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Guru Purnima Secrets – Initiation, Dakshina & Divine Transformation

Guru Purnima Secrets – Initiation, Dakshina & Divine Transformation

गुरु पूर्णिमा – आध्यात्मिक जागरण और आशीर्वाद का पर्व

Guru Purnima Secrets गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत पवित्र और शुभ पर्व है, जो आषाढ़ माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह दिन ज्ञान, आध्यात्मिकता और गुरु-शिष्य परंपरा के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का सर्वोत्तम अवसर होता है। गुरु का स्थान शास्त्रों में ईश्वर से भी ऊपर माना गया है – क्योंकि वही हमें ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग दिखाते हैं। इस दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था, जिन्होंने चारों वेदों का संकलन कर मानवता को ज्ञान का प्रकाश प्रदान किया। अतः इसे ‘व्यास पूर्णिमा’ भी कहा जाता है।

DivyayogAshram के अनुसार, गुरु पूर्णिमा का दिन किसी भी आध्यात्मिक मार्ग पर दीक्षा लेने के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त होता है। इस दिन दीक्षा ग्रहण करने से साधक को शीघ्र फल की प्राप्ति होती है, और उसका साधना जीवन सुरक्षित, संरक्षित और ऊर्जा से भर जाता है। गुरु से आशीर्वाद लेना और उन्हें श्रद्धापूर्वक गुरु दक्षिणा अर्पित करना साधक के जीवन में चमत्कारी परिवर्तन लाता है।


गुरु पूर्णिमा पर दीक्षा लेने के लाभ

  1. आध्यात्मिक यात्रा की शक्तिशाली शुरुआत
  2. चित्त की शुद्धि और ऊर्जा का जागरण
  3. कर्मों के शोधन की प्रक्रिया प्रारंभ
  4. आत्मा की दिशा में प्रगति
  5. गुरु कृपा से संकटों से रक्षा
  6. रोग, भय और मानसिक उलझनों में राहत
  7. साधना में सफलता
  8. चमत्कारी अनुभवों की प्राप्ति
  9. चित्त में स्थिरता और एकाग्रता
  10. पूर्व जन्म के पापों से मुक्ति
  11. मंत्र शक्ति का जागरण
  12. गुप्त विद्याओं का मार्गदर्शन
  13. आर्थिक समस्याओं का समाधान
  14. संबंधों में सुधार और सामंजस्य
  15. जीवन में उद्देश्य और दिशा की प्राप्ति
  16. अध्यात्मिक ऊर्जा का संचरण
  17. आभामंडल की शुद्धि और विस्तार
  18. जन्मों के बंधनों से मुक्ति का मार्ग
  19. दिव्य अनुभूति और दृष्टि
  20. मृत्यु भय का अंत और मोक्ष की ओर बढ़ना

गुरु दक्षिणा क्यों आवश्यक है?

Guru Purnima Secrets – दक्षिणा केवल भौतिक वस्तु नहीं, बल्कि श्रद्धा, समर्पण और कृतज्ञता का प्रतीक होती है। जब शिष्य गुरु से ज्ञान या दीक्षा प्राप्त करता है, तो गुरु दक्षिणा देकर वह उस अनंत कृपा का आभार व्यक्त करता है। DivyayogAshram के अनुसार, गुरु दक्षिणा देने से शिष्य का पुण्य चक्र पूर्ण होता है और साधना में रुकावटें समाप्त होती हैं।


नियम

  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
  • स्वच्छ वस्त्र पहनकर अपने गुरु या उनके चित्र के सामने दीप जलाएं।
  • मन, वचन और शरीर से पूर्ण शुद्धता रखें।
  • दीक्षा लेने से पहले संकल्प लें और गुरु का स्मरण करें।
  • गुरु को श्रद्धापूर्वक गुरु दक्षिणा अर्पित करें।
  • दिव्य साधना सामग्री प्राप्त कर सच्चे भाव से साधना शुरू करें।

गुरु पूर्णिमा कब है?

10 जुलाई 2025, गुरुवार को गुरु पूर्णिमा का पर्व है। इस दिन चंद्रमा पूर्ण रूप से खिला रहेगा और दिव्य ऊर्जा से वातावरण भरा रहेगा। यह दिन साधना और दीक्षा के लिए अत्यंत शुभ है।

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Guru Purnima Secretsसामान्य प्रश्न

  1. गुरु पूर्णिमा का महत्व क्या है?
    – यह गुरु के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने और आशीर्वाद प्राप्त करने का पर्व है।
  2. क्या इस दिन दीक्षा लेना लाभकारी है?
    – हां, यह दिन दीक्षा के लिए अत्यंत शुभ और फलदायक होता है।
  3. मैं ऑनलाइन दीक्षा ले सकता/सकती हूँ?
    – हां, DivyayogAshram ऑनलाइन दीक्षा की व्यवस्था भी करता है।
  4. गुरु दक्षिणा में क्या देना चाहिए?
    – अपनी श्रद्धा अनुसार कोई भी वस्तु या दान, जैसे वस्त्र, दक्षिणा राशि, साधना सामग्री आदि।
  5. क्या गुरु पूर्णिमा पर व्रत रखना चाहिए?
    – हां, अगर स्वास्थ्य अनुमति दे तो व्रत या सात्विक भोजन करना उत्तम है।
  6. गुरु नहीं हो तो क्या करें?
    – आप किसी सिद्ध गुरु के चित्र के समक्ष मन से श्रद्धा प्रकट कर सकते हैं और दीक्षा का संकल्प ले सकते हैं।
  7. क्या इस दिन विशेष मंत्रों का जप करना चाहिए?
    – हां, गुरु मंत्र, गायत्री मंत्र, या गुरु स्तोत्र का जप अत्यंत लाभकारी होता है।
  8. क्या गुरु पूर्णिमा पर साधना शुरू कर सकते हैं?
    – हां, यह दिन नई साधना शुरू करने के लिए अत्यंत श्रेष्ठ है।
  9. गुरु पूजा का समय क्या है?
    – प्रातः 4:30 से 9:00 बजे तक और संध्या समय 4:00 से 7:00 बजे तक शुभ है।
  10. DivyayogAshram से दीक्षा कैसे प्राप्त करें?
    – उनकी वेबसाइट या आधिकारिक संपर्क नंबर पर पंजीकरण कर सकते हैं।

यदि आप भी अपने जीवन को एक नई दिशा देना चाहते हैं, तो इस गुरु पूर्णिमा (10 जुलाई 2025) को DivyayogAshram से दीक्षा लेकर अपने जीवन को दिव्यता से जोड़ें। Call: 7710812329 Whatsapp

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कुंडलिनी जागरण के लिए क्रिस्टल और मंत्र उपाय

Blocked Kundalini? जब हमारी कुंडलिनी शक्ति (जीवन ऊर्जा) अवरुद्ध हो जाती है, तब जीवन में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती हैं – जैसे मानसिक भ्रम, ऊर्जा की कमी, असफलता, भय, तनाव और आध्यात्मिक प्रगति में रुकावट। कुंडलिनी जागरण एक अत्यंत गूढ़ लेकिन शक्तिशाली प्रक्रिया है, जिसे विशेष माध्यमों से जागृत किया जा सकता है। “DivyayogAshram” द्वारा सुझाया गया यह सरल उपाय एक विशेष क्रिस्टल और सिद्ध मंत्र के माध्यम से कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत करने में सहायक है। यह उपाय उन सभी के लिए उपयोगी है जो ध्यान, साधना या आत्म-प्रगति के मार्ग पर हैं। यदि आप अपनी अवरुद्ध ऊर्जा को फिर से सक्रिय करना चाहते हैं, तो इस उपाय को आज ही करें और जीवन में अद्भुत सकारात्मक परिवर्तन का अनुभव लें।


क्रिस्टल + मंत्र उपाय विधि (Vidhi)

  1. क्रिस्टल: “क्लियर क्वार्ट्ज (Clear Quartz)” या “कुंडलिनी क्रिस्टल” का प्रयोग करें।
  2. क्रिस्टल को जल, धूप और गंगा जल से शुद्ध करें।
  3. किसी शांत स्थान पर आसन लगाकर बैठें।
  4. क्रिस्टल को दाहिने हाथ में लेकर दोनों आंखें बंद करें।
  5. मंत्र जप करें –
    मंत्र: “ॐ क्रीं कुण्डलिन्यै नमः”
  6. 108 बार इस मंत्र का जप करें।
  7. जप के बाद क्रिस्टल को अपने पास रखें या तकिए के नीचे रखें।
  8. यह प्रयोग रोज़ सुबह या रात को किया जा सकता है।

चमत्कारी लाभ (Benefits)

  1. कुंडलिनी शक्ति का जागरण होता है
  2. जीवन में रुकी हुई ऊर्जा प्रवाहित होती है
  3. मानसिक स्पष्टता और आत्मविश्वास बढ़ता है
  4. ध्यान में गहराई आती है
  5. आध्यात्मिक अनुभवों में वृद्धि होती है
  6. भय, चिंता और तनाव कम होता है
  7. सातों चक्रों का संतुलन बनता है
  8. आत्मा और शरीर का तालमेल बढ़ता है
  9. जीवन में उद्देश्य स्पष्ट होता है
  10. सकारात्मक सोच विकसित होती है
  11. थकान और आलस्य में कमी आती है
  12. मन की शक्ति जाग्रत होती है
  13. साधना और मंत्र जाप में सफलता मिलती है
  14. आकर्षण शक्ति और आभा में वृद्धि होती है
  15. आत्म-उपचार की शक्ति विकसित होती है

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र1: क्या यह उपाय कोई भी कर सकता है?
हाँ, यह सभी उम्र के साधकों के लिए सुरक्षित और लाभकारी है।

प्र2: क्या क्रिस्टल को हर दिन शुद्ध करना होगा?
प्रथम प्रयोग से पूर्व शुद्ध करना आवश्यक है, बाद में सप्ताह में एक बार करें।

प्र3: क्या यह उपाय रात को भी किया जा सकता है?
हाँ, शांत वातावरण में सुबह या रात – दोनों समय उत्तम हैं।

प्र4: क्या मंत्र जाप के लिए माला आवश्यक है?
यदि उपलब्ध हो तो रुद्राक्ष या क्रिस्टल माला का उपयोग करें, अन्यथा मानसिक जाप भी चलेगा।

प्र5: क्या यह उपाय हर दिन करना चाहिए?
कम से कम 21 दिन तक नियमित करें, फिर सप्ताह में 1–2 बार बनाए रखें।

प्र6: क्या महिलाएं इस उपाय को कर सकती हैं?
हाँ, महिलाएं भी यह उपाय कर सकती हैं, परंतु मासिक धर्म के समय न करें।

प्र7: क्रिस्टल कहाँ से प्राप्त करें?
DivyayogAshram द्वारा अभिमंत्रित शुद्ध क्रिस्टल लिया जा सकता है।

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यह उपाय एक आसान और प्रभावशाली माध्यम है आत्मिक उन्नति, ऊर्जा जागरण और कुंडलिनी शक्ति को सक्रिय करने का। इसे अपनाकर अपने जीवन में शांति, सफलता और आध्यात्मिक आनंद का अनुभव करें।

Remove Marriage Obstacles with Monday White Flower Shiva Worship

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विवाह बाधा निवारण – सफेद फूलों से पूजन विधि

Remove Marriage Obstacles – विवाह जीवन का एक अत्यंत पवित्र बंधन है, जो केवल दो व्यक्तियों को ही नहीं, बल्कि दो आत्माओं को जोड़ता है। लेकिन कई बार ग्रह दोष, पारिवारिक समस्याएँ, जन्मपत्रिका के दोष, या अज्ञात बाधाओं के कारण विवाह में अनावश्यक विलंब या रुकावटें आने लगती हैं। विशेष रूप से कन्याओं के विवाह में आने वाली रुकावटें परिवार के लिए चिंता का कारण बनती हैं। ऐसे में शिव-गौरी की आराधना को श्रेष्ठतम माना गया है। “ॐ ह्रौं गौरीशंकराय नमः” मंत्र और सफेद फूलों से सोमवार के दिन शिवलिंग का पूजन करने से विवाह मार्ग की सभी बाधाएं दूर होती हैं। यह सरल परंतु अत्यंत प्रभावशाली उपाय, अनेक साधकों द्वारा सिद्ध और अनुभूत है। यह पूजा “DivyaYogaAshram” द्वारा प्रमाणित एवं पारंपरिक शास्त्रीय विधि पर आधारित है, जो इच्छुक कन्या या उनके परिजनों द्वारा भी सम्पन्न की जा सकती है।


विवाह बाधा निवारण – सफेद फूलों से पूजन के विशेष लाभ

  1. शीघ्र विवाह में आ रही सभी बाधाएं दूर होती हैं।
  2. योग्य और अनुकूल जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
  3. जातक की कुंडली में विवाह योग सशक्त होता है।
  4. देरी से हो रहे विवाह के कारण उत्पन्न मानसिक तनाव समाप्त होता है।
  5. पारिवारिक रिश्तों में सामंजस्य बढ़ता है।
  6. समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा की वृद्धि होती है।
  7. प्रेम विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।
  8. टूटे हुए रिश्ते पुनः जुड़ने लगते हैं।
  9. विवाह योग्य लड़के या लड़की की ऊर्जा आकर्षणमयी बनती है।
  10. कुण्डली दोष (मांगलिक, ग्रहण दोष आदि) का प्रभाव कम होता है।
  11. माता-पिता की चिंता कम होती है।
  12. साधक का मन शांति और श्रद्धा से भरता है।
  13. शादी के बाद जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
  14. विवाह स्थल, तिथि और प्रस्तावों में शुभ संकेत प्रकट होने लगते हैं।
  15. शिव-गौरी कृपा से दांपत्य जीवन में माधुर्य आता है।

पूजन विधि (Vidhi)

  1. सोमवार के दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ सफेद वस्त्र धारण करें।
  2. किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग के समक्ष दीपक जलाएं।
  3. सफेद फूल (जैसे चमेली, बेला, गुलाब) साथ रखें।
  4. शिवलिंग को जल, दूध, और शुद्ध जल से अभिषेक करें।
  5. अब “ॐ ह्रौं गौरीशंकराय नमः” मंत्र का 108 बार जप करें।
  6. प्रत्येक मंत्र जप के साथ एक-एक सफेद फूल शिवलिंग पर अर्पित करें।
  7. विवाह में बाधा दूर करने की मनोकामना करें।
  8. पूजन के बाद प्रसाद वितरित करें और मंदिर में कुछ दान अवश्य करें।
  9. इस प्रक्रिया को कम से कम 5 या 11 सोमवार तक नियमित करें।

नियम (Niyam)

  • यह उपाय सोमवार को ही करें।
  • सफेद वस्त्र और मानसिक पवित्रता बनाए रखें।
  • व्रत या एक समय फलाहार का पालन करने से फल शीघ्र प्राप्त होते हैं।
  • मंत्र जप के समय किसी से बातचीत न करें।
  • इस पूजन को विवाह योग्य कन्या स्वयं या उसकी माता कर सकती है।
  • मांस, मद्य और अपवित्र भोजन का त्याग करें।
  • सकारात्मक भाव से श्रद्धा के साथ पूजन करें।

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

Q1. यह उपाय कौन कर सकता है?
विवाह में बाधा का सामना कर रही कन्या, युवक, या उनके माता-पिता यह कर सकते हैं।

Q2. क्या यह उपाय कुंडली दोष को भी दूर करता है?
हाँ, यह उपाय मांगलिक दोष, ग्रहण दोष आदि को भी शिथिल करता है।

Q3. मंत्र जप कितनी बार करें?
प्रति सोमवार कम से कम 108 बार “ॐ ह्रौं गौरीशंकराय नमः” मंत्र का जप करें।

Q4. फूल कौन से प्रयोग में लाने चाहिए?
चमेली, बेला, सफेद गुलाब, या अन्य कोई भी शुद्ध सफेद फूल।

Q5. कितने सोमवार यह उपाय करें?
कम से कम 5 सोमवार या श्रद्धा अनुसार 11, 21 सोमवार तक करें।

Q6. क्या इस उपाय से प्रेम विवाह में आ रही बाधाएं दूर हो सकती हैं?
हाँ, शिव-गौरी का यह पूजन प्रेम विवाह की बाधाओं को भी दूर करता है।

Q7. क्या यह उपाय घर पर किया जा सकता है?
यदि शिवलिंग की स्थापना शुद्ध विधि से की गई हो, तो घर पर भी कर सकते हैं।

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यह अत्यंत प्रभावशाली और सरल उपाय “DivyaYogaAshram” की अनुभूत विधियों पर आधारित है। यदि श्रद्धा, नियम और निष्ठा के साथ इसका पालन किया जाए, तो विवाह में आने वाली सभी रुकावटें निश्चित रूप से दूर होती हैं। शिव-गौरी की कृपा से जीवन में वैवाहिक सुख, संतुलन और प्रेम की स्थापना होती है।

Nikumbala Sdhana Shivir at Divyayoga Ashram

Nikumbala Sdhana Shivir at Divyayoga Ashram

निकुंबला साधना शिविर – रावण की कुलदेवी की तांत्रिक कृपा से सम्पूर्ण सुरक्षा

Nikumbala Sdhana Shivir एक अत्यंत रहस्यमयी, शक्तिशाली और दुर्लभ साधना शिविर है, जो देवी निकुंबला की आराधना के माध्यम से जीवन में सुरक्षा, सफलता और सिद्धि का द्वार खोलता है। यह शिविर 26–27 जुलाई 2025 को Divyayog Ashram में आयोजित किया जा रहा है।

देवी निकुंबला, लंका पति रावण की कुलदेवी मानी जाती हैं। तांत्रिक परंपरा में उन्हें संपूर्ण परिवार की रक्षक देवी माना गया है। उनकी कृपा से शत्रु नष्ट होते हैं, घर व व्यापार की रक्षा होती है, और जीवन में असंभव कार्य भी संभव होने लगते हैं।


निकुंबला साधना शिविर के अद्भुत लाभ

🔸 परिवार की समग्र सुरक्षा

देवी निकुंबला की साधना से घर पर कोई नकारात्मक शक्ति असर नहीं कर पाती।

🔸 व्यापार और नौकरी में सुरक्षा

कारोबार में स्थायित्व, नौकरी में उन्नति और प्रतिस्पर्धा से बचाव।

🔸 शत्रुओं से पूर्ण मुक्ति

छिपे व खुले शत्रुओं की शक्ति क्षीण हो जाती है।

🔸 तंत्र-मंत्र और काले जादू से रक्षा

किसी भी प्रकार के तांत्रिक हमले से पूर्ण सुरक्षा प्राप्त होती है।

🔸 नज़र बाधा से मुक्ति

बुरी नजर से उत्पन्न हर समस्या दूर होती है।

🔸 आर्थिक अस्थिरता से राहत

धन का अविरल प्रवाह और अचानक नुकसान से बचाव।

🔸 पारिवारिक शांति

घर में कलह, मानसिक तनाव, और भय समाप्त होता है।

🔸 भय, भ्रम, बुरे स्वप्न से मुक्ति

रात्रि में डर, आत्मिक कमजोरी व नींद संबंधी समस्याएं समाप्त होती हैं।

🔸 बच्चों की रक्षा

नवजात या छोटे बच्चों पर बुरी शक्तियों का असर नहीं होता।

🔸 मुकदमा/कोर्ट केस से छुटकारा

कानूनी झंझटों में देवी का दिव्य सहयोग प्राप्त होता है।

🔸 विदेश यात्रा में सुरक्षा

यात्रा के दौरान संकट या अड़चनें नहीं आतीं।

🔸 बुरी संगति से बचाव

युवाओं को गलत रास्तों से देवी स्वतः दूर रखती हैं।

🔸 विवाह में रुकावटों से मुक्ति

विवाह योग्य स्त्री-पुरुषों के मार्ग खुलते हैं।

🔸 मनोकामना पूर्ति

नियत साधना से हृदय की गुप्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

🔸 घर पर देवी कृपा का वास

एक बार स्थापित साधना से घर देवी का मंदिर बन जाता है।

🔸 आध्यात्मिक जागरण

आंतरिक शक्ति का जागरण और ध्यान में सफलता।

🔸 अपार आत्मबल और आत्मविश्वास

देवी के कवच से साधक मानसिक रूप से अडिग हो जाता है।

🔸 अदृश्य सुरक्षा कवच

हर पल साधक देवी के तेज से घिरा रहता है।


🙏 कौन भाग ले सकता है निकुंबला साधना शिविर में?

इस निकुंबला साधना शिविर में कोई भी स्त्री या पुरुष भाग ले सकता है जिसकी उम्र 20 वर्ष से अधिक हो। जो अपने जीवन में बार-बार बाधाओं का सामना कर रहा है, बार-बार शत्रु या बुरी नजर की चपेट में आता है – यह शिविर उनके लिए अमृत समान है।


🌐 ऑनलाइन या ऑफलाइन – दोनों विकल्प उपलब्ध

आप इस दिव्य शिविर में Divyayog Ashram में आकर भाग ले सकते हैं, या फिर ऑनलाइन माध्यम से घर बैठे भी इसमें सम्मिलित हो सकते हैं।

ऑनलाइन भाग लेने वालों को सभी साधना सामग्री पवित्र मुहूर्त में भेजी जाएगी।


Divyayog Ashram द्वारा प्रदान की जाने वाली सिद्ध साधना सामग्री

सभी प्रतिभागियों को नीचे दी गई विशेष सामग्री दी जाएगी:

  • निकुंबला माला
  • निकुंबला यंत्र
  • निकुंबला पारद गुटिका
  • देवी आसन
  • रक्षा सूत्र
  • कौड़ी (श्वेत, लाल, काली)
  • चिरमी दाना (तीनों रंगों में)
  • निकुंबला कवच

यह सभी माध्यम सिद्ध की हुई हैं और साधना के अनुरूप ऊर्जा से पूरित की जाती हैं। और सबको प्रदान की जाती है।


📜 शिविर में भाग लेने के नियम

  1. उम्र: केवल 20 वर्ष से ऊपर के लोग ही इस शिविर में भाग ले सकते हैं।
  2. लिंग: स्त्री और पुरुष – दोनों के लिए उपयुक्त।
  3. वस्त्र: नीले या काले रंग के कपड़े न पहनें।
  4. आहार: साधना के दिनों में मांसाहार, मद्यपान, धूम्रपान न करें।
  5. चरित्र: ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  6. संकल्प: पूर्ण श्रद्धा व समर्पण भाव से साधना करें।

प्रश्न–उत्तर

1. क्या ऑनलाइन भाग लेने पर भी लाभ मिलते हैं?

हाँ, Divyayog Ashram द्वारा भेजी गई सिद्ध सामग्री और विधिवत मार्गदर्शन से ऑनलाइन भाग लेने वाले साधकों को भी उतना ही लाभ प्राप्त होता है।


2. क्या इस शिविर में पहली बार साधना करने वाला भी आ सकता है?

जी हाँ। यह निकुंबला साधना शिविर बिल्कुल शुरुआत करने वालों के लिए भी उपयुक्त है। पूरी विधि सरल और समझने योग्य होती है।

3. क्या घर की महिलाओं को भी इसमें भाग लेने देना चाहिए?

बिल्कुल। देवी निकुंबला विशेष रूप से परिवार की सुरक्षा के लिए पूजनीय हैं। महिलाएं इस साधना से घर को सुरक्षित बना सकती हैं।

4. क्या यह साधना जीवन में स्थायी प्रभाव देती है?

हां, एक बार सिद्ध साधना और यंत्र स्थापना से दीर्घकालिक प्रभाव प्राप्त होता है। देवी की कृपा से संकट आने से पहले ही टल जाते हैं।

5. क्या इस साधना से व्यापार में सुरक्षा मिलती है?

जी हां। व्यापारिक शत्रुओं, चोरी, आर्थिक बाधाओं और कानूनी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।


6. क्या यह साधना बच्चों की सुरक्षा में सहायक है?

हां, बच्चों पर नज़र दोष या अदृश्य शक्तियों के असर से रक्षा करती है।


7. क्या इस शिविर में आकर रुकने की व्यवस्था है?

हाँ, Divyayog Ashram में रुकने, भोजन व अन्य सुविधा की व्यवस्था उपलब्ध है। कृपया पंजीकरण के समय बताएं।


8. क्या यह तांत्रिक साधना है? क्या डरने की बात है?

यह तांत्रिक परंपरा की दिव्य साधना है, लेकिन मार्गदर्शक गुरुजन की उपस्थिति में पूरी तरह सुरक्षित और परिणामदायी होती है।


9. क्या यह केवल रक्षा के लिए है या मनोकामना भी पूर्ण होती है?

यह साधना सुरक्षा के साथ-साथ मनोकामना पूर्ति में भी अत्यंत प्रभावी होती है।


10. क्या दिव्ययोग आश्रम के अन्य शिविर भी इसी तरह लाभकारी होते हैं?

हाँ, Divyayog Ashram द्वारा आयोजित प्रत्येक शिविर साधकों को गहन लाभ देता है। यह शिविर उनमें सबसे विशिष्ट है।

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11. क्या साधना के बाद विशेष हवन किया जाएगा?

हाँ, शिविर के अंतिम दिन देवी निकुंबला का विशेष हवन संपन्न किया जाएगा।

यदि आप शत्रु बाधा, नज़र दोष, तांत्रिक प्रभाव, या जीवन में सुरक्षा और स्थायित्व की तलाश में हैं — तो यह निकुंबला साधना शिविर आपके लिए ईश्वरीय अवसर है।

👉 जल्द से जल्द अपना स्थान सुनिश्चित करें — ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम उपलब्ध हैं।

Gupt Navratri 2025: Goddess Based on Horoscope

Gupt Navratri 2025: Goddess Based on Horoscope

गुप्त नवरात्रि 2025: कौन-सी देवी की उपासना करें आपकी राशि अनुसार?

Gupt Navratri 2025 – गुप्त नवरात्रि तंत्र साधना, शक्ति उपासना और आत्मिक उन्नति के लिए अत्यंत शुभ और रहस्यमयी समय माना जाता है। यह नवरात्रि आषाढ़ मास और माघ मास में आती है, और विशेष रूप से तांत्रिक, साधक तथा वे लोग जो अपने जीवन में शीघ्र प्रभावी बदलाव चाहते हैं – उनके लिए यह स्वर्ण अवसर होती है। जहाँ सामान्य नवरात्रि में देवी दुर्गा के नव रूपों की पूजा होती है, वहीं गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं, योगिनियों, तांत्रिक देवियों और रक्षक शक्तियों की गुप्त साधना की जाती है।

इस लेख में हम बताएंगे कि 2025 की गुप्त नवरात्रि में आपकी राशि के अनुसार किस देवी की उपासना करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा, जिससे आप अपने जीवन की बाधाओं, कष्टों, रोगों, धन, विवाह, संतान या शत्रु संबंधी समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं।


Zodiac based देवी उपासना – गुप्त नवरात्रि 2025

राशिउपास्य देवीमंत्रउद्देश्य
मेष (Aries)माँ बगलामुखीॐ ह्लीं बगलामुख्यै नमःशत्रु नाश, विजय
वृषभ (Taurus)माँ कमलाॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमलवासिन्यै नमःधन, वैभव
मिथुन (Gemini)माँ मातंगीॐ ह्रीं ऐं मातंग्यै नमःवाक् सिद्धि, कला
कर्क (Cancer)माँ चामुंडाॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चेभय से मुक्ति
सिंह (Leo)माँ कालीॐ क्रीं कालिकायै नमःशक्ति, तंत्रसिद्धि
कन्या (Virgo)माँ ताराॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट्बुद्धि, रक्षा
तुला (Libra)माँ त्रिपुरा सुंदरीॐ ऐं क्लीं सौःप्रेम, सौंदर्य
वृश्चिक (Scorpio)माँ धूमावतीॐ धूं धूमावत्यै नमःदरिद्रता मुक्ति
धनु (Sagittarius)माँ भुवनेश्वरीॐ ह्रीं भुवनेश्वर्यै नमःप्रभावशाली व्यक्तित्व
मकर (Capricorn)माँ भैरवीॐ भैरव्यै नमःतप, तेज
कुंभ (Aquarius)माँ छिन्नमस्ताॐ क्ष्मौं छिन्नमस्तिकायै नमःबाधा निवारण
मीन (Pisces)माँ अन्नपूर्णाॐ अन्नपूर्णायै नमःसमृद्धि, भोजन से भरपूर जीवन

गुप्त नवरात्रि उपासना के लाभ

  1. तंत्र, मंत्र और सिद्धि प्राप्ति की शक्ति में वृद्धि
  2. छुपे शत्रुओं और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा
  3. कोर्ट केस और विवादों में विजय
  4. मानसिक शांति और स्थिरता
  5. व्यापार, करियर और नौकरी में उन्नति
  6. संतान प्राप्ति और परिवारिक सुख की वृद्धि
  7. दुर्भाग्य, दरिद्रता और कर्ज से मुक्ति
  8. भूत-प्रेत बाधाओं से रक्षा
  9. विवाह संबंधी अड़चनों का निवारण
  10. आकर्षण, वशीकरण और सामाजिक प्रभाव
  11. आध्यात्मिक उन्नति और तंत्र मार्ग पर सफलता
  12. स्वास्थ्य लाभ और रोग निवारण
  13. गुरु कृपा और साधना में सफलता
  14. घर में समृद्धि और शुभ ऊर्जा का प्रवाह
  15. कुल देवी का आशीर्वाद और आत्मबल की प्राप्ति

गुप्त नवरात्रि के नियम (Niyam)

  1. इस साधना को रात्रि में करना श्रेष्ठ माना जाता है
  2. साधक को सात्विक, संयमी और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए
  3. लाल या पीले वस्त्र धारण करें
  4. साधना के समय स्थान और आसन शुद्ध हो
  5. मंत्र का जाप तुलसी या रुद्राक्ष की माला से करें
  6. किसी को साधना की जानकारी न दें
  7. 9 या 11 दिन की साधना अवधि रखें

नवरात्रि 2025 – शुभ मुहूर्त (Muhurat)

  • प्रारंभ तिथि: 26 जून 2025 (गुरुवार)
  • समाप्ति तिथि: 4 जुलाई 2025 (शुक्रवार)
  • श्रेष्ट पूजन काल: रात्रि 10:30 बजे से 1:30 बजे तक
  • विशेष तिथि: अष्टमी, नवमी और अमावस्या – सिद्धि हेतु सर्वश्रेष्ठ

सामान्य प्रश्न

Q1. क्या गुप्त नवरात्रि आम व्यक्ति कर सकता है?
उत्तर: हां, लेकिन साधना नियमों का पालन आवश्यक है।

Q2. क्या किसी विशेष गुरु या दीक्षा की आवश्यकता होती है?
उत्तर: साधारण पूजा के लिए नहीं, पर तांत्रिक साधना के लिए गुरु आवश्यक होता है।

Q3. देवी के किस स्वरूप की पूजा अधिक प्रभावशाली होती है?
उत्तर: आपकी राशि के अनुसार उपयुक्त देवी की साधना श्रेष्ठ रहती है।

Q4. क्या इस समय तंत्र प्रयोग करना सुरक्षित है?
उत्तर: हां, यदि सही विधि से किया जाए तो यह अत्यंत फलदायी होता है।

Q5. क्या गुप्त नवरात्रि में हवन किया जा सकता है?
उत्तर: हां, विशेष रूप से नवमी या अमावस्या की रात्रि को।

Q6. क्या साधना में विघ्न डालने वाली शक्तियाँ सक्रिय होती हैं?
उत्तर: हां, अतः रक्षा मंत्र और दिग्बंध आवश्यक है।

Q7. क्या इस समय अनुष्ठान से सिद्धि प्राप्त हो सकती है?
उत्तर: हां, गुप्त नवरात्रि तंत्र सिद्धि के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।

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यदि आप गुप्त नवरात्रि में अपनी राशि अनुसार देवी की साधना करके अपने जीवन को नई दिशा देना चाहते हैं, तो DivyaYogaAshram के अनुभवी मार्गदर्शन में व्यक्तिगत साधना या पूजन शिविर का लाभ लें।

Gupt Navratri First Day Mantra for Total Protection

Gupt Navratri First Day Mantra for Total Protection

गुप्त नवरात्रि 9 दिन 9 मंत्र – सम्पूर्ण रक्षा कवच

Gupt Navratri First Day गुप्त नवरात्रि तांत्रिक और आध्यात्मिक साधकों के लिए एक अत्यंत प्रभावशाली काल होता है। यह वह समय है जब देवी की रहस्यमयी शक्तियां पूर्ण जागृति में होती हैं, और साधक को सिद्धि प्राप्ति का श्रेष्ठ अवसर मिलता है। इस 9 दिवसीय साधना श्रृंखला में प्रत्येक दिन एक विशिष्ट मंत्र का प्रयोग कर सम्पूर्ण रक्षा कवच का निर्माण किया जा सकता है।
पहले दिन का मंत्र “ॐ ह्रीं दुर्गायै नमः” – यह मंत्र माँ दुर्गा की मूलशक्ति को जागृत करता है। यह साधक के भीतर शक्ति, साहस और आत्मविश्वास का संचार करता है।
DivyaYogAshram द्वारा प्रस्तुत यह रक्षा साधना श्रृंखला आपको नकारात्मक ऊर्जा, शत्रु बाधा, भूत-प्रेत, भय, रोग और दरिद्रता से मुक्ति दिलाकर जीवन में आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करती है।


प्रमुख लाभ

  1. अदृश्य नकारात्मक शक्तियों से रक्षा
  2. शारीरिक रोगों में शक्ति व शीघ्र स्वास्थ्य लाभ
  3. कार्यों में रुकावटों का निवारण
  4. मनोबल और आत्मविश्वास की वृद्धि
  5. भय, संकोच और मानसिक तनाव से मुक्ति
  6. ग्रह दोषों का शमन
  7. आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त
  8. व्यापार और नौकरी में बाधाओं का निवारण
  9. पारिवारिक कलह शांत होना
  10. रात्रि में भयावह स्वप्नों से मुक्ति
  11. शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना
  12. मन की चंचलता पर नियंत्रण
  13. वाणी दोष और निर्णय क्षमता में वृद्धि
  14. धन, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति
  15. समस्त दिशाओं से सुरक्षात्मक आवरण का निर्माण

नियम (Niyam)

  • ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें
  • एकांत स्थान में, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके साधना करें
  • साधना के दौरान मौन व्रत का पालन करें
  • 9 दिनों तक तामसिक भोजन न करें
  • दीपक, अगरबत्ती, लाल पुष्प और जल से देवी का पूजन करें
  • एक ही स्थान पर बैठकर नियमित रूप से मंत्र जाप करें
  • संयम, श्रद्धा और विश्वास के साथ साधना करें

मुहूर्त (Muhurta)

  • प्रारंभ तिथि: गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिन ब्रह्ममुहूर्त
  • श्रेष्ठ समय: प्रातः 4:00 से 6:00 बजे तक
  • विशेष योग: अमृतसिद्धि योग, सर्वार्थसिद्धि योग, रवियोग में प्रारंभ अति शुभ
  • दीपक: देशी घी का दीपक आवश्यक है
  • स्थान: एकांत, शुद्ध और ऊर्जावान स्थान (साधना कक्ष)

मंत्र विधि (Mantra Vidhi)

  1. पूजा स्थान को शुद्ध कर देवी की प्रतिमा/चित्र स्थापित करें
  2. माँ को लाल पुष्प, अक्षत, कुमकुम, चंदन और जल अर्पित करें
  3. एक दीपक और धूप जलाएं
  4. आसन पर बैठकर आँखें बंद करें, ध्यान केंद्रित करें
  5. मंत्र “ॐ ह्रीं दुर्गायै नमः” का 108 बार जाप करें (रुद्राक्ष या स्फटिक माला से)
  6. जाप के पश्चात देवी से रक्षा और शक्ति की प्रार्थना करें
  7. प्रतिदिन एक ही समय पर यह क्रिया 9 दिन तक दोहराएं

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महत्वपूर्ण प्रश्न

प्र.1: क्या यह मंत्र साधारण व्यक्ति कर सकता है?
उ.1: हां, श्रद्धा और नियम से कोई भी कर सकता है।

प्र.2: क्या इसे रात्रि में किया जा सकता है?
उ.2: दिन में करना श्रेष्ठ है, परंतु एक निश्चित समय तय कर सकते हैं।

प्र.3: क्या स्त्रियां इसे मासिक धर्म के दौरान कर सकती हैं?
उ.3: उस अवधि में साधना स्थगित रखें।

प्र.4: माला जरूरी है?
उ.4: हां, माला से जाप गिनती और ऊर्जा दोनों को नियंत्रित करता है।

प्र.5: मंत्र जाप के बाद क्या करें?
उ.5: देवी को धन्यवाद देकर मौन रहें या ध्यान करें।

प्र.6: क्या एक ही मंत्र 9 दिन किया जा सकता है?
उ.6: हां, लेकिन प्रत्येक दिन का विशेष मंत्र अधिक प्रभावशाली होता है।

प्र.7: अगर कोई दिन छूट जाए तो क्या करें?
उ.7: अगले दिन दोहरा सकते हैं, परंतु अनवरत साधना श्रेष्ठ मानी जाती है।


Gupt Navratri for Unlock Nine Divine Powers

Gupt Navratri for Unlock Nine Divine Powers

गुप्त नवरात्रि की रात – 1 मंत्र से 9 सिद्धियाँ

Nine Divine Powers – गुप्त नवरात्रि तांत्रिक साधना का वह विशेष अवसर होता है, जब साधक किसी भी शक्ति को जागृत करके जीवन की दिशा और दशा बदल सकता है। यह नौ रातें साधकों के लिए अमूल्य मानी जाती हैं क्योंकि इन दिनों साधना से सिद्धि शीघ्र मिलती है।
गुप्त नवरात्रि की इस विशेष साधना में केवल एक मंत्र – “ॐ ऐं क्लीं सौः” का प्रयोग करके नौ शक्तियों की कृपा प्राप्त की जा सकती है। यह मंत्र त्रिगुणात्मक ऊर्जा का प्रतीक है – ऐं (ज्ञान), क्लीं (आकर्षण), सौः (परम शक्ति)।
DivyaYogAshram के अनुभवी साधकों के अनुसार यह मंत्र अत्यंत प्रभावशाली है और सही विधि से जाप करने पर यह नौ प्रकार की सिद्धियाँ जैसे आकर्षण, वाणी सिद्धि, विद्या, स्मरण शक्ति, व्यापार वृद्धि, सुख-शांति, योगबल, मानसिक शक्ति और आत्मरक्षा प्रदान करता है।


दिव्य लाभ

  1. वाणी में तेज और प्रभाव बढ़ता है
  2. स्मरण शक्ति और पढ़ाई में सुधार
  3. आकर्षण शक्ति का जागरण
  4. पारिवारिक जीवन में सामंजस्य
  5. व्यापार में ग्राहक आकर्षण और वृद्धि
  6. आत्मबल और मानसिक शक्ति में वृद्धि
  7. शत्रुओं पर मानसिक नियंत्रण
  8. योग, ध्यान और साधना में प्रगति
  9. आध्यात्मिक जागृति और चक्रों की सक्रियता
  10. कोर्ट केस और विवादों में विजय
  11. सार्वजनिक बोलने की क्षमता बढ़ती है
  12. उच्च पद या सम्मान की प्राप्ति
  13. मनोकामनाओं की शीघ्र पूर्ति
  14. विशेष साक्षात्कार या परीक्षा में सफलता
  15. आध्यात्मिक विकास और गुरु-कृपा की प्राप्ति

साधना के नियम (नियमावली)

  • यह साधना गुप्त नवरात्रि की रात्रियों में ही करें
  • साधना के दौरान ब्रह्मचर्य और पूर्ण संयम आवश्यक है
  • सात्विक भोजन करें, तामसिक भोजन से बचें
  • प्रतिदिन एक ही समय और स्थान पर साधना करें
  • मंत्र जाप से पहले स्नान और शुद्ध वस्त्र पहनें
  • पीले या सफेद वस्त्र अधिक शुभ माने जाते हैं
  • साधना स्थान पर माँ की मूर्ति या यंत्र रखें
  • दीपक, अगरबत्ती और पुष्प का प्रयोग अनिवार्य है
  • मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और ध्यानपूर्वक करें
  • साधना का स्थान शांत और एकांत हो
  • जाप की गिनती रुद्राक्ष, स्फटिक या चंदन माला से करें
  • साधना के समय मोबाइल और किसी संपर्क से बचें
  • साधना गोपनीय रखें, किसी को न बताएं
  • पूरे नौ दिन यह साधना निरंतर करें
  • नवरात्रि समापन पर आभार अर्पण करें

गुप्त नवरात्रि का शुभ मुहूर्त (2025)

  • आरंभ तिथि: 26 जून 2025
  • समापन तिथि: 4 जुलाई 2025
  • सर्वोत्तम समय: रात्रि 9:30 से 12:30 तक
  • विशेष रात्रियाँ: अष्टमी, नवमी, अमावस्या
  • रात्रि साधना अधिक प्रभावशाली मानी जाती है
  • पूर्णिमा तिथि तक किए गए जाप का विशेष फल मिलता है. आप किसी भी नवरात्रि को ये प्रयोग कर सकते है।

मंत्र साधना विधि (Mantra Vidhi)

  1. स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें
  2. पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें
  3. देवी की मूर्ति, यंत्र या चित्र को मध्य में रखें
  4. दीपक जलाएं – घी या तिल के तेल का
  5. पीले या सफेद पुष्प, चावल, कुमकुम अर्पित करें
  6. आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर बैठें
  7. आँखें बंद करके माता का ध्यान करें
  8. अब मंत्र “ॐ ऐं क्लीं सौः” का 108 बार जाप करें
  9. जाप के दौरान मन में एक लक्ष्य रखें
  10. जाप के बाद माता से अपनी मनोकामना कहें
  11. यह प्रक्रिया नौ रात्रियों तक दोहराएँ
  12. अंतिम रात्रि को हवन करें – इसी मंत्र से 108 आहुतियाँ
  13. हवन सामग्री: गाय का घी, चावल, पुष्प, गुड़, कपूर
  14. साधना के बाद जप माला को लाल या पीले कपड़े में लपेटकर सुरक्षित रखें
  15. माता को अर्पित पुष्प, जल और नैवेद्य अगले दिन वृक्ष के नीचे अर्पित करें

पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. क्या यह साधना सभी कर सकते हैं?
A1. हाँ, यह साधना पुरुष, स्त्री, विद्यार्थी, व्यापारी, साधक – सभी कर सकते हैं।

Q2. क्या कोई विशेष माला चाहिए?
A2. रुद्राक्ष, स्फटिक, चंदन या काली हकीक की माला का प्रयोग किया जा सकता है।

Q3. यदि एक दिन साधना छूट जाए तो क्या करें?
A3. साधना को पुनः पहले दिन से आरंभ करें। निरंतरता आवश्यक है।

Q4. क्या इस साधना से केवल आकर्षण सिद्धि ही मिलती है?
A4. नहीं, यह मंत्र तीन शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है – ज्ञान, आकर्षण, और शक्ति। इसलिए यह बहुआयामी फल देता है।

Q5. क्या मंत्र को बोलकर या मन में जपना चाहिए?
A5. धीरे-धीरे उच्च स्वर में बोलना अधिक प्रभावशाली माना गया है।

Q6. क्या इस मंत्र से विद्यार्थियों को लाभ होगा?
A6. हाँ, यह मंत्र स्मरण शक्ति, एकाग्रता और आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक है।

Q7. क्या यह साधना बिना गुरु के की जा सकती है?
A7. हाँ, यह साधना स्वयं भी की जा सकती है। यदि मार्गदर्शन चाहिए तो DivyaYogAshram से संपर्क किया जा सकता है।

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गुप्त नवरात्रि केवल पूजा का अवसर नहीं, आत्मोत्थान और जागरण का पर्व है। एक सरल मंत्र “ॐ ऐं क्लीं सौः” से जीवन के नौ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सिद्धियाँ प्राप्त करना संभव है – बस आवश्यकता है संकल्प, श्रद्धा और विधिपूर्वक साधना की।
यदि आप भी जीवन में परिवर्तन, सुरक्षा, सफलता और आध्यात्मिक विकास चाहते हैं – तो इस गुप्त नवरात्रि पर यह मंत्र साधना DivyaYogAshram की विधि से प्रारंभ करें। यह केवल मंत्र नहीं, ब्रह्मांडीय शक्ति का स्रोत है।

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Gupt Navratri Sadhana for Court Victory & Protection

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गुप्त नवरात्रि में यह साधना करें – शत्रु हमेशा के लिए मुक्त!

Gupt Navratri Sadhana – गुप्त नवरात्रि तांत्रिक साधना की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण काल होता है। यह वह समय है जब साधक गुप्त देवियों की आराधना द्वारा दुर्लभ सिद्धियाँ प्राप्त कर सकता है। ऐसे ही एक अत्यंत प्रभावशाली साधना है – बगलामुखी देवी की वज्रावरण मंत्र साधना। यह साधना विशेष रूप से शत्रुनाश, वाक् सिद्धि, कोर्ट केस विजय, मानसिक बल और तांत्रिक सुरक्षा के लिए की जाती है।
मंत्र “ॐ ह्लीं वज्रावरणाय बगलाय फट्” देवी बगलामुखी का महाशक्तिशाली तांत्रिक मंत्र है। इस मंत्र का उच्चारण साधक के चारों ओर एक वज्र का सुरक्षा कवच बना देता है जो शत्रुओं के हर वार को निष्फल कर देता है।
DivyaYogAshram द्वारा यह साधना विधिपूर्वक तैयार की गई है ताकि आप गुप्त नवरात्रि में इसे सिद्ध कर आत्मरक्षा और विजय प्राप्त कर सकें।


साधना के लाभ

  1. शत्रुओं की योजनाएँ निष्फल होती हैं
  2. कोर्ट केस में विजय प्राप्त होती है
  3. वाणी में शक्ति आती है – वाक् सिद्धि
  4. शत्रु स्वयं पीछे हटते हैं
  5. दुश्मनों का मानसिक प्रभाव समाप्त होता है
  6. घर और व्यापार की रक्षा होती है
  7. अचानक संकटों से मुक्ति
  8. आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि
  9. तांत्रिक प्रहारों से सुरक्षा
  10. अनिष्ट ग्रह प्रभावों से राहत
  11. व्यापारिक प्रतिस्पर्धियों पर विजय
  12. राजनीतिक क्षेत्र में सफलता
  13. मानसिक और आध्यात्मिक बल की प्राप्ति
  14. हठी रिश्तेदारों और विरोधियों का नियंत्रण
  15. जीवन में स्थिरता और शक्ति का संचार

साधना के नियम (नियमावली)

  • इस साधना को गुप्त नवरात्रि की रात्रियों में ही आरंभ करें
  • साधना के दौरान ब्रह्मचर्य और संयम का पालन करें
  • सात्विक भोजन करें, लहसुन-प्याज से परहेज़ करें
  • प्रतिदिन एक ही स्थान पर बैठकर साधना करें
  • पीली वस्तुओं का प्रयोग करें (वस्त्र, आसन, पुष्प)
  • साधना स्थान को शुद्ध और एकांत रखें
  • किसी को साधना के विषय में न बताएं
  • माँ बगलामुखी के चित्र या यंत्र की स्थापना करें
  • आसन कुश का या पीले वस्त्र का हो
  • प्रतिदिन मंत्र का न्यूनतम 108 बार जाप करें
  • शुद्ध उच्चारण का ध्यान रखें
  • साधना से पहले और बाद में दीपक जलाएं
  • साधना पूर्ण होने पर हवन करना शुभ होता है
  • नवरात्रि की सभी रात्रियों में साधना करना अनिवार्य है
  • साधना में किसी दिन चूक न करें

सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त (गुप्त नवरात्रि 2025)

  • आरंभ तिथि: 26 जून 2025 (आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की प्रथम तिथि)
  • समापन तिथि: 4 जुलाई 2025
  • सर्वोत्तम समय: रात्रि 10 बजे से मध्यरात्रि 1 बजे तक
  • विशेष तिथियाँ: अष्टमी, नवमी, अमावस्या
  • इन तिथियों पर साधना विशेष फलदायी होती है

मंत्र साधना विधि (Mantra Vidhi)

  1. साधना स्थान को गोमूत्र या गंगाजल से शुद्ध करें
  2. पीला वस्त्र पहनें और पीले आसन पर बैठें
  3. सामने माँ बगलामुखी की मूर्ति, चित्र या यंत्र स्थापित करें
  4. दीपक में घी का दीप जलाएं
  5. पीले फूल, हल्दी, चना, गुड़ अर्पित करें
  6. पाँच बार मंत्र का उच्चारण कर देवी का ध्यान करें
  7. इसके बाद मंत्र “ॐ ह्लीं वज्रावरणाय बगलाय फट्” का जाप करें
  8. कम से कम 108 जाप प्रतिदिन करें, रुद्राक्ष की माला प्रयोग करें
  9. 9 दिनों तक निरंतर यह जाप करें
  10. अंतिम दिन 108 आहुतियों का हवन करें – हर आहुति में वही मंत्र बोले
  11. हवन सामग्री: घी, हल्दी, पीली सरसों, गुड़, जौ, चना, पीले पुष्प
  12. हवन के बाद देवी से शत्रु निवारण की प्रार्थना करें
  13. साधना समाप्ति के पश्चात भोजन गरीब ब्राह्मण या साधक को कराएं
  14. यंत्र को तिजोरी या पूजा स्थान में रखें

पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. यह साधना किसे करनी चाहिए?
A1. जो व्यक्ति बार-बार शत्रु बाधा, कोर्ट केस या तांत्रिक कष्ट से परेशान है, वह यह साधना करें।

Q2. क्या महिलाएँ यह साधना कर सकती हैं?
A2. हाँ, महिलाएँ भी पूर्ण नियम और शुचिता से कर सकती हैं।

Q3. क्या इस साधना में रात्रि का समय अनिवार्य है?
A3. हाँ, रात्रि 10 बजे से 1 बजे के बीच मंत्र अधिक प्रभावी होता है।

Q4. यदि कोई दिन छूट जाए तो?
A4. साधना पुनः पहले दिन से प्रारंभ करनी होगी। निरंतरता आवश्यक है।

Q5. क्या यह मंत्र सार्वजनिक स्थानों पर जपा जा सकता है?
A5. नहीं, यह मंत्र गोपनीय होता है। एकांत और पवित्र स्थान अनिवार्य है।

Q6. मंत्र जाप के लिए कौन सी माला उपयुक्त है?
A6. पीली हल्दी की माला या रुद्राक्ष की माला उपयुक्त मानी जाती है।

Q7. क्या इस मंत्र का जाप ताबीज बनाकर भी किया जा सकता है?
A7. हाँ, हवन के बाद यंत्र या ताबीज बनाकर धारण किया जा सकता है। इससे स्थायी सुरक्षा प्राप्त होती है।

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यदि आप इस दिव्य साधना को सिद्ध करना चाहते हैं और शत्रु, कोर्ट केस या तांत्रिक बाधाओं से स्थायी मुक्ति पाना चाहते हैं, तो DivyaYogAshram के अनुभवी साधकों की मार्गदर्शना में इस गुप्त नवरात्रि साधना को प्रारंभ करें। यह साधना सिर्फ शक्ति नहीं, जीवन की विजय यात्रा है।

📞 संपर्क: Call/WhatsApp: 7710812329
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Gupt Navratri Sadhana for Speech, Success & Wisdom

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9 रातों में चमत्कार – गुप्त नवरात्रि की सिद्ध साधना विधि

Gupt Navratri Sadhana गुप्त नवरात्रि तंत्र और साधना की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। यह वह काल होता है जब साधक शक्तियों को जाग्रत कर सिद्धियाँ प्राप्त करता है। विशेषतः वाग्वादिनी सरस्वती मंत्र साधना के माध्यम से वाणी की शक्ति, विद्या, लेखन, संवाद, प्रभाव और प्रतिष्ठा में अद्भुत वृद्धि संभव होती है। यह साधना छात्रों, वक्ताओं, वकीलों, कलाकारों और गुरुजनों के लिए विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है।
DivyaYogaAshram द्वारा प्रमाणित यह साधना 9 रात्रियों में चमत्कारी परिणाम देने वाली मानी जाती है। यदि कोई साधक पूर्ण निष्ठा, नियम, और विधि से यह साधना करता है, तो उसकी वाणी में मंत्रशक्ति आ जाती है। यह साधना विशेष रूप से गुप्त नवरात्रि में की जाती है, जब ब्रह्मांडीय शक्तियाँ अत्यधिक सक्रिय होती हैं। इस साधना से साधक का आत्मबल, स्मरण शक्ति और आत्मविश्वास तीव्र हो जाता है।


साधना के अद्भुत लाभ

  1. वाणी में चमत्कारी प्रभाव
  2. लेखन व वक्तृत्व में सिद्धि
  3. प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता
  4. स्मरण शक्ति और बुद्धि वृद्धि
  5. कला, संगीत, और गायन में विकास
  6. आत्मविश्वास में अद्भुत वृद्धि
  7. संवाद और प्रस्तुति में श्रेष्ठता
  8. विरोधियों की वाणी रुक जाना
  9. विद्यार्थियों के लिए वरदान
  10. शिक्षक, वकील, कलाकार हेतु लाभकारी
  11. देवी सरस्वती की कृपा प्राप्ति
  12. आध्यात्मिक जागरण की शुरुआत
  13. मौन तप की सिद्धि
  14. उच्च आध्यात्मिक अनुभव
  15. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा

साधना के नियम (Niyam)

  • ब्रह्मचर्य का पालन करें
  • प्रतिदिन एक ही समय पर साधना करें
  • सफेद वस्त्र पहनें
  • साधना स्थल शांत और शुद्ध रखें
  • दक्षिणाभिमुख होकर साधना करें
  • किसी को साधना की जानकारी न दें
  • 9 रात्रियाँ लगातार करें, बिना रुकावट

सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि (2025): 26 जून से 4 जुलाई तक

  • आरंभ: प्रातः 4:30 से सूर्योदय से पूर्व
  • यदि रात्रि में करें: रात 11:00 से 1:00 (निशा काल)
  • नवमी रात्रि को विशेष पुष्पार्चन और हवन करें

मंत्र साधना विधि

  1. स्नान करके स्वच्छ सफेद वस्त्र धारण करें
  2. सामने देवी सरस्वती का चित्र या यंत्र रखें
  3. गाय के घी का दीपक जलाएं
  4. चंदन और सफेद पुष्प चढ़ाएं
  5. आसन पर बैठकर 108 बार जाप करें
    • मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वाग्वादिनी सरस्वत्यै नमः
  6. जाप के लिए सफेद चंदन की माला का प्रयोग करें
  7. प्रतिदिन साधना के बाद अंत में देवी को कर्पूर आरती करें
  8. नवमी तिथि को पूर्णाहुति रूप में हवन करें (गुड़, चावल, तिल, गौघृत से)

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. क्या यह साधना कोई भी कर सकता है?
हाँ, जो साधना नियमों का पालन कर सके वह कर सकता है।

Q2. मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?
प्रतिदिन कम से कम 108 बार, अधिकतम 1008 बार।

Q3. यदि कोई दिन छूट जाए तो क्या करें?
साधना दोबारा आरंभ करें या उस दिन की क्षमा याचना करके आगे बढ़ें।

Q4. क्या महिलाएं भी यह साधना कर सकती हैं?
हाँ, परंतु रजस्वला अवस्था में विराम लें।

Q5. सफेद पुष्प नहीं मिले तो क्या करें?
तुलसी पत्र या अक्षत से काम चला सकते हैं।

Q6. साधना करते समय कौन-से भाव रखें?
श्रद्धा, एकाग्रता और समर्पण।

Q7. क्या इससे वाणी दोष भी दूर होते हैं?
हाँ, यह साधना वाणी दोष और हकलाने जैसे दोषों को दूर करती है।


यदि आप भी 9 रातों में वाणी, विद्या और आत्मबल में सिद्धि पाना चाहते हैं, तो DivyaYogaAshram द्वारा प्रमाणित इस साधना को अपनाएं और जीवन में चमत्कारी परिवर्तन अनुभव करें।

Ashadh Gupt Navratri Rituals for Tantric Spiritual Success

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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का रहस्य – तांत्रिकों की प्रिय रातें

आषाढ़ मास में आने वाली गुप्त नवरात्रि, तंत्र, साधना और सिद्धि का अत्यंत रहस्यमयी और शक्तिशाली काल है। यह पर्व विशेष रूप से उन साधकों और तांत्रिकों के लिए महत्वपूर्ण होता है जो देवी शक्ति की दुर्लभ कृपा प्राप्त करना चाहते हैं। जहां सामान्य नवरात्रि में सार्वजनिक पूजन होता है, वहीं गुप्त नवरात्रि एकांत, मौन और रहस्यपूर्ण साधनाओं का समय होती है। इन नौ रात्रियों में साधक दुर्गा, काली, बगलामुखी, तारा, धूमावती जैसी दशमहाविद्याओं की साधना करते हैं और चमत्कारी सिद्धियां प्राप्त करते हैं।
DivyaYogaAshram के अनुसार, इस समय में की गई साधनाएं शीघ्र फल देने वाली होती हैं। यह आत्मोन्नति, शत्रु नाश, धन प्राप्ति, रोग निवारण और सिद्धि के लिए अत्यंत उपयुक्त काल है। इस अवधि में तांत्रिक प्रयोगों की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है, जिससे जीवन में असंभव भी संभव बन सकता है।


गुप्त नवरात्रि के विशेष लाभ

  1. दुर्गा एवं दशमहाविद्याओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  2. तंत्र-साधना शीघ्र फलदायी बनती है।
  3. शत्रु, बाधा, कोर्ट केस आदि में विजय मिलती है।
  4. व्यापार और धन संबंधी कार्यों में तेजी से सफलता मिलती है।
  5. आध्यात्मिक शक्ति और अंतःचेतना जागृत होती है।
  6. दुर्भाग्य व दरिद्रता का नाश होता है।
  7. ग्रहदोषों और काली शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।
  8. कुंडलिनी जागरण के लिए उपयुक्त समय।
  9. संकल्प सिद्धि और इच्छापूर्ति का काल।
  10. मन, वाणी और काया पर नियंत्रण की शक्ति प्राप्त होती है।
  11. साधना में आने वाले विघ्न समाप्त होते हैं।
  12. रोग, भय और मानसिक विकारों का निवारण होता है।
  13. आकर्षण, वशीकरण और सम्मोहन शक्ति जागृत होती है।
  14. जीवन में स्थायित्व और आत्मबल बढ़ता है।
  15. देवी साक्षात्कार और प्रत्यक्ष अनुभव की संभावना।

नियम (Niyam):

  • नौ दिन तक ब्रह्मचर्य और संयम का पालन करें।
  • रात्रि में साधना करें – विशेषकर निशीथ या मध्यरात्रि काल में।
  • मां की मूर्ति या यंत्र के समक्ष साधना करें।
  • काले या लाल वस्त्र धारण करें।
  • भोजन सात्विक और एक समय ग्रहण करें।
  • साधना स्थान शांत और एकांत होना चाहिए।
  • हर दिन एक महाविद्या को समर्पित करें।

शुभ मुहूर्त (Muhurth):

  • आरंभ तिथि: आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा
  • समाप्ति तिथि: आषाढ़ नवमी
  • सर्वोत्तम साधना काल: रात्रि 11:00 PM से 3:00 AM
  • विशेष योग: अमावस्या पूर्व संध्या, गुरुपुष्य योग, रवियोग

मंत्र विधि (Mantra Vidhi):

  1. रात्रि में स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।
  2. देवी के चित्र या यंत्र की स्थापना करें।
  3. दीपक, धूप, पुष्प, नैवेद्य अर्पित करें।
  4. अपनी इच्छित देवी महाविद्या का चयन करें।
  5. नीचे दिया गया मंत्र कम से कम 108 बार जपें:
    “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।”
  6. साधना के पश्चात मंत्र को जल, काजल या चंदन से सिद्ध कर लें।
  7. नौ दिन बाद हवन करें और पूर्णाहुति देकर साधना पूर्ण करें।

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सामान्य प्रश्न:

Q1. क्या सामान्य व्यक्ति गुप्त नवरात्रि में साधना कर सकता है?
हाँ, श्रद्धा और नियमपूर्वक साधना करने पर सभी लाभ प्राप्त हो सकते हैं।

Q2. क्या इसे घर में किया जा सकता है?
हाँ, शांत और एकांत स्थान में करना उचित होता है।

Q3. क्या हर दिन एक ही मंत्र का जप करें?
यदि किसी एक देवी की साधना कर रहे हों, तो हाँ।

Q4. क्या व्रत अनिवार्य है?
व्रत से साधना की शक्ति बढ़ती है, अतः इसे रखना लाभकारी है।

Q5. अगर कोई दिन छूट जाए तो क्या करें?
छूटे हुए दिन की पूर्ति अगले दिन दोहराकर करें।

Q6. क्या तांत्रिक अनुष्ठान भी कर सकते हैं?
हाँ, यह समय तांत्रिक प्रयोगों के लिए विशेष फलदायी होता है।

Q7. क्या दिव्य अनुभव संभव हैं?
जी हाँ, DivyaYogaAshram के अनुभवों में कई साधकों को देवी दर्शन और कृपा प्राप्त हुई है।


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कमलबीज धन वृद्धि प्रयोग – एक दिव्य तांत्रिक रहस्य

Divine Lotus Seeds – कमलबीज, देवी लक्ष्मी की तांत्रिक उपासना में अत्यंत प्रभावी माध्यम माना जाता है। इसे धन, ऐश्वर्य, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति हेतु विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है। जब इसे शुक्रवार के दिन विधिपूर्वक देवी लक्ष्मी को अर्पित किया जाता है, तो यह आर्थिक स्थिरता और धन-संग्रह के अद्भुत द्वार खोल देता है। “ॐ श्रीं ह्रीं कमलवासिन्यै नमः” मंत्र का जप कमलबीज के साथ करने से दिव्य ऊर्जा का संचार होता है और साधक के जीवन में लक्ष्मी की कृपा साकार रूप में प्रकट होती है।
DivyaYogaAshram द्वारा सिद्ध यह प्रयोग विशेष रूप से उन साधकों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो व्यापार में वृद्धि, नौकरी में तरक्की या अचानक धन प्राप्ति की इच्छा रखते हैं। इस प्रयोग को नियमित रूप से करने से जीवन में न केवल धन की वृद्धि होती है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मविश्वास में भी विस्तार होता है।


कमलबीज धन वृद्धि प्रयोग के विशेष लाभ

  1. आर्थिक तंगी में चमत्कारी राहत मिलती है।
  2. व्यापार में निरंतर लाभ और वृद्धि होती है।
  3. अचानक धन की प्राप्ति के योग बनते हैं।
  4. रुके हुए पैसे वापस आने लगते हैं।
  5. कर्ज से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  6. निवेश में लाभ की संभावना बढ़ती है।
  7. नौकरी में पदोन्नति के अवसर मिलते हैं।
  8. धन-संबंधी कोर्ट केस में विजय प्राप्त होती है।
  9. परिवार में सुख-शांति एवं समृद्धि आती है।
  10. घर में लक्ष्मी स्थायी रूप से वास करने लगती हैं।
  11. मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।
  12. घर में दरिद्रता और वास्तु दोष नष्ट होते हैं।
  13. शुभ समाचारों की आवक बढ़ती है।
  14. साधना शक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा में वृद्धि होती है।
  15. ग्रह दोषों के कारण होने वाली आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं।

नियम (Niyam):

  • शुक्रवार के दिन ही प्रयोग आरंभ करें।
  • प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।
  • व्रत या सात्विक भोजन का संकल्प लें।
  • किसी भी प्रकार की नकारात्मक भावना से बचें।
  • कमलबीज शुद्ध हो और किसी सिद्ध स्थान से लिया गया हो।
  • पूजन के समय एकाग्रता और श्रद्धा आवश्यक है।

शुभ मुहूर्त (Muhurth):

  • दिन: शुक्रवार
  • समय: प्रातः 6:00 से 7:30 या संध्या 5:30 से 7:00
  • विशेष: दीपावली, अक्षय तृतीया, गुरु पुष्य योग, किसी भी शुक्रवार या श्रावण मास के शुक्रवार अति शुभ होते हैं।

मंत्र विधि (Mantra Vidhi):

  1. पूजन स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
  2. एक पीला वस्त्र बिछाएं और उस पर कमल का पुष्प रखें।
  3. कमलबीज की 11, 21 या 108 बीज देवी लक्ष्मी के समक्ष रखें।
  4. दीपक जलाएं और धूप-चंदन अर्पित करें।
  5. अब निम्न मंत्र का 108 बार जाप करें:
    “ॐ श्रीं ह्रीं कमलवासिन्यै नमः”
  6. जाप के बाद कमलबीज को धन स्थान (तिजोरी या कैशबॉक्स) में लाल कपड़े में बांधकर रखें।
  7. यह प्रयोग कम से कम 11 शुक्रवार तक करें।

सामान्य प्रश्न:

Q1. क्या इस प्रयोग को कोई भी कर सकता है?
हाँ, पुरुष और महिलाएं दोनों कर सकते हैं।

Q2. क्या इसे घर में किया जा सकता है?
हाँ, एक शांत और पवित्र स्थान पर्याप्त है।

Q3. यदि कमलबीज उपलब्ध न हो तो क्या करें?
सिद्ध स्थान से कमलबीज प्राप्त करना आवश्यक है, स्थानापन्न नहीं चलेगा।

Q4. क्या व्रत रखना जरूरी है?
अनिवार्य नहीं, परंतु सात्विकता बनाए रखना आवश्यक है।

Q5. क्या मंत्र का उच्चारण सही होना जरूरी है?
हाँ, सही उच्चारण से प्रभाव अधिक होता है।

Q6. क्या इस प्रयोग में कोई विशेष वस्त्र पहनना चाहिए?
पीले या लाल वस्त्र शुभ माने जाते हैं।

Q7. यदि एक शुक्रवार छुट जाए तो क्या करना चाहिए?
अगले शुक्रवार से पुनः नियमित करें, प्रभाव बना रहेगा।

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Ashadhi Navratri: Secret Nine Nights of Goddess Worship

आषाढ़ी नवरात्रि – गुप्त साधनाओं और सिद्धियों की दिव्य रातें

आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाई जाने वाली आषाढ़ी नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि या तांत्रिक नवरात्रि भी कहा जाता है। यह नवरात्रि प्रकट नहीं, बल्कि भीतर की ऊर्जा को जगाने का पर्व है। सामान्यतः लोग केवल शारदीय या वासंती नवरात्रि जानते हैं, परंतु आषाढ़ी नवरात्रि का विशेष महत्व साधकों, तांत्रिकों और देवी उपासकों के लिए होता है।

इस नवरात्रि में शक्ति की नौ विशेष स्वरूपों की उपासना की जाती है, परंतु यह पूजन आम नहीं, गुप्त, सिद्धिप्रद, और संकटहारी होता है। यह साधना काल विशेष रूप से बगलामुखी, तारा, चामुंडा, भैरवी, कालरात्रि, मातंगी आदि उग्र शक्तियों की कृपा प्राप्त करने का माध्यम है।

DivyaYogAshram के अनुसार, यह समय साधनाओं के उन्नयन, अद्भुत सिद्धियों, तंत्र-मंत्र सिद्धि, कर्ज मुक्ति, रोग शांति और दुर्भाग्य निवारण हेतु अत्यंत उपयोगी होता है।


अद्भुत लाभ (Benefits of Ashadhi Navratri)

  1. गुप्त साधनाओं में सफलता प्राप्त होती है।
  2. तांत्रिक प्रयोगों की सिद्धि का विशेष काल होता है।
  3. रोग, शोक, भय और बाधा का निवारण होता है।
  4. विशेष मंत्रों की सिद्धि प्राप्त की जा सकती है।
  5. भूत-प्रेत, काली शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।
  6. व्यापार और धन संबंधी रुकावटें समाप्त होती हैं।
  7. संतान प्राप्ति या संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  8. शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है।
  9. घर, दुकान, ऑफिस की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  10. माँ बगलामुखी और माँ चामुंडा की कृपा प्राप्त होती है।
  11. कोर्ट केस, वाद-विवाद में विजय मिलती है।
  12. साधना शक्ति और आत्मबल में वृद्धि होती है।
  13. जीवन में स्थिरता और मानसिक शांति आती है।
  14. कुंडलिनी शक्ति जागरण के लिए शुभ समय है।
  15. आत्मिक उत्थान और मोक्ष की ओर गति मिलती है।

नियम (Niyam / Rules)

  • नौ दिनों तक ब्रह्मचर्य और संयम का पालन करें।
  • सात्विक भोजन करें या फलाहार लें।
  • झूठ, क्रोध, निंदा, विवाद से दूर रहें।
  • प्रतिदिन देवी की आरती, चालीसा या सप्तशती का पाठ करें।
  • यदि साधना कर रहे हैं, तो नियमपूर्वक एक ही स्थान पर करें।
  • काले, नीले वस्त्र न पहनें – लाल/पीले/गुलाबी उपयुक्त हैं।
  • घर की स्वच्छता और पवित्रता बनाए रखें।

शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat – 2025)

  • आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा प्रारंभ: 26 जून 2025, शुक्रवार – सुबह 06:12 बजे
  • नवमी समाप्ति: 4 जुलाई 2025, शुक्रवार – रात्रि 08:40 बजे

विशेष पूजन तिथि:

  • अष्टमी: ३ जुलाई 2025 – अष्टलक्ष्मी, चंडी, तारा साधना के लिए उत्तम
  • नवमी: ४ जुलाई 2025 – कन्या पूजन, पूर्णाहुति, बगलामुखी विशेष प्रयोग

पूजन विधि (Daily Puja Vidhi)

  1. सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. देवी को चावल, फूल, नारियल, फल अर्पित करें।
  3. दीपक जलाएं – घी या तिल के तेल से।
  4. देवी दुर्गा या विशेष देवी (तारा, बगलामुखी) की मूर्ति/चित्र को स्थापित करें।
  5. नवदुर्गा पाठ, सप्तशती, चालीसा, 108 नाम आदि का पाठ करें।
  6. विशेष मंत्र का जप करें – जैसे:
    “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
    “ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा”
  7. भोग अर्पण करें – खीर, फल, पंचामृत आदि।
  8. संध्या में दीप, धूप, नैवेद्य और आरती करें।
  9. अंतिम दिन कन्या पूजन या हवन अवश्य करें।

सामान्य प्रश्न

Q1. क्या यह नवरात्रि सभी के लिए है या केवल तांत्रिकों के लिए?
यह गुप्त नवरात्रि है, पर कोई भी भक्त श्रद्धा से पूजन कर सकता है। साधक इसे साधना के लिए उपयोग करें।

Q2. क्या नौ दिन व्रत रखना जरूरी है?
हाँ, शक्ति जागरण हेतु नियमपूर्वक व्रत करना लाभकारी है।

Q3. क्या इस समय विशेष साधनाएँ सिद्ध होती हैं?
हाँ, यह समय विशेष मंत्र, यंत्र, और प्रयोगों की सिद्धि हेतु उपयुक्त है।

Q4. क्या महिलाएँ भी यह साधना कर सकती हैं?
हाँ, परंतु मासिक धर्म काल में विश्राम रखें।

Q5. क्या यह व्रत फलाहारी हो सकता है?
हाँ, फलाहार या एक समय सात्विक भोजन लिया जा सकता है।

Q6. क्या रात में भी साधना की जा सकती है?
हाँ, विशेषत: बगलामुखी या तारा साधना रात्रि में की जाती है।

Q7. क्या इस समय देवी दर्शन या संकेत मिलते हैं?
श्रद्धा, निष्ठा और नियम से साधना करने पर कई साधकों को दिव्य संकेत मिलते हैं।

Get mantra diksha

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आषाढ़ी नवरात्रि कोई सामान्य पर्व नहीं – यह आत्म-जागरण, तांत्रिक उन्नयन और शक्ति प्राप्ति का दुर्लभ समय है। यदि आप जीवन की समस्याओं से बाहर निकलना चाहते हैं, या साधना में उच्च लक्ष्य प्राप्त करना चाहते हैं – तो यह समय चूकना नहीं चाहिए।

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