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Milk & Honey Abhishek On Shivling – Fulfill Your Wishes

Milk & Honey Abhishek On Shivling - Fulfill Your Wishes

दूध और शहद से शिवलिंग अभिषेक से पूरी करें मनोकामना

Milk & Honey Abhishek भगवान शिव की कृपा पाने के लिए शिवलिंग पर दूध और शहद चढ़ाने का विशेष महत्व है शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग का अभिषेक करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं दूध और शहद दोनों ही पवित्र और दिव्य वस्तुएँ मानी जाती हैं जो शिव को अत्यंत प्रिय हैं

दूध और शहद से अभिषेक के चमत्कारी लाभ

1 मन की शांति और मानसिक तनाव से मुक्ति

दूध और शहद से अभिषेक करने से मन को शांति मिलती है और मानसिक तनाव दूर होता है

2 धन और समृद्धि में वृद्धि

भगवान शिव की कृपा से आर्थिक बाधाएँ दूर होती हैं और जीवन में समृद्धि आती है

3 रोग और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा

शिवलिंग पर अभिषेक करने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और रोगों से रक्षा होती है

4 दांपत्य जीवन में प्रेम और मधुरता

जो लोग वैवाहिक जीवन में समस्याओं का सामना कर रहे हैं वे इस उपाय से अपने संबंधों में सुधार कर सकते हैं

5 शीघ्र विवाह में सहायक

विवाह में विलंब हो रहा हो तो यह उपाय विशेष रूप से लाभकारी होता है

6 शत्रुओं से रक्षा

शत्रु बाधा से मुक्ति पाने के लिए दूध और शहद का अभिषेक अत्यंत प्रभावी उपाय है

7 विद्यार्थियों के लिए लाभकारी

विद्यार्थी इस उपाय से एकाग्रता बढ़ा सकते हैं और परीक्षा में सफलता पा सकते हैं

8 ग्रह दोषों की शांति

राहु और शनि के बुरे प्रभावों को कम करने के लिए यह उपाय कारगर होता है

9 संतान सुख की प्राप्ति

संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपति को यह उपाय करना चाहिए

10 करियर में उन्नति

नौकरी और व्यवसाय में सफलता पाने के लिए यह अभिषेक करना शुभ होता है

11 मानसिक शुद्धि और आत्मिक शांति

शिवलिंग पर दूध और शहद चढ़ाने से आत्मिक शुद्धि होती है और मन सकारात्मकता से भर जाता है

12 दान पुण्य का फल

यह उपाय करने से जीवन में पुण्य लाभ बढ़ता है और अच्छे कर्मों का फल शीघ्र प्राप्त होता है

13 पारिवारिक कलह से मुक्ति

इस उपाय से पारिवारिक समस्याएँ और कलह समाप्त होती है और घर में सुख-शांति आती है

14 अचानक आई परेशानियों से राहत

अगर जीवन में बार-बार कोई बाधा आ रही हो तो यह उपाय करने से राहत मिलती है

15 आध्यात्मिक उन्नति

भगवान शिव की भक्ति से आध्यात्मिक प्रगति होती है और व्यक्ति मोक्ष के मार्ग की ओर बढ़ता है

दूध और शहद से शिवलिंग का अभिषेक करने की विधि

आवश्यक सामग्री

  • गाय का शुद्ध दूध
  • शुद्ध शहद
  • गंगाजल
  • बेलपत्र
  • अक्षत
  • चंदन
  • धूप और दीप
  • सफेद फूल
  • मिश्री

अभिषेक करने की संपूर्ण प्रक्रिया

1 प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें
2 शिवलिंग को गंगाजल से शुद्ध करें
3 पहले दूध से अभिषेक करें और फिर शहद चढ़ाएँ
4 बेलपत्र और सफेद फूल चढ़ाएँ
5 ‘ॐ ह्रौं महेश्वराय ह्रौं वषट्’ मंत्र का जाप करें
6 अंत में आरती कर प्रसाद वितरण करें

दूध और शहद से अभिषेक करने के नियम

क्या करें

  • सोमवार को विशेष रूप से अभिषेक करें
  • शुद्धता का विशेष ध्यान रखें
  • बेलपत्र और अक्षत चढ़ाना न भूलें

क्या न करें

  • लोहे के पात्र में दूध और शहद न रखें
  • दूषित वस्तुएँ शिवलिंग पर न चढ़ाएँ
  • अभिषेक के बाद दूध और शहद का सेवन न करें

Pratyangira sadhana shivir

दूध और शहद से शिवलिंग अभिषेक का शुभ मुहूर्त

सप्ताह के शुभ दिन

  • सोमवार और प्रदोष व्रत का दिन विशेष फलदायी होता है

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विशेष पर्व

  • महाशिवरात्रि
  • श्रावण मास के सोमवार
  • सावन पूर्णिमा
  • त्रयोदशी तिथि

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1 क्या सिर्फ चार सोमवार अभिषेक करने से इच्छाएँ पूरी होती हैं

हाँ नियमपूर्वक अभिषेक करने से मनोकामना पूर्ण होती है

2 क्या शहद चढ़ाने से कोई विशेष लाभ मिलता है

शहद से शिवलिंग का अभिषेक करने से दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है और आर्थिक लाभ मिलता है

3 क्या सभी लोग यह अभिषेक कर सकते हैं

हाँ कोई भी व्यक्ति श्रद्धा से यह उपाय कर सकता है

4 क्या घर में शिवलिंग पर अभिषेक किया जा सकता है

अगर नियमपूर्वक पूजन हो तो घर में भी अभिषेक किया जा सकता है

5 क्या दूध और शहद को किसी विशेष दिशा में प्रवाहित करना चाहिए

पवित्र स्थान पर प्रवाहित करें या पीपल के वृक्ष की जड़ में अर्पित करें

6 क्या गर्भवती महिलाएँ यह अभिषेक कर सकती हैं

हाँ यह अभिषेक गर्भवती महिलाओं के लिए भी शुभ माना जाता है

7 अगर किसी कारण से सोमवार को अभिषेक न कर पाएँ तो क्या करें

अन्य किसी शुभ दिन जैसे प्रदोष व्रत के दिन कर सकते हैं

8 क्या इस उपाय को करने से तुरंत प्रभाव दिखाई देता है

अगर श्रद्धा और नियम से किया जाए तो शीघ्र फल प्राप्त होता है

अंत में

शिवलिंग पर दूध और शहद से अभिषेक करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आती है यह उपाय सरल और प्रभावी है भगवान शिव की कृपा से सभी बाधाएँ दूर होती हैं और इच्छाएँ पूर्ण होती हैं

Hanuman Worship – Boost Business and Fortune

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हनुमान जी की गुप्त साधना से मिलेगी अपार उन्नति | व्यापार और करियर में सफलता पाएँ

Hanuman Worship – ये हनुमान जी की गुप्त साधना चमत्कारी फल देती है। यह साधना 18 दिन की होती है। श्रद्धा और नियमों के साथ साधना करने से अपार उन्नति प्राप्त होती है।

हनुमान जी बल, बुद्धि और विजय के देवता हैं। उनकी साधना से आत्मविश्वास बढ़ता है। व्यापार और करियर में प्रगति होती है। आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है। नकारात्मकता दूर होती है।

हनुमान साधना करने से राहु, केतु और शनि के दोष शांत होते हैं। यह साधना सफलता, समृद्धि और विजय प्रदान करती है। व्यापारिक बाधाएँ समाप्त होती हैं। नौकरी में प्रमोशन मिलता है।

साधना के लाभ | सफलता और समृद्धि का मार्ग

  • हनुमान साधना से व्यापार में निरंतर लाभ मिलता है। आर्थिक समृद्धि बढ़ती है।
  • नौकरी में प्रमोशन और वेतन वृद्धि होती है।
  • तनाव और चिंता समाप्त होती है।
  • हनुमान जी का आशीर्वाद भयमुक्त जीवन देता है।
  • शनि के कुप्रभाव समाप्त होते हैं।
  • व्यवसाय और नौकरी में आने वाली अड़चनें दूर होती हैं।
  • मन में उत्साह और आत्मबल बढ़ता है।
  • हनुमान साधना से बुरी शक्तियाँ पास नहीं आतीं।
  • हनुमान जी की कृपा से शत्रु पराजित होते हैं।
  • रोग-व्याधियाँ दूर होती हैं।
  • राहु-केतु और शनि दोष शांत होते हैं।
  • साधक की साधना शक्ति बढ़ती है।
  • सौभाग्य और सफलता प्राप्त होती है।
  • जीवन के सभी संकट समाप्त होते हैं।
  • संतान प्राप्ति और उनके जीवन में उन्नति होती है।

हनुमान साधना विधि | सरल और प्रभावशाली अनुष्ठान

हनुमान साधना को विधिपूर्वक करना आवश्यक है। नित्य नियम, जाप और पूजा का पालन करें।

आवश्यक सामग्री

  • हनुमान जी की मूर्ति या चित्र
  • लाल चंदन और सिंदूर
  • चमेली का तेल और दीपक
  • गुड़, चना और तुलसी पत्र
  • हनुमान चालीसा और सुंदरकांड

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साधना प्रक्रिया

  1. सुबह स्नान करके लाल वस्त्र धारण करें।
  2. हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें।
  3. दीपक जलाकर “ॐ हं अंजनी पुत्राय रीं क्लीं नमः” मंत्र का जाप करें।
  4. हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें।
  5. गुड़-चना का भोग अर्पित करें और प्रसाद ग्रहण करें।

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साधना के नियम | सफलता के लिए करें इनका पालन

  • ब्रह्मचर्य और सात्त्विक आहार का पालन करें।
  • मन, वचन और कर्म से पवित्र रहें।
  • 18 दिन तक नियमपूर्वक साधना करें।
  • रात्रि में साधना न करें।
  • साधना के दौरान हनुमान जी पर पूर्ण श्रद्धा रखें।

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शुभ मुहूर्त | साधना प्रारंभ करने का सर्वोत्तम समय

हनुमान साधना मंगलवार या शनिवार को प्रारंभ करें। शुक्ल पक्ष का समय सर्वोत्तम होता है। अमावस्या पर साधना न करें।

सामान्य प्रश्न | हनुमान साधना से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल

1. क्या हनुमान साधना कोई भी कर सकता है

हाँ, कोई भी श्रद्धालु यह साधना कर सकता है।

2. क्या स्त्रियाँ हनुमान साधना कर सकती हैं

स्त्रियाँ नियमों का पालन करके यह साधना कर सकती हैं।

3. हनुमान साधना का सर्वोत्तम मंत्र कौन-सा है

“ॐ हं अंजनी पुत्राय रीं क्लीं नमः” सबसे प्रभावशाली मंत्र है।

4. क्या इस साधना से व्यवसाय में उन्नति होती है

हाँ, यह साधना व्यापार और नौकरी में सफलता देती है।

5. साधना के दौरान क्या वर्जित है

मांस, मद्यपान और तामसिक भोजन वर्जित हैं।

6. साधना पूर्ण होने के बाद क्या करना चाहिए

हनुमान जी को भोग लगाकर दान करें।

7. क्या हनुमान साधना से रोग दूर होते हैं

हाँ, इस साधना से स्वास्थ्य लाभ होता है।

8. साधना में असफलता क्यों होती है

अविश्वास और नियमों का पालन न करने से सफलता नहीं मिलती।

हनुमान साधना से अपार उन्नति और विजय प्राप्त होती है। इस साधना को पूर्ण श्रद्धा और निष्ठा के साथ करें।

Shukra Mantra Sadhana: Magnetic Personality & Fortune

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शुक्र मंत्र: धन, ऐश्वर्य और व्यापार में उन्नति का दिव्य साधन

Shukra Mantra Sadhana शुक्र मंत्र साधक को ऐश्वर्य, भौतिक सुख-संपत्ति, व्यापार में सफलता और आकर्षक व्यक्तित्व प्रदान करता है। यह मंत्र शुक्र ग्रह की कृपा से जीवन में समृद्धि, वैवाहिक सुख और सौंदर्य बढ़ाने में सहायक है। उचित विधि से जप करने पर यह मंत्र आकर्षण शक्ति, सौभाग्य और चुम्बकीय व्यक्तित्व का विकास करता है।


विनियोग मंत्र व उसका अर्थ

विनियोग मंत्र:

॥ ॐ अस्य श्री शुक्र मंत्रस्य, बृहस्पति ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, श्री शुक्रो देवता, शुक्र प्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ॥

अर्थ: यह मंत्र शुक्र देव की कृपा प्राप्त करने हेतु विनियोग किया जाता है। इसके ऋषि बृहस्पति हैं, छंद अनुष्टुप है और देवता स्वयं शुक्र हैं।


दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र व उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र:

॥ ॐ पूर्वाय दिशे इंद्राय नमः, आग्नेयाय अग्नये नमः, दक्षिणाय यमाय नमः, नैऋत्याय रक्षसे नमः, पश्चिमाय वरुणाय नमः, वायव्याय वायवे नमः, उत्तराय कुबेराय नमः, ईशानाय रुद्राय नमः, ऊर्ध्वाय ब्रह्मणे नमः, अधोध्वाय अनंताय नमः ॥

अर्थ: इस मंत्र से दसों दिशाओं में सुरक्षा चक्र बनाया जाता है, जिससे साधना में कोई विघ्न न आए।


शुक्र मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र: ॥ ॐ ऐं श्रीं शुं शुक्राय नमः ॥

अर्थ: यह मंत्र शुक्र ग्रह की कृपा प्राप्त करने हेतु अत्यंत प्रभावशाली है। ‘ऐं’ विद्या का, ‘श्रीं’ समृद्धि का और ‘शुं’ सौंदर्य (शुक्र) का बीज मंत्र है।


जप काल में इन चीजों का अधिक सेवन करें

  • मिश्री और दही
  • गाय का दूध
  • ताजे फल
  • तुलसी का पत्ता
  • केसर और इलायची
  • गंगाजल और शुद्ध जल

शुक्र मंत्र के लाभ

  1. आकर्षण शक्ति बढ़ती है।
  2. चुम्बकीय व्यक्तित्व का विकास होता है।
  3. एंटीएजिंग प्रभाव देता है।
  4. प्रभावित करने की क्षमता बढ़ती है।
  5. वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है।
  6. प्रेम संबंध मजबूत होते हैं।
  7. व्यापार में उन्नति होती है।
  8. कला, संगीत और साहित्य में रुचि बढ़ती है।
  9. मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  10. आर्थिक समृद्धि आती है।
  11. नेतृत्व क्षमता बढ़ती है।
  12. संतान सुख प्राप्त होता है।
  13. शुक्र दोष शांत होता है।
  14. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  15. सौंदर्य और आकर्षण में वृद्धि होती है।
  16. नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  17. मित्र और समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है।
  18. आध्यात्मिक उन्नति होती है।

पूजा सामग्री व मंत्र विधि

आवश्यक सामग्री

  • सफेद वस्त्र
  • शुद्ध घी का दीपक
  • चंदन और गुलाब की माला
  • सफेद फूल
  • मिश्री और माखन
  • चांदी का सिक्का

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जप विधि

  1. शुक्रवार के दिन प्रातः स्नान कर सफेद वस्त्र धारण करें।
  2. पूर्व या उत्तर दिशा में बैठकर सफेद आसन पर बैठें।
  3. दीपक प्रज्वलित कर शुक्र देव का ध्यान करें।
  4. 20 मिनट तक प्रतिदिन 18 दिनों तक इस मंत्र का जप करें।
  5. मंत्र जाप के बाद शुक्र ग्रह से आशीर्वाद की प्रार्थना करें।

मंत्र जप के नियम

  • उम्र 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  • स्त्री-पुरुष दोनों कर सकते हैं।
  • नीले या काले वस्त्र न पहनें।
  • धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से बचें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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मंत्र जप में सावधानियाँ

  • जप करते समय मन को एकाग्र रखें।
  • गलत उच्चारण न करें।
  • अशुद्ध वातावरण में जप न करें।
  • स्वच्छ और शांत स्थान पर जप करें।
  • किसी को अपशब्द न कहें।

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मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

1. शुक्र मंत्र किसके लिए लाभकारी है? शुक्र मंत्र उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो ऐश्वर्य, सौंदर्य और व्यापार में सफलता चाहते हैं।

2. इस मंत्र का सर्वोत्तम जप समय क्या है? सर्वोत्तम समय प्रातःकाल और संध्या काल है।

3. क्या यह मंत्र महिलाओं के लिए भी लाभदायक है? हाँ, यह मंत्र महिलाओं के लिए भी अत्यंत प्रभावी है।

4. क्या शुक्र मंत्र से विवाह संबंधित समस्याएँ दूर हो सकती हैं? हाँ, यह मंत्र वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य लाता है।

5. इस मंत्र का प्रभाव कितने दिनों में दिखता है? यदि विधिपूर्वक जप किया जाए तो 18 दिनों में सकारात्मक परिवर्तन दिखने लगते हैं।

6. क्या शुक्र मंत्र जप करने से सौंदर्य में वृद्धि होती है? हाँ, इस मंत्र से आभामंडल में निखार आता है।

7. क्या इसे किसी विशेष स्थान पर जपना चाहिए? हाँ, मंदिर, पूजा कक्ष या शांत स्थान सर्वोत्तम हैं।

8. क्या इस मंत्र को बिना गुरु दीक्षा के जपा जा सकता है? हाँ, लेकिन यदि गुरु से दीक्षा मिले तो प्रभाव अधिक होता है।

9. क्या शुक्र मंत्र से आर्थिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है? हाँ, यह मंत्र आर्थिक समृद्धि देने वाला है।

10. क्या इसे गुप्त रूप से जपना चाहिए? हाँ, व्यक्तिगत रूप से जप करना अधिक प्रभावी होता है।

11. क्या जप के दौरान किसी विशेष आहार का पालन करना चाहिए? हाँ, सात्त्विक भोजन करें और मांस-मदिरा का सेवन न करें।

12. क्या अन्य ग्रहों के उपायों के साथ यह मंत्र जपा जा सकता है? हाँ, अन्य उपायों के साथ इसे जपना लाभकारी है।


अंत में

शुक्र मंत्र साधक को धन, ऐश्वर्य, आकर्षण और सफलता प्रदान करता है। यह मंत्र आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ भौतिक जीवन को भी श्रेष्ठ बनाता है। नियमित जप और नियमों का पालन करके इस मंत्र का पूर्ण लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

Remove Misfortune Caused by Grahan Dosh with This Remedy!

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ग्रहण दोष के कारण दुर्भाग्य? इस उपाय से मिलेगी मुक्ति!

Grahan Dosh for obstacles – ग्रहण दोष तब बनता है जब जन्म कुंडली में सूर्य या चंद्रमा के साथ राहु या केतु स्थित होते हैं। यह दोष जीवन में अनेक बाधाओं, मानसिक तनाव, असफलता, आर्थिक संकट और पारिवारिक समस्याओं का कारण बन सकता है। यदि कोई व्यक्ति बार-बार असफलताओं का सामना कर रहा है, मानसिक अशांति महसूस कर रहा है या जीवन में स्थिरता नहीं है, तो संभव है कि उसकी कुंडली में ग्रहण दोष हो।

इस लेख में हम आपको ग्रहण दोष निवारण मंत्र “ॐ ह्रीं सों सोमाय क्लीं नमः” के जप की विधि, इसके लाभ और इससे जुड़े सामान्य प्रश्नों के उत्तर देंगे।


विधि

  1. समय: इस मंत्र का जप विशेष रूप से ग्रहण काल, अमावस्या, पूर्णिमा या सोमवार-शनिवार को करना अधिक प्रभावी होता है।
  2. स्थान: किसी पवित्र स्थान, शिवालय, चंद्र या सूर्य मंदिर में जप करना शुभ होता है। घर में शुद्ध वातावरण में भी जप कर सकते हैं।
  3. मंत्र जप की संख्या: प्रतिदिन 540 बार रुद्राक्ष माला से इस मंत्र का जप करें।
  4. आसन: कुश या ऊन के आसन पर बैठकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके मंत्र जप करें।
  5. स्नान एवं शुद्धता: मंत्र जप से पहले स्नान करें और सफेद वस्त्र धारण करें।
  6. संपूर्ण विधि:
    • दीपक जलाकर भगवान शिव, चंद्रदेव और माता पार्वती का ध्यान करें।
    • “ॐ ह्रीं सों सोमाय क्लीं नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
    • अंत में शिव चालीसा या शिवाष्टक का पाठ करें।
    • जप पूर्ण होने के बाद चंद्रदेव को जल अर्पित करें और शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं।
    • इस उपाय को नियमित रूप से करने से ग्रहण दोष के दुष्प्रभाव कम होते हैं।

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लाभ

  1. दुर्भाग्य और असफलताओं से मुक्ति – यदि कोई व्यक्ति बार-बार असफल हो रहा है, तो इस मंत्र के प्रभाव से बाधाएं दूर होती हैं।
  2. मानसिक शांति – मनोवैज्ञानिक समस्याएं, अनिद्रा और चिंता से राहत मिलती है।
  3. आर्थिक समृद्धि – राहु-केतु के दुष्प्रभाव से उत्पन्न आर्थिक संकट दूर होते हैं।
  4. नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा – इस मंत्र का जप करने से व्यक्ति नकारात्मक शक्तियों और बुरी नजर से बचता है।
  5. भाग्य में वृद्धि – कार्यों में सफलता मिलने लगती है और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है।
  6. पारिवारिक सुख में वृद्धि – घर में कलह और अशांति दूर होती है।
  7. स्वास्थ्य में सुधार – मानसिक तनाव कम होने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
  8. राहु और केतु के बुरे प्रभाव से मुक्ति – कुंडली में स्थित राहु-केतु के कारण होने वाली परेशानियां कम होती हैं।
  9. विद्यार्थियों के लिए लाभकारी – स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है और पढ़ाई में ध्यान लगता है।
  10. संतान सुख की प्राप्ति – ग्रहण दोष के कारण संतान प्राप्ति में बाधा हो रही हो तो यह उपाय लाभकारी होता है।

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ग्रहण दोष से जुड़े 8 सामान्य प्रश्न

  1. ग्रहण दोष कैसे बनता है?
    • जब सूर्य या चंद्रमा के साथ राहु या केतु ग्रह कुंडली में स्थित होते हैं, तब ग्रहण दोष बनता है।
  2. ग्रहण दोष के कारण क्या होते हैं?
    • यह दोष पूर्व जन्म के कर्मों, अशुभ ग्रह स्थितियों और पितृ दोष के प्रभाव से बन सकता है।
  3. क्या ग्रहण दोष के कारण विवाह में देरी हो सकती है?
    • हां, इस दोष के कारण विवाह में बाधाएं आती हैं और वैवाहिक जीवन में समस्याएं हो सकती हैं।
  4. क्या यह मंत्र ग्रहण काल में भी जपा जा सकता है?
    • हां, ग्रहण काल में यह मंत्र अत्यंत प्रभावशाली होता है और विशेष लाभ प्रदान करता है।
  5. ग्रहण दोष के अन्य उपाय क्या हैं?
    • भगवान शिव की पूजा, महामृत्युंजय मंत्र जप, चंद्र ग्रह शांति यज्ञ, शिवलिंग पर जल अर्पण, रुद्राभिषेक आदि उपाय लाभकारी होते हैं।
  6. क्या ग्रहण दोष केवल चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के समय ही प्रभावी होता है?
    • नहीं, यदि कुंडली में यह दोष है तो इसका प्रभाव जीवनभर बना रह सकता है, जब तक उचित उपाय न किए जाएं।
  7. क्या ग्रहण दोष से बचने के लिए दान करना चाहिए?
    • हां, ग्रहण दोष निवारण के लिए चावल, दूध, सफेद वस्त्र और चांदी का दान करना लाभकारी होता है।
  8. क्या ग्रहण दोष का प्रभाव सभी राशियों पर एक समान होता है?
    • नहीं, प्रत्येक राशि पर इसका प्रभाव अलग-अलग हो सकता है, जो कुंडली की स्थिति पर निर्भर करता है।

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अंत में

ग्रहण दोष जीवन में अनेक बाधाओं का कारण बन सकता है, लेकिन यदि सही उपाय किए जाएं तो इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। “ॐ ह्रीं सों सोमाय क्लीं नमः” मंत्र का नियमित जप करने से दुर्भाग्य दूर होता है और जीवन में शुभता आती है। यदि आप भी ग्रहण दोष से परेशान हैं, तो इस उपाय को अपनाकर सकारात्मक परिवर्तन महसूस कर सकते हैं।

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ग्रहण काल में इन 3 चीज़ों को घर से बाहर रखें, तुरंत शुभ फल मिलेगा!

Remove These 3 Items in Grahan -ग्रहण का समय ज्योतिष और धर्मशास्त्रों में विशेष महत्व रखता है। इसे एक संवेदनशील काल माना जाता है, जब नकारात्मक शक्तियाँ अधिक प्रभावी होती हैं। इस समय किए गए उपायों से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और कष्टों से मुक्ति मिलती है। यदि आप ग्रहण काल में कुछ विशेष वस्तुओं को घर से बाहर रखते हैं, तो तुरंत शुभ फल प्राप्त हो सकते हैं। आइए जानते हैं कौन-सी 3 चीज़ों को घर से दूर रखना चाहिए और इस उपाय के 10 प्रमुख लाभ।


इन 3 चीज़ों को घर से दूर रखें

  1. अन्न और खाद्य पदार्थ – ग्रहण के दौरान भोजन पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ता है, जिससे यह दूषित हो सकता है। इसे बाहर रखने से ग्रहण के दोषों से बचाव होता है।
  2. तुलसी का पौधा – धार्मिक मान्यता है कि ग्रहण के दौरान तुलसी पर नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव डालती है, जिससे इसकी पवित्रता प्रभावित हो सकती है। इसलिए इसे घर से बाहर रखना लाभकारी होता है।
  3. गंगाजल और पवित्र जल – ग्रहण के समय पवित्र जल पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे इसकी शुद्धता कम हो सकती है। इसलिए इसे सुरक्षित स्थान पर बाहर रखना उचित होता है।

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इस प्रयोग से प्रमुख लाभ

  1. घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
  2. नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव कम होता है।
  3. ग्रहण दोष का असर परिवार पर नहीं पड़ता।
  4. मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  5. घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
  6. रोग और अशुभ प्रभावों से बचाव होता है।
  7. भोजन और जल की शुद्धता बनी रहती है।
  8. देवता और पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
  9. वास्तु दोष में कमी आती है।
  10. संतान और परिवार के स्वास्थ्य में सुधार होता है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. ग्रहण काल में खाने-पीने की चीजों को कैसे शुद्ध करें?
    – तुलसी पत्ते या कुश डालकर भोजन व जल को शुद्ध किया जा सकता है।
  2. क्या ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ किया जा सकता है?
    – ग्रहण के समय पूजा-पाठ वर्जित होता है, लेकिन मंत्र जप और ध्यान किया जा सकता है।
  3. ग्रहण के बाद तुलसी का पौधा कहां रखना चाहिए?
    – तुलसी के पौधे को स्नान कराकर पुनः अपने स्थान पर रखना चाहिए।
  4. ग्रहण के दौरान गंगाजल क्यों बाहर रखना चाहिए?
    – ताकि इसकी पवित्रता बनी रहे और ग्रहण दोष का प्रभाव न पड़े।
  5. ग्रहण के बाद कौन-से उपाय करने चाहिए?
    – स्नान करें, घर की सफाई करें और दान-पुण्य करें।
  6. ग्रहण के दौरान कौन-से कार्य वर्जित हैं?
    – भोजन, सोना, शुभ कार्य करना और यात्रा करना वर्जित माना जाता है।
  7. क्या गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी रखनी चाहिए?
    – हां, उन्हें ग्रहण के समय मंत्र जाप करना चाहिए और तेज धार वाले उपकरणों का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  8. ग्रहण के बाद पवित्र जल का उपयोग कैसे करें?
    – इसे स्नान के जल में मिलाकर या घर में छिड़ककर शुद्धि की जा सकती है।

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Guaranteed Job Stability & Promotion in Just 11 Days

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सिर्फ 11 दिन की यह साधना और आपकी नौकरी पक्की | नौकरी में प्रमोशन का रामबाण उपाय

Guaranteed Job Stability आज के समय में नौकरी पाना और उसमें स्थिरता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। कई बार मेहनत के बावजूद भी सफलता हाथ नहीं लगती। ऐसे में, शनि देव की कृपा पाने के लिए यह 11 दिन की साधना आपके लिए वरदान साबित हो सकती है। यह प्रयोग न सिर्फ नौकरी में स्थिरता लाती है, बल्कि प्रमोशन के रास्ते भी खोलती है।


लाभ

  1. नौकरी में स्थिरता – इस साधना से नौकरी में मिलती है सुरक्षा।
  2. प्रमोशन की संभावना – शनि देव की कृपा से मिलता है पदोन्नति का अवसर।
  3. काम में सफलता – कार्यक्षेत्र में बढ़ती है उन्नति।
  4. व्यवसाय में लाभ – व्यापारियों को मिलता है फायदा।
  5. आत्मविश्वास में वृद्धि – मन होता है मजबूत और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  6. कर्ज से मुक्ति – आर्थिक समस्याओं से मिलती है राहत।
  7. शत्रुओं पर विजय – कार्यस्थल पर दुश्मनों का डर खत्म होता है।
  8. मानसिक शांति – तनाव और चिंता से मिलती है मुक्ति।
  9. सकारात्मक ऊर्जा – जीवन में आती है नई उर्जा।
  10. सहकर्मियों का सहयोग – कार्यस्थल पर बढ़ता है सहयोग।
  11. नौकरी के नए अवसर – बेहतर नौकरी के रास्ते खुलते हैं।
  12. आर्थिक स्थिरता – आय के स्रोत बढ़ते हैं।
  13. काम में रुचि – कार्य के प्रति बढ़ता है लगाव।
  14. सफलता की गारंटी – हर काम में मिलती है सफलता।
  15. शनि दोष से मुक्ति – शनि की साधना से दूर होते हैं सभी दोष।

नियम (Niyam)

  1. शुद्धता का ध्यान – साधना शुरू करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. समय का पालन – हर दिन निश्चित समय पर साधना करें।
  3. मन की शांति – साधना के दौरान मन को शांत और एकाग्र रखें।
  4. आहार में संयम – सात्विक भोजन करें और मांसाहार से दूर रहें।
  5. दीपक जलाएं – शनि देव को तेल का दीपक अर्पित करें।
  6. मंत्र जाप – “ॐ ऐं श्रीं शं शनिश्चराय नमः” का जाप करें।
  7. दान दें – गरीबों को तेल, काली उड़द, और कंबल दान करें।
  8. व्रत रखें – यदि संभव हो तो शनिवार को व्रत रखें।

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मुहूर्त (Muhurt)

इस साधना को शुरू करने के लिए शनिवार का दिन सबसे उत्तम माना जाता है। शनि देव की कृपा पाने के लिए सुबह 6 बजे से 8 बजे तक का समय सबसे अच्छा होता है। इसके अलावा, शाम के समय भी साधना की जा सकती है।

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विधि (Vidhi)

  1. स्नान करें – सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. आसन बिछाएं – पूजा स्थल पर लाल या नीले रंग का आसन बिछाएं।
  3. दीपक जलाएं – तेल का दीपक जलाएं और शनि देव को अर्पित करें।
  4. मंत्र जाप – “ॐ ऐं श्रीं शं शनिश्चराय नमः” का ५४० बार जाप करें।
  5. प्रार्थना करें – शनि देव से नौकरी और प्रमोशन के लिए आशीर्वाद मांगें।
  6. दान करें – साधना के बाद गरीबों को दान दें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. क्या यह साधना हर कोई कर सकता है?
हां, यह साधना हर व्यक्ति कर सकता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला।

2. क्या इस साधना के लिए किसी गुरु की आवश्यकता है?
नहीं, इस साधना को बिना किसी गुरु के भी किया जा सकता है।

3. क्या साधना के दौरान किसी विशेष आहार का पालन करना चाहिए?
हां, सात्विक भोजन करें और मांसाहार से दूर रहें।

4. क्या यह साधना केवल शनिवार को ही की जा सकती है?
नहीं, यह साधना किसी भी दिन शुरू की जा सकती है, लेकिन शनिवार को शुरू करना अधिक फलदायी होता है।

5. क्या साधना के दौरान किसी विशेष मंत्र का जाप करना आवश्यक है?
हां, “ॐ ऐं श्रीं शं शनिश्चराय नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए।

6. क्या साधना के बाद दान देना जरूरी है?
हां, दान देने से शनि देव की कृपा और अधिक बढ़ती है।

7. क्या यह साधना नौकरी पाने में मददगार है?
हां, यह साधना नौकरी पाने और उसमें स्थिरता लाने में मदद करती है।

8. क्या साधना के दौरान किसी विशेष रंग के वस्त्र पहनने चाहिए?
हां, नीले या काले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।


अंत मे

यह 11 दिन की साधना आपके जीवन में नई उर्जा और सफलता ला सकती है। शनि देव की कृपा से न सिर्फ नौकरी में स्थिरता मिलती है, बल्कि प्रमोशन के रास्ते भी खुलते हैं। इस साधना को पूरे विश्वास और नियमितता के साथ करें, और अपने जीवन में सफलता की नई ऊंचाइयों को छूएं।

Three Day Krodh Bhairav Ritual for Ultimate Power

Three Day Krodh Bhairav Ritual for Ultimate Power

होश उड़ाने वाली 3 दिन की क्रोध भैरव प्रयोग विधि

Three Day Krodh Bhairav साधना तंत्र की एक रहस्यमयी साधना है। यह साधना करने से व्यक्ति में अपार ऊर्जा, आत्मविश्वास और शत्रुनाशक शक्ति का विकास होता है। क्रोध भैरव भगवान शिव के उग्र स्वरूप माने जाते हैं। इनकी आराधना से शत्रु बाधा, नकारात्मक ऊर्जा और भय समाप्त होते हैं।

इस प्रयोग के दौरान साधक को विशेष नियमों का पालन करना होता है। यह एक तीव्र प्रभावी साधना है जो केवल योग्य साधकों को करनी चाहिए। इसमें ॐ भ्रं क्रोध भैरवाय भ्रं हुं फट्ट मंत्र का विशेष महत्व है।


अद्भुत लाभ

  • इस साधना से व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है।
  • क्रोध भैरव की कृपा से सभी प्रकार के भय समाप्त हो जाते हैं।
  • यह प्रयोग साधक को बुरी शक्तियों से बचाता है।
  • साधना से व्यक्ति का आत्मविश्वास अत्यधिक बढ़ जाता है।
  • यह प्रयोग आर्थिक बाधाओं को दूर करने में सहायक है।
  • यदि कोई व्यक्ति किसी कानूनी समस्या में फंसा हो, तो यह साधना उसे राहत देती है।
  • यह साधना व्यक्ति को अपने कार्यों में शीघ्र सफलता दिलाती है।
  • कार्यस्थल पर सफलता और उन्नति में यह साधना सहायक है।
  • क्रोध भैरव की साधना से मानसिक शक्ति और धैर्य में वृद्धि होती है।
  • यह प्रयोग तांत्रिक बाधाओं से रक्षा करता है।
  • इस साधना के प्रभाव से शरीर रोगमुक्त रहता है।
  • क्रोध भैरव की उपासना से आध्यात्मिक शक्ति जागृत होती है।
  • इस साधना से बुरी आत्माओं और नजर दोष से मुक्ति मिलती है।
  • इस साधना से व्यक्ति का साहस और पराक्रम बढ़ता है।
  • साधक का आध्यात्मिक विकास तीव्र गति से होता है।

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आवश्यक नियम

  • ब्राह्मचर्य का पालन करें।
  • शुद्ध आहार ग्रहण करें।
  • साधना के समय क्रोध न करें।
  • गुप्त रूप से साधना करें।
  • प्रयोग के दौरान किसी से अनावश्यक वार्तालाप न करें।

शुभ मुहूर्त

  • अमावस्या और पूर्णिमा की रात्रि सर्वोत्तम होती है।
  • मंगलवार और शनिवार को आरंभ करना अधिक प्रभावशाली होता है।
  • रात्रि 10 बजे से 3 बजे के बीच का समय श्रेष्ठ है।

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साधना विधि

1. स्थान चयन

शुद्ध और शांत स्थान पर आसन बिछाकर बैठें।

2. साधना सामग्री

  • लाल आसन
  • सरसों का तेल दीपक
  • काले तिल
  • काले वस्त्र

3. प्रारंभिक अनुष्ठान

स्नान कर के शुद्ध हो जाएं और गणपति पूजन करें।

4. मंत्र जप

मंत्र: ॐ भ्रं क्रोध भैरवाय भ्रं हुं फट्ट

  • इसे 3 दिन मे 3100 बार जपें।
  • जप के दौरान दीपक जलता रहना चाहिए।

5. हवन

  • 108 आहुतियां दें।
  • हवन सामग्री में काले तिल, सरसों और गुड़ डालें।

6. समापन

  • भैरवजी को प्रणाम कर साधना समाप्त करें।
  • अगले तीन दिनों तक इस प्रक्रिया को दोहराएं।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. क्या यह साधना कोई भी कर सकता है

यह साधना अनुभवी साधकों के लिए है। सामान्य व्यक्ति को इसे बिना मार्गदर्शन के नहीं करना चाहिए।

2. क्या इस साधना के दुष्प्रभाव हैं

यदि नियमों का सही पालन किया जाए तो कोई दुष्प्रभाव नहीं होते।

3. क्या इस साधना के दौरान विशेष आहार लेना चाहिए

हाँ, सात्विक और हल्का भोजन ग्रहण करें।

4. यदि मंत्र का उच्चारण गलत हो जाए तो क्या होगा

यदि मंत्र गलत उच्चारित हो जाए, तो पुनः सही तरीके से करें।

5. क्या महिलाएँ यह साधना कर सकती हैं

हाँ, लेकिन उन्हें विशेष सावधानियां रखनी चाहिए।

7. इस साधना में सफलता कब मिलती है

साधना की शुद्धता और श्रद्धा पर निर्भर करता है। कुछ दिनों में प्रभाव दिखने लगता है।

8. क्या इस साधना के बाद कोई अनुष्ठान करना चाहिए

हाँ, भैरवजी को पंचमेवा और जल अर्पित करें।


इस साधना से जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन आ सकते हैं। उचित मार्गदर्शन में इसे करें और क्रोध भैरव की कृपा प्राप्त करें।

Naina Devi Sadhana: Remove Poverty, Gain Divine Blessings

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7 दिन की नैना देवी तंत्र साधना भाग्य और दरिद्रता बदलने का राज़

नैना देवी तंत्र साधना अत्यंत प्रभावशाली है यह जीवन की बाधाओं को दूर करने और समृद्धि प्राप्त करने का मार्ग है देवी नैना को विघ्नहंतेश्वरी के रूप में जाना जाता है उनका तांत्रिक स्वरूप जीवन की समस्याओं को समाप्त कर सकता है यह साधना 7 दिनों तक चलती है और सही विधि से करने पर भाग्य बदल सकता है

इस साधना के माध्यम से साधक अपनी दरिद्रता को दूर कर सकता है देवी नैना शक्ति, समृद्धि और सिद्धियों की अधिष्ठात्री हैं यह साधना विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो धन, सुख, सफलता और आध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं साधना पूर्ण होने के बाद साधक को अद्भुत परिणाम प्राप्त होते हैं


शक्ति और आस्था का प्रतीक

नैना देवी भारत में शक्ति की एक महत्वपूर्ण देवी मानी जाती हैं। यह देवी दुर्गा का ही एक स्वरूप हैं और विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित नैना देवी मंदिर के कारण प्रसिद्ध हैं। यह स्थान शक्तिपीठों में से एक माना जाता है और धार्मिक आस्था के साथ-साथ तांत्रिक साधनाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है।

पौराणिक महत्व

1. सती के नेत्र गिरने की कथा
पुराणों के अनुसार, जब भगवान शिव माता सती के शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उनके शरीर के टुकड़े कर दिए। माता सती के नेत्र (नयन) इस स्थान पर गिरे थे, इसलिए इस स्थान को नैना देवी कहा जाता है।

2. महिषासुर वध की कथा
एक अन्य कथा के अनुसार, इस स्थान पर देवी नैना ने महिषासुर का संहार किया था। महिषासुर को वरदान प्राप्त था कि कोई पुरुष उसे नहीं मार सकता, तब देवी ने प्रकट होकर उसे पराजित किया। इसी कारण यह स्थान शक्तिपीठ के रूप में प्रतिष्ठित हुआ।


अद्भुत लाभ

  • बाधाओं का नाश जीवन में आने वाली सभी रुकावटें समाप्त होती हैं
  • आर्थिक दरिद्रता का अंत धन की कमी दूर होती है और समृद्धि आती है
  • रोग निवारण स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ समाप्त होती हैं
  • मानसिक शांति मन को स्थिरता और शांति मिलती है
  • शत्रु बाधा समाप्त शत्रुओं से मुक्ति मिलती है
  • व्यापार और करियर में वृद्धि कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है
  • आध्यात्मिक शक्ति जागरण साधक की आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है
  • पारिवारिक कलह का अंत घर में शांति और प्रेम बना रहता है
  • संतान सुख प्राप्ति नि:संतान दंपत्तियों को संतान सुख मिलता है
  • ग्रह दोष निवारण कुंडली के दोष समाप्त होते हैं
  • सौभाग्य की प्राप्ति जीवन में सौभाग्य का संचार होता है
  • कार्यों में सफलता जो भी कार्य करते हैं उसमें सफलता मिलती है
  • तांत्रिक शक्ति की प्राप्ति साधना करने वाले को सिद्धियां प्राप्त होती हैं
  • विवाह में बाधा समाप्त विवाह में आने वाली सभी रुकावटें दूर होती हैं
  • आकर्षण और प्रभावशीलता व्यक्तित्व में चमत्कारी आकर्षण बढ़ता है

नैना देवी साधना के नियम सफलता के लिए आवश्यक अनुशासन

  • सात दिन तक पूर्ण नियम का पालन करें
  • शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करें
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें
  • प्रतिदिन साधना के लिए एक निश्चित समय रखें
  • नकारात्मक विचारों से दूर रहें
  • साधना काल में किसी को साधना के विषय में न बताएं
  • सिद्धि प्राप्ति के बाद देवी को भोग अर्पित करें

नैना देवी साधना के शुभ मुहूर्त

  • नवरात्रि के नौ दिन इस साधना के लिए सर्वश्रेष्ठ होते हैं
  • पूर्णिमा और अमावस्या की रात्रि सर्वोत्तम मानी जाती है
  • मंगलवार और शुक्रवार का दिन विशेष रूप से उत्तम होता है
  • ग्रहण काल में की गई साधना अत्यंत प्रभावशाली होती है

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नैना देवी तंत्र साधना विधि सही तरीका अपनाएं

  • साधना स्थल को पवित्र करें और लाल वस्त्र पहनें
  • देवी नैना का चित्र या यंत्र स्थापित करें
  • लाल पुष्प और दीप प्रज्वलित करें
  • नैवैद्य और गुड़-चने का भोग अर्पित करें
  • मंत्र ॐ ह्रीं क्रीं विघ्नहंतेश्वरी नैना देव्ये क्लीं नमः का 540 बार जाप करें
  • जाप पूर्ण होने के बाद ध्यान लगाएं और देवी से आशीर्वाद मांगें
  • सातवें दिन हवन करें और प्रसाद का वितरण करें

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नैना देवी साधना के सामान्य प्रश्न

1 क्या यह साधना कोई भी कर सकता है

हाँ, यह साधना हर व्यक्ति कर सकता है, बस नियमों का पालन करना आवश्यक है

2 साधना का सही समय क्या है

रात्रि 10 से 12 बजे के बीच का समय सबसे उत्तम होता है

3 क्या इस साधना में किसी विशेष वस्त्र का उपयोग करना आवश्यक है

हाँ, लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करना श्रेष्ठ होता है

4 यदि साधना में कोई त्रुटि हो जाए तो क्या करें

त्रुटि होने पर देवी से क्षमा मांगें और पुनः विधि पूर्वक करें

5 क्या महिलाएं यह साधना कर सकती हैं

हाँ, लेकिन रजस्वला अवस्था में साधना नहीं करनी चाहिए

6 क्या इस साधना से तंत्र सिद्धि प्राप्त हो सकती है

हाँ, यदि पूरी निष्ठा से की जाए तो तंत्र सिद्धि प्राप्त होती है

7 क्या इस साधना में हवन आवश्यक है

हाँ, अंतिम दिन हवन करने से साधना पूर्ण होती है

8 साधना का प्रभाव कितने समय में दिखने लगता है

सही विधि से करने पर पहले सप्ताह में ही परिवर्तन अनुभव होने लगते हैं

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नैना देवी साधना से भाग्य बदलें

नैना देवी तंत्र साधना एक अद्भुत प्रक्रिया है यह न केवल जीवन की बाधाओं को दूर करती है, बल्कि सौभाग्य और समृद्धि प्रदान करती है जो भी साधक पूरी श्रद्धा और नियमों का पालन करते हुए इस साधना को करता है, उसे निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है यह साधना भाग्य परिवर्तन का अद्वितीय मार्ग है देवी नैना की कृपा से साधक का जीवन सकारात्मक रूप से बदल सकता है

Solar Eclipse Kaalbhairav Sadhana – Destroy Enemies

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सूर्य ग्रहण पर कालभैरव साधना से सभी शत्रु होंगे नष्ट

सूर्य ग्रहण का समय अत्यंत शक्तिशाली और ऊर्जा से भरा होता है। इस समय की गई साधनाएं शीघ्र फलदायी होती हैं। कालभैरव साधना ग्रहण के दौरान विशेष रूप से प्रभावी होती है। यह न केवल शत्रु नाश करती है बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी देती है।

एक दिन की कालभैरव साधना की महिमा

इस साधना को ग्रहण के दौरान करने से शीघ्र फल प्राप्त होते हैं। शत्रु बाधा, तंत्रिक प्रभाव, आर्थिक संकट और अन्य समस्याएं समाप्त होती हैं। केवल एक दिन की साधना से भी अद्भुत परिणाम मिलते हैं।


कालभैरव साधना के अद्भुत लाभ

  • ग्रहण के समय की गई कालभैरव साधना शत्रुओं का प्रभाव समाप्त कर देती है।
  • यह साधना नकारात्मक शक्तियों, ऊपरी बाधाओं और जादू-टोने से रक्षा करती है।
  • कालभैरव साधना से मानसिक शांति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  • ग्रहण के दौरान की गई यह साधना अचानक धन प्राप्ति और आर्थिक लाभ में सहायक होती है।
  • व्यापार में रुकावटें दूर होती हैं और व्यवसाय में वृद्धि होती है।
  • कालभैरव कृपा से गृहक्लेश, आपसी मनमुटाव और कलह समाप्त होती है।
  • यह साधना राहु, केतु और शनि दोषों को समाप्त करती है।
  • जो लोग कानूनी विवादों से परेशान हैं, उन्हें विजय प्राप्त होती है।
  • कालभैरव साधना से अवरोध समाप्त होते हैं और सफलता के मार्ग खुलते हैं
  • कालभैरव की कृपा से बीमारियों और मानसिक विकारों से मुक्ति मिलती है।
  • यह साधना साहस, शक्ति और आत्मबल को बढ़ाती है।
  • यात्रा में आने वाली अड़चनें समाप्त होती हैं और सुरक्षा प्राप्त होती है।
  • ग्रहण पर साधना करने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
  • कालभैरव साधना से आध्यात्मिक प्रगति और सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
  • ग्रहण में की गई साधना अचानक आई समस्याओं और दुर्भाग्य को समाप्त कर देती है।

कालभैरव साधना के नियम

  • स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • भैरव मंदिर में या घर पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके साधना करें।
  • काले आसन पर बैठकर साधना करें।
  • साधना के दौरान मौन रहें और संयम रखें।
  • ग्रहण समाप्त होने तक साधना जारी रखें।
  • भैरव मंत्र का जाप करें और पूजा के बाद काले तिल का दान करें।

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कालभैरव साधना का मुहूर्त

सूर्य ग्रहण के समय साधना करना सर्वोत्तम होता है। ग्रहण शुरू होते ही साधना प्रारंभ कर दें और समाप्ति तक करें।

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कालभैरव साधना विधि

  1. स्नान कर काले वस्त्र धारण करें।
  2. एकांत स्थान में बैठकर दीप जलाएं।
  3. रुद्राक्ष की माला से 508 बार निम्न मंत्र का जाप करें।

👉 ॐ भ्रं कालभैरवाय क्लीं सूं नमः

  1. ग्रहण समाप्ति के बाद काले तिल और उड़द दान करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. क्या यह साधना कोई भी कर सकता है

हाँ, कोई भी व्यक्ति इस साधना को कर सकता है।

2. साधना का सबसे अच्छा समय क्या है

सूर्य ग्रहण और चतुर्दशी तिथि सर्वोत्तम समय है।

3. क्या इस साधना से शत्रु पूरी तरह समाप्त हो सकते हैं

हाँ, शत्रु बाधा समाप्त होती है और सफलता मिलती है।

4. क्या इसे घर पर किया जा सकता है

हाँ, शुद्ध स्थान पर इसे घर में भी कर सकते हैं।

5. कितने दिनों तक यह साधना करनी चाहिए

साधना ग्रहण में करने से तुरंत फल देती है।

6. क्या इस साधना से आर्थिक लाभ होता है

हाँ, धन प्राप्ति और व्यापार में वृद्धि होती है।

7. क्या महिलाएं यह साधना कर सकती हैं

हाँ, परंतु मासिक धर्म में इसे न करें।

8. साधना के बाद क्या करें

साधना के बाद दान दें और भगवान कालभैरव की आरती करें।


अंत मे

सूर्य ग्रहण पर कालभैरव साधना अत्यंत शक्तिशाली होती है। यह साधना शत्रु नाश, धन प्राप्ति और सुरक्षा प्रदान करती है। यदि पूरी श्रद्धा और नियम से यह साधना की जाए, तो जीवन में सुख-समृद्धि अवश्य आती है।

Powerful Solar Eclipse Ritual to Remove Ancestral Curses

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सूर्य ग्रहण और पितृ दोष निवारण की अद्भुत साधना

Powerful Solar Eclipse Ritual – सूर्य ग्रहण एक विशेष ज्योतिषीय घटना है, जो पितृ दोष निवारण के लिए अति शुभ मानी जाती है। इस दौरान की गई साधनाएँ शीघ्र फल देती हैं। पितृ दोष जीवन में अनेक कठिनाइयों का कारण बन सकता है, जैसे आर्थिक संकट, संतानहीनता, मानसिक तनाव और बाधाएँ। सूर्य ग्रहण के प्रभावी समय में पितरों की कृपा पाने के लिए विशेष साधना की जाती है।

पितृ दोष निवारण के लिए सूर्य ग्रहण के दौरान ॐ ऐं श्रीं सर्व पित्राय स्वधा मंत्र का जाप अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। यह साधना करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और जीवन की रुकावटें समाप्त होती हैं।


पितृ दोष निवारण साधना के अद्भुत लाभ

  1. पितरों की कृपा प्राप्त होती है
  2. आर्थिक स्थिति में सुधार होता है
  3. संतान संबंधी समस्याओं का समाधान होता है
  4. मानसिक शांति प्राप्त होती है
  5. स्वास्थ्य में सुधार आता है
  6. कर्ज से मुक्ति मिलती है
  7. परिवार में सुख-शांति बनी रहती है
  8. व्यापार और नौकरी में तरक्की होती है
  9. बाधाएँ और विघ्न दूर होते हैं
  10. आध्यात्मिक उन्नति होती है
  11. जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है
  12. पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है
  13. विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं
  14. अकारण होने वाली दुर्घटनाएँ समाप्त होती हैं
  15. गृह क्लेश और पारिवारिक समस्याएँ समाप्त होती हैं

साधना के नियम और अनुशासन

  1. ग्रहण से पूर्व स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें
  2. साधना के दौरान पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें
  3. साधना एकांत में शांत स्थान पर करें
  4. दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जाप करें
  5. पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर साधना करना अधिक लाभकारी होता है
  6. इस दौरान सात्विक आहार लें और नकारात्मक विचारों से बचें
  7. सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद गरीबों को भोजन कराएँ
  8. पितरों के निमित्त तर्पण करें

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सूर्य ग्रहण में पितृ दोष निवारण साधना का शुभ मुहूर्त

सूर्य ग्रहण के दौरान साधना करने के लिए सही मुहूर्त का चयन अति आवश्यक होता है। ग्रहण प्रारंभ होते ही साधना प्रारंभ कर देनी चाहिए और ग्रहण समाप्ति तक जारी रखनी चाहिए।

इस अवधि में किया गया मंत्र जाप और तर्पण अत्यंत प्रभावशाली होता है।

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सूर्य ग्रहण में पितृ दोष निवारण की विधि

  1. ग्रहण से पहले पवित्रता बनाए रखें और मानसिक रूप से तैयार हों
  2. पीले या सफेद वस्त्र धारण करें
  3. एक साफ आसन पर बैठकर पूर्वजों को स्मरण करें
  4. 508 बार ॐ ऐं श्रीं सर्व पित्राय स्वधा मंत्र का जाप करें
  5. जल में काले तिल, फूल और कुश डालकर तर्पण करें
  6. ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान कर लें और ब्राह्मणों को भोजन कराएँ
  7. जरूरतमंदों को दान दें और पूर्वजों के निमित्त प्रार्थना करें

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पितृ दोष निवारण साधना से जुड़े सामान्य प्रश्न

1. क्या सूर्य ग्रहण में पितृ दोष निवारण संभव है

हाँ, सूर्य ग्रहण के दौरान की गई साधना पितृ दोष निवारण में अत्यंत प्रभावशाली होती है।

2. क्या ग्रहण के दौरान भोजन किया जा सकता है

नहीं, ग्रहण के दौरान भोजन और जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।

3. क्या महिलाएँ यह साधना कर सकती हैं

हाँ, लेकिन वे विशेष सावधानी और पवित्रता का पालन करें।

4. क्या यह साधना बिना गुरु के की जा सकती है

हाँ, लेकिन यदि गुरु मार्गदर्शन दें तो अधिक लाभ होता है।

5. यदि ग्रहण के समय उपलब्ध न हो तो क्या करें

अन्य विशेष तिथियों, जैसे अमावस्या या श्राद्ध पक्ष में भी यह साधना कर सकते हैं।

6. क्या ग्रहण के बाद साधना का प्रभाव रहता है

हाँ, लेकिन ग्रहण काल में की गई साधना का प्रभाव कई गुना अधिक होता है।

7. क्या साधना केवल सूर्य ग्रहण में करनी चाहिए

सूर्य और चंद्र ग्रहण दोनों में यह साधना लाभकारी होती है।

8. क्या इस साधना से पितृ दोष पूर्ण रूप से समाप्त हो सकता है

हाँ, यदि विधि-विधान से साधना की जाए तो पितृ दोष नष्ट हो सकता है।


सूर्य ग्रहण में की गई यह साधना जीवन की अनेक समस्याओं का समाधान कर सकती है। पितरों की कृपा पाने और जीवन को सुखमय बनाने के लिए इस पावन अवसर का सदुपयोग अवश्य करें।

Solar Eclipse Shiva Sadhana for Quick Success & Blessings

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सूर्य ग्रहण पर विशेष शिव साधना – तुरंत सिद्धि का रहस्य

सूर्य ग्रहण के समय की गई साधनाएँ शीघ्र फलदायी होती हैं। इस काल में किए गए मंत्र जाप, हवन और ध्यान से साधक को तुरंत सिद्धि मिलती है। शिव साधना इस काल में अत्यंत प्रभावशाली होती है क्योंकि यह काल नकारात्मक ऊर्जाओं के प्रभाव को नष्ट कर सकारात्मक शक्ति प्रदान करता है।

ग्रहण काल में भगवान शिव का ध्यान और मंत्र जप करने से भक्त को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। इस विशेष साधना से जीवन की बाधाएँ समाप्त होती हैं और साधक को मनोवांछित फल प्राप्त होता है।


सूर्य ग्रहण पर शिव साधना के दिव्य लाभ

1. शीघ्र सिद्धि प्राप्ति

ग्रहण काल में की गई शिव साधना अन्य समय की तुलना में कई गुना अधिक प्रभावशाली होती है।

2. नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश

ग्रहण काल में शिव साधना करने से नकारात्मक शक्तियों का अंत होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

3. आर्थिक समृद्धि

ग्रहण के समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करने से धन की प्राप्ति और समृद्धि बढ़ती है।

4. रोगों से मुक्ति

भगवान शिव की साधना करने से शरीर की बीमारियाँ दूर होती हैं और आरोग्य लाभ प्राप्त होता है।

5. मानसिक शांति

साधना से मानसिक तनाव दूर होता है और व्यक्ति को गहरी शांति का अनुभव होता है।

6. बुरी दृष्टि से बचाव

ग्रहण के समय शिव साधना करने से बुरी नजर और बुरे प्रभाव से रक्षा होती है।

7. पितृ दोष निवारण

ग्रहण काल में भगवान शिव की आराधना करने से पितृ दोष समाप्त होता है।

8. विवाह संबंधी बाधाओं का नाश

जो लोग विवाह में देरी या अन्य बाधाओं का सामना कर रहे हैं, उन्हें इस समय विशेष शिव साधना करनी चाहिए।

9. भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति

ग्रहण काल में की गई शिव साधना नकारात्मक ऊर्जाओं को समाप्त कर भयमुक्त बनाती है।

10. कर्मों का शुद्धिकरण

इस समय की गई साधना से पूर्व जन्म और इस जन्म के पाप नष्ट होते हैं।

11. आध्यात्मिक उन्नति

भगवान शिव की उपासना करने से साधक का आध्यात्मिक स्तर बढ़ता है।

12. ग्रह दोष निवारण

राहु-केतु से संबंधित दोषों को समाप्त करने के लिए ग्रहण काल में शिव साधना अत्यंत प्रभावी मानी जाती है।

13. मनोकामना पूर्ति

जो लोग विशेष इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रयास कर रहे हैं, उन्हें इस साधना का लाभ लेना चाहिए।

14. शत्रुओं से सुरक्षा

ग्रहण काल की गई शिव साधना व्यक्ति को शत्रुओं के प्रभाव से बचाती है।

15. ध्यान शक्ति में वृद्धि

ग्रहण काल में साधना करने से ध्यान करने की शक्ति बढ़ती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है।


सूर्य ग्रहण पर शिव साधना के नियम

  • ग्रहण से पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • साधना के लिए एकांत स्थान का चयन करें।
  • साधना के दौरान शिवलिंग का पूजन करें।
  • मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें।
  • ग्रहण समाप्त होने के बाद पुनः स्नान करें।

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सूर्य ग्रहण पर शिव साधना का शुभ मुहूर्त

ग्रहण काल में किए गए सभी धार्मिक अनुष्ठान अत्यंत शुभ माने जाते हैं।

  • ग्रहण शुरू होने से लेकर समाप्ति तक साधना का विशेष फल प्राप्त होता है।
  • इस दौरान ‘ॐ सूं सूर्याय ह्रौं नमः’ का जाप करना अत्यंत शुभ होता है।

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सूर्य ग्रहण पर शिव साधना की विधि

  • साफ स्थान पर सफेद या काले वस्त्र बिछाएँ और शिवलिंग की स्थापना करें।
  • गंगा जल, दूध, दही, शहद और बिल्व पत्र से शिवलिंग का अभिषेक करें।
  • ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
  • गाय के घी से अग्निहोत्र करें और शिव मंत्रों का उच्चारण करें।
  • भगवान शिव का ध्यान करें और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. सूर्य ग्रहण पर शिव साधना क्यों करें

सूर्य ग्रहण का समय साधना के लिए अत्यंत प्रभावशाली होता है। इस दौरान की गई उपासना से शीघ्र सिद्धि प्राप्त होती है।

2. क्या ग्रहण के बाद साधना का प्रभाव रहता है

हाँ, ग्रहण के दौरान की गई साधना का प्रभाव दीर्घकालिक होता है।

3. क्या ग्रहण के समय भोजन कर सकते हैं

ग्रहण काल में भोजन वर्जित होता है, साधकों को उपवास रखना चाहिए।

4. ग्रहण के बाद क्या करना चाहिए

स्नान कर पवित्रता बनाए रखें और भगवान शिव का धन्यवाद करें।

5. ग्रहण काल में कौन से मंत्र प्रभावी होते हैं

‘ॐ सूं सूर्याय ह्रौं नमः’ और ‘महामृत्युंजय मंत्र’ अत्यधिक प्रभावशाली होते हैं।

6. क्या ग्रहण काल में जल ग्रहण किया जा सकता है

विशेष परिस्थितियों में साधक गंगाजल ग्रहण कर सकते हैं।

7. क्या महिलाएँ शिव साधना कर सकती हैं

हाँ, महिलाएँ भी इस साधना को कर सकती हैं।

8. ग्रहण काल में कौन से कार्य नहीं करने चाहिए

इस समय सोना, भोजन करना, नकारात्मक विचार रखना वर्जित है।


सूर्य ग्रहण पर शिव साधना एक अत्यंत प्रभावशाली प्रक्रिया है। जो भी व्यक्ति ग्रहण काल में शिव साधना करता है, उसे शीघ्र सिद्धि प्राप्त होती है। भगवान शिव की कृपा से जीवन की सभी बाधाएँ समाप्त होती हैं और साधक को मनचाहा फल प्राप्त होता है।

Ghumorna Devi Holi Sadhana – Wealth Protection & Peace

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धुमोरना बस एक रात की साधना और जीवनभर की समस्याओं से छुटकारा

Ghumorna Devi Holi Sadhana – होली केवल रंगों का पर्व नहीं, बल्कि तंत्र और सिद्धियों की रात भी होती है। इस रात की गई साधना शीघ्र फलदायी होती है। यह रात्रि नकारात्मक शक्तियों को दूर करने, आर्थिक संकट से मुक्ति और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। विशेष मंत्रों और साधनाओं का पालन करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।


क्यों का समाधान है होली की रात की साधना

इस रात को किए गए तांत्रिक और वैदिक अनुष्ठान अत्यंत प्रभावशाली होते हैं। यह रात तंत्र, सिद्धि और शक्ति प्राप्त करने के लिए उपयुक्त मानी गई है। इस रात विशेष रूप से की गई साधना से दुर्भाग्य दूर होता है। इस अवसर पर किए गए अनुष्ठान जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता दिलाते हैं।


होली की रात की साधना के अद्भुत लाभ

  1. नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति
  2. आर्थिक समस्या का समाधान
  3. शत्रुओं से रक्षा और विजय
  4. घर में सुख-शांति का आगमन
  5. दुर्भाग्य से छुटकारा
  6. स्वास्थ्य में सुधार
  7. आध्यात्मिक उन्नति
  8. करियर और व्यवसाय में सफलता
  9. विवाह में आ रही बाधाओं का निवारण
  10. ऋण और कर्ज से मुक्ति
  11. संतान प्राप्ति में सहायता
  12. कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता
  13. ग्रह दोषों का निवारण
  14. रिश्तों में मधुरता
  15. मानसिक शांति और आत्मिक बल

होली की रात साधना के नियम

साधना से पहले ध्यान देने योग्य बातें

  • स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • साधना के लिए एकांत स्थान का चयन करें।
  • साधना में पूर्ण निष्ठा और विश्वास रखें।
  • किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन न करें।
  • मन को शांत और एकाग्र रखें।

महत्वपूर्ण नियम

  1. साधना पूर्ण गोपनीय रखें।
  2. साधना के दौरान मोबाइल या अन्य चीजों से ध्यान न भटकाएं।
  3. किसी भी साधना को अधूरा न छोड़ें।
  4. गुरु या योग्य मार्गदर्शक से परामर्श लेकर ही साधना करें।
  5. साधना के बाद ईश्वर को धन्यवाद दें।

शुभ मुहूर्त

होली पूजन का सही समय

  • पूर्णिमा तिथि: होली की रात पूर्णिमा तिथि में साधना करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • रात्रि काल: रात्रि 11:30 बजे से 3:00 बजे के बीच किया गया साधना विशेष फलदायी होती है।
  • ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 4:00 से 6:00 बजे के बीच की गई साधना अत्यधिक प्रभावशाली होती है।

होली की रात साधना विधि

सामग्री

  • लाल वस्त्र
  • दीपक और धूपबत्ती
  • काले तिल और काले उड़द की दाल
  • कर्पूर और गोघृत दीपक
  • विशेष मंत्र का जाप करने के लिए रुद्राक्ष माला
  • सिंदूर, गुड़ और सरसों के दाने

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साधना की प्रक्रिया

  1. सबसे पहले स्नान करके पवित्र हो जाएं।
  2. पूर्व दिशा में बैठकर एक लकड़ी का आसन बिछाएं।
  3. सामने लाल कपड़ा बिछाकर उस पर दीपक जलाएं।
  4. काले उड़द और काले तिल की एक ढेरी बनाएं।
  5. ॐ ह्रीं धुमोर्ने सर्व विघ्न बाधा किलि किलि हुं फट् मंत्र का 108 बार जाप करें।
  6. धुमोर्ना देवी यमराज की पत्नी मानी जाती है जो क्रूर कर्म की देवी मानी जाती है, इनकी साधना सभी तरह के विघ्नों को शांत कर देता है.
  7. पूजा समाप्त होने के बाद किसी जरूरतमंद को उड़द और तिल का दान करें।
  8. अंत में ईश्वर से अपने उद्देश्य की पूर्ति हेतु प्रार्थना करें।

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होली की रात साधना से जुड़े सामान्य प्रश्न

1. होली की रात साधना क्यों की जाती है

यह रात तांत्रिक और सिद्धियों के लिए अत्यधिक प्रभावशाली होती है। इस रात की गई साधना से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो सकती हैं।

2. क्या होली की रात तंत्र साधना करना सुरक्षित है

हाँ, यदि इसे सही विधि से किया जाए और किसी योग्य गुरु के मार्गदर्शन में किया जाए।

3. क्या कोई भी व्यक्ति यह साधना कर सकता है

हाँ, कोई भी श्रद्धालु इस साधना को कर सकता है, लेकिन नियमों का पालन आवश्यक है।

4. क्या इस साधना से आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है

हाँ, यह साधना आर्थिक संकट को दूर करने में सहायक होती है।

5. क्या ग्रह दोषों को दूर करने के लिए यह साधना कारगर है

हाँ, यह साधना विशेष रूप से शनि, राहु और केतु के दोषों को कम करने में सहायक होती है।

6. क्या साधना के दौरान कोई विशेष भोग लगाना चाहिए

जी हाँ, गुड़, तिल और सरसों के दाने का भोग अर्पित करना शुभ होता है।

7. साधना के बाद क्या करना चाहिए

साधना के बाद प्रसाद बांटना और जरूरतमंदों को दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।