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Friday Night Lakshmi Deep Daan for Wealth Blessings

Friday Night Lakshmi Deep Daan for Wealth Blessings

अष्टलक्ष्मी दीप दान टोटका – घर बुलाइए अष्टलक्ष्मी को

Lakshmi Deep Daan अष्टलक्ष्मी – धन, ऐश्वर्य, संतुलन, विद्या, विजय, संतान, धैर्य और आभूषण की अधिष्ठात्री आठ शक्तियाँ। यदि आप चाहते हैं कि आपके जीवन में हर प्रकार की लक्ष्मी का आगमन हो, तो अष्टलक्ष्मी दीप दान टोटका अत्यंत प्रभावशाली उपाय है। यह सरल किंतु चमत्कारी प्रयोग शुक्रवार रात्रि को किया जाता है। जब आप घर के 8 कोनों में 8 दीपक जलाकर “ॐ ह्रीं अष्टलक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करते हैं, तब घर के हर दिशा से देवी लक्ष्मी की अलग-अलग शक्तियाँ प्रवेश करती हैं।

यह प्रयोग DivyaYogAshram में सिद्ध और आजमाया गया है। अनेक साधकों को इससे असाधारण अनुभव प्राप्त हुए हैं – जैसे अचानक धन प्राप्ति, नौकरी में तरक्की, घर में सुख-शांति और बाधाओं का निवारण। यह दीपदान घर में एक शक्तिशाली ऊर्जा केंद्र बनाता है जो हर शुक्रवार आपकी किस्मत को पुनः लिख सकता है।


चमत्कारी लाभ (Benefits)

  1. घर में आठों प्रकार की लक्ष्मी का प्रवेश होता है।
  2. दरिद्रता और आर्थिक तंगी समाप्त होती है।
  3. पारिवारिक कलह और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  4. व्यापार में आश्चर्यजनक लाभ होता है।
  5. स्त्रियों को वैवाहिक सुख और संतुलन प्राप्त होता है।
  6. विद्यार्थियों के लिए विद्या लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
  7. कोर्ट केस व शत्रुओं पर विजय मिलती है।
  8. घर की स्त्रियाँ सौभाग्यवती एवं संपन्न बनती हैं।
  9. अचानक धन, उपहार या शुभ समाचार मिलते हैं।
  10. पुराने कर्जे, अटके पैसे वापस मिलते हैं।
  11. नौकरी में स्थिरता और पदोन्नति के योग बनते हैं।
  12. ग्रह दोष, वास्तु दोष व नज़र दोष नष्ट होते हैं।
  13. घर में देवी की उपस्थिति और चमत्कारी संकेत मिलते हैं।
  14. मन में स्थिरता और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  15. संतान संबंधी बाधाएँ और रुकावटें दूर होती हैं।

नियम (Rules & Niyam)

  • यह प्रयोग हर शुक्रवार रात को करें।
  • घर की सफाई और पवित्रता अनिवार्य है।
  • दीपक में तिल या गाय के घी का उपयोग करें।
  • प्रत्येक दीपक में एक-एक लाल फूल या चावल डालें।
  • दीपक हमेशा 8 कोनों में रखें (चार दिशाएं + चार कोने)।
  • दीपक जमीन पर न रखें – पीतल/चांदी की थाली में रखें।
  • मंत्र जप करते समय संकल्प लें – “अष्टलक्ष्मी कृपा के लिए”।

शुभ मुहूर्त (Muhurat)

  • वार: शुक्रवार (शुक्र का दिन – देवी लक्ष्मी का दिन)
  • समय: रात्रि 8:00 PM से 10:00 PM के बीच
  • विशेष तिथियाँ: दीपावली, पूर्णिमा, शुक्रवार, गुरु पुष्य योग, अक्षय तृतीया

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विधि (Step-by-Step Vidhi)

  1. शुक्रवार को दिन में स्नान कर घर की सफाई करें।
  2. संध्या होते ही एकांत स्थान पर शांत मन से तैयार हों।
  3. 8 दीपक लें – तिल/गाय के घी से भरें।
  4. हर दीपक में लाल चावल/चंपा फूल डालें।
  5. अब घर के 8 कोनों में – उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम + चार कोनों में दीपक रखें।
  6. हर दीपक के सामने हाथ जोड़कर मंत्र बोलें: “ॐ ह्रीं अष्टलक्ष्म्यै नमः” (कम से कम 8 बार प्रत्येक दीपक के सामने बोलें।)
  7. 8 बार मंत्र का उच्चारण करते हुए, लक्ष्मीजी से निवेदन करें कि – “हे अष्टलक्ष्मी! मेरे घर में स्थायी रूप से निवास करें।”
  8. कुछ मिनट ध्यान करें कि घर के हर कोने में देवी की ऊर्जा सक्रिय हो रही है।
  9. दीपक को स्वयं बुझने दें – उन्हें तुरंत न हटाएं।
  10. अगले दिन जल, अक्षत व पुष्प चढ़ाकर दीपक स्थान पर कृतज्ञता प्रकट करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. क्या दीपक तेल का हो सकता है?
हां, परंतु गाय का घी या तिल का तेल अधिक शुभ माना गया है।

Q2. अगर घर में 8 कोने नहीं हों तो क्या करें?
दीपक को 8 दिशाओं के प्रतीक रूप में अलग-अलग स्थानों पर रखें – जैसे खिड़की, मंदिर, तिजोरी, प्रवेश द्वार आदि।

Q3. क्या एक दीपक में कई बत्तियाँ जल सकती हैं?
हाँ, लेकिन 8 अलग-अलग दीपक का प्रयोग अधिक प्रभावकारी माना गया है।

Q4. क्या महिलाएं यह टोटका कर सकती हैं?
बिलकुल, यह सभी के लिए है – पर रजस्वला अवस्था में न करें।

Q5. क्या बिना मंत्र के दीपक रखने से भी लाभ होगा?
मंत्र के साथ प्रयोग करने पर ही पूर्ण तांत्रिक ऊर्जा सक्रिय होती है।

Q6. कितने शुक्रवार तक यह करना चाहिए?
कम से कम 8 शुक्रवार करें – और निरंतर करते रहें तो स्थायी फल मिलेगा।

Q7. क्या किसी और दिन भी किया जा सकता है?
अत्यंत आवश्यक स्थिति में किया जा सकता है, पर शुक्रवार सर्वोत्तम है।


अष्टलक्ष्मी दीपदान न केवल धन और वैभव को आमंत्रित करता है, बल्कि घर की उर्जा को भी दिव्य स्तर तक ऊँचा उठाता है। यह एक पारंपरिक लेकिन अत्यंत प्रभावशाली प्रयोग है जिसे DivyaYogAshram में वर्षों से प्रयोग किया जाता है।

Midnight Sri Yantra Ritual for Wealth & Success

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श्री यंत्र का अर्धरात्रि तंत्र प्रयोग – चमत्कारिक धन एवं सफलता का रहस्य

Sri Yantra Ritual श्री यंत्र, माँ लक्ष्मी और त्रिपुर सुंदरी का प्रतीक एक अद्भुत यंत्र है, जो देवी की शक्तियों को भौतिक जगत में आकर्षित करने का माध्यम माना जाता है। विशेष रूप से दीपावली, अमावस्या या ग्रहण की रात्रि में मध्यरात्रि के समय इसका तांत्रिक प्रयोग अत्यंत प्रभावशाली सिद्ध होता है। जब सारी सृष्टि निद्रास्थ होती है, तब ब्रह्मांडीय ऊर्जा अपने चरम पर होती है। ऐसे समय में श्री यंत्र पर गुलाब अर्पित कर विशेष मंत्र “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा” का जप करने से दुर्भाग्य, दरिद्रता और रोग-बाधा समाप्त होती है।

DivyaYogAshram द्वारा सिद्ध श्री यंत्र का प्रयोग साधकों को जीवन के हर क्षेत्र में सुख, समृद्धि, सफलता और अद्भुत दिव्य अनुभव प्रदान करता है। यह प्रयोग विशेष रूप से धन, वैभव, शत्रु विनाश, व्यापार वृद्धि और आत्मिक विकास हेतु उपयोगी है।


विशेष लाभ (Benefits)

  1. दुर्भाग्य, दरिद्रता और आर्थिक तंगी समाप्त होती है।
  2. व्यापार में आश्चर्यजनक वृद्धि होती है।
  3. अचल संपत्ति और निवेश में लाभ मिलता है।
  4. पारिवारिक कलह और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  5. शत्रुओं का नाश और कानूनी विवादों में विजय प्राप्त होती है।
  6. सौभाग्य और आकर्षण की ऊर्जा बढ़ती है।
  7. नौकरी या प्रमोशन में अड़चन दूर होती है।
  8. स्त्रियों को वैवाहिक सुख एवं संतुलन प्राप्त होता है।
  9. बुरी नजर और टोने-टोटके का प्रभाव समाप्त होता है।
  10. साधक की आध्यात्मिक शक्ति जागृत होती है।
  11. बच्चों की शिक्षा में प्रगति होती है।
  12. घर में सुख-शांति एवं लक्ष्मी स्थायी होती है।
  13. रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
  14. नए अवसर और भाग्योदय के द्वार खुलते हैं।
  15. सिद्ध योग और मनोकामना पूर्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।

नियम (Rules & Niyam)

  • श्री यंत्र को शुद्ध भोजपत्र, ताम्र या स्वर्ण-पट्ट पर होना चाहिए।
  • साधक को पवित्र और स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए (सफेद/लाल उत्तम)।
  • प्रयोग रात्रि 12 बजे के आसपास करें – अकेले, शांत वातावरण में।
  • प्रयोग के पूर्व स्नान आवश्यक है, विशेषतः गंगाजल स्नान हो सके तो श्रेष्ठ।
  • आसन कंबल या कुश का प्रयोग करें – भूमि पर सीधे न बैठें।
  • गुलाब के पुष्प पूर्ण शुद्धता से तोड़े जाएँ – कोई कटा-फटा न हो।
  • यंत्र को पूर्व या उत्तर दिशा में स्थापित करें।

शुभ मुहूर्त (Muhurat)

उत्तम तिथियाँ:

  • दीपावली की रात (महालक्ष्मी पूजन)
  • अमावस्या की रात (विशेषतः कालरात्रि/स्नान दान अमावस्या)
  • चंद्र/सूर्य ग्रहण की रात्रि (पूर्ण तांत्रिक प्रभावकाल)

शुभ समय:

  • रात्रि 11:30 PM से 1:00 AM तक (मध्यरात्रि योग)

विधि (Step-by-Step Vidhi)

  1. एक पवित्र स्थान चुनें जहां आपको कोई बाधा न पहुंचे।
  2. पूर्व/उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  3. श्री यंत्र को चांदी की थाली में रखें, गंगाजल से शुद्ध करें।
  4. यंत्र पर केसर, चंदन, सिंदूर, इत्र एवं हल्का शहद चढ़ाएं।
  5. गुलाब के 11 फूल श्री यंत्र पर अर्पित करें।
  6. दीपक में गाय का घी भरें, दो बत्ती जलाएं।
  7. धूप-अगरबत्ती से स्थान को सुगंधित करें।
  8. अब 108 बार निम्न मंत्र का जप करें: 🔺 मंत्र: “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा”
  9. ध्यान करें कि देवी कमल पर विराजित होकर आपके यंत्र में प्रतिष्ठित हो रही हैं।
  10. अंत में नमस्कार कर यंत्र को वहीँ रख दें, अगले दिन उसे तिजोरी, पूजन स्थल या उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें।

सामान्य प्रश्न

Q1. क्या यह प्रयोग हर कोई कर सकता है?
हाँ, परंतु पूर्ण शुद्धता और निष्ठा आवश्यक है।

Q2. श्री यंत्र को कहां से प्राप्त करें?
DivyaYogAshram द्वारा सिद्ध श्री यंत्र को प्राप्त करें।

Q3. क्या यह प्रयोग केवल दीपावली पर ही होता है?
नहीं, अमावस्या और ग्रहण की रात्रि भी अत्यंत प्रभावशाली होती हैं।

Q4. क्या मंत्र उच्चारण अनिवार्य है?
हाँ, मंत्र के बिना यंत्र निष्क्रिय रहता है।

Q5. क्या यंत्र को बार-बार प्रयोग कर सकते हैं?
हाँ, परंतु प्रति प्रयोग के बाद उसकी शुद्धि एवं नवचेतना आवश्यक है।

Q6. क्या महिलाएँ यह प्रयोग कर सकती हैं?
हाँ, लेकिन रजस्वला अवस्था में न करें।

Q7. क्या इस प्रयोग से तुरंत लाभ मिलेगा?
यह प्रयोग अत्यंत प्रभावी है, परिणाम शीघ्र अनुभव होते हैं, विशेषकर नियमित प्रयोग से।

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अगर आप भी अपनी जिंदगी में स्थायी लक्ष्मी प्राप्ति, सफलता और आत्मिक जागृति की कामना रखते हैं, तो इस अर्धरात्रि श्री यंत्र प्रयोग को ज़रूर अपनाएं।

👉 श्री यंत्र या मंत्र सिद्ध सामग्री हेतु संपर्क करें: DivyaYogAshram
📞 Call / WhatsApp: 8652439844, 7710812329
🌐 Website: www.divyayogastore.com

Tie Yellow Thread Waist – Win Every Court Case Miraculously!

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कोर्ट केस जीतना है? कमर में बांधो पीला धागा – चमत्कार देखो!

Tie Yellow Thread Waist कई बार व्यक्ति न्याय के लिए वर्षों तक कोर्ट के चक्कर काटता है लेकिन नतीजा शून्य रहता है। झूठे मुकदमे, जमीन विवाद, पारिवारिक झगड़े या सरकारी अड़चनें – ये सभी जीवन में बाधा बन जाते हैं। ऐसे में केवल कानून ही नहीं, बल्कि दिव्य तांत्रिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
माँ बगलामुखी को न्याय की देवी कहा जाता है। उनके विशेष मंत्र और माध्यमों से व्यक्ति अपने शत्रुओं की वाणी और चाल को रोक सकता है।

DivyayogAshram ने एक अद्भुत और सरल उपाय बताया है – कमर में पीला धागा बांधना। यदि इसे मंत्र “ॐ ह्ल्रीं बगलेश्वरी ह्ल्रीं स्वाहा” के साथ प्रयोग किया जाए तो यह एक चमत्कारी सुरक्षा कवच का काम करता है। यह उपाय कोर्ट केस, झूठे आरोप, सरकारी बाधाएं और शत्रुओं की साजिशों को समाप्त करने मे मदत करता है।


विशेष लाभ

  1. कोर्ट केस में जीत
  2. झूठे मुकदमों से मुक्ति
  3. शत्रुओं की चालें विफल
  4. वाणी और सोच में आत्मविश्वास
  5. सरकारी कार्यों में अड़चनें दूर
  6. वकीलों और अधिकारियों से सहयोग
  7. भूमि विवाद में विजय
  8. मानसिक तनाव से राहत
  9. निर्णय व्यक्ति के पक्ष में आए
  10. विरोधियों का प्रभाव कम होना
  11. तांत्रिक और अदृश्य बाधाएं दूर
  12. आत्मबल और धैर्य में वृद्धि
  13. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा
  14. न्याय के लिए मार्ग प्रशस्त
  15. माँ बगलामुखी की कृपा प्राप्ति

नियम (Niyam)

  • प्रयोग बुधवार या गुरुवार को करें
  • पीला धागा नया, स्वच्छ और रेशमी होना चाहिए
  • स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें
  • कमर में धागा नाभि के ठीक ऊपर बाँधें
  • प्रयोग के दौरान मौन रहें
  • धागा बाँधते समय मंत्र 21 बार जपें
  • हर दिन 11 बार मंत्र जप करें

विधि (Vidhi)

Step-by-step प्रयोग प्रक्रिया:

  1. बुधवार या गुरुवार को सुबह स्नान करें
  2. माँ बगलामुखी के चित्र या यंत्र के सामने दीपक जलाएं
  3. पीले आसन पर बैठ जाएं
  4. एक नया पीला रेशमी धागा लें (लगभग 33 इंच लंबा)
  5. धागे को केसर और हल्दी मिश्रित जल में डुबोकर सुखाएं
  6. अब इस मंत्र का 21 बार जप करें: ॐ ह्ल्रीं बगलेश्वरी ह्ल्रीं स्वाहा
  7. मंत्र जपते हुए धागे को कमर में बाँधें
  8. बाँधने के बाद 5 मिनट मौन ध्यान करें
  9. रोज़ 11 बार मंत्र का जप करें, जब तक कोर्ट केस समाप्त न हो

मंत्र: ॐ ह्ल्रीं बगलेश्वरी ह्ल्रीं स्वाहा
माध्यम: माँ बगलामुखी की तांत्रिक कृपा से कानून संबंधी समस्याओं पर विजय का गुप्त उपाय

विशेष सुझाव – DivyayogAshram द्वारा:
अगर संभव हो तो इस प्रयोग के साथ माँ बगलामुखी यंत्र का भी पूजन करें और हर मंगलवार या गुरुवार को माँ को पीले फूल, पत्ते व हल्दी अर्पित करें।


सामान्य प्रश्न

Q1. क्या यह उपाय पुरुष और महिला दोनों कर सकते हैं?
हाँ, दोनों कर सकते हैं। बस मासिक धर्म के समय महिलाएं इसे टालें।

Q2. धागा किस कमर में बाँधना चाहिए – दाएँ या बाएँ?
धागा नाभि के ऊपर कमर के बीच में बाँधना चाहिए, पक्ष चयन आवश्यक नहीं।

Q3. क्या पीले धागे को बार-बार प्रयोग कर सकते हैं?
नहीं, हर नए प्रयोग में नया धागा ही लें।

Q4. अगर कोर्ट केस लंबा चले तो क्या यह धागा बार-बार बदलें?
हर 21 दिन में नया धागा बाँधें, पुराने को पीपल के नीचे छोड़ें।

Q5. क्या DivyayogAshram पर यह धागा उपलब्ध है?
हाँ, DivyayogAshram पर विशेष रूप से मंत्र-संहित सिद्ध पीले धागे बंडल के साथ ही महा बगलामुखी कवच भी उपलब्ध हैं।
वेबसाइट: www.divyayogastore.com


🙏 DivyayogAshram से मार्गदर्शन लें

DivyayogAshram ने हजारों साधकों को उनके न्यायिक संघर्षों में आध्यात्मिक ऊर्जा देकर सफलता दिलाई है। हमारे माध्यमों में शक्ति है क्योंकि वे मंत्रों से सिद्ध और तांत्रिक परंपरा से प्रेरित होते हैं। इस उपाय को पूरी श्रद्धा से करे।

अगर आप किसी केस, सरकारी अड़चन या झूठे आरोप में फँसे हैं, तो DivyayogAshram से जुड़ें और माँ बगलामुखी की कृपा से न्याय प्राप्त करें।

📞 संपर्क करें:
📩 Email – di**************@***il.com
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🌐 Website – www.divyayogastore.com


Protect Yourself Instantly – Kali’s Black Thread Ritual Works!

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काला धागा बांधो दाहिने पैर में – बुरी आत्माएं भागेंगी!

Kali’s Black Thread Ritual जब जीवन में बिना कारण डर लगने लगे, रात में प्रेत दिखें, नींद में झटके आएं, मन विचलित हो और आसपास नकारात्मक ऊर्जा महसूस हो – तो यह संकेत हो सकता है कि आप किसी बुरी आत्मा, प्रेत बाधा या तांत्रिक प्रभाव के शिकार हो गए हैं। ऐसे समय में महाकाली की विशेष कृपा से तैयार किया गया एक साधारण लेकिन चमत्कारी उपाय है – दाहिने पैर में काला धागा बांधना।

यह प्रयोग, DivyayogAshram द्वारा प्रमाणित है और तांत्रिक ग्रंथों में वर्णित सिद्ध विद्या पर आधारित है। जब इस धागे को माँ काली के मंत्र “ॐ क्रीं कालिके सर्व बाधा नष्टय नष्टय स्वाहा” के साथ प्रयोग किया जाता है, तो यह एक दिव्य सुरक्षा कवच का कार्य करता है। इससे प्रेत बाधा, टोना-टोटका, नींद के डर, और मानसिक अशांति का शीघ्र अंत होता है।


चमत्कारी लाभ

  1. प्रेत बाधा से तुरंत छुटकारा
  2. डर, भूत या छाया का प्रभाव समाप्त
  3. नींद में डर लगना या झटके आना बंद
  4. बच्चे और महिलाओं की रक्षा
  5. तांत्रिक प्रयोगों से सुरक्षा
  6. अशुभ ग्रहों का निवारण
  7. बार-बार होने वाले बुरे सपने खत्म
  8. काली शक्तियों का शमन
  9. मानसिक बेचैनी और अस्थिरता से राहत
  10. आत्मविश्वास और स्थिरता की वृद्धि
  11. साधना में बाधा देने वाली शक्तियों से सुरक्षा
  12. घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार
  13. अचानक आई मानसिक बीमारियों में सुधार
  14. यात्रा में अदृश्य रक्षात्मक शक्ति
  15. जीवन में आध्यात्मिक जागृति और माँ काली की कृपा प्राप्ति

नियम (Niyam)

  • यह प्रयोग शनिवार या अमावस्या को करें
  • काला धागा बिना प्रयोग किया हुआ, नया और शुद्ध हो
  • धागा बाँधने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें
  • प्रयोग के समय मन शांत और आस्था से भरा हो
  • माँ काली का चित्र या मूर्ति सामने रखें
  • प्रयोग के बाद हर दिन 11 बार मंत्र जप करें
  • किसी को यह धागा दिखाएं नहीं, गुप्त रखें

विधि (Vidhi)

Step-by-step प्रयोग विधि:

  1. प्रातः या रात्रि में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें
  2. माँ काली के चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं
  3. एक नया शुद्ध काला धागा लें (लंबाई 9 या 21 इंच हो)
  4. धागे को काली हल्दी या काजल में भिगो लें
  5. अब मंत्र 21 बार जपें: ॐ क्रीं कालिके सर्व बाधा नष्टय नष्टय स्वाहा
  6. धागे को दाहिने पैर के अंगूठे के ऊपर बाँधें
  7. बाँधते समय मन ही मन बोलें – “हे काली माँ! मेरी समस्त बाधाओं का नाश करें।”
  8. इसके बाद 9 दिन तक प्रतिदिन 11 बार मंत्र का जप करें
  9. यदि धागा टूट जाए तो उसे जल में प्रवाहित करें या पीपल के नीचे रखें

मंत्र:
ॐ क्रीं कालिके सर्व बाधा नष्टय नष्टय स्वाहा
विशेष प्रयोग:
माँ काली की तांत्रिक कृपा से आत्मिक, मानसिक, और आध्यात्मिक बाधाओं से तुरंत मुक्ति

DivyayogAshram सुझाव:
अगर बच्चा या महिला प्रभावित है, तो यह धागा उन्हें नहीं बाँधकर उनके कमरे के कोने में चुपचाप रखा जाए, और प्रतिदिन माँ काली को जल चढ़ाया जाए।

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सामान्य प्रश्न

Q1. क्या काले धागे का यह प्रयोग पुरुष व महिला दोनों कर सकते हैं?
हाँ, यह प्रयोग सभी के लिए उपयोगी और सुरक्षित है। बस महिलाओं को मासिक धर्म के समय इसे टालना चाहिए।

Q2. यह धागा कितने दिन तक पहनना चाहिए?
जब तक यह स्वयं टूट न जाए, तब तक पहनना चाहिए।

Q3. क्या बिना मंत्र के भी प्रभाव होता है?
मंत्र के साथ इसका प्रभाव बहुत अधिक होता है। बिना मंत्र प्रभाव धीमा हो सकता है।

Q4. अगर धागा अचानक टूट जाए तो क्या संकेत है?
यह संकेत है कि कोई बड़ी बाधा या प्रेत शक्ति का नाश हो गया है। धागे को पवित्र रूप से निपटाएं।

Q5. क्या DivyayogAshram पर यह धागा उपलब्ध है?
हाँ, DivyayogAshram पर विशेष तांत्रिक विधि से अभिमंत्रित काले धागे उपलब्ध हैं। आप www.divyayogastore.com पर जाकर इसे मंगवा सकते हैं।


🏵️ DivyayogAshram से जुड़ें

DivyayogAshram भारत की प्राचीन तांत्रिक विद्या को सरल और प्रभावशाली रूप में जनमानस तक पहुंचा रहा है। हमारी साधनाओं, विशेष धागों, अभिमंत्रित यंत्रों और अध्यात्मिक माध्यमों के जरिए हज़ारों लोगों ने जीवन में बदलाव महसूस किया है।

यदि आप भी किसी बाधा, डर, अथवा तांत्रिक प्रभाव से जूझ रहे हैं – तो DivyayogAshram से जुड़कर उचित मार्गदर्शन प्राप्त करें।

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लाल धागा बांधो दाहिने हाथ में – नजर दोष तुरंत होगा समाप्त!

Red Thread Hanuman Remedy – आज के समय में हर कोई किसी न किसी नकारात्मक ऊर्जा या नजर दोष का शिकार हो रहा है। बच्चों की सेहत अचानक बिगड़ना, व्यापार का रुक जाना, अचानक सिर दर्द या नींद में डरना – ये सब नजर दोष के लक्षण हो सकते हैं। खासकर जब कोई व्यक्ति बहुत सुंदर, होशियार या उन्नति कर रहा होता है, तो आसपास के लोग जाने-अनजाने उसकी नजर उतार देते हैं।

ऐसे समय में एक सरल लेकिन अत्यंत प्रभावी उपाय है – लाल धागा बांधना। विशेष रूप से अगर यह उपाय दाहिने हाथ में, Tuesday (मंगलवार) को हनुमान मंत्र के साथ किया जाए, तो इसका प्रभाव तत्काल दिखता है।

DivyayogAshram द्वारा शोधित यह प्रयोग हनुमान तांत्रिक परंपरा पर आधारित है। इसमें न केवल नजर दोष से रक्षा होती है, बल्कि यह आपके चारों ओर एक दिव्य सुरक्षा कवच बना देता है।


चमत्कारी लाभ

  1. नजर दोष से तुरंत राहत
  2. बार-बार बीमार पड़ने से सुरक्षा
  3. बच्चों की रक्षा और मानसिक शांति
  4. व्यापार में रुकावटें समाप्त
  5. परीक्षा में असफलता का कारण दूर हो
  6. विवाह में आने वाली बाधाओं का निवारण
  7. रिश्तों में आ रही खटास का समाधान
  8. घर के झगड़े और अशांति दूर
  9. मन में स्थिरता और आत्मविश्वास
  10. भय, भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति
  11. अचानक धन हानि से सुरक्षा
  12. सकारात्मक ऊर्जा का संचार
  13. नकारात्मक ग्रहों का प्रभाव कम करना
  14. मानसिक थकान और तनाव से मुक्ति
  15. साधना में बाधा उत्पन्न करने वाली शक्तियों से रक्षा

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नियम (Niyam)

  • यह प्रयोग मंगलवार या शनिवार को ही करें
  • लाल धागा बिल्कुल नया और बिना फटा हो
  • प्रयोग के समय शरीर शुद्ध व संयमी रहें
  • मन, वचन और कर्म से शुद्धता रखें
  • मंत्र का उच्चारण श्रद्धा व आस्था से करें
  • नित्य हनुमान चालीसा या “ॐ हं हनुमंते शं नमः” मंत्र का जाप करें

मंत्र: ॐ हं हनुमंते शं नमः
विशेष प्रयोगहनुमान जी की कृपा से नजर दोष, अशुभ ऊर्जा और मानसिक बेचैनी से तुरंत राहत


विधि (Vidhi)

Step-by-step दृष्टिकोण:

  1. प्रातः स्नान कर साफ वस्त्र पहनें
  2. एक नया शुद्ध लाल रंग का धागा लें (लंबाई 9 इंच से 21 इंच तक हो)
  3. धागे को शुद्ध घी में हल्के से भिगो दें
  4. अब हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर 11 बार यह मंत्र जपें: ॐ हं हनुमंते शं नमः
  5. मंत्र जपते हुए उस धागे को दाहिने हाथ की कलाई में बांधें
  6. बंधने के बाद तीन बार हनुमान चालीसा का पाठ करें
  7. अब 7 दिन तक प्रतिदिन उसी मंत्र का 11 बार जाप करें
  8. इस धागे को तब तक न निकालें जब तक वह स्वयं टूट न जाए

विशेष सुझाव (By DivyayogAshram):
यदि बच्चे को नजर दोष है, तो यह धागा माता-पिता में से किसी एक को बांधना चाहिए, और बाद में बच्चे के सिर के चारों ओर घुमाकर पीपल के पेड़ के नीचे चुपचाप छोड़ दें।

5 सामान्य प्रश्न (FAQs)

Q1. क्या इस प्रयोग को महिलाएं भी कर सकती हैं?
हाँ, यह प्रयोग सभी के लिए सुरक्षित है। सिर्फ मासिक धर्म के समय न करें।

Q2. क्या यह धागा बार-बार उपयोग किया जा सकता है?
नहीं, हर बार नया धागा ही लें। पुराना धागा नकारात्मकता को अपने अंदर समेट लेता है।

Q3. क्या बिना मंत्र जपे भी धागा बांध सकते हैं?
बांध सकते हैं, परंतु मंत्र के साथ इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।

Q4. कितने दिन तक यह धागा पहनना चाहिए?
जब तक यह स्वयं टूट न जाए, तब तक पहनना चाहिए।

Q5. अगर धागा अचानक टूट जाए तो क्या करें?
यह संकेत है कि किसी बड़ी नकारात्मकता से रक्षा हुई है। उस धागे को किसी पवित्र स्थान जैसे पीपल के नीचे या बहते जल में विसर्जित कर दें।


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DivyayogAshram लगातार ऐसे ही सरल लेकिन चमत्कारी आध्यात्मिक माध्यम प्रस्तुत कर रहा है जो आपके जीवन की समस्याओं को दूर करने में सहायक हैं। यदि आप इस प्रयोग से जुड़े किसी विशेष प्रश्न या साधना के व्यक्तिगत मार्गदर्शन चाहते हैं, तो हमारी वेबसाइट www.divyayogastore.com या व्हाट्सएप +91-7710812329 पर संपर्क करें।


End Evil Spirits with Chamunda Devi’s Alum Protection Ritual

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चामुंडा देवी टोटका – फिटकरी से प्रेत बाधा का अंत!

Alum Protection Ritual- प्रेतबाधा, भूत-प्रेत, ऊपरी साया, मानसिक भ्रम, अनजानी डर की स्थिति में चामुंडा देवी की यह साधना अचूक मानी गई है। विशेष रूप से फिटकरी (अलम) का प्रयोग करके देवी की कृपा से नकारात्मक ऊर्जा को तुरंत समाप्त किया जा सकता है। यह टोटका घर, दुकान, बच्चों, मानसिक रूप से अस्थिर व्यक्ति या प्रेत प्रभावित स्थानों पर बेहद प्रभावशाली होता है। यदि किसी व्यक्ति पर बार-बार डर, नींद में चिल्लाना, मूर्छा आना या विचित्र व्यवहार हो रहा हो, तो यह साधना उसे तुरंत राहत देती है। यह टोटका चुपचाप भी किया जा सकता है और तुरंत परिणाम दिखता है।


लाभ

  1. प्रेत बाधा, ऊपरी साया से तुरंत राहत
  2. घर की नकारात्मक ऊर्जा का नाश
  3. मानसिक तनाव और भय का शमन
  4. बच्चों के डरावने सपनों से मुक्ति
  5. काले जादू या नजर दोष से रक्षा
  6. मन में साहस और आत्मबल का संचार
  7. नींद में चिल्लाना या डरना दूर होता है
  8. व्यापार या दुकान की बाधा हटती है
  9. अचानक होने वाले दुःस्वप्न समाप्त
  10. फिटकरी से वायुमंडल शुद्ध होता है
  11. शत्रु के तांत्रिक प्रभाव समाप्त होते हैं
  12. प्रेत बाधा से ग्रस्त घर शुद्ध होता है
  13. मानसिक भ्रम या विचित्र व्यवहार का अंत
  14. देवी की कृपा से आत्मबल की वृद्धि
  15. साधक में दिव्य ऊर्जा और शांति का विकास

सिद्ध मुहूर्त

  • वार: मंगलवार, शनिवार, अमावस्या या चतुर्दशी
  • समय: रात 10 बजे से 12 बजे के बीच
  • स्थान: साधक का शयनकक्ष या पूजा स्थल
  • चंद्रमा: कृष्ण पक्ष में श्रेष्ठ परिणाम देता है

मंत्र एवं प्रयोग विधि

सामग्री: सफेद फिटकरी का टुकड़ा, चामुंडा देवी की फोटो या मूर्ति, दीपक, धूपबत्ती, काला कपड़ा।

विधि:

  1. साधक स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करे।
  2. एक थाली में काला कपड़ा बिछाएं और उस पर फिटकरी रखें।
  3. सामने चामुंडा देवी का चित्र स्थापित करें।
  4. दीपक व धूप जलाएं।
  5. नीचे दिया गया मंत्र 108 बार जपें:

🔻 मंत्र:
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे नमः”

  1. जप के बाद फिटकरी को रोगी के चारों ओर सात बार घुमाकर चौराहे पर फेंक दें।
  2. यह प्रयोग लगातार 3, 7 या 11 दिन तक करें।

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64 Yogini Sadhana Shivir

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महत्वपूर्ण FAQs

1. यह टोटका कब करें?
मंगलवार, शनिवार या अमावस्या की रात श्रेष्ठ है।

2. क्या कोई भी कर सकता है?
हाँ, कोई भी श्रद्धा और नियम से कर सकता है।

3. कितने दिन तक करना चाहिए?
कम से कम 3 दिन, प्रभाव के अनुसार 7 या 11 दिन करें।

4. क्या बच्चों के लिए भी उपयोगी है?
हाँ, विशेष रूप से बच्चों को डरावने सपनों से राहत मिलती है।

5. क्या इसमें कोई तांत्रिक विधि है?
यह एक सामान्य देवी साधना है, सुरक्षित और आसान।

6. क्या फोटो से कार्य हो सकता है?
हाँ, देवी का चित्र पर्याप्त होता है।

7. अगर असर न हो तो क्या करें?
संपूर्ण श्रद्धा से पूरे 11 दिन तक करें, लाभ अवश्य मिलेगा।

Red Thread Ritual for Love, Confidence & Success

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गले में बांधो लाल धागा – प्रेम में सफलता निश्चित!

लाल धागा एक शक्तिशाली तंत्र है जिसे विशेष रूप से प्रेम संबंधों में सफलता प्राप्त करने के लिए बांधा जाता है। इसे बांधने से न केवल प्रेम में मजबूती आती है, बल्कि यह व्यक्तित्व में भी आत्मविश्वास और आकर्षण बढ़ाता है। यह साधना विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो अपने प्रेम जीवन में समस्याओं का सामना कर रहे हैं और उन्हें संबल और मार्गदर्शन की आवश्यकता है। लाल धागा बांधने से न केवल प्रेम संबंधों में सुदृढ़ता आती है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है।

लाल धागे के लाभ

  1. प्रेम संबंधों में मजबूती आती है।
  2. जीवन साथी के साथ बेहतर समझ बनी रहती है।
  3. आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  4. शारीरिक और मानसिक रूप से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
  5. प्रेम संबंधों में विश्वास बढ़ता है।
  6. किसी विशेष व्यक्ति का ध्यान आकर्षित होता है।
  7. विवाह संबंधों में सफलता मिलती है।
  8. रिश्तों में प्यार और स्नेह का प्रवाह बढ़ता है।
  9. रिश्तों में आए तनावों का समाधान होता है।
  10. मनोबल मजबूत होता है।
  11. राहु-केतु के दोष दूर होते हैं।
  12. अनावश्यक विवादों से बचाव होता है।
  13. प्रेमिका या प्रेमी के दिल में स्थान बनता है।
  14. विवाह के बंधन में बांधने के लिए यह शुभ होता है।
  15. यह तंत्र संबंधी नकारात्मक प्रभावों को समाप्त करता है।

मूहूर्त

लाल धागा बांधने के लिए सर्वोत्तम समय रात्रि का समय होता है, विशेष रूप से शुक्रवार, मंगलवार या अमावस्या की रात। इसे अपने प्रेमी या जीवन साथी के नाम से मानसिक रूप से मंत्र जाप करते हुए बांधें।

विधि

  1. सबसे पहले एक लाल धागा लें और उसे शुद्ध करके धो लें।
  2. प्रेमी या जीवन साथी का नाम मानसिक रूप से जपते हुए उस धागे को गले में बांधें।
  3. इस दौरान “ॐ क्लीं काम देवाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।
  4. धागा बांधने के बाद आप अपने प्रेम संबंधों में स्थिरता और सफलता की कामना करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. क्या लाल धागा हर किसी को बांधना चाहिए?
    नहीं, यह विशेष रूप से प्रेम संबंधों में समस्याएं होने पर बांधा जाता है।
  2. कितनी बार इस विधि को करना चाहिए?
    इस विधि को केवल एक बार किया जाता है, और परिणाम 21 दिनों में देखने को मिलते हैं।
  3. क्या इस साधना के साथ कोई विशेष पूजा करनी चाहिए?
    हां, “ॐ क्लीं काम देवाय नमः” मंत्र का नियमित रूप से जाप करें।
  4. क्या यह विधि केवल प्रेम संबंधों के लिए है?
    मुख्य रूप से प्रेम संबंधों के लिए है, लेकिन यह अन्य रिश्तों को भी सुदृढ़ बना सकती है।
  5. लाल धागा बांधने के बाद क्या कोई विशेष उपाय करना चाहिए?
    धागा बांधने के बाद, अपने प्रेम संबंधों में सुधार के लिए मानसिक रूप से सकारात्मक सोच रखें।
  6. क्या यह तंत्र विधि कारगर होती है?
    हां, यह विधि बहुत प्रभावी मानी जाती है जब सही मूहूर्त में की जाती है।
  7. क्या इसे महिलाएं भी बांध सकती हैं?
    हां, यह विधि महिलाएं भी कर सकती हैं।

64 Yogini Sadhana Shivir for Miraculous Life Transformation

64 Yogini Sadhana Shivir for Miraculous Life Transformation

64 योगिनी साधना शिविर – तांत्रिक शक्तियों का दिव्य जागरण

दिनांक: 28-29 जून 2025
स्थान: दिव्ययोग आश्रम

64 Yogini Sadhana Shivir हज़ारों वर्षों से गोपनीय रही 64 योगिनी साधना अब आपके लिए सुलभ हो रही है। यह अत्यंत दुर्लभ 64 योगिनी साधना शिविर तांत्रिक जगत की महानतम अनुभूति है। शिविर में शामिल होकर साधक दिव्य शक्तियों की कृपा प्राप्त कर सकते हैं, जो जीवन की हर कठिनाई को दूर करती हैं।


64 योगिनी साधना शिविर के दुर्लभ लाभ

  1. परिवार की सुरक्षा और शांति
  2. नौकरी व व्यापार में स्थिरता
  3. अदृश्य शत्रुओं से मुक्ति
  4. तांत्रिक हमलों से रक्षा
  5. नजर बाधा से सुरक्षा
  6. आर्थिक तंगी से छुटकारा
  7. जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन
  8. आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि
  9. मानसिक शांति और संतुलन
  10. रोग और भय से मुक्ति
  11. जीवन की बाधाओं का निवारण
  12. आध्यात्मिक शक्ति का जागरण
  13. बुरी आदतों से छुटकारा
  14. पुरानी कर्ज़ से मुक्ति
  15. संतान सुख की प्राप्ति
  16. विद्या व बुद्धि की वृद्धि
  17. समाज में मान-सम्मान में वृद्धि
  18. पारिवारिक कलह से मुक्ति
  19. यौन विकारों से मुक्ति
  20. आध्यात्मिक लक्ष्य की प्राप्ति

कौन इस 64 योगिनी साधना शिविर में भाग ले सकता है?

इस दिव्य 64 योगिनी साधना शिविर में कोई भी स्त्री या पुरुष, जो 20 वर्ष से ऊपर हो, भाग ले सकता है। यह शिविर उन सभी के लिए उपयुक्त है जो जीवन की समस्याओं से मुक्ति चाहते हैं, तंत्र बाधा से परेशान हैं या तांत्रिक ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं।


ऑनलाइन या ऑफलाइन – दोनों का विकल्प

साधक इस 64 योगिनी साधना शिविर में स्वयं दिव्ययोग आश्रम आकर या ऑनलाइन माध्यम से भी भाग ले सकते हैं। ऑनलाइन भाग लेने वालों को साधना सामग्री पोस्ट के माध्यम से भेजी जाएगी।


दिव्ययोग आश्रम द्वारा प्रदान की जाने वाली सिद्ध साधना सामग्री:

  • 64 योगिनी सिद्ध माला
  • 64 योगिनी यंत्र
  • सिद्ध पारद गुटिका
  • देवी आसन
  • रक्षा सूत्र
  • सिद्ध कौड़ी
  • सफेद, काली और लाल चिरमी दाना
  • 64 योगिनी कवच
  • 275 पेज की विस्तृत ई-बुक – “64 योगिनी रहस्य”

सभी सामग्री सिद्ध एवं शक्तिपात युक्त होगी।


शिविर में भाग लेने के नियम:

  • उम्र 20 वर्ष या उससे अधिक हो।
  • स्त्री व पुरुष दोनों भाग ले सकते हैं।
  • नीले और काले कपड़े न पहनें।
  • धूम्रपान, शराब एवं मांसाहार से पूर्ण रूप से दूर रहें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है।

सिद्ध यंत्र व कवच की प्राप्ति:

शिविर की साधना पूर्ण करने के बाद सभी ऑनलाईन साधकों को 64 योगिनी सिद्ध सामग्री शक्तिशाली कवच के साथ प्रदान की जायेगी। यह जीवन की रक्षा और कार्य सिद्धि में सहायक होगा।

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64 योगिनी साधना शिविर से जुड़े प्रमुख प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: क्या साधना का कोई पूर्व अनुभव जरूरी है?

उत्तर: नहीं। यह शिविर सभी साधकों के लिए है, चाहे वह प्रारंभिक हों या अनुभवी। मार्गदर्शन पूरे शिविर में मिलेगा।

प्रश्न 2: क्या महिलाएँ भाग ले सकती हैं?

उत्तर: हाँ। स्त्रियाँ पूर्ण श्रद्धा और नियमों का पालन करते हुए शिविर में भाग ले सकती हैं।

प्रश्न 3: ऑनलाइन भाग लेने वाले साधकों को क्या मिलेगा?

उत्तर: उन्हें संपूर्ण सिद्ध सामग्री पोस्ट द्वारा भेजी जाएगी, और लाइव गाइडेंस उपलब्ध होगा।

प्रश्न 4: क्या शिविर में रात्रि साधना भी होगी?

उत्तर: हाँ, रात्रिकालीन रहस्यपूर्ण 64 योगिनी ध्यान साधना कराई जाएगी।

प्रश्न 5: क्या यह साधना परिवारिक समस्याओं के लिए लाभदायक है?

उत्तर: बिल्कुल। यह साधना परिवार की सुरक्षा, सुख और समृद्धि में सहायक होती है।

प्रश्न 6: क्या साधना के बाद ऊर्जा में बदलाव अनुभव होता है?

उत्तर: हाँ, कई साधक ऊर्जा, स्पष्टता और आत्मबल में वृद्धि अनुभव करते हैं।

प्रश्न 7: यदि कोई नियम भंग हो जाए तो क्या होगा?

उत्तर: साधना में संयम जरूरी है। नियम तोड़ने पर साधना का फल कम हो सकता है।

प्रश्न 8: क्या साधना के दौरान मौन रहना जरूरी है?

उत्तर: साधना के समय आंतरिक मौन बनाए रखना श्रेष्ठ होता है। यह मन को एकाग्र करता है।

प्रश्न 9: क्या कोई विशेष भोजन व्यवस्था है?

उत्तर: दिव्ययोग आश्रम में सात्विक भोजन की व्यवस्था होगी। ऑनलाइन साधक घर पर वही भोजन करें।

प्रश्न 10: क्या साधना के समय किसी वस्त्र विशेष का प्रयोग जरूरी है?

उत्तर: साधक सफेद, लाल या पीले वस्त्र पहन सकते हैं। नीला व काला निषेध है।

प्रश्न 11: क्या इस साधना से धन संबंधी समस्याओं में लाभ मिलेगा?

उत्तर: हाँ, यह साधना आर्थिक सुरक्षा व धनागमन में सहायक है।

प्रश्न 12: शिविर के बाद साधना कैसे आगे बढ़ाएं?

उत्तर: ई-बुक में विस्तार से बताया गया है। साथ ही गुरुदेव का मार्गदर्शन मिलेगा।


यह 64 योगिनी साधना शिविर केवल एक साधना नहीं, एक दिव्य अनुभव है। इस अवसर को न गंवाएं। अभी पंजीकरण कराएं और जीवन को दुर्लभ शक्ति से भर दें।

Sadhana Shivir Booking

📞 संपर्क: 8652439844 / 7710812329

Unlocking the Divine Secrets of Shrivatsa Chest Symbol

Unlocking the Divine Secrets of Shrivatsa Chest Symbol

श्रीवत्स मुद्रा का रहस्यमय महत्व: एक आध्यात्मिक यात्रा

Shrivatsa Chest Symbol हिंदू धर्म और भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं में कुछ प्रतीक और चिह्न इतने दिव्य माने जाते हैं कि वे स्वयं ईश्वर के साक्षात स्वरूप को दर्शाते हैं। ऐसे ही एक चिह्न का नाम है – श्रीवत्स मुद्रा। यह कोई साधारण आकृति नहीं, बल्कि दिव्यता, प्रेम, शक्ति और भक्ति का सूक्ष्म संदेश है। यह लेख आपको श्रीवत्स के रहस्य, उसका महत्व और उसकी आध्यात्मिक शक्ति की यात्रा पर लेकर चलेगा।


श्रीवत्स क्या है?

श्रीवत्स एक विशेष चिह्न है जो आमतौर पर भगवान विष्णु और उनके अवतारों के वक्षस्थल पर अंकित दिखता है। यह एक उल्टे प्रश्नचिह्न जैसी आकृति होती है या कभी-कभी यह एक जल की लहर जैसी घुमावदार आकृति के रूप में दर्शाई जाती है।


आध्यात्मिक अर्थ

  • “श्री” का अर्थ है लक्ष्मी, समृद्धि, शुभता और देवी शक्ति।
  • “वत्स” का अर्थ है प्रिय या पुत्र।
    श्रीवत्स का भाव है – वह चिह्न जो लक्ष्मी के प्रिय का प्रतीक है, यानी भगवान विष्णु का।

यह संकेत करता है कि ईश्वर के हृदय में श्री अर्थात् मां लक्ष्मी हमेशा वास करती हैं। इसलिए यह चिन्ह भक्ति, समर्पण, संरक्षण और आध्यात्मिक प्रेम का प्रतिनिधित्व करता है।


श्रीवत्स का पौराणिक संदर्भ

  • भगवान विष्णु के हृदय पर यह चिह्न सदा अंकित रहता है, यह दर्शाता है कि दिव्यता और प्रेम एक साथ चलते हैं।
  • भगवान श्रीकृष्ण, राम, और नारायण अवतारों में भी यह चिह्न स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
  • वैष्णव परंपरा में इसे ईश्वर के हृदय का रहस्य माना जाता है।

श्रीवत्स और ऊर्जा विज्ञान

  • आध्यात्मिक दृष्टि से श्रीवत्स हृदय चक्र (अनाहत चक्र) का जागरण करता है।
  • यह प्रेम, करुणा, संतुलन और ब्रह्म चेतना से जोड़ता है।
  • ध्यान के समय यदि कोई श्रीवत्स को दृष्टि में लाए, तो वह गहरी आंतरिक शांति और ईश्वरीय प्रेम का अनुभव कर सकता है।

चिह्न का प्रयोग

  • श्रीवत्स को ध्यान साधना, कवच, यंत्र, या वास्तु में शुभ चिह्न के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
  • यह चिह्न मानसिक अशांति, हृदय संबंधी समस्याएं और प्रेम में असंतुलन को ठीक करने में सहायक माना जाता है।

श्रीवत्स के लाभ (Benefits of Shrivatsa Symbol)

  1. हृदय चक्र को सक्रिय करता है
  2. देवी-देवता की कृपा को आकर्षित करता है
  3. समृद्धि और सौभाग्य को बढ़ाता है
  4. मानसिक शांति और संतुलन देता है
  5. आध्यात्मिक उन्नति में सहायक
  6. वैवाहिक प्रेम और संबंधों को मजबूत करता है
  7. घर या कार्यस्थल में सकारात्मक ऊर्जा लाता है
  8. भूत-प्रेत बाधाओं से रक्षा करता है
  9. ध्यान में गहराई लाता है
  10. आत्मा और परमात्मा के बीच संबंध मजबूत करता है

श्रीवत्स ध्यान विधि

मंत्र:
“ॐ श्रीवत्सधाराय नमः”

विधि:

  1. शांत स्थान पर बैठ जाएं।
  2. श्रीवत्स का चित्र या मूर्ति सामने रखें।
  3. आंखें बंद करके 108 बार ऊपर दिए मंत्र का जप करें।
  4. हृदय चक्र पर ध्यान केंद्रित करें।
  5. ईश्वर से प्रेम, करुणा और शक्ति की अनुभूति करें।

श्रीवत्स से जुड़ी मान्यताएं

  • यह चिह्न भविष्य में आने वाले संकटों से रक्षा करता है।
  • जिन लोगों के जीवन में प्रेम, भक्ति और स्थिरता की कमी हो, उन्हें यह चिह्न अपने पास रखना चाहिए।
  • वैष्णव संतों द्वारा यह चिह्न शरीर पर धारण करने की परंपरा रही है।

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श्रीवत्स केवल एक धार्मिक चिह्न नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है। यह प्रेम, भक्ति और आत्मिक ऊर्जा को जाग्रत करता है। यदि आप भी अपने जीवन में ईश्वरीय ऊर्जा को महसूस करना चाहते हैं, तो श्रीवत्स ध्यान या उसका चिन्ह अपने जीवन में जरूर जोड़ें।

Awaken Your Kundalini Through Meditation

Awaken Your Kundalini Through Meditation

जब ध्यान से खुलता है शक्ति का द्वार

Kundalini Through Meditation आज के तेज़ और तनावपूर्ण जीवन में शांति, ऊर्जा और आत्मज्ञान की खोज हर व्यक्ति को है। इसके लिए ध्यान (Meditation) एक प्रभावशाली साधन है। लेकिन जब ध्यान का उपयोग कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत करने के लिए किया जाता है, तब यह न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि आध्यात्मिक जागरण की दिशा में भी आपको ले जाता है।

कुंडलिनी ध्यान कोई साधारण ध्यान प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह आत्मा के सुप्त रहस्यों को जगाने का एक दिव्य साधन है।


कुंडलिनी क्या है? – एक रहस्यमयी शक्ति

कुंडलिनी एक सुप्त आध्यात्मिक ऊर्जा है, जो हर मानव के भीतर मूलाधार चक्र (Root Chakra) में सर्प के समान कुंडली मारे हुई होती है। योग और ध्यान के माध्यम से जब यह ऊर्जा जागती है, तो यह सातों चक्रों (मूलाधार से सहस्रार तक) को पार करती हुई व्यक्ति को दिव्यता, आत्मज्ञान और मानसिक जागरूकता की चरम सीमा तक ले जाती है।


ध्यान से कुंडलिनी को जाग्रत क्यों करें?

क्योंकि ध्यान आपके मस्तिष्क को शांत करता है, मन को केंद्रित करता है और भीतर की ऊर्जा को जगाने का सबसे शुद्ध और सरल मार्ग प्रदान करता है। कुंडलिनी को जब ध्यान से जाग्रत किया जाता है, तो यह प्रक्रिया स्थायी, संतुलित और सुरक्षित रहती है।


ध्यान द्वारा कुंडलिनी जागरण के लाभ

क्रमलाभ
1मानसिक तनाव और अवसाद का नाश
2चित्त की एकाग्रता और स्थिरता
3आत्मबल और आत्मविश्वास की वृद्धि
4सूक्ष्म इंद्रियों की जागृति
5अंतर्ज्ञान (Intuition) का विकास
6थर्ड आई (आज्ञा चक्र) का सक्रिय होना
7आध्यात्मिक अनुभव और आत्मसाक्षात्कार
8शरीर की ऊर्जा का संतुलन
9भय, भ्रम और नकारात्मकता से मुक्ति
10दिव्य शक्तियों का अनुभव

ध्यान द्वारा कुंडलिनी जागरण की विधि

समय: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4–6 बजे)
स्थान: शांत, स्वच्छ और ऊर्जावान वातावरण
वस्त्र: ढीले, सूती और आरामदायक
आसन: सिद्धासन / पद्मासन / सुखासन

1: शरीर और मन की तैयारी

  • कुछ मिनट गहरी श्वास लें – 4 सेकंड में लें, 4 सेकंड रोकें, 4 सेकंड में छोड़ें।
  • विचारों को धीरे-धीरे शांत करें।

2: मूलाधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करें

  • रीढ़ की हड्डी के सबसे निचले भाग पर ध्यान लगाएं।
  • कल्पना करें कि वहाँ एक लाल रंग की ऊर्जा घूम रही है।

3: मंत्र जप

मंत्र:
🔹 “ॐ क्रीं कुंडलिनी स्वाहा” या
🔹 “ॐ ह्रीं नमः कुंडलिनी जाग्रय जाग्रय स्वाहा”

इस मंत्र को 108 बार मानसिक रूप से जपें।

4: ऊर्जा का आरोहण अनुभव करें

  • कल्पना करें कि एक ज्योति रूपी शक्ति आपकी रीढ़ में ऊपर चढ़ रही है।
  • वह शक्ति एक-एक कर सभी चक्रों को स्पर्श करती जा रही है।

5: ध्यान की स्थिति में स्थिर हो जाएं

  • जब मंत्र जप पूर्ण हो जाए, तब कुछ मिनटों तक शांत बैठें।
  • ऊर्जा को अपने भीतर महसूस करें।

कुंडलिनी ध्यान करते समय सावधानियाँ

  1. यह साधना धीरे-धीरे करें, जल्दबाज़ी न करें।
  2. किसी योग्य गुरु से मार्गदर्शन प्राप्त करें।
  3. साधना के दौरान यदि शारीरिक या मानसिक असंतुलन महसूस हो तो कुछ दिन रुक जाएं।
  4. सात्विक भोजन और संयमित जीवनशैली बनाए रखें।
  5. कोई नकारात्मक विचार या भावना हो तो उसे तुरंत त्यागें।

विज्ञान और कुंडलिनी ध्यान

आधुनिक न्यूरोसाइंस के अनुसार ध्यान से मस्तिष्क की बीटा वेव्स कम होकर अल्फा और थीटा वेव्स में परिवर्तित हो जाती हैं – यही स्थिति कुंडलिनी जागरण के समय होती है। यह न केवल आध्यात्मिक जागरण है, बल्कि मानसिक पुनर्जन्म की प्रक्रिया भी है।

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Katyayani kumbh vivah pujan

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सात चक्र

चक्रभावरंगशक्ति
मूलाधारसुरक्षालालआधार
स्वाधिष्ठानरचनात्मकतानारंगीकाम
मणिपुरआत्मबलपीलाइच्छाशक्ति
अनाहतप्रेमहराकरुणा
विशुद्धअभिव्यक्तिनीलासंप्रेषण
आज्ञाअंतर्ज्ञानबैंगनीदृष्टि
सहस्रारब्रह्मज्ञानश्वेतआत्मसाक्षात्कार

ध्यान से जागती है आपकी आत्म-शक्ति

ध्यान के माध्यम से कुंडलिनी शक्ति का जागरण न केवल आध्यात्मिक विकास का मार्ग है, बल्कि यह आधुनिक जीवन की जटिलताओं से मुक्ति का उपाय भी है। यह साधना हर उस व्यक्ति के लिए उपयुक्त है जो जीवन में स्थायित्व, ऊर्जा और आत्मज्ञान चाहता है।

कुंडलिनी ध्यान अपनाएं – और जानें अपने भीतर छिपे ब्रह्मांड को।

The Power of Kundalini in Modern Life

The Power of Kundalini in Modern Life

कुंडलिनी शक्ति जागरण से पाएँ सफलता, शांति और आत्मबल

आज के तेज़ और तनावपूर्ण जीवन में मानसिक शांति, आत्मबल और ऊर्जा की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। विज्ञान और तकनीक ने भले ही जीवन को सुविधाजनक बना दिया हो, लेकिन आंतरिक शांति और आत्म-साक्षात्कार के लिए लोगों का झुकाव फिर से आध्यात्मिकता की ओर हो रहा है। ऐसे में “कुंडलिनी शक्ति” एक रहस्यमयी लेकिन अत्यंत प्रभावशाली शक्ति के रूप में उभर रही है।


कुंडलिनी क्या है? – एक परिचय

कुंडलिनी एक सुप्त आध्यात्मिक ऊर्जा है, जो प्रत्येक मनुष्य के मूलाधार चक्र (spinal base) में सर्प की भांति कुण्डली मारकर स्थित रहती है। योग और ध्यान के माध्यम से जब यह ऊर्जा जाग्रत होती है, तो यह शरीर में स्थित सात चक्रों (Muladhara to Sahasrara) को पार करते हुए व्यक्ति को आत्मज्ञान, चमत्कारी शक्तियों और दिव्य अनुभूतियों की ओर ले जाती है।


आधुनिक जीवन में कुंडलिनी की आवश्यकता क्यों?

  1. तनाव मुक्ति और मानसिक स्थिरता
    कुंडलिनी जागरण से व्यक्ति का मस्तिष्क संतुलित होता है। यह चिंता, अवसाद, और मानसिक अस्थिरता को दूर करता है।
  2. ऊर्जा का संचार
    इससे शरीर और मन में एक नई ऊर्जा का प्रवाह होता है जो दैनिक कार्यों को अधिक प्रभावशाली बनाता है।
  3. एकाग्रता और स्मरण शक्ति में वृद्धि
    विद्यार्थियों, प्रोफेशनल्स और शोधकर्ताओं के लिए कुंडलिनी साधना ध्यान और एकाग्रता को अत्यधिक बढ़ाने वाली सिद्ध होती है।
  4. रचनात्मकता का विकास
    यह ऊर्जा आपके सृजनात्मक पक्ष को जाग्रत करती है – चाहे आप लेखक हों, कलाकार हों या व्यवसायी।
  5. अंतरदृष्टि और आत्मबोध
    कुंडलिनी आपको आपके भीतर के सूक्ष्म सत्य और आत्मा की यात्रा की ओर ले जाती है।

कुंडलिनी के जागरण के चरण

  1. शारीरिक और मानसिक शुद्धि
    इससे पहले कि कुंडलिनी जागे, शरीर और मन का शुद्ध होना आवश्यक होता है। इसके लिए प्राणायाम, ब्रह्मचर्य और सात्विक जीवन शैली अपनाना आवश्यक है।
  2. चक्रों का संतुलन और ध्यान
    सात चक्रों को संतुलित करने के लिए विशेष ध्यान, बीज मंत्र और मुद्रा का अभ्यास किया जाता है।
  3. गुरु का मार्गदर्शन
    कुंडलिनी जागरण एक अत्यंत संवेदनशील प्रक्रिया है, जो योग्य गुरु के मार्गदर्शन में ही सुरक्षित रूप से की जानी चाहिए।

लाभ

लाभविवरण
मानसिक शांतिगहरी ध्यान अवस्था में मन शुद्ध होता है
आत्मविश्वासभीतर से स्थायित्व और आत्मबल प्राप्त होता है
इंद्रियों पर नियंत्रणवासनात्मक विचारों पर विजय मिलती है
स्वास्थ्य लाभनाड़ी शुद्धि से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है
आध्यात्मिक उन्नतिईश्वर के प्रति अनुभव सशक्त होता है

कुंडलिनी साधना की आसान विधि

समय: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे)
स्थान: शांत और स्वच्छ वातावरण
विधि:

  1. कमर सीधी रखते हुए पद्मासन या सिद्धासन में बैठें।
  2. आँखें बंद करके गहरी श्वास लें।
  3. “ॐ क्रीं कुंडलिनी स्वाहा” का 108 बार जप करें।
  4. ध्यान मूलाधार चक्र पर केंद्रित करें और कल्पना करें कि ऊर्जा ऊपर उठ रही है।
  5. प्रतिदिन 21 मिनट तक इस साधना को करें।

सावधानियाँ

  • बिना गुरु के मार्गदर्शन के कुंडलिनी साधना में जोखिम हो सकता है।
  • मानसिक असंतुलन या भावनात्मक अस्थिरता के लक्षण दिखें तो साधना तुरंत रोक दें।
  • इसे दिखावे या तामसिक शक्ति के लिए न करें, यह एक अत्यंत पवित्र आध्यात्मिक यात्रा है।

कुंडलिनी और चक्र

  1. मूलाधार (Root Chakra) – स्थिरता और सुरक्षा
  2. स्वाधिष्ठान (Sacral Chakra) – रचनात्मकता और काम ऊर्जा
  3. मणिपुर (Solar Plexus) – आत्मबल और निर्णय
  4. अनाहत (Heart Chakra) – प्रेम और करुणा
  5. विशुद्ध (Throat Chakra) – संप्रेषण और सत्य
  6. आज्ञा (Third Eye Chakra) – अंतर्दृष्टि और ज्ञान
  7. सहस्रार (Crown Chakra) – ब्रह्मज्ञान और आत्म-साक्षात्कार

आधुनिक विज्ञान और कुंडलिनी

आज के युग में न्यूरोसाइंस भी इस बात की पुष्टि कर रहा है कि गहरी ध्यान अवस्था में मस्तिष्क की तरंगों (brain waves) में परिवर्तन होता है, जिससे व्यक्ति अधिक जागरूक, सकारात्मक और मानसिक रूप से मजबूत बनता है। कुंडलिनी जागरण से मस्तिष्क के सुप्त भाग सक्रिय होते हैं।

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कुंडलिनी – आधुनिक जीवन के लिए दिव्य वरदान

कुंडलिनी शक्ति केवल एक तांत्रिक या योगिक धारणा नहीं है, बल्कि यह एक वैज्ञानिक, मानसिक और आत्मिक प्रक्रिया है जो आज के जीवन में अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रही है। इसका जागरण हर व्यक्ति के भीतर छिपी अनंत संभावनाओं को उजागर करता है। जो व्यक्ति आत्म-प्रकाश की खोज में है, उसके लिए कुंडलिनी साधना एक अमूल्य साधन है।

Navarna Prayog- Remove Enemy Obstacles Using Mustard & Iron Ritual

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शत्रु बाधा दूर करने के लिए लोहे और सरसों का अचूक तांत्रिक प्रयोग

Navarna Prayog भारतीय तंत्रशास्त्र में लोहे और सरसों को विशेष रूप से शत्रु बाधा, नजर दोष और तांत्रिक आक्रमण से रक्षा के लिए प्रयोग किया जाता है। लोहा नकारात्मक ऊर्जा को काटने वाला तत्व है जबकि सरसों, विशेषतः पीली सरसों, शुद्धिकरण और रक्षा के लिए उपयोगी मानी जाती है। यह प्रयोग विशेष रूप से शनिवार या अमावस्या की रात को करने से अत्यधिक प्रभावी होता है। इस प्रयोग से शत्रुओं की योजना निष्फल होती है, डर और अज्ञात भय समाप्त होते हैं, और घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।


प्रयोग विधि

सामग्री:

  • एक पुराना लोहे का टुकड़ा (लोहे की कील/छोटा औजार)
  • एक मुट्ठी पीली सरसों
  • काला कपड़ा
  • हनुमान या भैरव मंदिर की पवित्र भस्म (यदि उपलब्ध हो)
  • एक दीपक और तिल का तेल

मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ||
सर्वोत्तम समय:

  • शनिवार की रात
  • या अमावस्या/कालाष्टमी की रात
  • समय: रात्रि 9 बजे के बाद या मध्यरात्रि में

विधि

  1. एकांत व शांत स्थान पर पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  2. लोहे का टुकड़ा और पीली सरसों को सामने रखें।
  3. काले कपड़े पर यह सामग्री रखें और ऊपर से थोड़ी भस्म छिड़कें।
  4. दीपक जलाकर उपरोक्त मंत्र का 108 बार जप करें।
  5. पूजा के बाद वह काला कपड़ा बांधकर किसी सुनसान चौराहे या पीपल वृक्ष की जड़ में छोड़ आएं। पीछे मुड़कर न देखें।

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प्रमुख लाभ

  1. शत्रुओं से तुरंत राहत मिलती है।
  2. तांत्रिक बाधाओं से सुरक्षा होती है।
  3. घर में झगड़े, विवाद और कानूनी समस्याएँ शांत होती हैं।
  4. नजर दोष का निवारण होता है।
  5. नींद में डरावने सपने आना बंद होता है।
  6. व्यापारिक प्रतिस्पर्धा में विजय प्राप्त होती है।
  7. कोर्ट-कचहरी में निर्णय अनुकूल आता है।
  8. सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
  9. मानसिक तनाव कम होता है।
  10. आत्मबल और साहस में वृद्धि होती है।
  11. तांत्रिक बंधन टूटते हैं।
  12. भय और भ्रम की स्थिति समाप्त होती है।
  13. घर में शांति और समृद्धि आती है।
  14. दुश्मनों के कुत्सित प्रयास निष्फल होते हैं।
  15. साधक का आत्मिक बल जागृत होता है।

सामान्य प्रश्न

प्र.1: क्या यह प्रयोग कोई भी कर सकता है?
उ: हाँ, लेकिन शुद्धता और नियमों का पालन आवश्यक है।

प्र.2: क्या इसे बार-बार करना चाहिए?
उ: शत्रु बाधा ज्यादा हो तो महीने में 1 बार करें।

प्र.3: क्या महिलाएं यह प्रयोग कर सकती हैं?
उ: हाँ, लेकिन मासिक धर्म के समय न करें।

प्र.4: क्या कोई विशेष दिशा में इसे छोड़ना चाहिए?
उ: दक्षिण दिशा या चौराहा सर्वोत्तम है।

प्र.5: अगर पीपल ना मिले तो क्या करें?
उ: किसी सुनसान स्थान या चौराहे पर रखें।

प्र.6: क्या दीपक बुझने पर प्रयोग विफल होता है?
उ: नहीं, मंत्र जाप मुख्य है।

प्र.7: क्या इसे घर के अंदर भी कर सकते हैं?
उ: मंत्र जाप घर में कर सकते हैं, पर सामग्री बाहर ही विसर्जित करें।