वस्त्र और आसन का उपयोग भी आवश्यक है।

7. प्रश्न: क्या भैरवी कवचम् का पाठ सभी के लिए सुरक्षित है?

उत्तर: हां, यदि इसे सही विधि और नियमों के साथ किया जाए तो भैरवी कवचम् का पाठ सभी के लिए सुरक्षित और लाभकारी है। साधना शुरू करने से पहले गुरु से मार्गदर्शन लेना उचित है।

8. प्रश्न: क्या भैरवी कवचम् के पाठ के दौरान कोई विशेष सावधानियां रखनी चाहिए?

उत्तर: हां, साधना को गुप्त रखना, शुद्धता का पालन करना, और साधना के बाद देवी का धन्यवाद करना आवश्यक है। बिना गुरु के मार्गदर्शन के इस साधना को नहीं करना चाहिए।

9. प्रश्न: भैरवी कवचम् का पाठ करने के लिए आवश्यक पूजा सामग्री क्या है?

उत्तर: पूजा सामग्री में चंदन, कपूर, दीपक, धूप, फल, फूल, नैवेद्य, और देवी को अर्पित करने के लिए लाल वस्त्र शामिल होते हैं। इनका उपयोग साधना के दौरान किया जाता है।

10. प्रश्न: भैरवी कवचम् का पाठ कहां किया जाना चाहिए?

उत्तर: इस पाठ को किसी शुद्ध, शांत और पवित्र स्थान पर किया जाना चाहिए। पूजा स्थल को साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखना भी आवश्यक है।

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