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Lakshmi Ganesha Pujan Shivir

Lakshmi Ganesha Pujan Shivir

17 Sept. 2024- लक्ष्मी-गणेश पूजन शिविर- (अनंत चतुर्दशी) वज्रेश्वरी

लक्ष्मी-गणेश पूजन शिविर का आयोजन अनंत चतुर्दशी के शुभ मुहुर्थ पर किया जा रहा है। इसका का उद्देश्य भक्तों को मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त कराना है। यह शिविर विशेष रूप से उन लोगों के लिए आयोजित किया जाता है जो अपनी आर्थिक स्थिति, कर्ज, विघ्न बाधा की समस्या को सुधारना चाहते हैं और जीवन में समृद्धि प्राप्त करना चाहते हैं।

इस शिविर मे आप आकर भी भाग ले सकते है या ऑनलाईन भी भाग ले सकते है।

लक्ष्मी-गणेश पूजन शिविर से लाभ

  1. आर्थिक समृद्धि: लक्ष्मी-गणेश पूजा करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
  2. शांति और संतोष: पूजा से मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है।
  3. परिवारिक सुख: परिवार में सुख-शांति और सामंजस्य बना रहता है।
  4. स्वास्थ्य लाभ: नियमित पूजा से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  5. व्यापार में वृद्धि: व्यापार में वृद्धि और समृद्धि प्राप्त होती है।
  6. विघ्नों का नाश: भगवान गणेश की पूजा से सभी विघ्नों का नाश होता है।
  7. सकारात्मक ऊर्जा: पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  8. दृढ़ संकल्प: पूजा से मन में दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  9. समस्याओं का समाधान: जीवन की समस्याओं का समाधान मिलता है।
  10. आध्यात्मिक उन्नति: पूजा से आध्यात्मिक उन्नति और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
  11. सुख-समृद्धि का विस्तार: परिवार में सुख-समृद्धि का विस्तार होता है।
  12. कर्मों का शुद्धिकरण: पूजा से पापों का नाश और पुण्य का संचय होता है।

Book pujan shivir

पूजा के दिन क्या खाएं और क्या न खाएं?

क्या खाएं: पूजा के दिन हल्का और सात्त्विक भोजन करें। फलों का सेवन करें, जैसे सेब, केला, और अंगूर। दूध और उससे बने पदार्थ जैसे खीर, पनीर और दही का सेवन करें। सूखे मेवे जैसे बादाम, काजू, और किशमिश खा सकते हैं।

क्या न खाएं: तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज, मांस और मछली से परहेज करें। शराब और तम्बाकू का सेवन न करें। अधिक मसालेदार और तैलीय भोजन से भी बचें।

पूजा के दौरान सावधानियां

  1. शारीरिक शुद्धता: पूजा से पहले स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
  2. मानसिक शुद्धता: पूजा के दौरान मन को शांत और स्थिर रखें।
  3. भक्तिभाव: भगवान गणेश और लक्ष्मी की पूजा में पूर्ण श्रद्धा और भक्ति का भाव रखें।
  4. सही दिशा: पूजा स्थल को उत्तर या पूर्व दिशा की ओर रखें।
  5. समय का ध्यान: पूजा का समय शुभ मुहूर्त में करें।

लक्ष्मी-गणेश पूजन शिविर मे भाग लेने वालों के लिये

  • इस शिविर इस शिविर मे भाग लेना चाहते है तो ब्लू ब्लैक कपड़े न पहने।
  • एक नारियल व घी लेकर आना होगा।
  • आप कोई भी कपड़े पहने, लेकिन साधना मे ढीले-ढाले वस्त्र पहनना है।
  • इस साधना मे लक्ष्मी-गणेश कवच हमारी तरफ से दिया जायेगा।
  • पूजन का समय २ से ५ घंटे तक का हो सकता है।

ऑनलाईन भाग लेने वालों के लिये

  • रजिस्ट्रेशन करने के बाद कोई भी भक्त भाग ले सकता है।
  • आपको अपना नाम, पिता का नाम, गोत्र व फोटो WhatsApp पर भेजना होगा।
  • आपको उच्चारण के साथ मंत्र का ऑडियो WhatsApp द्वारा भेजा जायेगा।
  • जो मंत्र दिया जायेगा उसको अपने समय के अनुसार जाप कर सकते है। यानी आपका जो रुटीन कार्य है, वह करे और बीच बीच मे समय निकालकर मंत्र का जप करे।
  • मंत्र जप के दौरान ब्लू व ब्लैक कपड़े न पहने।
  • पूजन हवन यूट्यूब पर लाईव दिखाया जायेगा।
  • पूजन समाप्त होने के २४ घंटे के अंदर किसी को खाने पीने वस्तु दान करे, पैसे दान न करे।
  • लक्ष्मी-गणेश पूजन समाप्त होने के बाद यंत्र व सामग्री आपको भेजी जायेगी।

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लक्ष्मी-गणेश पूजन- ऑनलाईन भाग लेने वालों के लिये

इसके बाद लक्ष्मी-गणेश पूजन सामग्री आपके घर पर विधि के साथ कुरियर से भेज दी जाती है तथा बाकी की जानकारी WhatsApp पर दी जाती है।

रजिस्ट्रेशन करने के बाद कोई भी भक्त भाग ले सकता है।

आपको अपना नाम, पिता का नाम, गोत्र व फोटो WhatsApp पर भेजना होगा।

लक्ष्मी-गणेश पूजन सामग्री आपके फोटो साधना हॉल मे रखी जाती है, जहां पर पूजा होगी।

जो मंत्र दिया जायेगा उसको अपने समय के अनुसार जाप कर सकते है। यानी आपका जो रुटीन कार्य है, वह करे और बीच बीच मे समय निकालकर मंत्र का जप करे।

मंत्र जप के दौरान ब्लू व ब्लैक कपड़े न पहने।

दूसरे दिन साधना समाप्त होने के २४ घंटे के अंदर किसी को खाने पीने वस्तु दान करे, पैसे दान न करे।

Chhaya Purush Sadhana Shivir at Vajreshwari

chhaya purush sadhana shivir

छाया पुरुष साधना, एक ऐसी विधि है जिसमे अपने ही शरीर की छाया के द्वारा मार्गदर्शन लिया जाता है। साधक आत्म-साक्षात्कार और आंतरिक शक्ति प्राप्त करने के लिए इनकी साधना करते है। इस साधना का उद्देश्य अपनी छाया के माध्यम से एक अदृश्य सहायक पुरुष (छाया पुरुष) को जागृत करना होता है, जो साधक की सहायता और मार्गदर्शन करता है। यह साधना उन लोगों के लिए अत्यधिक लाभकारी मानी जाती है जो अपनी आध्यात्मिक, मानसिक, आर्थिक व व्यावसायिक यात्रा में उन्नति चाहते हैं।

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छाया पुरुष साधना के लाभ

  1. आत्मज्ञान और अन्तर्दृष्टि (Intuitions): साधना के माध्यम से साधक को अत्यधिक स्पष्ट और सटीक अन्तर्दृष्टि प्राप्त होती है।
  2. ऊर्जा से मार्गदर्शन (Guidance from energy): छाया पुरुष, साधक को ऊर्जा के रूप में मार्गदर्शन करता है।
  3. बिजनेस में सहायता (Business assistance): यह साधना बिजनेस के निर्णय लेने में सहायता करती है।
  4. निर्णय लेने में मदद (Decision making): कठिन निर्णय लेने में छाया पुरुष सहायक सिद्ध होता है।
  5. डर दूर करना (Removing fear): छाया पुरुष साधना साधक के सभी डर और भय को दूर करने में मदद करती है।
  6. सहयोगी की तरह मदद (Assistance as a companion): छाया पुरुष एक अदृश्य सहयोगी के रूप में हमेशा साधक के साथ रहता है।
  7. नौकरी-बिजनेस में सफलता (Success in job and business): यह साधना नौकरी और व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
  8. शत्रुओं को दूर करना (Removing enemies): साधक के शत्रुओं को दूर करने में छाया पुरुष मदद करता है।
  9. विघ्न बाधा दूर करना (Removing obstacles): जीवन में आने वाली विघ्न बाधाओं को छाया पुरुष साधना दूर करने में सक्षम है।
  10. तंत्र बाधा दूर करना (Removing tantra obstructions): तांत्रिक बाधाओं और ऊपरी बाधाओं को यह साधना दूर करती है।
  11. मुसीबतों से बचाना (Protecting from troubles): छाया पुरुष साधना मुसीबतों से बचाने में सहायक होती है।
  12. मानसिक शक्ति (Mental strength): साधना से मानसिक शक्ति और धैर्य का विकास होता है।
  13. आध्यात्मिक उन्नति (Spiritual advancement): साधक की आध्यात्मिक यात्रा में छाया पुरुष महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  14. विचार शक्ति में वृद्धि (Increase in thought power): साधना से विचार शक्ति और क्रियात्मकता में वृद्धि होती है।
  15. संकल्प शक्ति (Willpower): साधक की संकल्प शक्ति को दृढ़ और मजबूत बनाता है।
  16. ध्यान और एकाग्रता (Meditation and concentration): छाया पुरुष साधना से ध्यान और एकाग्रता की क्षमता बढ़ती है।

साधना की सिद्धि (Sadhana Siddhi)

इस साधना की सिद्धि प्राप्त करने के लिए साधक को 1,25,000 मंत्रों का जाप करना होता है। साधना के लिए आवश्यक होता है। इस शिविर २ दिन लगातार मंत्र का जप किया जाता है, सिर्फ ४ घंटा सोने मिलता है।

साधना शिविर

छाया पुरुष साधना को सीखने और इसे सही ढंग से करने के लिए इस विशेष साधना शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इसमें भाग लेकर साधक इस साधना को गहराई से सीख सकते हैं। इसके अलावा, अब ऑनलाइन भी साधना के लिए भाग लिया जा सकता है।

यह साधना विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो अपने जीवन में आत्मविश्वास, सफलता और सुरक्षा के साथ तरक्की चाहते हैं।

शिविर मे भाग लेने वालों के लिये

  • इस शिविर मे दो दिन तक खाने पीने व रहने की सुविधा दी गई है।
  • साधना करते समय ढीले ढाले वस्त्र पहने
  • ब्लू व ब्लैक रंग के कपड़े छोड़ कर कोई भी रंग का कपड़ा पहन सकते है।
  • साधना मे भाग लेने के लिये १ नारियल व २५० ग्राम गाय का घी लाना अनिवार्य है।
  • आप कोई भी कपड़े पहने, लेकिन साधना मे ढीले-ढाले वस्त्र पहनना है।
  • इस साधना मे छाया पुरुष साधना सामग्री (सिद्ध छाया पुरुष यंत्र, सिद्ध छाया पुरुष माला, छाया पुरुष पारद गुटिका, सफेद-काली-लाल चिरमी दाना, आसन, सिद्ध गोमती चक्र, सिद्ध काली हल्दी, छाया पुरुष कवच) दी जाती है।

ऑनलाईन भाग लेने वालों के लिये

  • रजिस्ट्रेशन करने के बाद कोई भी भक्त भाग ले सकता है।
  • आपको अपना नाम, पिता का नाम, गोत्र व फोटो WhatsApp पर भेजना होगा।
  • छाया पुरुष साधना सामग्री (सिद्ध छाया पुरुष यंत्र, सिद्ध छाया पुरुष माला, छाया पुरुष पारद गुटिका, सफेद-काली-लाल चिरमी दाना, आसन, सिद्ध गोमती चक्र, सिद्ध काली हल्दी, छाया पुरुष कवच) के साथ आपकी फोटो साधना हॉल मे रखी जाती है, जहां पर मंत्र का जाप किया जायेगा।
  • आपको उच्चारण के साथ मंत्र का ऑडियो WhatsApp द्वारा भेजा जायेगा।
  • दूसरे दिन दीक्षा दी जायेगी, इसकी डिटेल जानकारी WhatsApp या फोन पर दी जायेगी।
  • जो मंत्र दिया जायेगा उसको अपने समय के अनुसार जाप कर सकते है। यानी आपका जो रुटीन कार्य है, वह करे और बीच बीच मे समय निकालकर मंत्र का जप करे।
  • मंत्र जप के दौरान ब्लू व ब्लैक कपड़े न पहने।
  • आपको दूसरे दिन दीक्षा दी जायेगी, इसका समय WhatsApp द्वारा दिया जायेगा। शाम के समय हवन होगा, जिसे यूट्यूब पर लाईव दिखाया जायेगा।
  • दूसरे दिन साधना समाप्त होने के २४ घंटे के अंदर किसी को खाने पीने वस्तु दान करे, पैसे दान न करे।
  • इसके बाद छाया पुरुष साधना सामग्री आपके घर पर विधि के साथ कुरियर से भे दी जाती है तथा बाकी की जानकारी WhatsApp पर दी जाती है।

नियम

  • २ दिन ब्रह्मचर्य रहे।
  • अपनी साधना गुप्त रखे।
  • मसालेदार चीजो का सेवन न करे।
  • धूम्रपान, मद्यपान व मांसाहार का सेवन न करे।
  • गुस्से पर नियंत्रण रखे।
  • जिस भी देवी को आप मानते है, उनसे अपने लिये साधना मे सफलता के मनोकामना करे।

Note

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Tantrokta Rudrabhishek pujan for Family Peace

Tantrokta Rudrabhishek pujan for Family Peace

मुंबई के निकट वज्रेश्वरी मे शिवरात्रि के मुहुर्थ पर तंत्रोक्त विधि से रुद्राभिषेक पूजन का आयोजन हो रहा है. इसमे भगवान शिव के सभी १२ ज्योतिर्लिंग की पूजा के साथ ही रुद्राभिषेक पूजन करवाया जायेगा. ये पूजा मनुष्य के सभी पाप को नष्टकर ग्रहस्थ जीवन को सुखमय बनाती है. नजर, तंत्र बाधा व शत्रु दोष को नष्ट करती है. और नौकरी, ब्यवसाय मे सफलता मिलती है.

इसमें भाग लेने के दो तरीके है एक तो शिविर मे आकर साधना में भाग ले सकते है दूसरा आप ऑनलाइन भी भाग ले सकते हैं अगर आप भाग लेना चाहते हैं तो नीचे डिस्क्रिप्शन में लिंक दिया है वहां पर फॉर्म भरकर आप इस शिविर मे शामिल हो सकते है

RUDRABHISHEK PUJAN SHIVIR – BOOKING

रुद्राभिषेक पूजा से कई धार्मिक, आध्यात्मिक और भौतिक लाभ

  1. आध्यात्मिक लाभ: रुद्राभिषेक पूजा से मनुष्य का मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है। यह शांति, संतुलन और आत्मसमर्पण की भावना प्रदान करता है।
  2. शारीरिक लाभ: इस पूजा से शारीरिक रूप से स्वास्थ्य और ताकत मिलती है। यह रोगनिवारण और लंबी आयु के लिए भी लाभकारी होता है।
  3. आर्थिक लाभ: रुद्राभिषेक पूजा से आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है और धन लाभ हो सकता है। यह व्यापार में सफलता और आर्थिक संपन्नता की प्राप्ति में मदद कर सकता है।
  4. परिवारिक और सामाजिक लाभ: इस पूजा से परिवार में एकता और सद्भावना बनी रहती है, जो परिवार के सभी सदस्यों के लिए लाभकारी है। साथ ही, समाज में भी आपकी स्थिति में सम्मान मिल सकता है।
  5. आत्मिक लाभ: यह पूजा आपको अपने आप से और भगवान से जुड़ने की भावना प्रदान कर सकती है, जिससे आपका आत्मविश्वास और स्वाभिमान मजबूत होता है।

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तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा पृश्न उत्तर

  1. तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा क्या है?
    • ये विशेष पूजा है, जिसमें रुद्र के विभिन्न स्वरूपों का अभिषेक किया जाता है।
  2. तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    • इसका मुख्य उद्देश्य भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना, मनोकामनाओं की पूर्ति, और जीवन में शांति और समृद्धि लाना है।
  3. तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा के लिए कौन सा दिन शुभ होता है?
    • इस पूजा के लिए सोमवार, महाशिवरात्रि, श्रावण मास के सोमवार, और प्रदोष व्रत का दिन शुभ माना जाता है।
  4. तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा के लिए कौन-कौन सी सामग्री (Samagri) की आवश्यकता होती है?
    • जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, चंदन, बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल, चावल, धूप, दीपक, और रुद्राक्ष माला।
  5. क्या तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा घर पर की जा सकती है?
    • हां, यह पूजा घर पर भी की जा सकती है, लेकिन पूजा स्थल को पवित्र और शुद्ध रखना आवश्यक है।
  6. तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा का समय क्या होना चाहिए?
    • ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) पूजा का उत्तम समय है।
  7. तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा कितने दिनों तक करनी चाहिए?
    • इसे 11, 21, 40, या 108 दिनों तक किया जा सकता है। नियमितता और श्रद्धा महत्वपूर्ण है।
  8. क्या तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा के दौरान व्रत रखना आवश्यक है?
    • यह आवश्यक नहीं है, लेकिन पूजा के प्रभाव को बढ़ाने के लिए व्रत रखना लाभकारी हो सकता है।
  9. क्या तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए?
    • हां, पूजा के दौरान पवित्रता, सत्य, अहिंसा, और संयम का पालन करना चाहिए।
  10. तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा के लाभ क्या हैं?
    • मनोकामनाओं की पूर्ति, मानसिक शांति, रोग मुक्ति, आर्थिक समृद्धि, और परिवार में सुख-शांति।

Maya devi sadhana shivir

Maya devi sadhana shivir

मुंबई के निकट वज्रेश्वरी मे माता माया देवी की  साधना शिविर का आयोजन होने जा रहा है. इस साधना की खास बात यह है कि इनकी साधना से माता कालीमाता कामख्या की भी कृपा प्राप्त होती है.

माया देवी भौतिक सुख व मोक्ष प्रदान करती है. माता काली आकर्षण शक्ति के साथ शत्रु व तंत्र बाधा से सुरक्षा प्रदान करती है. वही माता कामख्या हर तरह के आर्थिक बंधन, नौकरी बंधन, विवाह बंधन, ब्यापार बंधन, नजर बंधन से मुक्ति दिलाती है.

इसमें भाग लेने के दो तरीके है एक तो शिविर मे आकर साधना में भाग ले सकते है दूसरा आप ऑनलाइन भी भाग ले सकते हैं अगर आप भाग लेना चाहते हैं तो नीचे डिस्क्रिप्शन में लिंक दिया है वहां पर फॉर्म भरकर आप इस शिविर मे शामिल हो सकते है 

BOOKING- MAYA DEVI SADHANA SHIVIR

माया देवी साधना FAQ

माया देवी हिंदू धर्म की महत्वपूर्ण देवी हैं, जो शक्ति और माया (भ्रम) की देवी मानी जाती हैं। उनकी साधना करने से साधक को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यहाँ माया देवी साधना के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) दिए गए हैं:

  1. माया देवी कौन हैं?
    • माया देवी हिंदू धर्म में शक्ति और माया (भ्रम) की देवी मानी जाती हैं। वे भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी जी की एक रूप हैं।
  2. माया देवी की साधना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    • माया देवी की साधना का मुख्य उद्देश्य माया (भ्रम) से मुक्ति पाना और दिव्य ज्ञान प्राप्त करना है। यह साधना मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाती है।
  3. माया देवी की साधना के लिए कौन सा मंत्र उपयोगी है?
    • माया देवी का प्रमुख मंत्र है: “॥ॐ ह्रीं श्रीं माया देव्यै नमः॥”
  4. माया देवी की साधना करने के लिए कौन सा दिन शुभ होता है?
    • माया देवी की साधना के लिए शुक्रवार और पूर्णिमा का दिन शुभ माना जाता है।
  5. माया देवी की साधना के लिए कौन सी सामग्री (Samagri) की आवश्यकता होती है?
    • लाल कपड़ा, लाल फूल, चंदन, धूप, दीपक, नारियल, मिठाई, और माया देवी की मूर्ति या चित्र।
  6. क्या माया देवी की साधना घर पर कर सकते हैं?
    • हां, माया देवी की साधना घर पर भी की जा सकती है, बशर्ते पूजा स्थल पवित्र और शुद्ध हो।
  7. माया देवी की साधना का समय क्या होना चाहिए?
    • साधना का सबसे उत्तम समय ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) है, परन्तु साधक अपनी सुविधा अनुसार शाम को भी कर सकते हैं।
  8. माया देवी की साधना कितने दिनों तक करनी चाहिए?
    • साधना की अवधि 21 दिनों से लेकर 108 दिनों तक हो सकती है, लेकिन नियमितता और श्रद्धा महत्वपूर्ण है।
  9. क्या माया देवी की साधना के दौरान व्रत रखना आवश्यक है?
    • यह आवश्यक नहीं है, लेकिन साधना के प्रभाव को बढ़ाने के लिए व्रत रखना लाभकारी हो सकता है।
  10. क्या माया देवी की साधना करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए?
    • हां, साधना के दौरान पवित्रता, सत्य, अहिंसा, और संयम का पालन करना चाहिए।
  11. क्या माया देवी की साधना के लिए कोई विशेष आसन या मुद्रा है?
    • साधक पद्मासन या सिद्धासन में बैठकर साधना कर सकते हैं। ध्यान और एकाग्रता बनाए रखने के लिए यह आसन उपयुक्त हैं।
  12. माया देवी की साधना के लाभ क्या हैं?
    • मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, माया (भ्रम) से मुक्ति, दिव्य ज्ञान, मानसिक शक्ति, और आत्मविश्वास में वृद्धि।
  13. क्या माया देवी की साधना के दौरान किसी प्रकार के भोग चढ़ाने चाहिए?
    • हां, साधना के दौरान मिठाई, फल, नारियल, और दूध का भोग चढ़ाना शुभ होता है।
  14. क्या माया देवी की साधना करते समय किसी विशेष दिशा में बैठना चाहिए?
    • हां, साधना करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है।
  15. क्या माया देवी की साधना के दौरान कोई विशेष ध्वनि (संगीत) का उपयोग करना चाहिए?
    • साधना के दौरान भजन, कीर्तन, या मंत्रों का उच्चारण करना लाभकारी हो सकता है।
  16. क्या माया देवी की साधना के दौरान ध्यान (Meditation) करना आवश्यक है?
    • हां, साधना के दौरान ध्यान करना मानसिक और आध्यात्मिक लाभ को बढ़ाता है।
  17. क्या माया देवी की साधना से किसी प्रकार का भौतिक लाभ होता है?
    • हां, मानसिक शांति और संतुलन के साथ-साथ जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता प्राप्त होती है।
  18. माया देवी की साधना में कौन-कौन सी बाधाएँ आ सकती हैं?
    • ध्यान की कमी, मानसिक विचलन, अनुशासनहीनता, और अनियमितता साधना में बाधा बन सकते हैं।
  19. क्या माया देवी की साधना में किसी गुरु की आवश्यकता होती है?
    • हां, यदि संभव हो तो किसी गुरु के मार्गदर्शन में साधना करना लाभकारी होता है।
  20. माया देवी की साधना के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
    • साधना के दौरान पवित्रता, संयम, नियमितता, और मन की एकाग्रता का ध्यान रखना चाहिए।

माया देवी की साधना एक शक्तिशाली और प्रभावी साधना है, जो साधक को मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती है। नियमितता, श्रद्धा, और समर्पण के साथ की गई साधना से साधक को माया (भ्रम) से मुक्ति मिलती है और दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है।

Unveiling the Power of Durga Ashtottar Shatnamavali

Unveiling the Power of Durga Ashtottar Shatnamavali

दुर्गा अष्टोत्तर शतनामावली की महिमा और रहस्य

Durga Ashtottar Shatnamavali में माँ दुर्गा के 108 शक्तिशाली नामों का संग्रह है। ये नाम देवी के विभिन्न रूपों, शक्तियों, गुणों और लीलाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। जब कोई साधक श्रद्धा और नियमपूर्वक इन नामों का जाप करता है, तो वह माँ दुर्गा की दिव्य ऊर्जा से जुड़ता है और जीवन में चमत्कारी परिवर्तन महसूस करता है।


इन 108 नामों का अर्थ क्या है?

इन नामों में “शक्तियों की सजीव व्याख्या” है। कुछ उदाहरण:

  1. दुर्गा – संकटों से मुक्ति देने वाली
  2. जयदायिनी – विजय प्रदान करने वाली
  3. भूतनाशिनी – नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाली
  4. महाकाली – समय और मृत्यु से परे
  5. जगदम्बा – समस्त सृष्टि की माता

हर नाम एक विशेष ऊर्जा केंद्र (energy code) की तरह कार्य करता है, जो शरीर, मन और आत्मा को दिव्यता से जोड़ता है।

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दुर्गा अष्टोत्तर के गूढ़ रहस्य

  1. 108 का रहस्य
    108 अंक ब्रह्मांडीय गणना और आध्यात्मिक चेतना का प्रतिनिधित्व करता है। हिन्दू धर्म में 108 माला के मोती, 108 उपनिषद, 108 तीर्थ, सभी इस रहस्य से जुड़े हैं।
  2. नामों की ऊर्जा
    प्रत्येक नाम विशिष्ट ‘बीज मंत्र’ की तरह कार्य करता है, जो साधक के जीवन में विशेष परिवर्तन ला सकता है।
  3. नवदुर्गा समावेश
    इन नामों में माँ के सभी नौ रूप – शैलपुत्री से सिद्धिदात्री तक – सम्मिलित हैं। इसलिए यह संपूर्ण शक्ति की साधना है।
  4. तंत्र और मंत्र सिद्धि
    तांत्रिक परंपरा में भी इन नामों का प्रयोग विशेष यज्ञ, कवच निर्माण, और देवी अनुष्ठानों में किया जाता है।

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दुर्गा अष्टोत्तर जाप के लाभ

लाभविवरण
मानसिक शांतितनाव, भय और चिंता से मुक्ति
रोग नाशऊर्जा केंद्रों को सक्रिय करके शारीरिक रोगों में सुधार
आत्मबल वृद्धिआत्मविश्वास और साहस में वृद्धि
आर्थिक समृद्धिलक्ष्मी तत्व के जागरण से धनवृद्धि
शत्रुनाशछिपे हुए शत्रु व विरोधियों से रक्षा
ग्रह दोष शमनविशेषकर राहु-केतु व चंद्र दोष में अत्यंत लाभकारी
सिद्धि प्राप्तियोग-साधना या किसी अनुष्ठान में पूर्णता

Tara sadhana shivir

जाप की विधि (Daily Practice Method)

  1. समय – सूर्योदय या सूर्यास्त के समय, नवरात्रि में अत्यंत फलदायी।
  2. स्थान – स्वच्छ और शांत स्थान, जहाँ माँ दुर्गा की मूर्ति/चित्र हो।
  3. माला – रुद्राक्ष, चन्दन या स्फटिक की माला से जाप करें।
  4. संकल्प – अपनी इच्छा/संकल्प बोलकर जाप आरंभ करें।
  5. 108 नामों का पाठ – श्रद्धा से प्रतिदिन या विशेष दिनों में करें।

Red chirmee beads


दुर्गा अष्टोत्तर पाठ का सरल मंत्र प्रारूप

आप सिर्फ नाम का भी जप कर सकते है या नाम के पहले ॐ लगाये व अंत मे नमः लगाकर जप कर सकते है. उदाहरण स्वरूप…

  • ॐ दुर्गा देवी नमः
  • ॐ जयदायिनी नमः
  • ॐ भूतनाशिनी नमः

इस तरह नामों का संपूर्ण पाठ या जप कर सकते हैं


विशेष मुहूर्त

अवसरफल
नवरात्रिसभी इच्छाओं की पूर्ति व चमत्कारिक सिद्धियाँ
मंगलवार/शुक्रवारशीघ्र फलदायी, विशेषकर संकट निवारण में
पूर्णिमा/अमावस्यातांत्रिक कार्यों में अत्यंत प्रभावशाली

ध्यान रखें

  • जाप से पूर्व शुद्ध आहार लें और संयम रखें।
  • पाठ करते समय माँ की मूर्ति को लाल पुष्प, अक्षत, और दीपक से अर्पित करें।
  • जाप के बाद देवी से अपने भावों में प्रार्थना करें।

अंत मे

दुर्गा अष्टोत्तर शतनामावली केवल नामों का संग्रह नहीं, बल्कि यह एक आध्यात्मिक विज्ञान है – जो साधक को आत्मिक रूप से सशक्त, मानसिक रूप से स्थिर, और सांसारिक रूप से समृद्ध बनाता है। यह एक ऐसी साधना है जो माँ की कृपा से हर असंभव को संभव बना सकती है।


Attract True Love Using 11 Red Chirmee Seeds Mantra

Attract True Love Using 11 Red Chirmee Seeds Mantra

11 लाल चिरमी दाने से करें बस 1 उपाय, सच्चा प्यार आपका हो जाएगा

Attract True Love – कभी आपने किसी को दिल से चाहा हो, लेकिन वो आपका न हो सका? क्या आपका सच्चा प्यार आपसे दूर चला गया है? अगर हां, तो लाल चिरमी दानों से किया गया यह प्राचीन उपाय आपके लिए है। यह सिर्फ तांत्रिक क्रिया नहीं, बल्कि सच्चे भावों का ऊर्जा संचार है।

“ॐ ऐं श्रीं गंधर्वाय क्लीं नमः” मंत्र से गंधर्व शक्तियां जागृत होती हैं। ये शक्तियां प्रेम और आकर्षण की देवी मानी जाती हैं।
जब इन्हें श्रद्धा से पुकारा जाता है, तो प्रेम के द्वार खुलते हैं।

11 लाल चिरमी दानों की शक्ति, आपके भावों को ब्रह्मांड तक पहुंचाती है। यह उपाय सरल है, लेकिन प्रभावशाली है।
हर शब्द, हर मंत्र आपकी आत्मा से जुड़ता है। अगर आपका प्यार अधूरा है, तो यह प्रयोग आपको संपूर्ण बना सकता है।


लाभों की झड़ी | इस उपाय के अद्भुत फायदे

  • जिसे आपने खोया है, वो खुद चलकर वापस आएगा।
  • जिसे आप चाहते हैं, वो आपको दिल से चाहेगा।
  • दांपत्य जीवन में रोमांस और समझदारी आएगी।
  • प्रेम में अस्थिरता नहीं रहती, दिल को सुकून मिलता है।
  • आपके चेहरे और व्यक्तित्व में चुंबकीय ताकत आती है।
  • जिसे आप चाहते हैं, वो आपकी भावना को समझेगा।
  • टूटते रिश्तों को नई डोर मिलती है।
  • जिससे प्रेम प्रस्ताव करना चाहते हैं, वो हां कहेगा।
  • आप बिना झिझक अपने भाव प्रकट कर पाते हैं।
  • गंधर्व शक्ति आपके जीवन में बरकत लाती है।
  • झूठ और धोखा रिश्तों से दूर हो जाते हैं।
  • जीवनसाथी मिलते ही आत्मा पूर्णता का अनुभव करती है।
  • लोग आपको देख कर खिंचे चले आते हैं।
  • यह सिर्फ भौतिक नहीं, आध्यात्मिक प्रेम है।
  • शुभ विवाह के योग और प्रस्ताव जल्दी बनते हैं।

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शुभ मुहूर्त | सही समय का रहस्य (Shubh Muhurat)

प्रेम के लिए सर्वोत्तम दिन

शुक्रवार, सोमवार और पूर्णिमा की रात को यह उपाय करें।

समय कब करें?

रात 9 बजे के बाद, जब चंद्रमा स्पष्ट दिखे।

नक्षत्र योग

रोहिणी, मृगशिरा या पुष्य नक्षत्र में यह उपाय श्रेष्ठ होता है।

ग्रह स्थिति

जब शुक्र या चंद्रमा पंचम या सप्तम भाव में हो, उस दिन यह उपाय करें।

विशेष तिथि

वैलेंटाइन डे, करवा चौथ या होली की रात विशेष मानी जाती है।

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संपूर्ण विधि | लाल चिरमी प्रयोग की रहस्यमयी प्रक्रिया (Vidhi)

सामग्री

  • 11 लाल चिरमी दाने
  • गुलाब की पंखुड़ियां
  • गुलाबी कपड़ा
  • इत्र या गुलाबजल
  • प्रेमी का नाम या तस्वीर (अगर संभव हो)
  • दीपक और कपूर

विधि

  1. रात को स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. पूजा स्थान पर गुलाबी कपड़ा बिछाएं।
  3. उस पर चिरमी के 11 दाने रखें।
  4. प्रेमी/प्रेमिका की तस्वीर या नाम वहां रखें।
  5. दीपक जलाएं, कपूर जलाकर शुद्धि करें।
  6. अब ५४० बार मंत्र का जाप करें: “ॐ ऐं श्रीं गंधर्वाय क्लीं नमः”
  7. हर बार जाप के साथ एक दाने को हाथ में लें और प्रेम भावना प्रकट करें।
  8. जाप के बाद सारे दाने कपड़े में बांध दें।
  9. इस पोटली को अपने तकिए के नीचे रखें।
  10. अगले 11 दिन तक रोज इसी तरह मंत्र जाप करें।

विशेष ध्यान रखें

  • यह प्रयोग गुप्त रखें।
  • किसी पर ज़बरदस्ती ना करें।
  • श्रद्धा और सच्चे प्रेम के साथ करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या यह उपाय लड़के और लड़की दोनों कर सकते हैं?

हां, यह उपाय हर प्रेमी कर सकता है, बशर्ते भावना सच्ची हो।

क्या चिरमी के दाने बाजार में आसानी से मिलते हैं?

हां, ये किसी भी पूजा सामग्री की दुकान पर मिल जाते हैं।

मंत्र जाप कितनी बार करें?

प्रतिदिन कम से कम 108 बार मंत्र जाप ज़रूरी है।

क्या यह उपाय वशीकरण है?

नहीं, यह प्रेम जागरण है, भावना की ऊर्जा को सक्रिय करता है।

11 दिनों में परिणाम दिखता है?

हां, श्रद्धा और विधि से करने पर 7-11 दिनों के बाद से असर दिखने लगता है।

क्या यह उपाय शादीशुदा लोगों के लिए भी है?

हां, यह पति-पत्नी के प्रेम को गहरा करता है।

क्या कोई दुष्प्रभाव हो सकता है?

नहीं, अगर सच्चे प्रेम और आशीर्वाद से किया जाए तो कोई हानि नहीं होती।


अगर आप चाहते हैं कि सच्चा प्यार आपकी जिंदगी में लौटे या नया प्रेम जीवन में प्रवेश करे, तो लाल चिरमी का यह प्राचीन उपाय आपकी आत्मा से बात करेगा। श्रद्धा और मंत्र की शक्ति से, ब्रह्मांड खुद आपके प्रेम का संदेश आगे बढ़ाता है।

एक बार प्रयास करके देखिए… प्रेम चमत्कार बनकर लौटेगा। ❤️


Powerful mantras for healing & wellbeing

Powerful mantras for healing & wellbeing

शक्तिशाली हीलिंग और कल्याण मंत्र (Powerful Mantras for Healing and Wellbeing)

मंत्र विज्ञान भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का एक अद्भुत एवं प्रभावशाली अंग है। मंत्रों में केवल शब्द नहीं, बल्कि दिव्य ऊर्जा और चेतना समाहित होती है, जो मन, शरीर और आत्मा को संतुलित करने की क्षमता रखती है। ये मंत्र सदियों से ऋषियों, योगियों और साधकों द्वारा प्रयोग किए जाते रहे हैं ताकि शारीरिक रोगों, मानसिक अशांति और आध्यात्मिक बाधाओं से मुक्ति पाई जा सके।

ॐ मंत्र (Om Mantra)

मंत्र: ॐ
अर्थ: ब्रह्मांड की मूल ध्वनि, समस्त सृष्टि का सार
लाभ:

  • मन को शांत करता है
  • तनाव और चिंता को कम करता है
  • शरीर के सभी चक्रों को संतुलित करता है
  • आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है

उपयोग विधि: आरामदायक स्थिति में बैठकर गहरी सांस लें और “ॐ” का उच्चारण करें। इसे 5-10 मिनट तक दोहराएं।

गायत्री मंत्र

मंत्र:
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्

अर्थ: हम उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

लाभ:

  • मानसिक शक्ति बढ़ाता है
  • आंतरिक शुद्धि करता है
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
  • नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है

उपयोग विधि: प्रातःकाल सूर्योदय के समय 108 बार जप करें।

महामृत्युंजय मंत्र

मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्

अर्थ: हम तीन नेत्रों वाले शिव (त्र्यम्बक) की पूजा करते हैं, जो सुगंधित हैं और सभी का पोषण करते हैं। जैसे ककड़ी को लता से मुक्त किया जाता है, वैसे ही हमें मृत्यु से मुक्त करो (किंतु अमरता से नहीं)।

लाभ:

  • दीर्घायु प्रदान करता है
  • गंभीर रोगों से मुक्ति दिलाता है
  • भय और चिंता को दूर करता है
  • आकस्मिक दुर्घटनाओं से बचाव

उपयोग विधि: रुद्राक्ष की माला से 108 बार जप करें, विशेषकर रोगी के सिरहाने बैठकर।

हनुमान चालीसा का मंत्र

मंत्र:
“संकट ते हनुमान छुड़ावै”
(हनुमान चालीसा से)

लाभ:

  • मानसिक बल प्रदान करता है
  • भय और चिंता दूर करता है
  • शारीरिक शक्ति बढ़ाता है
  • संकटों से मुक्ति दिलाता है

उपयोग विधि: प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें या इस मंत्र को 108 बार जपें।

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शांति मंत्र (Peace Mantra)

मंत्र:
ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्षं शान्तिः
पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः ।
वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्ब्रह्म शान्तिः
सर्वं शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

अर्थ: आकाश में शांति हो, अंतरिक्ष में शांति हो, पृथ्वी पर शांति हो, जल में शांति हो, औषधियों में शांति हो, वनस्पतियों में शांति हो, विश्व के देवताओं में शांति हो, ब्रह्म में शांति हो, सर्वत्र शांति हो, केवल शांति ही शांति हो, वह शांति हमें प्राप्त हो।

लाभ:

  • वातावरण को शुद्ध करता है
  • मन की अशांति दूर करता है
  • पारिवारिक कलह शांत करता है
  • समग्र शांति और सद्भाव बढ़ाता है

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चिकित्सा मंत्र (Healing Mantra)

मंत्र:
ॐ अपनासन्नो मरुतो अपानासन्नः पिता अप न आयुर्वसुना रीरिषो अप नः शंसो अयक्ष्मं वधीत्: ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

अर्थ: हे वायुदेव, हमारे प्राणों की रक्षा करो। हे पितृदेव, हमारे अपान की रक्षा करो। हमारी आयु को हानि न पहुंचे। हमारे शरीर को रोग नष्ट न करे। इन्द्र, पूषा, गरुड़ और बृहस्पति हमारे लिए कल्याण करें।

लाभ:

  • शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
  • ऊर्जा स्तर को बढ़ाता है
  • चिकित्सा प्रक्रिया को सहायता

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मंत्र साधना के सामान्य नियम

  1. शुद्धता: मंत्र जप से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. आसन: कुशा, ऊनी या रेशमी आसन पर बैठें।
  3. समय: ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) या सूर्यास्त का समय उत्तम।
  4. माला: रुद्राक्ष या तुलसी की माला का प्रयोग करें।
  5. संख्या: 108 बार जप करना श्रेष्ठ माना गया है।
  6. नियमितता: प्रतिदिन एक निश्चित समय पर अभ्यास करें।

ये मंत्र सदियों से भारतीय ऋषि-मुनियों द्वारा प्रयोग किए जाते रहे हैं। इनका नियमित जप शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।

Ancient secret of navgrah mantras

Ancient secret of navgrah mantras

Navgrah Mantra – Unlock The Cosmic Code Hidden by Ancient Sages!

नवग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु) हमारे जीवन पर अत्यधिक प्रभाव डालते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, हर ग्रह हमारे कर्म, मनोवृति, स्वास्थ्य, संबंध, समृद्धि, और आध्यात्मिक विकास को प्रभावित करता है। इन नवग्रहों को शांत करने, अनुकूल बनाने तथा उनसे कृपा प्राप्त करने के लिए वैदिक ऋषियों ने विशेष बीज मंत्रों की खोज की, जिनमें दिव्य कंपन (divine vibrations) छिपे हुए हैं।


नवग्रह मंत्र (The Mystical Secret of Navgrah Mantras)

1. बीज मंत्रों में छिपी शक्ति

हर ग्रह का एक विशिष्ट बीज मंत्र होता है, जैसे “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः”। इन मंत्रों में बीजाक्षर (जैसे ह्रां, क्लीं, शं) होते हैं, जो सृष्टि की सूक्ष्म ऊर्जा को जगाते हैं। ये बीजाक्षर किसी चाबी की तरह कार्य करते हैं, जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा को खोले बिना नहीं खुलते।

2. ध्वनि की स्पंदनात्मक शक्ति (Vibrational Power of Sound)

जब कोई साधक शुद्ध उच्चारण और श्रद्धा से नवग्रह मंत्रों का जप करता है, तो उसके चारों ओर एक ऊर्जा-क्षेत्र (Aura) बनता है। यह ऊर्जा-क्षेत्र ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को रोकता है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।

3. मंत्र, ग्रह और शरीर का संबंध

हर ग्रह शरीर के किसी न किसी भाग से जुड़ा होता है:

  • सूर्य – हृदय और आत्मा
  • चंद्र – मन और मनोवृति
  • मंगल – रक्त और ऊर्जा
  • बुध – तंत्रिका तंत्र और बुद्धि
  • गुरु – जिगर और ज्ञान
  • शुक्र – प्रजनन शक्ति और सुख
  • शनि – हड्डियाँ और कर्म
  • राहु – भ्रम और आकस्मिक परिवर्तन
  • केतु – मोक्ष और रहस्यमय शक्तियाँ

मंत्रों के जप से इन अंगों की ऊर्जा संतुलित होती है।

4. कर्म और ग्रहों का बंधन

नवग्रह हमारे पूर्व जन्मों के कर्मों का फल देने वाले माध्यम हैं। जब हम किसी विशेष ग्रह का मंत्र जपते हैं, तो उस ग्रह से संबंधित कर्मों के बंधन ढीले होने लगते हैं और भाग्य का द्वार खुलता है।


गुप्त साधना विधि (Hidden Sadhana Technique)

  1. सही मुहूर्त का चयन करें (विशेषतः ग्रहवार जैसे सूर्य के लिए रविवार)
  2. ग्रह से संबंधित वस्तु रखें (जैसे शनि के लिए काली उड़द, राहु के लिए नीला वस्त्र)
  3. दीपक जलाकर आसन पर बैठें
  4. ध्यानपूर्वक 108 या 1008 बार मंत्र जप करें
  5. जप के बाद ग्रह की पूजा करें और दान दें

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नवग्रह बीज मंत्र (Navgrah Beej Mantras)

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ग्रहमंत्र
सूर्यॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
चंद्रॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः
मंगलॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः
बुधॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः
गुरुॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः
शुक्रॐ श्रां श्रीं श्रौं सः शुक्राय नमः
शनिॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
राहुॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः
केतुॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः

गुप्त लाभ (Hidden Benefits)

  1. शत्रुओं से रक्षा
  2. रोगों में राहत
  3. मन की शांति और स्थिरता
  4. धन और व्यवसाय में वृद्धि
  5. रिश्तों में मधुरता
  6. ग्रह दशा और साढ़े साती का निवारण
  7. आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष का द्वार

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FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1: क्या नवग्रह मंत्र सभी को जपने चाहिए?
हाँ, लेकिन किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से सलाह लेकर ग्रहों के अनुसार जप करना श्रेष्ठ होता है।

Q2: मंत्र का जप कब करें?
सूर्य उदय से पहले या सूर्यास्त के बाद शांत वातावरण में करें।

Q3: क्या मंत्र जप में नियम तोड़ने से दोष लगता है?
नियम भंग होने से प्रभाव में कमी आती है, पर यदि मन शुद्ध हो तो क्षमा हो जाती है।

Q4: क्या मंत्र बिना दीक्षा के जप सकते हैं?
बीज मंत्रों को दीक्षा से जपने पर ज्यादा प्रभावशाली होते हैं, परंतु श्रद्धा से जपने पर भी फल देते हैं।

Q5: क्या एक साथ सभी मंत्र जप सकते हैं?
विशिष्ट समस्याओं के लिए संबंधित ग्रह का मंत्र ही करें। सबका एक साथ जप भी किया जा सकता है, पर नियमपूर्वक।


Aarti for Inner Peace and Prosperity

Aarti for Inner Peace and Prosperity

आरती आत्मशांति की – अंतरमन की समृद्धि का दिव्य मार्ग

यह आरती उन साधकों के लिए है जो अपने जीवन में आत्मिक शांति, मानसिक संतुलन और भौतिक/आध्यात्मिक समृद्धि प्राप्त करना चाहते हैं। यह आरती ब्रह्मांडीय ऊर्जा को आह्वान करती है और साधक के अंतर्मन से अशांति, तनाव, भय और दरिद्रता को दूर करने में सहायक होती है।


आरती का प्रारंभ कैसे करे? – ध्यान और शुद्धिकरण मंत्र

🔸 ध्यान मंत्र:
“ॐ शांतिः शांतिः शांतिः। आत्मदीपो भव।”
(हे आत्मा! तू ही दीपक बन जा — स्वयं में प्रकाश फैला।)

🔸 शुद्धिकरण मंत्र:
“ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचिः॥”


आत्मशांति और समृद्धि की आरती

आरती ओमकार की, संतोष स्वरूपा मां की।
शांति जो दे अंतरमन को, महाशक्ति वह धाम की॥

🔅
आरती शांति स्वरूपिणी की, मन मंदिर की देवी।
जहाँ बसे वहाँ भक्ति जगे, न कोई दुःख न हेभी॥
बुद्धि-विवेक प्रदान करे, मोह-माया को हरती।
निर्मल बुद्धि, स्वच्छ विचार, आत्मा को सुधरती॥
आरती ओमकार की…

🔅
दुःख-चिंता का नाश करे, सुख-शांति का वर दे।
नव ऊर्जा से भर दे तन, जीवन को सुंदर कर दे॥
सिद्धि-संपत्ति की दात्री, आत्मिक योग की माई।
जहाँ जपे तेरा नाम सदा, वहाँ घटे न कमाई॥
आरती ओमकार की..

🔅
अंधकार जो भीतर बैठा, तू है दीपक उसकी।
स्वार्थ-वासना से मुक्त करे, पावन गाथा तेरी रस की॥
तृष्णा को तू रोक सके, क्रोध-विकार मिटाए।
सहनशीलता का दान दे, दृढ़ साधना सिखाए॥
आरती ओमकार की

🔅
श्वास-श्वास में बसे तू ही, जब जप हो तेरा नाम।
प्रभु, तू बन जा मेरे भीतर, सदा दिव्य इक धाम॥
ध्यान धरें जो चरणों में, उनका कल्याण होवे।
मन-वचन-कर्म से आराधना, वो भी जीवन पावे॥
आरती ओमकार की..

🔅
तेरा रूप न देखा कोई, फिर भी तू हर जगह।
तू ही शक्ति, तू ही लक्ष्मी, तू ही आत्मा सदा॥
जड़-जंगम में व्याप्त है, हर अणु में तेरा रूप।
तेरी शरण में जो आए, मिटे जीवन का संपूर्ण क्लेश॥
आरती ओमकार की

🔅
प्रेम-करुणा बरसा दे तू, बैर-द्वेष को हरले।
साधक को तू निर्विकार कर, आत्मा से जोड़ ले॥
तेरे ध्यान में जो रम जाए, उसे कभी न डर हो।
संघर्षों में भी मुस्काए, जीवन में प्रगति भर हो॥
आरती ओमकार की


गहरे रहस्य और भावार्थ

श्लोकभावार्थ
आरती शांति स्वरूपिणी कीपरमशक्ति को शांतिदायिनी के रूप में स्वीकार करना – जो हमारे भीतर संतुलन लाती है।
बुद्धि-विवेक प्रदान करेकेवल भक्ति नहीं, विवेक और स्पष्टता भी दे ताकि हम जीवन निर्णय समझदारी से ले सकें।
नव ऊर्जा से भर दे तनयह ऊर्जा सिर्फ शारीरिक नहीं, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक भी होती है।
तृष्णा को तू रोक सकेभौतिक इच्छाओं की सीमाएं तय करना और आत्मिक संतुलन बनाना।
श्वास-श्वास में बसे तू हीसाधना का उच्चतम स्तर – जहाँ सांसों में भी उस परमशक्ति का स्मरण बना रहे।
प्रेम-करुणा बरसा दे तूबिना प्रेम और करुणा के आत्मा शांत नहीं हो सकती, इसलिए यह दो प्रमुख साधन हैं।

आरती का प्रयोग कैसे करें – विधि

दैनिक प्रयोग विधि:

  1. प्रातः या रात्रि में स्नान के बाद शांत स्थान पर बैठे।
  2. दीपक, धूप, जल पात्र, ताजे पुष्प, और मौन मन लेकर शुरू करें।
  3. आरती से पहले ध्यान मंत्र और शुद्धिकरण मंत्र का जाप करें।
  4. “आत्मिक शांति और समृद्धि की आरती” को शुद्ध स्वर में गाएं या सुनें। (य़ड रखे इस आरती की जगह पर कोई भी देवी – देवता की आरती गा सकते है)
  5. अंत में 5 मिनट मौन रहकर केवल “ॐ शांतिः” का जाप करें।

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आरती का विशेष प्रयोग

पूर्णिमा, अमावस्या, एकादशी, और गुरुवार को यह आरती विशेष फलदायक होती है।

यह आरती किसी भी देवी या ईश्वर की पूजा के अंत में भी जोड़ सकते हैं।

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आरती से मिलने वाले दिव्य लाभ

  1. मानसिक तनाव और चिंता में तत्काल राहत।
  2. आत्मिक जागरण और चित्त की शुद्धि।
  3. जीवन में स्थिरता और संतुलन की अनुभूति।
  4. दुर्भाग्य और दरिद्रता का अंत।
  5. आर्थिक क्षेत्र में सहज सफलता।
  6. परिवार में प्रेम और एकता का संचार।
  7. आत्मविश्वास में वृद्धि।
  8. नकारात्मक ऊर्जा का नाश।
  9. साधना में गहराई और ध्यान की सिद्धि।
  10. निर्णय लेने की शक्ति में सुधार।
  11. आध्यात्मिक उन्नति और आत्मबोध।
  12. चक्रों की संतुलन और कुंडलिनी जागरण में सहायता।
  13. रात्रि में शांत नींद और स्वप्न दोष का अंत।
  14. क्रोध, द्वेष, ईर्ष्या जैसे दोषों से मुक्ति।
  15. गुरु कृपा और दिव्य मार्गदर्शन की प्राप्ति।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. यह आरती किसे करनी चाहिए?
उत्तर: कोई भी व्यक्ति जो मानसिक शांति, आत्मिक प्रगति और समृद्धि चाहता है, वह कर सकता है।

प्र. क्या इसे किसी विशेष देवता की आरती से जोड़ सकते हैं?
उत्तर: हाँ, यह आरती सार्वभौमिक है – किसी भी देवी-देवता की पूजा के बाद इसका पाठ कर सकते हैं।

प्र. क्या इसे घर में रोज़ गा सकते हैं?
उत्तर: बिल्कुल, प्रतिदिन या विशेष दिनों में इसका नियमित गान अत्यंत शुभ होता है।

प्र. इसका प्रभाव कब दिखता है?
उत्तर: नियमित साधना करने पर 11 दिन में मानसिक परिवर्तन, 21 दिन में ऊर्जा स्तर में वृद्धि और 40 दिन में जीवन में स्थायित्व दिखता है।


Tulsi Soil and Iron – Boost Your Business

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तुलसी की मिट्टी और लोहे के टुकड़े से व्यापार चमकाएं – देवी कमला का रहस्यमय प्रयोग

क्या आपका व्यापार लगातार नुकसान में है? ग्राहक नहीं आते या पैसे रुक जाते हैं? तो अब आपको ज़रूरत है देवी लक्ष्मी के एक गुप्त रूप — माता कमलेश्वरी की साधना की, जिसमें प्रयोग होगा तुलसी की मिट्टी और लोहे के टुकड़े का।

मंत्र व उसका अर्थ

मंत्र: ॐ ऐं श्रीं कमलेश्वरी क्लीं नमः।

अर्थ:

  • – ब्रह्मांडीय शक्ति का आह्वान।
  • ऐं – सरस्वती का बीज मंत्र, बौद्धिक उन्नति और निर्णय क्षमता के लिए।
  • श्रीं – लक्ष्मी बीज मंत्र, ऐश्वर्य, धन और समृद्धि के लिए।
  • कमलेश्वरी – कमला देवी, जो जल में खिलने वाली कमल के समान धनवती हैं।
  • क्लीं – आकर्षण और सफलता का बीज मंत्र।
  • नमः – समर्पण और प्रार्थना।

इस प्रयोग के विशेष लाभ

  1. व्यापार में तेजी से बढ़ोतरी।
  2. रुका हुआ पैसा वापस आता है।
  3. दुकान में ग्राहकों की भीड़ लगती है।
  4. आर्थिक तंगी दूर होती है।
  5. कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  6. बुरे ग्रहों का प्रभाव खत्म होता है।
  7. प्रतिद्वंद्वी व्यापारियों की नकारात्मक ऊर्जा हटती है।
  8. व्यापारिक निर्णयों में स्पष्टता आती है।
  9. आकर्षण और विश्वास का विकास होता है।
  10. लक्ष्मी जी की कृपा स्थायी बनती है।
  11. कर्मचारी और साझेदार सहयोगी बनते हैं।
  12. दुकानों में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
  13. बुरे नजर दोष से रक्षा होती है।
  14. व्यापारी को आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता मिलती है।
  15. नई ब्रांच खोलने के योग बनते हैं।

शुभ मुहूर्त

  • गुरुवार, पूर्णिमा, या शुक्ल पक्ष की अष्टमी विशेष फलदायक माने जाते हैं।
  • प्रातः 6 से 7 या सायं 5 से 6 का समय उत्तम है।

25 मिनट की साधना विधि

  1. एक लोहे की कटोरी लें।
  2. उसमें तुलसी की मिट्टी रखें।
  3. एक लोहे का छोटा टुकड़ा (जंग रहित) उसमें दबाएं।
  4. सामने देवी लक्ष्मी या कमलेश्वरी की प्रतिमा रखें।
  5. एक दीपक जलाएं – घी का या तिल के तेल का।
  6. अपने व्यापार से संबंधित दस्तावेज़ पास में रखें।
  7. मंत्र का जाप २० – २५ करें – ॐ ऐं श्रीं कमलेश्वरी क्लीं नमः।
  8. व्यापार की उन्नति की प्रार्थना करें।
  9. यह साधना 25 मिनट में पूर्ण करें।
  10. मिट्टी को दुकान/ऑफिस के मुख्य दरवाज़े के पास गाड़ दें।

TARA MAHAVIDYA SADHANA SHIVIR


11 दिन की साधना विधि

  • प्रतिदिन उपरोक्त विधि को दोहराएं।
  • 11 दिन तक लगातार एक ही स्थान और समय पर करें।
  • 11वें दिन एक छोटी सी मिठाई देवी को अर्पित करें।
  • सिद्ध मिट्टी को दुकान के चारों कोनों में थोड़ा-थोड़ा रखें।
  • लोहे का टुकड़ा किसी तिजोरी या कैश बॉक्स में रख दें।

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विशेष टिप्स

  • जाप के समय लाल या पीले वस्त्र पहनें।
  • मन में केवल व्यापार की उन्नति का भाव रखें।
  • किसी को साधना की जानकारी न दें।

Past life prediction report


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. क्या इस प्रयोग को महिलाएं भी कर सकती हैं?

हाँ, माता कमला की साधना सभी के लिए समान रूप से प्रभावशाली है।

2. तुलसी की मिट्टी कहां से लें?

शुद्ध तुलसी के पौधे की जड़ के पास से थोड़ी मिट्टी लें।

3. लोहे का टुकड़ा कैसा हो?

जंग रहित, छोटा और गोल/चौकोर टुकड़ा उपयुक्त रहेगा।

4. क्या दुकान बंद होने के बाद साधना करनी चाहिए?

हाँ, ताकि कोई व्यवधान न हो।

5. अगर जाप छूट जाए तो क्या करें?

अगले दिन दो बार जाप करें, लेकिन नियमितता सर्वोपरि है।

6. इस मंत्र का प्रभाव कब से दिखने लगता है?

कुछ लोगों को 3-5 दिन में बदलाव दिखता है, कुछ को 11 दिन के भीतर।

7. क्या यह टोटका है?

नहीं, यह एक वैदिक साधना है जो मंत्र, तत्त्व और भावना पर आधारित है।


अंत मे

तुलसी की मिट्टी, लोहे का टुकड़ा और माता कमला का मंत्र – यह त्रिवेणी शक्ति व्यापार में अभूतपूर्व उन्नति दे सकती है। यह न सिर्फ आर्थिक स्तर पर सहायता करता है, बल्कि आत्मविश्वास, निर्णय क्षमता और मानसिक शांति भी प्रदान करता है। यदि आप सच्चे मन से 11 दिन तक यह साधना करते हैं, तो माता लक्ष्मी की विशेष कृपा आपके व्यापार को नई ऊँचाइयों पर पहुँचा सकती है।


Shani Protection Ritual – Get Freedom From Dark Energies

Shani Protection Ritual - Get Freedom From Dark Energies

लोहे के टुकड़े पर करें यह अचूक उपाय | बुरी नज़र और तंत्र बाधा से मिले तुरंत मुक्ति

कई बार जीवन में बिना कारण समस्याएं बढ़ने लगती हैं। स्वास्थ्य, धन और शांति सभी प्रभावित होते हैं। घर में अशांति रहती है और कामों में विघ्न आता है। इसका कारण अक्सर बुरी नज़र या तंत्र बाधा हो सकती है।

जब तंत्र या बुरी शक्तियों का असर होता है, तो सामान्य उपाय काम नहीं करते। ऐसे में एक खास उपाय लोहे के टुकड़े से किया जाता है। यह उपाय सरल है, परंतु अत्यंत प्रभावशाली है। यह उपाय शनिदेव से जुड़ा है और इस कारण इसका प्रभाव गहरा होता है।

ॐ शं शनिश्चराय शं नमः यह मंत्र शनिदेव की कृपा पाने के लिए प्रयोग होता है। इस मंत्र के साथ लोहे का यह उपाय अत्यंत शुभ फल देता है।


चमत्कारी लाभ | लोहे के टुकड़े के उपाय से होने वाले फायदे

  • तंत्र बाधा और ऊपरी हवा का प्रभाव तुरंत समाप्त होता है
  • बुरी नज़र से सुरक्षा मिलती है और मन शांत रहता है
  • परिवार में चल रही कलह शांत हो जाती है
  • व्यापार में आ रही रुकावटें धीरे धीरे समाप्त होती हैं
  • सोते समय डरना और नींद में झटका लगना बंद हो जाता है
  • बच्चों को नज़र से बचाने का अचूक उपाय है
  • अचानक होने वाली हानि और चोट से रक्षा होती है
  • नौकरी में बाधाएं दूर होती हैं और अवसर मिलने लगते हैं
  • घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है
  • ग्रहों के अशुभ प्रभाव शांत होते हैं
  • मन में शांति और आत्मबल का विकास होता है
  • राहू के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है
  • जीवन में सफलता के नए मार्ग खुलते हैं
  • शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव कम होता है
  • साधना और पूजा में रुकावटें दूर होती हैं

शुभ मुहूर्त | उपाय के लिए सही समय कब चुनें

कब करें यह उपाय | श्रेष्ठ दिन और समय

यह उपाय शनिवार के दिन किया जाना सबसे उत्तम माना गया है। शनिवार को शनि ग्रह की ऊर्जा सक्रिय रहती है। यह उपाय रात्रि के समय करें, जब चंद्रमा अस्त होने लगे।

शुभ समय – शनिवार की रात 9 बजे से 11 बजे के बीच करें।
सर्वोत्तम तिथि – अमावस्या या कृष्ण पक्ष की शनिवार रात्रि।

उपाय से पूर्व क्या सावधानियां रखें

  • उपाय करते समय मन शांत रखें और स्नान करके साफ वस्त्र पहनें
  • स्थान एकांत और शांत हो, जहां कोई व्यवधान न हो
  • उपाय से पूर्व दीपक जलाएं और शनि देव का ध्यान करें
  • उपाय में प्रयुक्त वस्तु शुद्ध और बिना खरोंच के हो

लोहे के टुकड़े से तंत्र मुक्ति प्रयोग विधि | सरल उपाय से करें बड़ी समस्या दूर

आवश्यक सामग्री

  • एक लोहे का शुद्ध टुकड़ा या कील
  • काले धागे का टुकड़ा
  • सरसों के काले दाने – सात नग
  • काली मिर्च – सात नग
  • एक नींबू
  • शुद्ध घी का दीपक
  • काली थाली या मिट्टी की प्लेट

Tara sadhana shivir

प्रयोग की विधि | तंत्र बाधा से रक्षा का तरीका

  • शनिवार की रात्रि शुद्ध होकर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें
  • लोहे के टुकड़े को अपने सामने रखें और दीपक जलाएं
  • मंत्र ॐ शं शनिश्चराय शं नमः का 108 बार जप करें
  • लोहे के टुकड़े के ऊपर काले धागे से सात बार नींबू को लपेटें
  • फिर नींबू को लोहे पर रखकर उसके चारों ओर काली मिर्च और सरसों रखें
  • थाली में यह सब रखकर उसके चारों ओर घी का दीपक रखें
  • अब इस उपाय को 7 बार अपने ऊपर से वारें और “हे शनिदेव, मेरी रक्षा करें” यह भाव रखें
  • यह सामग्री किसी सुनसान चौराहे पर जाकर अगले दिन सूर्यास्त के समय छोड़ दें

विशेष निर्देश

  • इस प्रयोग के दौरान किसी से बात न करें
  • प्रयोग के समय पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखें
  • प्रयोग करते समय मोबाइल और अन्य ध्यान भटकाने वाली चीजों से दूर रहें
  • यह उपाय महीने में एक बार नियमित रूप से करें

Gomati chakra sadhana for wealth


भावनात्मक अपील | शनिदेव से करें करुणा की याचना

जब जीवन में अंधकार बढ़ने लगे, जब हर प्रयास विफल होने लगे, तब यह उपाय एक रोशनी बन सकता है। शनि केवल दंड नहीं देते, वे कर्मों से मुक्ति का मार्ग भी दिखाते हैं। लोहे का यह उपाय सिर्फ एक प्रक्रिया नहीं, यह आपकी आस्था की शक्ति है।

अपने भीतर की नकारात्मकता को बाहर फेंकने का यह एक माध्यम है। जब आप पूरे मन से यह उपाय करते हैं, तो आपको सिर्फ राहत ही नहीं मिलती, बल्कि आत्मबल भी प्राप्त होता है।

ॐ शं शनिश्चराय शं नमः मंत्र का नियमित जप करें। शनिदेव से करुणा की प्रार्थना करें। उनके चरणों में समर्पण करें, और देखें कैसे जीवन बदलने लगता है।


अगर आप चाहते हैं कि आपके जीवन से तंत्र बाधा, बुरी नज़र, और शारीरिक मानसिक परेशानियाँ दूर हों, तो यह उपाय आजमाएं। यह न केवल आत्मिक रूप से सशक्त करता है, बल्कि आपके चारों ओर एक सुरक्षा कवच भी निर्मित करता है।


Secret Attraction Ritual – Activate Hidden Charm

Secret Attraction Ritual - Activate Hidden Charm

कुम्हार की मिट्टी से गुप्त आकर्षण प्रयोग

(अद्भुत प्रभावशाली टोटका जिससे हर कोई प्रभावित हो)

आकर्षण एक रहस्यमयी शक्ति है। जब यह दिव्य उपायों से जुड़ता है, तो परिणाम चमत्कारी हो जाते हैं। कुम्हार की मिट्टी जिसे ‘घड़ा मिट्टी’ या ‘कच्ची माटी’ भी कहते हैं, उसमें स्थायित्व और रूपांतरण की शक्ति होती है। यह वही मिट्टी है जो घड़े को आकार देती है, और उसी में जीवन की ऊर्जा बसती है। जब इस मिट्टी को विशेष मंत्र के साथ प्रयोग किया जाए, तो यह एक शक्तिशाली आकर्षण यंत्र बन जाती है।

इस प्रयोग में प्रयोग किया जाने वाला मंत्र है: “ॐ क्लीं अनंगाय क्लीं नमः” यह मंत्र अनंग देव (कामदेव के सूक्ष्म रूप) को जाग्रत करता है। इस मंत्र का प्रभाव मानसिक, भावनात्मक और आत्मिक स्तर तक जाता है। कुम्हार की मिट्टी के साथ जब यह मंत्र संयुक्त होता है, तो गुप्त आकर्षण की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।


गुप्त आकर्षण से क्या होता है लाभ?

(गुप्त सम्मोहन व प्रभाव डालने की अद्वितीय शक्तियाँ)

  1. व्यक्ति की उपस्थिति आकर्षक बनती है।
  2. समाज में लोग स्वतः सम्मान देने लगते हैं।
  3. कार्यस्थल पर लोकप्रियता बढ़ती है।
  4. जीवनसाथी के साथ संबंधों में मधुरता आती है।
  5. गुप्त शत्रु भी मित्रवत व्यवहार करने लगते हैं।
  6. व्यापारिक वार्ताएं सफल होने लगती हैं।
  7. बातचीत में सम्मोहन झलकने लगता है।
  8. वशीकरण जैसा प्रभाव उत्पन्न होता है।
  9. मानसिक तनाव में कमी आती है।
  10. आत्मविश्वास तीव्र हो जाता है।
  11. पारिवारिक रिश्तों में प्रेम बढ़ता है।
  12. आकर्षण ऊर्जा से चेहरे पर तेज आता है।
  13. सामाजिक अपमान से सुरक्षा मिलती है।
  14. विवाह योग्य युवक-युवतियों को लाभ होता है।
  15. साधना से आध्यात्मिक उन्नति भी होती है।

उपयुक्त मुहूर्त एवं शुभ समय

(कब करें यह गुप्त आकर्षण प्रयोग?)

यह प्रयोग शुक्रवार, सोमवार या पूर्णिमा को आरंभ करें। सुबह 5 से 7 बजे के बीच ब्रह्ममुहूर्त का समय सर्वोत्तम है।
शुक्ल पक्ष का कोई भी दिन प्रभावी रहता है। विशेषकर पुष्य, रोहिणी या मृगशिरा नक्षत्र वाले दिन श्रेष्ठ माने जाते हैं।
गुप्त रूप से यह प्रयोग रात्रि 10 बजे के बाद भी किया जा सकता है। चंद्रमा के उदय के समय मंत्र सिद्धि तीव्र हो जाती है।


प्रयोग की विधि व प्रक्रिया

(संपूर्ण पूजन-विधान से करें सिद्ध प्रयोग)

  1. एक शांत स्थान पर बैठ जाएं।
  2. अपने सामने पीले कपड़े पर कुम्हार की मिट्टी रखें।
  3. मिट्टी से छोटी सी मूर्ति या तिलक बनाएँ।
  4. उस पर गुलाब का इत्र छिड़कें।
  5. दीपक जलाकर दाएं हाथ में कुम्हार की मिट्टी लें।
  6. अब मंत्र का 540 बार या २० मिनट जप करें: “ॐ क्लीं अनंगाय क्लीं नमः”
  7. जप के बाद मिट्टी को लाल कपड़े में बांधें।
  8. इसे अपने पास रखें या घर/दुकान में छिपा दें।
  9. यह वस्तु आपके चारों ओर आकर्षण का आभामंडल बनाएगी।

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कुछ आवश्यक सुझाव और सावधानियाँ

(इन बातों का रखें विशेष ध्यान)

  • यह प्रयोग गुप्त रूप से ही करें, किसी को न बताएं।
  • मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और श्रद्धा से करें।
  • प्रयोग के दौरान मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
  • प्रयोग के दिन मांस-मदिरा, क्रोध व कटु वचन से दूर रहें।
  • मिट्टी प्राकृतिक होनी चाहिए, उसमें कोई कृत्रिमता न हो।
  • जिनके मन में संदेह होगा, उन्हें सफलता नहीं मिलेगी।

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भावनात्मक जुड़ाव और आंतरिक शक्ति का जागरण

(यह प्रयोग सिर्फ बाहरी नहीं, आंतरिक परिवर्तन भी लाता है)

गुप्त आकर्षण का यह प्रयोग केवल दिखावे या भौतिकता तक सीमित नहीं है। यह आत्मा के स्तर पर भी आपकी ऊर्जा को बदल देता है। मंत्र का कंपन आपके चित्त को शांत करता है। आपका अंतर्मन अधिक शक्तिशाली और आकर्षक हो जाता है। इससे आप अपने जीवन में आत्मीय और आध्यात्मिक संबंध बना पाते हैं। यह प्रयोग आत्म-सम्मान और आत्म-प्रेम को भी जन्म देता है।

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सामान्य प्रश्नोत्तर

(आपके मन के सवालों के उत्तर)

प्रश्न: क्या यह प्रयोग किसी को हानि पहुँचा सकता है?
उत्तर: नहीं, यह प्रयोग सकारात्मक ऊर्जा पर आधारित है।

प्रश्न: कितने दिनों में असर दिखता है?
उत्तर: श्रद्धा और नियमितता से असर 7 से 11 दिनों में दिखने लगता है।

प्रश्न: क्या महिलाएँ यह प्रयोग कर सकती हैं?
उत्तर: हाँ, यह प्रयोग सभी के लिए समान रूप से प्रभावशाली है।

प्रश्न: क्या इस प्रयोग में दीक्षा जरूरी है?
उत्तर: नहीं, लेकिन अगर गुरु की कृपा हो तो परिणाम और तीव्र होते हैं।

प्रश्न: अगर प्रयोग अधूरा रह जाए तो?
उत्तर: फिर से पूर्ण विधि से शुरू करें, अधूरा छोड़ना उचित नहीं।


Hanuman Flag Remedy for Peace, Wealth & Success

Hanuman Flag Remedy for Peace, Wealth & Success

हनुमानी पताका का ऐसा उपाय | घर में आयेगी सुख-शांति और समृद्धि

Hanuman Flag Remedy – हनुमान जी को शक्ति, सुरक्षा और संकट निवारण का प्रतीक माना गया है। अगर जीवन में क्लेश, अशांति और आर्थिक रुकावटें हैं तो हनुमानी पताका का यह विशेष उपाय अत्यंत प्रभावशाली है। इस उपाय के साथ जब “ॐ हं हनुमंते सर्व विघ्न नष्टम् शांतिम् देही देही नमः” मंत्र का जाप किया जाता है, तो नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और घर में सुख-शांति एवं समृद्धि का वास होता है। यह 20 मिनट और 9 दिन की सरल साधना है, जो घर के किसी भी कोने में की जा सकती है। यह उपाय ना केवल भौतिक स्तर पर लाभ देता है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक ऊर्जा भी प्रदान करता है।


२० मिनट और ९ दिन की चमत्कारी साधना

हनुमानी पताका साधना का सरल और प्रभावी स्वरूप

हनुमानी पताका की यह साधना केवल 20 मिनट प्रतिदिन की जाती है। इसे लगातार 9 दिन तक करना होता है, बिना किसी दिन का अंतराल। साधक को एक पवित्र स्थान चुनना चाहिए, जहाँ नियमित रूप से पूजा होती हो। प्रति दिन प्रातः या संध्या के समय यह उपाय करें, जब वातावरण शांत हो। साधना करते समय लाल वस्त्र पहनें और ध्यानपूर्वक मंत्र का जाप करें – ॐ हं हनुमंते सर्व विघ्न नष्टम् शांतिम् देही देही नमः

प्रत्येक दिन एक नई लाल पताका को हनुमान जी के सामने अर्पित करें। नौवें दिन सभी पताकाएं किसी मंदिर में जाकर चढ़ा दें या अपने घर की छत पर बांधें। यह उपाय घर में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।


हनुमानी पताका उपाय के प्रमुख लाभ

हनुमान ध्वज से मिलने वाले दिव्य परिणाम

  1. घर में हर प्रकार की अशांति का नाश होता है।
  2. धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
  3. परिवार में प्रेम और सौहार्द बना रहता है।
  4. शत्रु और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
  5. मानसिक तनाव और भय समाप्त होते हैं।
  6. हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  7. व्यापार और कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है।
  8. बुरी नजर और टोने-टोटके से सुरक्षा मिलती है।
  9. संतान सुख और पारिवारिक सुख में वृद्धि होती है।
  10. घर में हर कोने में सकारात्मक ऊर्जा भरती है।
  11. रुके हुए कार्य पूर्ण होने लगते हैं।
  12. रोग-शोक से मुक्ति मिलती है।
  13. साधना से आत्मबल और साहस बढ़ता है।
  14. घर में लक्ष्मी जी का वास होता है।
  15. जीवन में स्थिरता और संतुलन आता है।

हनुमानी पताका साधना के नियम

हनुमान पूजा में आवश्यक अनुशासन

  • साधना के समय और स्थान को निश्चित रखें।
  • प्रतिदिन स्नान करके ही साधना करें।
  • लाल वस्त्र और आसन का प्रयोग करें।
  • हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने ही करें उपाय।
  • साधना के समय पूर्ण एकाग्रता रखें।
  • किसी भी दिन साधना न छोड़ें।
  • मन में श्रद्धा और विश्वास बनाए रखें।
  • व्रत रह सकें तो उत्तम, अन्यथा सात्विक भोजन लें।
  • गुस्सा, कटु भाषा और अपवित्रता से दूर रहें।

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सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त और समय

कब करें हनुमानी पताका उपाय

हनुमान जी की पूजा में मंगलवार और शनिवार विशेष शुभ माने जाते हैं। आप इस उपाय की शुरुआत मंगलवार या शनिवार को करें। प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में या संध्या के समय यह उपाय अधिक प्रभावी होता है। पूर्णिमा, अमावस्या, हनुमान जयंती, राम नवमी, या ग्रहण के समय यह उपाय करना अत्यधिक फलदायी होता है।

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हनुमानी पताका लगाने की विधि

स्टेप बाय स्टेप संपूर्ण उपाय

  1. लाल रंग की 9 पताकाएं लें, जिनपर हनुमान जी का नाम या चित्र अंकित हो।
  2. एक लाल वस्त्र बिछाकर उस पर हनुमान जी की मूर्ति या चित्र रखें।
  3. घी का दीपक जलाएं और चंदन, सिंदूर, फूल चढ़ाएं।
  4. हाथ में पताका लेकर आंखें बंद करें और मंत्र का उच्चारण करें –
    ॐ हं हनुमंते सर्व विघ्न नष्टम् शांतिम् देही देही नमः
  5. यह मंत्र 20 मिनट जपें।
  6. हर दिन एक नई पताका हनुमान जी को अर्पित करें।
  7. 9वें दिन सभी पताकाएं छत या किसी मंदिर में बांधें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

हनुमानी पताका उपाय से जुड़ी सामान्य शंकाएं

प्र1. क्या यह उपाय केवल मंगलवार को ही करना है?
उत्तर: नहीं, आरंभ मंगलवार या शनिवार को करें। लेकिन 9 दिन प्रतिदिन करना आवश्यक है।

प्र2. क्या महिलाएं यह साधना कर सकती हैं?
उत्तर: हाँ, श्रद्धा और नियमपूर्वक करें तो स्त्रियां भी कर सकती हैं।

प्र3. क्या पुराने घर में यह उपाय करना उचित है?
उत्तर: हाँ, लेकिन शुद्धता और निष्ठा होनी चाहिए।

प्र4. क्या कोई विशेष मंत्र आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, मुख्य मंत्र है – ॐ हं हनुमंते सर्व विघ्न नष्टम् शांतिम् देही देही नमः

प्र5. क्या इस उपाय के साथ और कोई पूजा करनी चाहिए?
उत्तर: यदि संभव हो तो सुंदरकांड या हनुमान चालीसा पढ़ना उत्तम रहेगा।

प्र6. क्या इसे साल में कई बार किया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, हर माह या संकट काल में किया जा सकता है।

प्र7. क्या पताका कहीं से भी खरीदी जा सकती है?
उत्तर: हाँ, लेकिन उस पर हनुमान जी का चित्र या नाम होना चाहिए।

प्र8. क्या इस उपाय से तुरंत लाभ मिलेगा?
उत्तर: परिणाम व्यक्ति की श्रद्धा, नियत और भक्ति पर निर्भर करते हैं। कुछ लाभ तुरंत मिलते हैं।


अंत मे

हनुमानी पताका साधना – दिव्य जीवन की ओर एक कदम

यह साधना केवल एक उपाय नहीं, बल्कि हनुमान जी से जुड़ने का दिव्य माध्यम है। जब आप श्रद्धा से 20 मिनट प्रतिदिन इस उपाय को करते हैं, तो आपका जीवन ऊर्जा से भर जाता है। यह उपाय आपके घर को मंदिर के समान बना देता है।
हनुमान जी की कृपा से आप जीवन में प्रत्येक बाधा को पार कर पाएंगे।

हनुमान जी को नम्र भाव से नमन करें। उनकी पताका से घर में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन निश्चित है।


Kinnari Attraction Ritual – Remove Love Obstacles

Kinnari Attraction Ritual - Remove Love Obstacles

प्रेम संबंधों में अड़चन? किन्नरी साधना से पाएं समाधान!

क्या आपके प्रेम संबंधों में बार-बार अड़चनें आ रही हैं? क्या वह व्यक्ति जिससे आप प्रेम करते हैं, आपसे दूर होता जा रहा है या आपको समझ नहीं पा रहा? या फिर आप अपने जीवन में सच्चे प्रेम की तलाश में हैं पर हर बार निराशा ही हाथ लगती है?

तो अब समय आ गया है एक प्राचीन, दिव्य और रहस्यमयी साधना का — “किन्नरी आकर्षण प्रयोग”
किन्नरी साधना प्रेम, सौंदर्य, आकर्षण और सम्मोहन की एक अत्यंत शक्तिशाली विधा है, जो विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो प्रेम संबंधों में सकारात्मक परिवर्तन लाना चाहते हैं।

इस साधना में हम जाप करते हैं —
“ॐ ह्रीं किन्नरेश्वर आकर्षय आकर्षयी क्लीं नमः”
यह मंत्र प्रेम संबंधों में गहराई लाने, आकर्षण बढ़ाने और रिश्तों की उलझनों को दूर करने के लिए अद्भुत कार्य करता है।


किन्नरी साधना के चमत्कारी लाभ

  1. प्रेम संबंधों में मजबूती और भावनात्मक जुड़ाव बढ़े।
  2. आकर्षण शक्ति में तीव्र वृद्धि हो।
  3. अपने प्रेमी/प्रेमिका को पुनः आकर्षित करें।
  4. रूठे प्रेमी को मनाने में मदद करें।
  5. सच्चे प्रेम की प्राप्ति के लिए मार्ग प्रशस्त हो।
  6. रिश्तों में गलतफहमियों को दूर करें।
  7. विवाह में आने वाली बाधाएं हटें।
  8. सौंदर्य और आभा में वृद्धि हो।
  9. आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी हो।
  10. ऑफिस या सामाजिक जीवन में आकर्षण का केंद्र बनें।
  11. जीवन में सुख, शांति और प्रेम बढ़े।
  12. विरोधियों की दृष्टि प्रेम संबंधों से हटे।
  13. टेलीपैथिक कनेक्शन या भावनात्मक समझ बढ़े।
  14. अनकहे प्रेम का इज़हार आसान हो।
  15. मानसिक शांति और संतुलन बना रहे।

शुभ मुहूर्त (Auspicious Muhurth)

  • पूर्णिमा, शुक्रवार, या वसंत पंचमी जैसे प्रेम-ऊर्जा से युक्त दिन अत्यंत श्रेष्ठ हैं।
  • साधना सूर्योदय के बाद या रात्रि 9 से 12 बजे के बीच करें।
  • स्त्रियाँ रजस्वला अवस्था में साधना न करें।

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साधना विधि (Vidhi – 11 दिनों की 25 मिनट प्रतिदिन की साधना)

आवश्यक सामग्री:

  • पीला वस्त्र
  • गुलाबी या सफेद पुष्प
  • किन्नरी की फोटो या प्रतीक
  • इत्र (अत्तर)
  • कुमकुम, दीपक, और घी

विधि:

  1. एकांत व पवित्र स्थान पर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  2. अपने सामने किन्नरी रूप की तस्वीर रखें।
  3. दीपक जलाएं, इत्र लगाएं और पुष्प अर्पित करें।
  4. कुछ क्षण मौन होकर अपनी इच्छा स्पष्ट करें।
  5. अब “ॐ ह्रीं किन्नरेश्वर आकर्षय आकर्षयी क्लीं नमः” मंत्र का जाप करें — 👉 कम से कम 11 माला प्रति दिन
  6. जाप के बाद दोनों हथेलियों से ऊर्जा को हृदय पर लाएं।
  7. यह साधना लगातार 11 दिनों तक करें।

विशेष:
इस अवधि में ब्रह्मचर्य व संयम का पालन करें, और अनावश्यक वाद-विवाद से दूर रहें।

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प्रमुख प्रश्नोत्तर

1. क्या यह साधना पुरुष व स्त्री दोनों कर सकते हैं?
हाँ, यह साधना दोनों के लिए प्रभावशाली है।

2. क्या इस मंत्र का प्रभाव तुरंत दिखाई देता है?
प्रभाव 3 से 11 दिन के भीतर दिखने लगता है, विशेषकर भावनात्मक स्तर पर।

3. क्या यह साधना एक बार से अधिक बार की जा सकती है?
हाँ, आवश्यकता अनुसार महीने में एक बार दोहराई जा सकती है।

4. क्या यह काला जादू या वशीकरण है?
नहीं, यह प्रेममयी ऊर्जा को जाग्रत करने वाली साधना है — पूर्णतः सकारात्मक।

5. क्या साधना के दौरान कुछ विशेष खानपान का पालन करना होता है?
सात्विक भोजन करें, मांस-मद्य त्यागें।

6. क्या साधना बीच में छोड़ सकते हैं?
नहीं, इसे बीच में न रोकें। अधूरी साधना से लाभ नहीं होगा।

7. क्या यह शादीशुदा लोगों के लिए भी है?
हाँ, वैवाहिक प्रेम बढ़ाने में भी यह सहायक है।

8. क्या इस साधना से प्रेम-विवाह में सफलता मिल सकती है?
हाँ, कई साधकों को इससे प्रेम विवाह में सफलता मिली है।

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अंतिम शब्द

यदि आप सच्चे प्रेम की तलाश में हैं, या किसी खास व्यक्ति के दिल में अपना स्थान बनाना चाहते हैं — तो किन्नरी आकर्षण प्रयोग आपके लिए वरदान है। यह साधना सिर्फ प्रेम को आकर्षित नहीं करती, बल्कि उसे दिव्यता में भी रूपांतरित करती है।

आज ही शुरू करें यह 11 दिवसीय साधना और प्रेममय जीवन की ओर पहला कदम बढ़ाएं।

🔔 मंत्र स्मरण करें —
“ॐ ह्रीं किन्नरेश्वर आकर्षय आकर्षयी क्लीं नमः”

Hanuman Sadhana For Money Attraction & Success

Hanuman Sadhana For Money Attraction & Success

हनुमान सिंदूर और लाल फूल से करें धन वृद्धि का चमत्कारी उपाय

Hanuman Sadhana For Money – धन की कमी, कार्यों में अड़चन और भाग्य के रुक जाने से जब जीवन थम जाए तो एक चमत्कारी उपाय है—हनुमान सिंदूर और लाल फूल से किया जाने वाला धन वृद्धि प्रयोग। यह उपाय अत्यंत शक्तिशाली, सिद्ध और गुप्त तांत्रिक परंपरा से लिया गया है, जो विशेषतः उन लोगों के लिए है जिन्हें निरंतर संघर्ष और कर्ज की समस्या बनी रहती है।

यह प्रयोग न केवल आर्थिक रूप से मजबूत करता है, बल्कि शत्रु बाधा, व्यवसाय में नुकसान, ग्रह दोष और आत्मबल की कमी को भी दूर करता है। यह साधना 20 मिनट की नित्य प्रक्रिया पर आधारित है और इसे लगातार 11 दिन करने से इसका असर स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगता है।

हनुमान जी के सिंदूर में दिव्य ऊर्जा समाहित होती है। यह सिंदूर जब विशिष्ट मंत्र और लाल फूलों के साथ अर्पित किया जाता है, तो वह साधक की साधना को शीघ्र फलदायक बना देता है।

यह साधना विशेषतः मंगलवार या शनिवार से आरंभ करें और नियमपूर्वक 11 दिन तक करें। यह प्रयोग सरल, सटीक और तुरंत फल देने वाला है। इसका लाभ आम व्यक्ति से लेकर व्यापारी, विद्यार्थी, गृहस्थ, साधक—सभी को होता है।


साधना की अवधि: 20 मिनट का दैनिक प्रयोग और 11 दिन की सिद्ध साधना

इस प्रयोग में केवल 20 मिनट प्रतिदिन का समय पर्याप्त है। आप प्रातः या रात्रि के समय शांत स्थान पर इस क्रिया को कर सकते हैं। इस प्रयोग को लगातार 11 दिन करना अनिवार्य है।

साधना सामग्री:

  1. हनुमान जी का चित्र या मूर्ति (बैठे हुए या उगते सूर्य की दिशा में)
  2. सिंदूर (विशेषतः मंदिर से प्राप्त)
  3. 11 लाल फूल
  4. एक पीतल की थाली
  5. घी का दीपक
  6. कपूर
  7. गुलाबजल

मंत्र:

“ॐ हं रक्त वर्णे हनुमंते कार्य सिद्धिम् देही देही नमः”
इस मंत्र का जाप प्रत्येक दिन कम से कम २० मिनट मंत्र जप अवश्य करें।


प्रयोग की विधि (Vidhi)

  1. प्रातः स्नान के बाद पवित्र होकर लाल वस्त्र पहनें।
  2. हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं।
  3. थाली में सिंदूर रखें, उसमें गुलाबजल की कुछ बूंदें मिलाएं।
  4. 11 लाल फूल हनुमान जी को अर्पित करें।
  5. हर फूल अर्पण करते समय मंत्र का जाप करें।
  6. इसके बाद आंखें बंद करके 5 मिनट ध्यान करें।
  7. अंत में कपूर से आरती करें और प्रसाद स्वरूप कुछ मिश्री या गुड़ अर्पित करें।

शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

  • मंगलवार, शनिवार या पूर्णिमा से प्रारंभ करें
  • ब्रह्म मुहूर्त (4:00 AM – 6:00 AM) सर्वोत्तम
  • अमावस्या, हनुमान जयंती या ग्रहण काल भी विशेष सिद्धि हेतु श्रेष्ठ

Hanuman jayanti pujan shivir


इस प्रयोग के चमत्कारी लाभ (Benefits)

  1. व्यापार में अचानक लाभ
  2. जमी हुई रकम की वापसी
  3. कर्ज से मुक्ति
  4. नौकरी में प्रमोशन
  5. मानसिक शांति
  6. परिवारिक कलह का समाधान
  7. कोर्ट केस में विजय
  8. शत्रु बाधा का नाश
  9. आय में निरंतर वृद्धि
  10. गृह में सकारात्मक ऊर्जा का संचार
  11. संतान सुख में सुधार
  12. विवाह में आ रही अड़चन का निवारण
  13. धन स्थायी रूप से बढ़ना
  14. ग्रह दोषों का शमन
  15. साधक का आत्मबल और तेज बढ़ना

Hanumani sindur


प्रमुख प्रश्न और उत्तर

Q1: क्या यह प्रयोग महिलाएं भी कर सकती हैं?
हाँ, यह प्रयोग स्त्रियों के लिए भी लाभकारी है, परंतु मासिक धर्म के समय इसे न करें।

Q2: क्या सिंदूर किसी भी प्रकार का हो सकता है?
नहीं, यह मंदिर से प्राप्त पवित्र सिंदूर ही होना चाहिए, जिसमें हनुमान जी की ऊर्जा होती है।

Q3: 11 दिन में अगर एक दिन छूट जाए तो?
प्रयोग को फिर से शुरू करें। निरंतरता आवश्यक है।

Q4: मंत्र जाप किस प्रकार करना है?
माला से करें, एकाग्र होकर करें और मानसिक रूप से हनुमान जी का ध्यान करें।

Q5: अगर कोई लाल फूल न मिले तो क्या विकल्प है?
गुलाब या गुड़हल का फूल सर्वोत्तम है। यदि न मिले तो ताजे फूलों का उपयोग करें।

Q6: क्या इस साधना से तुरंत लाभ मिलता है?
कुछ लाभ तुरंत दिखते हैं, परंतु स्थायी परिणाम हेतु संयम और आस्था आवश्यक है।

Q7: क्या साधना पूरी होने के बाद कुछ विशेष करना है?
11वें दिन हनुमान मंदिर में जाकर सिंदूर और फूल अर्पण करें, और प्रसाद बांटें।

Tara sadhana shivir


अंत में

हनुमान जी की यह साधना अत्यंत प्रभावशाली, सिद्ध और तुरंत फल देने वाली है। सिंदूर और लाल फूल के माध्यम से जब श्रद्धा, नियम और मंत्र के साथ कार्य किया जाए, तो वह निश्चित रूप से धन, सफलता और कार्य सिद्धि का द्वार खोल देती है।

यह प्रयोग उन लोगों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो निरंतर प्रयास के बावजूद जीवन में इच्छित सफलता नहीं प्राप्त कर पा रहे। यह एक सरल लेकिन शक्तिशाली तांत्रिक रहस्य है, जिसे यदि सच्चे मन से अपनाया जाए, तो चमत्कारिक परिणाम मिलते हैं।


Kartikeya Protection Mantra – Protect Yourself from Hidden Enemies

Kartikeya Protection Mantra - Protect Yourself from Hidden Enemies

गुप्त शत्रु परेशान कर रहे हैं? कार्तिकेय मंत्र और मिट्टी से करें रक्षा!

Kartikeya Protection Mantra – क्या आपको ऐसा लगता है कि कोई अदृश्य शक्ति आपके जीवन में बाधाएं पैदा कर रही है? क्या सफलता के मार्ग में बार-बार अनजानी रुकावटें आ रही हैं? यह गुप्त शत्रु, ईर्ष्यालु व्यक्ति या नकारात्मक ऊर्जा का संकेत हो सकता है। ऐसे समय में भगवान कार्तिकेय का एक दिव्य प्रयोग आपकी रक्षा कर सकता है। मिट्टी (पृथ्वी तत्व) का उपयोग और शक्तिशाली बीज मंत्रों का जप, आपके चारों ओर एक अदृश्य सुरक्षा कवच बना देता है।

भगवान कार्तिकेय को युद्ध और विजय के देवता माना जाता है। वे राक्षसों और शत्रुओं का नाश करने वाले दिव्य योद्धा हैं। उनका आह्वान करने से आत्मबल, तेज, और आत्मरक्षा की अद्भुत शक्ति प्राप्त होती है। यह प्रयोग विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जिन्हें बार-बार नजर, टोना, तांत्रिक बाधा या अदृश्य शत्रु परेशान कर रहे हैं।

इस लेख में हम एक गुप्त कार्तिकेय मंत्र, उसका अर्थ, प्रयोग की विधि, लाभ, शुभ मुहूर्त और सामान्य प्रश्नों के उत्तर प्रस्तुत कर रहे हैं। यह प्रयोग मात्र 25 मिनट का है, और 7 दिनों तक नियमित करने से चमत्कारी परिणाम प्राप्त होते हैं।


मंत्र और अर्थ

मंत्र:
🔸 ॐ ह्रीं क्रीं स्कंदाय क्रीं हुं फट् ।

मंत्र का अर्थ:
यह एक शक्तिशाली मंत्र है।

  • “ॐ” ब्रह्मांडीय ऊर्जा का आह्वान है।
  • “ह्रीं” शक्ति और भुवनेश्वरी का बीज है।
  • “क्रीं” कार्यसिद्धि व क्रियाशक्ति काली का प्रतीक है।
  • “स्कंदाय” भगवान स्कंद (कार्तिकेय) को समर्पित है।
  • “हुं” रक्षात्मक ऊर्जा का बीज है।
  • “फट्” शत्रु संहार व बंधन तोड़ने वाला तंत्र बीज है।

इस मंत्र का जप हमारे चारों ओर एक तेजस्वी दिव्य कवच बनाता है जो गुप्त शत्रुओं से रक्षा करता है।


अद्भुत लाभ (Benefits)

  1. अदृश्य शत्रुओं से रक्षा मिलती है।
  2. नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  3. भयमुक्ति और आत्मबल में वृद्धि होती है।
  4. गुप्त रोगों का शमन होता है।
  5. शारीरिक सुरक्षा के लिए दिव्य कवच बनता है।
  6. नजरदोष, टोने-टोटके का प्रभाव समाप्त होता है।
  7. मनोबल, साहस और कार्यक्षमता बढ़ती है।
  8. कोर्ट-कचहरी के मामलों में विजय मिलती है।
  9. ऑफिस या बिजनेस में शत्रु शांत होते हैं।
  10. ग्रह बाधाएं व कालसर्प योग का प्रभाव कम होता है।
  11. शत्रु स्वयं दूर भागने लगते हैं।
  12. आत्मा की शक्ति में जागृति आती है।
  13. हनुमान, भैरव जैसे रक्षक देवताओं का सहयोग मिलता है।
  14. तांत्रिक व टोने से रक्षा होती है।
  15. नियमित प्रयोग से स्थायी सुरक्षा प्राप्त होती है।

Hanuman jayanti pujan shivir


शुभ मुहूर्त (Muhurta)

यह प्रयोग किसी भी मंगलवार, रविवार या कार्तिक मास की षष्ठी तिथि से प्रारंभ करें।

  • सूर्योदय से पूर्व ब्रह्ममुहूर्त (4:30 से 6:00 AM) सर्वोत्तम माना गया है।
  • यदि संभव न हो, तो दिन के किसी भी शांत समय में किया जा सकता है।

Tara sadhana shivir


प्रयोग विधि (Vidhi)

🔹 सामग्री:

  • स्वच्छ मिट्टी (बगीचे, पीपल वृक्ष या देवस्थान की)
  • लाल कपड़ा
  • घी का दीपक
  • कार्तिकेय यंत्र (यदि उपलब्ध हो)

🔹 स्थान चयन:
घर में किसी एकांत पवित्र स्थान पर यह प्रयोग करें।

🔹 विधि:

  1. मिट्टी को लाल कपड़े पर रखें।
  2. दीपक जलाकर भगवान कार्तिकेय का आह्वान करें।
  3. अब 25 मिनट तक लगातार निम्न मंत्र का जप करें:
    ॐ ह्रीं क्रीं स्कंदाय क्रीं हुं फट्
  4. मंत्र जप के बाद मिट्टी को अपने घर के मुख्य द्वार या पूजा स्थान पर रख दें।
  5. यह प्रक्रिया लगातार 7 दिनों तक करें।
  6. 8वें दिन मिट्टी को पीपल के नीचे respectfully विसर्जित करें।

Hanumani Sindur for protection


महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

1. क्या यह प्रयोग स्त्री कर सकती है?
हाँ, यह प्रयोग पुरुष और स्त्रियाँ दोनों कर सकते हैं, बशर्ते पवित्रता रखी जाए।

2. क्या रजस्वला स्त्रियाँ यह कर सकती हैं?
नहीं, मासिक धर्म के दौरान यह प्रयोग न करें।

3. क्या मिट्टी किसी भी स्थान की ली जा सकती है?
देवस्थान, पीपल वृक्ष या अपने घर के आंगन की शुद्ध मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है।

4. अगर कोई एक दिन चूक गया तो क्या करें?
उस दिन के बाद अगला दिन पुनः पहला दिन मानकर 7 दिन पूरे करें।

5. क्या मंत्र का उच्चारण आवश्यक है?
हाँ, मंत्र का सही उच्चारण ही परिणाम देता है। यदि संभव हो, गुरु से सीखें।

6. क्या यह प्रयोग केवल संकट में ही करें?
नहीं, आप इसे नित्य सुरक्षा के लिए मासिक रूप से भी कर सकते हैं।

7. क्या इस मंत्र का अन्य कार्यों में उपयोग होता है?
हाँ, यह मंत्र तांत्रिक प्रयोगों, रक्षा कवच निर्माण, और बलवृद्धि हेतु भी उपयोगी है।


अंत मे

यदि आपके जीवन में बार-बार असफलता, बाधाएं या अदृश्य शत्रुओं की उपस्थिति महसूस हो रही है, तो भगवान कार्तिकेय का यह गुप्त मंत्र और मिट्टी प्रयोग आपके लिए संजीवनी सिद्ध हो सकता है। मात्र 25 मिनट प्रतिदिन और सात दिन की यह साधना, आपकी रक्षा के लिए दिव्य कवच का निर्माण करती है। यह प्रयोग न केवल सुरक्षा देता है, बल्कि आपके आत्मविश्वास, तेज और कार्यसिद्धि में भी वृद्धि करता है।