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Ancient Practices to Activate Kundalini

Ancient Practices to Activate Kundalini

प्राचीन विधियाँ: कुंडलिनी शक्ति जागरण के रहस्य

Activate Kundalini भारत की तांत्रिक और योग परंपरा में कुंडलिनी जागरण को आध्यात्मिक विकास की चरम अवस्था माना गया है। यह मानव शरीर में स्थित सुप्त शक्तियों को जगाकर आत्मबोध, ब्रह्मज्ञान और दिव्य शक्तियों की प्राप्ति का मार्ग है। प्राचीन ऋषियों, तांत्रिकों और योगियों ने कुछ विशेष साधनाओं, आसनों, मंत्रों और आहार विधियों के माध्यम से इस शक्ति को सक्रिय करने के रहस्य बताए हैं।


कुंडलिनी क्या है?

कुंडलिनी एक सुप्त दिव्य शक्ति है जो मूलाधार चक्र (रीढ़ की हड्डी के आधार पर स्थित) में सर्प के समान कुण्डली मारकर सोई होती है। जब यह शक्ति जाग्रत होती है, तो यह सुषुम्ना नाड़ी से होकर सहस्रार चक्र तक चढ़ती है, जिससे साधक को दिव्य अनुभूतियाँ, शक्तियाँ और मोक्ष प्राप्त होता है।


प्राचीन विधियाँ

1. त्राटक साधना

  • बिंदु या लौ पर स्थिर दृष्टि लगाने की विधि
  • तीसरे नेत्र की सक्रियता और मानसिक अवरोधों का नाश
  • नियमित त्राटक कुंडलिनी ऊर्जा को गति देता है

2. प्राणायाम

  • नाड़ी शुद्धि, कपालभाति, अनुलोम-विलोम
  • प्राणशक्ति का जागरण और शरीर में ऊर्जा का संतुलन
  • विशेषतः भस्त्रिका प्राणायाम कुंडलिनी के लिए अति प्रभावशाली

3. मंत्र शक्ति

  • ॐ नमः शिवाय’, ‘ह्रीं’, ‘क्लीं’, और बीज मंत्र का जाप
  • ध्वनि और कंपन के माध्यम से सूक्ष्म शरीर को जाग्रत करना
  • गुरु द्वारा दीक्षित कुंडलिनी बीज मंत्र सर्वोत्तम

4. योगासनों का अभ्यास

  • सर्पासन, भुजंगासन, शीर्षासन, पद्मासन
  • मेरुदंड को सक्रिय करना और ऊर्जा मार्ग खोलना
  • नियमित योगासन से कुंडलिनी मार्ग शुद्ध होता है

5. मूलबंध और बंध क्रियाएँ

  • मूलबंध (गुदा संकोचन), उड्डीयान बंध, जालंधर बंध
  • कुंडलिनी को मूलाधार से ऊपर खींचने की तकनीक
  • यह ऊर्जा को स्थिर और ऊर्ध्वगामी बनाते हैं

6. शिव-शक्ति ध्यान

  • शिव और शक्ति की एकता का ध्यान
  • “शिवोहम” और “सोऽहम” ध्यान विधियाँ
  • ऊर्जा को ब्रह्मरंध्र की ओर निर्देशित करने की शक्ति

7. नाद योग और मंत्र ध्वनि

  • आंतरिक ध्वनियों (अनाहत नाद) को सुनने की साधना
  • नाद ब्रह्म – ध्वनि से ब्रह्म तक की यात्रा
  • कुंडलिनी जागरण के लिए शक्तिशाली साधन

कुंडलिनी जागरण के लक्षण

  • शरीर में कंपन और ऊर्जा की अनुभूति
  • स्वप्नों में दिव्य दर्शन
  • तीसरे नेत्र में कंपन या प्रकाश
  • भावनात्मक उतार-चढ़ाव
  • अंतर्यात्रा और ब्रह्मांडीय चेतना से संपर्क

शुभ मुहूर्त और नियम

  • सर्वोत्तम समय: ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 3 से 5 बजे)
  • स्थल: शांत, पवित्र और एकांत स्थान
  • नियम: ब्रह्मचर्य, सात्विक भोजन, संयम, गुरु आज्ञा

सावधानियाँ

  • बिना गुरु मार्गदर्शन के उन्नत साधना न करें
  • मानसिक या शारीरिक अस्थिरता में इस अभ्यास से बचें
  • कभी भी जबरदस्ती या शक्ति से कुंडलिनी को जगाने का प्रयास न करें

लाभ

  • आध्यात्मिक ज्ञान और आत्मबोध
  • चमत्कारी मानसिक व शारीरिक शक्तियाँ
  • भय, चिंता, मोह और भ्रम से मुक्ति
  • साक्षात् ईश्वर अनुभव और समाधि
  • रोग, शत्रु और बाधाओं से रक्षा
  • दिव्य दृष्टि और सहज भविष्य ज्ञान

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1: क्या कुंडलिनी जागरण खतरनाक है?

उत्तर: बिना मार्गदर्शन यह मानसिक और शारीरिक असंतुलन उत्पन्न कर सकता है, लेकिन सही साधना से यह अत्यंत शुभ फलदायक है।

Q2: क्या कुंडलिनी हर किसी में होती है?

उत्तर: हां, हर व्यक्ति में यह सुप्त रूप में विद्यमान होती है।

Q3: जागरण के लिए कितना समय लगता है?

उत्तर: यह साधक की निष्ठा, अभ्यास और पूर्व जन्मों के संस्कारों पर निर्भर करता है।

Q4: क्या महिलाएं भी कुंडलिनी साधना कर सकती हैं?

उत्तर: हाँ, यह शक्ति तो स्वयं आदि-शक्ति का रूप है, महिलाएं भी इसे पूर्ण रूप से साध सकती हैं।

Q5: क्या कुंडलिनी जागरण से भविष्य दृष्टि प्राप्त हो सकती है?

उत्तर: हां, यदि साधक उच्च अवस्था में पहुँचता है तो दिव्य दृष्टि जाग्रत हो सकती है।

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अंत मे

कुंडलिनी जागरण कोई साधारण प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह आत्मा को ब्रह्म से मिलाने की एक दिव्य यात्रा है। प्राचीन भारत की तांत्रिक परंपरा, योग, ध्यान और मंत्र विज्ञान – ये सब इस पथ पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं। यदि आप भी इस दिव्यता की ओर बढ़ना चाहते हैं, तो गुरु मार्गदर्शन में इन प्राचीन साधनाओं का अभ्यास करें।


Kamakhya Sindoor & Clove Ritual for Instant Wealth

कामख्या सिंदूर और लौंग से धन वर्षा की साधना

Kamakhya Sindoor & Clove कामख्या देवी तांत्रिक परंपरा की एक अत्यंत जाग्रत और सजीव शक्ति हैं। उनकी कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। यह साधना खासकर धन, समृद्धि, व्यापार उन्नति और दरिद्रता से मुक्ति के लिए की जाती है। कामख्या सिंदूर को तंत्रों में अति प्रभावशाली माना गया है और जब इसे लौंग के साथ संयुक्त कर एक विशेष विधान में प्रयोग किया जाए, तो यह आर्थिक वर्षा करने में सक्षम होता है। यह प्रयोग केवल साधना काल में ही नहीं, बल्कि व्यापार स्थल या गुप्त धन प्राप्ति हेतु भी किया जा सकता है।


लाभ

  1. अचानक धन प्राप्ति के योग बनते हैं
  2. रुका हुआ पैसा वापस आता है
  3. व्यापार में लाभ बढ़ता है
  4. नये आय स्रोत खुलते हैं
  5. दरिद्रता से मुक्ति मिलती है
  6. ग्रह दोषों के कारण हो रही हानि समाप्त होती है
  7. नौकरी में पदोन्नति के अवसर बढ़ते हैं
  8. धन हानि के योग समाप्त होते हैं
  9. गुप्त रूप से धन प्राप्ति संभव
  10. आकर्षण और सम्मान की प्राप्ति
  11. देवी की कृपा से घर में सुख-शांति आती है
  12. पुरानी कर्ज से मुक्ति
  13. लक्ष्मी स्थिर होकर निवास करती हैं
  14. कोर्ट केस या विवादों में धन लाभ होता है
  15. नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है

साधना मुहूर्त

  • दिन: मंगलवार, शुक्रवार या अमावस्या
  • समय: रात 10:00 बजे से 12:00 बजे के बीच
  • स्थान: पूजा कक्ष या गुप्त साधना स्थल

साधना विधि

  1. स्नान कर लाल वस्त्र धारण करें।
  2. लकड़ी के पाट पर लाल कपड़ा बिछाएं।
  3. उस पर देवी कामख्या की तस्वीर रखें।
  4. सामने एक तांबे की थाली में थोड़ी सी हल्दी, लौंग (11 नग) और कामख्या सिंदूर रखें।
  5. दीपक में तिल का तेल और लौंग डालकर जलाएं।
  6. अब “ॐ क्लीं क्लीं कामख्या क्लीं वषट्” मंत्र का 108 बार जप करें।
  7. जप के बाद देवी को लौंग और सिंदूर अर्पण करें।
  8. यह साधना 11 दिन तक लगातार करें।
  9. अंतिम दिन एक पीले वस्त्र में 1 लौंग, थोड़ा सिंदूर और 1 सिक्का बांधकर तिजोरी में रखें।

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महत्वपूर्ण पृश्न उत्तर

  1. प्रश्न: क्या यह उपाय पुरुष और स्त्री दोनों कर सकते हैं?
    उत्तर: हाँ, यह साधना सभी के लिए फलदायी है।
  2. प्रश्न: क्या व्रत रखना आवश्यक है?
    उत्तर: इच्छानुसार व्रत रख सकते हैं, लेकिन अनिवार्य नहीं।
  3. प्रश्न: क्या सिंदूर विशेष होना चाहिए?
    उत्तर: हाँ, कामख्या सिद्ध सिंदूर ही प्रयोग करें।
  4. प्रश्न: लौंग कितनी होनी चाहिए?
    उत्तर: प्रतिदिन 11 लौंग का प्रयोग करें।
  5. प्रश्न: क्या यह साधना किसी विशेष दिशा में करें?
    उत्तर: उत्तर-पूर्व दिशा सर्वोत्तम मानी गई है।
  6. प्रश्न: मंत्र कितनी बार जपना है?
    उत्तर: प्रतिदिन 108 बार जप करें।
  7. प्रश्न: क्या साधना के बाद हवन आवश्यक है?
    उत्तर: नहीं, केवल अंतिम दिन लौंग की आहुति देना पर्याप्त है।

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1 ₹ का सिक्का और हल्दी से धन बुलाने का चमत्कारी उपाय!

Turmeric And Coin Remedy भारतीय परंपरा में हल्दी और सिक्के को शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। जब एक रुपये का सिक्का और हल्दी को विशेष विधि से प्रयोग किया जाता है, तो यह एक शक्तिशाली तांत्रिक उपाय बन जाता है, जो आर्थिक तंगी, धन की रुकावट और व्यापारिक बाधाओं को दूर करता है। यह प्रयोग बेहद सरल है लेकिन प्रभावशाली है। यह उपाय विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है जो आर्थिक संघर्ष से जूझ रहे हैं और निरंतर धन का प्रवाह चाहते हैं। यह एक पारंपरिक लेकिन सिद्ध और कई बार परखा हुआ प्रयोग है।


इस उपाय के चमत्कारी लाभ

  1. घर में धन का स्थायी प्रवाह बनता है
  2. व्यापार में अचानक लाभ की स्थिति बनती है
  3. आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है
  4. लक्ष्मी कृपा बनी रहती है
  5. खर्चों में संतुलन आता है
  6. पैसों की तंगी में राहत मिलती है
  7. निवेश में लाभ मिलता है
  8. मनोवांछित कार्यों में धन की प्राप्ति
  9. कर्ज से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है
  10. नौकरी में प्रमोशन और इनकम ग्रोथ
  11. सुख-समृद्धि में वृद्धि
  12. सौभाग्य और वैभव की प्राप्ति
  13. धन की हानि से सुरक्षा
  14. कुंडली के आर्थिक दोषों का शमन
  15. आकर्षण और प्रभाव में वृद्धि

शुभ मुहूर्त

  • वार: शुक्रवार, गुरुवार या पूर्णिमा
  • समय: प्रातः 5 बजे से 7 बजे के बीच (ब्रह्ममुहूर्त)
  • स्थान: घर का पूजा स्थान, तिजोरी के समीप या दुकान

प्रयोग की सामग्री

  • 1 रुपये का नया चमकता हुआ सिक्का
  • एक साबुत हल्दी की गांठ
  • लाल या पीला कपड़ा
  • सिंदूर, अक्षत, घी का दीपक
  • चांदी या पीतल की थाली

मंत्र एवं साधना विधि

  1. प्रातः स्नान के बाद शांत मन से उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  2. थाली में लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।
  3. उसके ऊपर हल्दी और 1 रुपये का सिक्का रखें।
  4. हल्दी और सिक्के को सिंदूर, अक्षत और गंगाजल से शुद्ध करें।
  5. दीपक जलाएं और नीचे दिए मंत्र का 540 बार जाप करें— मंत्र:
    “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः”
  6. जाप के बाद हल्दी और सिक्के को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी, कैशबॉक्स या व्यापार स्थान में रखें।
  7. हर शुक्रवार एक कपूर या दीपक जलाकर उस स्थान पर प्रार्थना करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. यह प्रयोग कितने दिनों में असर करता है?
A1. सामान्यतः 11 दिनों में परिणाम दिखना प्रारंभ हो जाता है।

Q2. क्या यह उपाय बार-बार किया जा सकता है?
A2. हाँ, विशेष पर्वों और शुक्रवार को दोहराया जा सकता है।

Q3. क्या पुराना सिक्का भी चलेगा?
A3. नहीं, नया और साफ-सुथरा सिक्का ही लें।

Q4. क्या इस उपाय से कर्ज मुक्ति संभव है?
A4. हाँ, यदि निष्ठा और नियमितता से करें।

Q5. क्या इसे कोई भी कर सकता है?
A5. हाँ, स्त्री-पुरुष, सभी कर सकते हैं।

Q6. क्या इस प्रयोग में नियम पालन आवश्यक है?
A6. हाँ, शुद्धता, नियम और श्रद्धा अत्यंत आवश्यक हैं।

Q7. क्या इस उपाय को रात में किया जा सकता है?
A7. बेहतर परिणाम के लिए ब्रह्ममुहूर्त या दिन में करें।

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यह उपाय विशेष रूप से लक्ष्मी कृपा प्राप्ति और आर्थिक मजबूती के लिए सरल, सिद्ध और प्रभावकारी माना गया है। इसे अपनाएं और जीवन में समृद्धि का स्वागत करें।

अगर आपको इस उपाय से लाभ हुआ हो, तो इसे ज़रूर साझा करें


Mystical Rudraksha Powers: Which Bead Suits You Best?

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रूद्राक्ष की रहस्यमयी शक्तियाँ – कौनसा रूद्राक्ष किसके लिए उपयुक्त है?

Mystical Rudraksha Powers रूद्राक्ष केवल एक आध्यात्मिक माला या बीज नहीं, बल्कि शिव की कृपा और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का अद्भुत स्रोत है। यह व्यक्ति के मन, शरीर और आत्मा को संतुलन प्रदान करता है। हर रूद्राक्ष का एक विशेष मुख (फेस) होता है, जो अलग-अलग देवी-देवताओं, ग्रहों और शक्तियों से जुड़ा होता है। सही रूद्राक्ष का चयन करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है। यह लेख बताता है कि कौन सा रूद्राक्ष किसके लिए उपयुक्त है, उसके लाभ, शुभ मुहूर्त और सामान्य प्रश्नों के उत्तर। यह SEO-अनुकूल जानकारी जीवन बदल सकती है।


रूद्राक्ष पहनने के रहस्यमयी लाभ

  1. मानसिक तनाव, भय और चिंता से मुक्ति
  2. मन की शांति और ध्यान में गहराई
  3. रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
  4. हृदय, रक्तचाप और स्नायु तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव
  5. शत्रुओं पर विजय और बुरी नजर से रक्षा
  6. ग्रह दोष और पितृ दोष से मुक्ति
  7. धन, वैभव और समृद्धि की प्राप्ति
  8. आध्यात्मिक शक्ति और आत्मज्ञान की वृद्धि
  9. कर्मों का शुद्धिकरण और पूर्व जन्म के दोषों से मुक्ति
  10. विवाह, संतान और पारिवारिक जीवन में सुधार
  11. आत्मविश्वास और निर्णय शक्ति में वृद्धि
  12. शिक्षा, नौकरी और प्रतियोगिता में सफलता
  13. यात्रा और दुर्घटनाओं से सुरक्षा
  14. साधना, मंत्र जप और यज्ञ में सिद्धि
  15. शरीर में ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार

प्रमुख रूद्राक्ष और उनके उपयोग

  • 1 मुखी: शिव का स्वरूप, अत्यंत दुर्लभ – मोक्ष और उच्च साधना के लिए
  • 2 मुखी: शिव-पार्वती का प्रतीक – वैवाहिक जीवन में सुख और एकता
  • 3 मुखी: अग्निदेव से जुड़ा – आत्मग्लानि, पाप और दोषों से मुक्ति
  • 5 मुखी: सामान्य और सभी के लिए – स्वास्थ्य, शिक्षा, ध्यान हेतु
  • 6 मुखी: कार्तिकेय का प्रतीक – ज्ञान और सौंदर्य हेतु
  • 7 मुखी: लक्ष्मी से जुड़ा – धन और व्यावसायिक सफलता
  • 8 मुखी: गणेश रूप – विघ्नों का नाश
  • 9 मुखी: दुर्गा शक्ति – साहस और शक्ति की प्राप्ति
  • 11 मुखी: हनुमान स्वरूप – शक्ति, सुरक्षा और साहस
  • 13 मुखी: कामदेव – आकर्षण, व्यापार और सामाजिक सफलता
  • 14 मुखी: भगवान शिव का नेत्र – तृतीय नेत्र जागरण, निर्णय शक्ति में वृद्धि

रूद्राक्ष धारण करने का शुभ मुहूर्त

  • वार: सोमवार, सोमवार को चंद्रमा व शिव का दिन माना जाता है।
  • तिथि: महाशिवरात्रि, श्रावण सोमवार, प्रदोष
  • नक्षत्र: पुष्य, मृगशिरा, अनुराधा
  • समय: सूर्योदय से पूर्व या ब्रह्ममुहूर्त में
  • विधि: रुद्राभिषेक कर रूद्राक्ष को गंगाजल से शुद्ध करें, “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें और धारण करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. क्या सभी रूद्राक्ष सभी को पहनने चाहिए?
नहीं, रूद्राक्ष का चयन व्यक्ति की राशि, ग्रह दोष और उद्देश्य के अनुसार होना चाहिए।

Q2. क्या रूद्राक्ष धारण करने के नियम होते हैं?
हाँ, शुद्धता, संयम, सात्विकता और श्रद्धा अत्यंत आवश्यक होती है।

Q3. क्या रूद्राक्ष केवल पुरुष पहन सकते हैं?
नहीं, महिलाएं भी रूद्राक्ष धारण कर सकती हैं। कुछ विशेष दिनों में उतारना आवश्यक हो सकता है।

Q4. रूद्राक्ष को किस धागे में पहनना चाहिए?
लाल चंदन, काले रेशम या पंचधातु की चेन में पहनना श्रेष्ठ होता है।

Q5. क्या रूद्राक्ष धारण करने से रोग ठीक हो सकते हैं?
रोगों की जड़ मानसिक और ऊर्जात्मक होती है, रूद्राक्ष उस स्तर पर कार्य करता है।

Q6. क्या रूद्राक्ष जल में भिगोकर रखना चाहिए?
नहीं, इससे उसकी शक्ति कमजोर हो सकती है। शुद्ध जल से धोकर ही धारण करें।

Q7. क्या नकली रूद्राक्ष से हानि हो सकती है?
हाँ, नकली रूद्राक्ष पहनना निष्फल और नकारात्मक परिणाम दे सकता है। प्रमाणित रूद्राक्ष ही धारण करें।


Destroy Hidden Enemies with Kali Chirmi Dana Method

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काली चिरमी दाना से करें शत्रु निवारण – जानिए असली प्रयोग और विधि

Kali chirmi dana एक अत्यंत रहस्यमयी और तांत्रिक शक्ति से युक्त वस्तु मानी जाती है। यह दाना मुख्यतः तांत्रिक प्रयोगों, रक्षा कवच निर्माण और शत्रु नाशक उपायों में उपयोग किया जाता है। काली चिरमी दाना प्राकृतिक रूप से दुर्लभ होता है और इसके भीतर नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर उसे नष्ट करने की विशेष शक्ति होती है। देवी काली और भैरव साधना में इसका प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति शत्रु बाधा, कोर्ट केस, कर्ज़, डर या नजर दोष से पीड़ित है, तो Kali chirmi dana से किए गए विशेष प्रयोग अत्यंत लाभदायक सिद्ध होते हैं।


चमत्कारी लाभ

  1. शत्रुओं का प्रभाव समाप्त होता है।
  2. कोर्ट-कचहरी के मामलों में विजय मिलती है।
  3. नजर दोष और टोने-टोटके से रक्षा होती है।
  4. मानसिक भय और बेचैनी दूर होती है।
  5. व्यापार में अवरोध समाप्त होते हैं।
  6. तांत्रिक हमलों से सुरक्षा मिलती है।
  7. परिवारिक शांति बनी रहती है।
  8. भूमि विवादों में सफलता मिलती है।
  9. गुप्त शत्रुओं का नाश होता है।
  10. नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  11. आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  12. जीवन में स्थायित्व आता है।
  13. शत्रु स्वयं परास्त होते हैं।
  14. कालसर्प दोष में राहत मिलती है।
  15. देवी शक्ति की कृपा प्राप्त होती है।

प्रयोग विधि और शक्तिशाली मंत्र

सामग्री:

  • 7 काले चिरमी दाने
  • एक नींबू
  • काली रेशमी डोरी
  • भैरव या काली यंत्र
  • कपूर और लौंग
  • 1 लोटा जल

मंत्र:
🔺 “ॐ क्रीं कालिका देव्यै नमः”
या
🔺 “ॐ भैरवाय नमः”

विधि:

  1. मंगलवार या शनिवार को सूर्योदय से पूर्व स्नान करें।
  2. पूजा स्थान को शुद्ध कर यंत्र स्थापित करें।
  3. काली चिरमी दानों को काली रेशमी या सूती थैली में रखे।
  4. नींबू के चारों ओर सात बार दाने घुमाकर मंत्र जप करें (108 बार)।
  5. नींबू और चिरमी को एक गड्ढे में दबा दें या बहते जल में प्रवाहित करें।
  6. यह प्रयोग 3, 7 या 11 बार तक किया जा सकता है।
  7. अंत में जल चढ़ाकर आरती करें।

शुभ मुहूर्त

  • वार: मंगलवार, शनिवार, अमावस्या या काली अष्टमी
  • समय: ब्रह्म मुहूर्त या रात्रि 10 बजे के बाद
  • नक्षत्र: मघा, मूल, अश्विनी
  • तिथि: अमावस्या, अष्टमी, नवमी

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सामान्य प्रश्न

Q1. Kali chirmi dana क्या होता है?
यह एक तांत्रिक बीज होता है जो दुर्भाग्य और नकारात्मकता को हटाने में सक्षम होता है।

Q2. इसका उपयोग किस प्रकार किया जाता है?
मंत्र सिद्धि के साथ विशेष विधि द्वारा शत्रु निवारण में प्रयोग होता है।

Q3. क्या यह हर किसी को असर करता है?
हाँ, यदि विधिपूर्वक और श्रद्धा से प्रयोग करें तो निश्चित रूप से लाभ होता है।

Q4. क्या इसका प्रयोग बार-बार कर सकते हैं?
हाँ, विशेष रूप से 3, 7 या 11 बार तक करना शुभ होता है।

Q5. क्या इसे जेब या घर में रखा जा सकता है?
शुद्ध कर सिद्ध करके रक्षा तावीज़ में पहन सकते हैं।

Q6. क्या इसे देवी पूजा में उपयोग किया जा सकता है?
हाँ, विशेष रूप से काली, भैरव, चामुंडा पूजा में।

Q7. कहां से प्राप्त करें असली काली चिरमी दाना?
विश्वसनीय आध्यात्मिक केंद्र या www.divyayogastore.com से मंगवा सकते हैं।


यदि आप जीवन में शत्रुओं से मुक्ति, सुरक्षा और शक्ति प्राप्त करना चाहते हैं, तो Kali chirmi dana का यह प्रयोग अवश्य करें। यह आपके जीवन की दिशा बदल सकता है।

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Secret of Chamunda Mantra for Enemy & Energy

Chamunda Mantra for Enemy

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Chamunda Mantra for Enemy “ॐ ह्रीं क्रीं चामुंडायै नमः” एक अत्यंत शक्तिशाली तांत्रिक बीज मंत्र है, जो देवी चामुंडा की शक्ति को जाग्रत करता है। यह मंत्र विशेष रूप से शत्रु बाधा, भय, तंत्र-मंत्र, और मानसिक दुर्बलता को दूर करने के लिए प्रसिद्ध है। साधक को आत्मबल, साहस और सुरक्षा प्रदान करने वाला यह मंत्र शक्ति साधनाओं में सर्वोपरि माना जाता है। देवी चामुंडा दुर्गा का एक उग्र रूप हैं, जो सभी नकारात्मक शक्तियों का विनाश करती हैं। नियमित जाप से आत्मविश्वास, निर्णय क्षमता और दिव्य ऊर्जा का विकास होता है। यह मंत्र शक्ति जागरण और आत्मरक्षा हेतु अत्यंत प्रभावी है।


प्रमुख लाभ

  1. शत्रु बाधा एवं कोर्ट-कचहरी से मुक्ति।
  2. तंत्र-मंत्र एवं काले जादू से सुरक्षा।
  3. आत्मबल व साहस की वृद्धि।
  4. डर, भय और भ्रम से छुटकारा।
  5. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा।
  6. शक्ति जागरण और उग्रता का विकास।
  7. रात्रि में भयमुक्त निद्रा।
  8. आत्मरक्षा की मानसिक शक्ति प्राप्त होती है।
  9. राहु-केतु दोषों से राहत।
  10. व्यापारिक बाधाओं में सफलता।
  11. स्त्री या पुरुष में छुपी शक्ति का जागरण।
  12. मानसिक निर्बलता का अंत।
  13. आत्मसम्मान व निर्णय शक्ति में वृद्धि।
  14. घर की ऊपरी बाधा एवं नकारात्मकता दूर होती है।
  15. आध्यात्मिक साधना में उन्नति।

मंत्र साधना विधि (Mantra Vidhi)

  1. किसी शांत स्थान पर, रात्रि के समय (विशेषतः अमावस्या/अष्टमी को)।
  2. लाल वस्त्र पहनकर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  3. देवी चामुंडा की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं।
  4. एक लाल आसन पर बैठें और पहले शुद्धि करें (शांतिपाठ)।
  5. फिर 1 माला (108 बार) इस मंत्र का जाप करें –
    “ॐ ह्रीं क्रीं चामुंडायै नमः”
  6. रुद्राक्ष या लाल चंदन की माला का प्रयोग करें।
  7. जाप के बाद देवी से अपनी रक्षा व शक्ति की प्रार्थना करें।
  8. इस साधना को 11, 21 या 41 दिन तक करें।

सिद्ध मुहूर्त (Shubh Muhurt)

  • अष्टमी तिथि – विशेषतः कालरात्रि, महाष्टमी, दुर्गाष्टमी।
  • अमावस्या रात्रि – तांत्रिक साधना के लिए श्रेष्ठ।
  • रात्रि 9 बजे के बाद – मंत्र का प्रभाव तीव्र होता है।
  • नवरात्रि काल – संपूर्ण साधना के लिए अत्युत्तम समय।

सामान्य प्रश्न

  1. क्या यह मंत्र तांत्रिक है?
    हाँ, यह मंत्र तांत्रिक बीज मंत्रों में गिना जाता है, परंतु सही विधि से हर व्यक्ति कर सकता है।
  2. क्या महिलाएं यह जाप कर सकती हैं?
    हाँ, महिलाएं भी इसे पूरी श्रद्धा से कर सकती हैं।
  3. क्या इस मंत्र का प्रभाव तुरंत दिखता है?
    यदि श्रद्धा और नियम से किया जाए तो प्रभाव शीघ्र दिखाई देता है।
  4. क्या किसी गुरु की आवश्यकता है?
    प्रारंभ में स्वयं भी कर सकते हैं, परंतु मार्गदर्शन से लाभ अधिक मिलता है।
  5. क्या यह रोज़ करना चाहिए?
    हाँ, यदि संभव हो तो नियमित करें, अन्यथा विशेष दिनों में करें।
  6. इससे क्या डर लगता है?
    नहीं, यह देवी की कृपा से भय समाप्त करता है।
  7. क्या इसे किसी विशेष स्थान पर ही करना चाहिए?
    शांत, पवित्र स्थान सर्वोत्तम रहता है, परंतु घर में भी कर सकते हैं।

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Katyayani kumbh vivah pujan

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यदि आप शत्रु दोष, भय, या शक्ति जागरण की साधना करना चाहते हैं, तो “ॐ ह्रीं क्रीं चामुंडायै नमः” मंत्र आपकी आत्मा को जाग्रत करने वाला मार्ग बन सकता है।

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Lakshmi Sadhana for Unbelievable Business Gains

Lakshmi Sadhana for Unbelievable Business Gains

“सूर्यास्त के बाद 11 दिन की दक्षिणमुखी लक्ष्मी साधना – व्यापार में जबरदस्त लाभ का गुप्त रहस्य”

Lakshmi Sadhana Business Gains – भारतीय तंत्र परंपरा में लक्ष्मी साधना के अनेक स्वरूप हैं, परंतु दक्षिणमुखी लक्ष्मी की साधना अत्यंत दुर्लभ और चमत्कारी मानी जाती है। जब सूर्य अस्त होता है, तब ब्रह्मांड की ऊर्जाएं बदलती हैं और दक्षिण दिशा में लक्ष्मी का विशेष प्रभाव प्रकट होता है। यह साधना विशेषकर व्यापार में तेजी, रुके धन की प्राप्ति, उधारी वापसी, और आर्थिक जड़ता को तोड़ने के लिए अत्यंत प्रभावी है। 11 दिनों तक सूर्यास्त के बाद यह विशेष मंत्र का जप करने से साधक को अलौकिक आर्थिक लाभ, समृद्धि और शक्तिशाली आत्मविश्वास की अनुभूति होती है।

Katyayani kumbh vivah shivir


विशेष लाभ

  1. व्यापार में वृद्धि और लाभ की प्राप्ति
  2. रुका हुआ धन तेजी से वापस आता है
  3. आर्थिक संकटों का समाधान होता है
  4. उधारी व कर्ज से मुक्ति
  5. ग्राहक आकर्षण में तेजी
  6. व्यापार में सौभाग्य की स्थिति बनती है
  7. घर और ऑफिस में लक्ष्मी ऊर्जा का स्थायित्व
  8. प्रतियोगिता में विजय
  9. सौभाग्यशाली अवसर मिलना शुरू होते हैं
  10. आत्मविश्वास व निर्णय क्षमता में वृद्धि
  11. मन की शांति और सकारात्मकता
  12. परिवार में आर्थिक संतुलन और सुख
  13. अचानक धन लाभ की स्थिति
  14. शेयर बाजार व ऑनलाइन व्यवसाय में सफलता
  15. दिव्य लक्ष्मी दर्शन के संकेत अनुभव होते हैं

साधना का शुभ मुहूर्त

  • यह साधना किसी भी शुक्रवार, पूर्णिमा या अमावस्या से प्रारंभ की जा सकती है।
  • विशेष प्रभाव सूर्यास्त के 15 मिनट बाद से 90 मिनट तक का होता है।
  • नवरात्रि, दीपावली, गुरु पुष्य, रवि पुष्य या लक्ष्मी पंचमी का दिन विशेष फलदायक होता है।

मंत्र (MANTRA)

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं दक्षिण लक्ष्मेय नमः


साधना विधि

  1. साधक को सूर्यास्त के बाद स्नान कर शुद्ध लाल वस्त्र धारण करना चाहिए।
  2. उत्तर की ओर मुख कर आसन पर बैठें।
  3. सामने लक्ष्मी यंत्र या लक्ष्मी जी की दक्षिणमुखी मुद्रा की फोटो रखें।
  4. देसी घी का दीपक जलाएं और गुलाब या चंपा की अगरबत्ती लगाएं।
  5. लाल फूल अर्पित करें और चावल, हल्दी, कुंकुम से पूजन करें।
  6. मंत्र का 540 बार जाप करें – रोज 11 दिन तक।
  7. जाप के बाद “लक्ष्मी आरती” करें और मनोकामना बोलें।

नियम

  • पूरे 11 दिन ब्रह्मचर्य और सात्विक आहार रखें
  • नकारात्मकता से दूर रहें और मन को शांत रखें
  • जाप के समय मोबाइल बंद रखें, ध्यान केंद्रित रखें
  • एक ही स्थान और आसन का प्रयोग करें
  • समय बदलना नहीं चाहिए
  • सूर्योदय तक मौन साधना का पालन करें
  • फलाहार या हल्का भोजन करें, तामसिक भोजन से बचें

सामान्य प्रश्न

प्र1. क्या इस मंत्र का प्रयोग कोई भी कर सकता है?
हाँ, पुरुष या महिला कोई भी कर सकता है, लेकिन नियमों का पालन आवश्यक है।

प्र2. अगर 11 दिन में कोई दिन छूट जाए तो क्या करें?
अगले दिन दो माला अधिक जप कर लें, लेकिन नियमितता श्रेष्ठ है।

प्र3. क्या लक्ष्मी की कोई विशेष मूर्ति या यंत्र आवश्यक है?
हाँ, दक्षिणमुखी मुद्रा वाली मूर्ति या लक्ष्मी यंत्र श्रेष्ठ होता है।

प्र4. मंत्र जाप के लिए कौन सी माला प्रयोग करें?
स्फटिक माला या कमलगट्टे की माला सबसे उत्तम होती है।

प्र5. क्या इस साधना से तुरंत धन प्राप्त हो सकता है?
कुछ लोगों को तुरंत लाभ होता है, कुछ को स्थिर लेकिन दीर्घकालीन लाभ होता है।

प्र6. क्या यह साधना ऋण मुक्ति में भी सहायक है?
हाँ, विशेष रूप से व्यापार में ऋण समाप्ति के लिए यह अत्यंत प्रभावी है।

प्र7. क्या महिलाएं मासिक धर्म के दौरान साधना कर सकती हैं?
नहीं, उस समय साधना रोक दें और बाद में फिर से 11 दिन करें।

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यह साधना सिर्फ धन के लिए नहीं, बल्कि एक समृद्ध और संतुलित जीवन की ओर कदम है। यदि आप भी आर्थिक बदलाव और व्यापार में अद्भुत लाभ की इच्छा रखते हैं, तो सूर्यास्त के बाद की यह साधना अवश्य करें।

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Exploring the Power of Ancient Sanskrit Mantras

Exploring the Power of Ancient Sanskrit Mantras

प्राचीन संस्कृत मंत्रों की शक्तियां: एक आध्यात्मिक रहस्य

Ancient Sanskrit Mantras “मंत्र” शब्द का अर्थ है – ‘मन’ (चिंतन) और ‘त्र’ (रक्षा या मुक्त करने वाला)। यानी जो आपके मन की रक्षा करे, उसे मंत्र कहते हैं। संस्कृत मंत्र प्राचीन भारतीय ऋषियों द्वारा तप और साधना से प्राप्त ध्वनियाँ हैं, जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा को आकर्षित करने की क्षमता रखती हैं।


संस्कृत मंत्रों की विशेषताएँ

🔸 शुद्ध ध्वनि तरंगें (Sound Vibrations)

प्रत्येक संस्कृत शब्द में कंपन (vibration) होता है, जो शरीर, मन और आत्मा पर गहरा प्रभाव डालता है।

🔸 वैज्ञानिक उच्चारण विधि

संस्कृत में स्वर और व्यंजन इस तरह व्यवस्थित हैं कि जब सही तरीके से उच्चारित किया जाए, तो यह शरीर के चक्रों को सक्रिय करता है।

🔸 ऊर्जा और चेतना का जागरण

मंत्र जाप से सूक्ष्म शरीर में ऊर्जा का प्रवाह तीव्र होता है, जिससे ध्यान, चिकित्सा और आत्मिक अनुभव में मदद मिलती है।


प्रमुख प्राचीन संस्कृत मंत्र और उनका प्रभाव

1. ॐ नमः शिवाय

  • 🔹 अर्थ: “हे शिव, आपको नमन है।”
  • 🔹 लाभ: मानसिक शांति, भय से मुक्ति, आध्यात्मिक उत्थान

2. ॐ गं गणपतये नमः

  • 🔹 अर्थ: “हे गणेश जी, आप बाधाओं को दूर करें।”
  • 🔹 लाभ: कार्य सिद्धि, नए आरंभ में सफलता, विघ्नों का नाश

3. गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः स्वः।  
तत्सवितुर्वरेण्यं।  
भर्गो देवस्य धीमहि।  
धियो यो नः प्रचोदयात्॥
  • 🔹 अर्थ: “सूर्य रूपी ब्रह्मा का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।”
  • 🔹 लाभ: बुद्धि तेज, आध्यात्मिक जागृति, चित्त की शुद्धि

4. महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यंबकं यजामहे  
सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।  
उर्वारुकमिव बन्धनान्  
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
  • 🔹 लाभ: रोग नाश, दीर्घायु, मृत्यु भय से मुक्ति

🌌 संस्कृत मंत्रों का वैज्ञानिक आधार

📡 ध्वनि और ब्रह्मांडीय ऊर्जा

ध्वनि एक तरंग है। संस्कृत मंत्रों की ध्वनियाँ शरीर के भीतर नादयोग को उत्पन्न करती हैं, जिससे न्यूरॉन्स सक्रिय होते हैं।

🧠 मस्तिष्क पर प्रभाव

MRI स्कैन से यह सिद्ध हुआ है कि मंत्र जाप से थीटा वेव्स उत्पन्न होती हैं जो ध्यान और गहरे मानसिक विश्रांति से जुड़ी होती हैं।

💓 हृदय दर और तनाव पर प्रभाव

गायत्री मंत्र या ॐ का जाप करने से हृदयगति संतुलित होती है, रक्तचाप नियंत्रित रहता है और मानसिक तनाव कम होता है।


मंत्र जाप करने की सही विधि

नियमबद्ध समय (प्रातःकाल या संध्या)

सही उच्चारण (गुरु से सीखा गया)

मन, वाणी और ह्रदय की एकता

जाप माला का प्रयोग (108 बार)


मंत्रों से मिलने वाले लाभ

  • चित्त की शुद्धि और ध्यान में गहराई
  • रोगों का मानसिक-ऊर्जात्मक उपचार
  • आत्मविश्वास, साहस और सकारात्मकता में वृद्धि
  • आध्यात्मिक ऊर्जा और ब्रह्मांडीय चेतना से जुड़ाव
  • दिव्य अनुभव और आत्मसाक्षात्कार

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. क्या संस्कृत मंत्र किसी भी व्यक्ति द्वारा जपे जा सकते हैं?

👉 हाँ, यदि शुद्ध उच्चारण के साथ गुरु से सीखकर किया जाए।

Q2. मंत्र जाप किस समय करें?

👉 ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) या सूर्यास्त के समय सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

Q3. क्या मंत्र जाप से मानसिक रोग ठीक हो सकते हैं?

👉 हाँ, कई शोधों से साबित हुआ है कि मंत्र जाप से तनाव, डिप्रेशन, और चिंता में राहत मिलती है।

Q4. क्या बिना माला के मंत्र जाप प्रभावी होता है?

👉 होता है, लेकिन माला से एकाग्रता और नियमबद्धता आती है।


अंत में

संस्कृत मंत्र केवल शब्द नहीं हैं – वे ब्रह्मांडीय ध्वनि की कुंजियाँ हैं। यदि सही निष्ठा, विधि और भावना से इन्हें जपा जाए, तो ये आपके जीवन में आध्यात्मिक क्रांति ला सकते हैं।


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Powerful Mantras for Business Success & Prosperity

Powerful Mantras for Business Success & Prosperity

व्यवसाय में सफलता और समृद्धि के लिए शक्तिशाली मंत्र

Mantras for Business – क्या आपका व्यापार लगातार संघर्ष का सामना कर रहा है? क्या मेहनत के बाद भी आर्थिक लाभ नहीं मिल पा रहा है? अगर ऐसा है तो अब समय आ गया है कि आप आध्यात्मिक उपाय अपनाएं। मंत्रों की शक्ति केवल मानसिक शांति ही नहीं देती, बल्कि आपके व्यापार, धन और प्रतिष्ठा में भी आश्चर्यजनक वृद्धि ला सकती है। इस ब्लॉग में हम आपको बताएँगे ऐसे शक्तिशाली व्यापारिक मंत्र जो धन वृद्धि, ग्राहक वृद्धि, सौभाग्य, और सफलता के लिए उपयोगी सिद्ध हुए हैं।


🕉️ मंत्रों का महत्व व्यापार में

  • व्यापार में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है
  • आर्थिक रुकावटें दूर होती हैं
  • नए ग्राहक और सौदे आकर्षित होते हैं
  • निर्णय शक्ति बढ़ती है
  • व्यवसायिक शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है
  • कर्ज़ और घाटे से मुक्ति मिलने की संभावना होती है

🔱 1. श्री गणेश मंत्र – व्यापार की शुरुआत के लिए

मंत्र:
🔸 “ॐ गं गणपतये नमः”

उपयोग विधि:

  • प्रतिदिन प्रातः 108 बार जप करें
  • दुकान या ऑफिस में श्री गणेश की मूर्ति/चित्र के सामने दीपक जलाएं
  • बुधवार को विशेष रूप से जप करें

लाभ:

  • नए व्यवसाय की सफलता
  • अड़चनों का निवारण
  • शुभता और सौभाग्य की प्राप्ति

💰 2. कुबेर मंत्र – धन और व्यापार वृद्धि हेतु

मंत्र:
🔸 “ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनं मे देहि स्वाहा।”

उपयोग विधि:

  • शुक्रवार के दिन पीले वस्त्र धारण कर 11 माला जाप करें
  • पूजा में कमल गट्टे की माला और पीला चंदन प्रयोग करें
  • घर या दुकान की तिजोरी में कुबेर यंत्र रखें

लाभ:

  • स्थायी धन की प्राप्ति
  • व्यापार में लाभ
  • तिजोरी हमेशा भरी रहती है

🌺 3. लक्ष्मी मंत्र – सौभाग्य और समृद्धि के लिए

मंत्र:
🔸 “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः”

उपयोग विधि:

  • शुक्रवार को गुलाब के पुष्प अर्पित करें
  • कमल गट्टे की माला से 108 बार जप करें
  • दीपावली व पूर्णिमा पर विशेष जप करें

लाभ:

  • व्यापार में बृद्धि
  • लक्ष्मी का स्थायी वास
  • ग्रहों की बाधा दूर होती है

🧿 4. हनुमान मंत्र – व्यापारिक सुरक्षा और शत्रुनाश

मंत्र:
🔸 “ॐ हं हनुमंते नमः”

उपयोग विधि:

  • मंगलवार और शनिवार को लाल फूल चढ़ाकर जप करें
  • सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं
  • 11, 21 या 108 बार जप करें

लाभ:

  • व्यापारिक शत्रुओं से रक्षा
  • नकारात्मक ऊर्जा का शमन
  • आत्मबल और साहस की वृद्धि

🔮 5. विष्णु मंत्र – व्यापार में स्थायित्व और सफलता

मंत्र:
🔸 “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”

उपयोग विधि:

  • प्रतिदिन प्रातः स्नान के बाद शुद्ध मन से जप करें
  • पीले वस्त्र पहनें और तांबे के लोटे में जल अर्पण करें
  • गुरुवार को विशेष रूप से जप करें

लाभ:

  • व्यापार में स्थायित्व
  • अच्छे ग्राहक और सौदे
  • मानसिक शांति और आत्मविश्वास

📿 मंत्र जाप में ध्यान रखने योग्य बातें

  • मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और शुद्ध होना चाहिए
  • एक ही स्थान और समय पर रोजाना जप करें
  • ध्यान और श्रद्धा से जप करें – मशीन की तरह नहीं
  • माला का प्रयोग करें (कमल गट्टा, तुलसी, रुद्राक्ष)
  • संकल्प लेकर नियमितता बनाए रखें

📅 शुभ मुहूर्त और उपाय

  • शुभ वार: बुधवार, शुक्रवार और पूर्णिमा
  • शुभ समय: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे तक)
  • स्थान: पूजा कक्ष या दुकान का ईशान कोण (उत्तर-पूर्व)

🌟 अंत मे

व्यापारिक सफलता केवल रणनीति, परिश्रम और मार्केटिंग से ही नहीं आती – आध्यात्मिक ऊर्जा भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है। ऊपर दिए गए मंत्र न केवल आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत करेंगे, बल्कि आपके आत्मबल और आत्मविश्वास को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएंगे। अपने व्यवसाय में इन मंत्रों को स्थान दें और अद्भुत परिणामों के साक्षी बनें।


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Katyayani Kumbh Vivah Puja Shivir at Divyayoga ashram

Katyayani Kumbh Vivah Puja Shivir at Divyayoga ashram

🌺 कात्यायनी कुंभ विवाह पूजन शिविर – वट पूर्णिमा पर दुर्लभ विवाह योग की चमत्कारी साधना

📅 तिथि: 10 जून 2025 (वट पूर्णिमा)
📍स्थान: दिव्ययोग आश्रम

Katyayani Kumbh Vivah Puja शिविर का आयोजन दिव्ययोग आश्रम द्वारा इस वट पूर्णिमा को किया जा रहा है। यह मुहूर्त साल में एक बार आता है जब सुहागिन स्त्रियाँ वट वृक्ष की पूजा कर अपने पति की दीर्घायु और वैवाहिक सुख के लिए व्रत रखती हैं। इसी दुर्लभ तिथि पर, उन स्त्रियों और पुरुषों के लिए यह कात्यायनी कुंभ विवाह पूजन शिविर अत्यंत फलदायी सिद्ध होता है, जिनके विवाह में बार-बार बाधाएँ आती हैं, जिनकी सगाई टूट रही है, या जो अपने मनपसंद जीवनसाथी की तलाश में हैं।


💫 क्या है कात्यायनी कुंभ विवाह पूजन शिविर की विशेषता?

कात्यायनी देवी को विवाह बाधा निवारण की देवी माना गया है। इस शिविर में उनके साथ कुंभ विवाह की विशेष पूजा की जाती है। इसमें कन्या का विवाह श्रीकृष्ण की मूर्ति से और पुरुष का विवाह वट वृक्ष की लकड़ी से करवाया जाता है। यह पूजा विवाह में आ रही अदृश्य बाधाओं को दूर करती है।


🌿 वट पूर्णिमा और कात्यायनी कुंभ विवाह पूजन शिविर का संबंध

वट पूर्णिमा का दिन स्त्रियों के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत रखने और पूजन करने से वैवाहिक जीवन में सुख, समृद्धि और स्थायित्व आता है। यही कारण है कि इसी दिन कात्यायनी कुंभ विवाह पूजन शिविर का आयोजन किया गया है।


🙏 कात्यायनी कुंभ विवाह पूजन शिविर से मिलने वाले दिव्य लाभ

🔷 1. विवाह योग्य युवतियों को शीघ्र विवाह का योग बनता है

कात्यायनी पूजन से योग्य वर मिलने की संभावनाएँ बढ़ती हैं।

🔷 2. सगाई टूटने की समस्या दूर होती है

पूजन से बार-बार सगाई टूटने की बाधा समाप्त होती है।

🔷 3. विवाह में आ रही अदृश्य तांत्रिक बाधाएँ समाप्त होती हैं

कात्यायनी मंत्रों से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

🔷 4. परिवार की तरफ से विवाह में आ रहे विरोध कम होते हैं

माता की कृपा से परिवारजन का मन भी बदलता है।

🔷 5. रिश्तों में प्रेम और समझ बनी रहती है

पूजन से पति-पत्नी के बीच मधुर संबंध बनते हैं।

🔷 6. कुंभ विवाह से ग्रह दोषों का शमन होता है

खासकर मंगल दोष और राहु-केतु की बाधाएँ समाप्त होती हैं।

🔷 7. विवाह में देरी की समस्या का समाधान होता है

यह पूजन योग्य समय पर विवाह सुनिश्चित करता है।

🔷 8. तलाक जैसी स्थिति से बचाव होता है

पति-पत्नी में अलगाव टल जाता है।

🔷 9. वैवाहिक जीवन में आने वाले कलह समाप्त होते हैं

पूजन से दाम्पत्य जीवन में सुख आता है।

🔷 10. अविवाहित युवकों के लिए योग्य कन्या का योग बनता है

भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद शीघ्र विवाह कराता है।

🔷 11. विवाह संबंधों में आए तीसरे व्यक्ति से मुक्ति मिलती है

रिश्तों में हस्तक्षेप करने वाले दूर हो जाते हैं।

🔷 12. आध्यात्मिक संतुलन प्राप्त होता है

यह पूजन आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है।

🔷 13. माता कात्यायनी की विशेष कृपा प्राप्त होती है

पूरे वर्ष मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

🔷 14. जिनका रिश्ता बार-बार टूट रहा हो, उन्हें स्थिरता मिलती है

पूजा से बाधा रहित संबंध बनते हैं।

🔷 15. मनपसंद जीवनसाथी की प्राप्ति होती है

श्रीकृष्ण पूजन से मनचाहा रिश्ता बनता है।

🔷 16. मानसिक और आत्मिक शांति मिलती है

पूजन से मन और आत्मा को राहत मिलती है।

🔷 17. अविवाहित स्त्रियों के लिए विशेष अनुकूलता मिलती है

विवाह योग्य ऊर्जा का संचार होता है।

🔷 18. पूजा के बाद सिद्ध यंत्र व रक्षा कवच प्राप्त होता है

जो जीवन भर विवाह सुख की रक्षा करता है।


🧘‍♀️ कौन इस कात्यायनी कुंभ विवाह पूजन शिविर में भाग ले सकता है?

👩‍🦰 1. 20 वर्ष से अधिक आयु की अविवाहित स्त्रियाँ

जो विवाह की प्रतीक्षा में हैं।

👨 2. विवाह योग्य युवक

जिनकी कुंडली में विवाह बाधा है।

💔 3. विवाहित जोड़े जिनका संबंध तनावपूर्ण है

जो अपने जीवन में सुधार लाना चाहते हैं।

❤️‍🔥 4. प्रेम विवाह के इच्छुक युवक-युवतियाँ

जिन्हें सामाजिक या पारिवारिक बाधा है।

🙏 5. तलाक या ब्रेकअप से गुज़र चुके लोग

जो नए जीवन की शुरुआत करना चाहते हैं।


🌐 ऑनलाइन और ऑफलाइन भागीदारी की सुविधा

दिव्ययोग आश्रम द्वारा इस शिविर में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों रूपों में भाग लिया जा सकता है।
👉 ऑनलाइन सहभागी को विशेष वीडियो लिंक, मंत्र, पूजन सामग्री सूची और डिजिटल यंत्र प्राप्त होगा।
👉 ऑफलाइन प्रतिभागियों को आश्रम में रहकर साधना करने का अवसर मिलेगा।


📋 कात्यायनी कुंभ विवाह पूजन शिविर के नियम और अनुशासन

1. केवल 20 वर्ष या उससे ऊपर के व्यक्ति भाग लें।

2. स्त्री-पुरुष दोनों भाग ले सकते हैं।

3. नीले या काले रंग के वस्त्र न पहनें।

4. धूम्रपान, मांसाहार और मद्यपान न करें।

5. ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है।

6. मन शांत और श्रद्धायुक्त हो।


🛡️ पूजन के बाद क्या प्राप्त होगा?

  • सिद्ध कात्यायनी यंत्र
  • ऊर्जा से चार्ज किया गया कवच
  • विशेष विवाह बाधा निवारण मंत्र

❓ कात्यायनी कुंभ विवाह पूजन शिविर – मुख्य प्रश्न उत्तर

🔸 प्रश्न 1: यह शिविर कब और कहाँ है?

उत्तर: 10 जून 2025, वट पूर्णिमा के दिन, दिव्ययोग आश्रम में।

🔸 प्रश्न 2: क्या ऑनलाइन भाग लेना संभव है?

उत्तर: हाँ, पूर्ण ऑनलाइन पूजन सुविधा और मार्गदर्शन उपलब्ध है।

🔸 प्रश्न 3: क्या पुरुष भी भाग ले सकते हैं?

उत्तर: हाँ, यह शिविर स्त्री-पुरुष दोनों के लिए खुला है।

🔸 प्रश्न 4: क्या कुंभ विवाह पूजा सभी कर सकते हैं?

उत्तर: अविवाहित युवक-युवतियाँ और विवाह में समस्या झेल रहे विवाहित भी कर सकते हैं।

🔸 प्रश्न 5: विवाह में बार-बार बाधा आ रही है, क्या लाभ होगा?

उत्तर: यह पूजा आपकी कुंडली से संबंधित ग्रह बाधा और तांत्रिक दोष को शांति देती है।

🔸 प्रश्न 6: विवाह योग्य स्त्रियाँ कैसे लाभ लें?

उत्तर: वे श्रीकृष्ण से विवाह कर पवित्रता व योग्यता अर्जित करेंगी।

🔸 प्रश्न 7: प्रेम विवाह संभव होगा क्या?

उत्तर: हाँ, मंत्र सिद्धि से परिवार का विरोध समाप्त होता है।

🔸 प्रश्न 8: क्या यंत्र और कवच मिलेगा?

उत्तर: हाँ, सिद्ध कात्यायनी यंत्र व कवच प्राप्त होगा।

🔸 प्रश्न 9: शिविर की फीस क्या है?

उत्तर: पंजीकरण के बाद विवरण भेजा जाएगा। दान रूप में है।

🔸 प्रश्न 10: क्या दूसरी बार भी यह शिविर हो सकता है?

उत्तर: यह विशेष मुहूर्त वर्ष में केवल एक बार आता है।

🔸 प्रश्न 11: क्या साधना गाइड भी मिलेगी?

उत्तर: हाँ, डिजिटल और प्रिंट गाइड दोनों मिलेंगे।

🔸 प्रश्न 12: पंजीकरण कैसे करें?

उत्तर: वेबसाइट या WhatsApp नंबर पर संपर्क करें:
📞 8652439844 / 7710812329
📧 di*************@***il.com

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🕉️ आइए, अपने विवाह और संबंधों में लाएँ चमत्कारी परिवर्तन

विवाह की राह में आने वाली हर बाधा को अब हटाइए।
कात्यायनी कुंभ विवाह पूजन शिविर का हिस्सा बनकर अपने जीवन में प्रेम, सुख और संतुलन का दीप जलाइए।
दिव्ययोग आश्रम आपके जीवन को आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण करने हेतु सदा तत्पर है।

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The Benefits of the Gayatri Mantra – Positive Energy & Abundance.

The Benefits of the Gayatri Mantra for Positive Energy & Abundance.

🌟 गायत्री मंत्र के चमत्कारी लाभ: सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि के लिए दिव्य साधना

Gayatri Mantra Positive Energy गायत्री मंत्र को वेदों की जननी और सर्वश्रेष्ठ वैदिक मंत्रों में से एक माना गया है। यह मंत्र ऋग्वेद से लिया गया है और माँ गायत्री देवी की स्तुति करता है। यह मंत्र न केवल आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा, मानसिक शांति और समृद्ध जीवन की प्राप्ति में भी अद्भुत भूमिका निभाता है।

गायत्री मंत्र:
“ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥”


🌸 गायत्री मंत्र जप के प्रमुख लाभ

🔆 1. सकारात्मक ऊर्जा का संचार

गायत्री मंत्र उच्च तरंगों वाली ध्वनि ऊर्जा उत्पन्न करता है जो आसपास के वातावरण को शुद्ध और सकारात्मक बनाता है।

🧠 2. मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता में वृद्धि

इस मंत्र का नियमित जप मस्तिष्क की शक्ति को बढ़ाता है और निर्णय क्षमता को मजबूत करता है।

😌 3. तनाव और चिंता में राहत

गायत्री मंत्र का उच्चारण मन को शांत करता है और चिंता, भय और तनाव को दूर करता है।

💸 4. आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति

यह मंत्र साधक के जीवन में आंतरिक स्थिरता और बाह्य अवसरों को आकर्षित करता है जिससे आर्थिक उन्नति होती है।

🔮 5. आभामंडल की शुद्धता

नियमित जप से व्यक्ति का और उसके आसपास का ऊर्जा क्षेत्र (Aura) मजबूत होता है।

🛡️ 6. नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा

यह मंत्र साधक की रक्षा करता है और बुरी नजर, तंत्र बाधा से भी दूर रखता है।

🙏 7. आध्यात्मिक उन्नति

गायत्री मंत्र साधक को आत्म-साक्षात्कार और ब्रह्मज्ञान की ओर ले जाता है।

💓 8. हृदय रोगों में लाभकारी

इसके नियमित उच्चारण से हृदय की धड़कन नियंत्रित होती है और रक्तसंचार बेहतर होता है।

🌙 9. नींद में सुधार

यह मन को शांत कर सुकूनभरी नींद दिलाने में सहायक होता है।

👪 10. पारिवारिक सुख-शांति

जब पूरे परिवार द्वारा सामूहिक रूप से इसका जप होता है तो घर में प्रेम, सहयोग और समृद्धि का वातावरण बनता है।

🎯 11. संकल्पशक्ति और आत्मबल में वृद्धि

साधक का आत्मबल मज़बूत होता है जिससे वह जीवन की कठिनाइयों का सामना दृढ़ता से कर पाता है।

🎓 12. विद्या और बुद्धि में वृद्धि

बच्चों को यदि इस मंत्र का जप कराया जाए तो उनकी एकाग्रता, स्मरण शक्ति और शिक्षा में सुधार होता है।

🧘‍♀️ 13. चक्र जागरण में सहायक

गायत्री मंत्र का प्रभाव विशेष रूप से आज्ञा चक्र और सहस्रार चक्र पर होता है, जिससे आंतरिक चेतना जागृत होती है।

✨ 14. भाग्य परिवर्तन

गायत्री मंत्र नियमित रूप से 108 बार प्रतिदिन जपने से भाग्य के बंद द्वार भी खुल सकते हैं।

🌞 15. सूर्य ऊर्जा का आह्वान

गायत्री मंत्र में “सवितुः” शब्द सूर्य देवता का प्रतीक है। यह सूर्य की दिव्य ऊर्जा को आह्वान कर जीवन में प्रकाश लाता है।


🗓️ गायत्री मंत्र जाप के लिए श्रेष्ठ समय

  • ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच)
  • संध्या समय (सूर्यास्त के समय)
  • पूर्णिमा और रविवार विशेष फलदायी माने जाते हैं।

🧘‍♂️ गायत्री मंत्र जप विधि

  1. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  3. एकाग्रता से 108 बार जप करें (रुद्राक्ष या तुलसी की माला से)।
  4. मंत्र जप के बाद कुछ क्षण मौन रहकर ध्यान करें।
  5. दीर्घकालिक साधना से अद्भुत लाभ मिलते हैं।

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❓अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र.1: क्या गायत्री मंत्र सभी के लिए है?
उत्तर: हाँ, यह सार्वभौमिक मंत्र है और कोई भी श्रद्धा से इसका जप कर सकता है।

प्र.2: क्या इस मंत्र को रात में जप सकते हैं?
उत्तर: हाँ, परंतु ब्रह्म मुहूर्त और संध्या समय अधिक प्रभावी माने जाते हैं।

प्र.3: मंत्र जप की संख्या कितनी होनी चाहिए?
उत्तर: कम से कम 108 बार प्रतिदिन करना शुभ होता है।

प्र.4: क्या मंत्र जप से जीवन में चमत्कार होते हैं?
उत्तर: नियमित श्रद्धापूर्वक साधना करने से निश्चित रूप से सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।

प्र.5: क्या बिना दीक्षा के भी यह मंत्र जप सकते हैं?
उत्तर: हाँ, गायत्री मंत्र सार्वजनीन है और कोई भी इसे श्रद्धा से जप सकता है।


📣 अंत मे

गायत्री मंत्र केवल एक वैदिक स्तुति नहीं, बल्कि एक दिव्य शक्ति है जो जीवन को ऊर्जावान, संतुलित और समृद्ध बना सकती है। यदि आप मानसिक शांति, सफलता और आध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं, तो प्रतिदिन इस मंत्र का जप अवश्य करें।


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✍️ लेखक: शिवानंद दास जी | स्रोत: दिव्ययोग आश्रम
📞 Call/WhatsApp: 8652439844 / 7710812329


Achieve Success in 11 Days with Hanuman Mantra

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11 दिन में कार्य सिद्धि का चमत्कारी हनुमान मंत्र – तुरंत असर!

11 Days Hanuman Mantra हनुमान जी को कलियुग के सबसे जाग्रत और शीघ्र फलदायी देवता माने जाते हैं। जब जीवन में कोई कार्य बार-बार अटकता है, रुकावटें आती हैं या प्रयास व्यर्थ हो जाते हैं, तो यह सिद्ध चमत्कारी मंत्र — “ॐ हं हनुमंते सर्व कार्य सिद्धिम् देही देही नमः” — अत्यंत प्रभावशाली सिद्ध होता है। यह मंत्र 11 दिनों तक विधिपूर्वक जपने से कार्य में सफलता, आत्मबल, साहस और बाधा निवारण सुनिश्चित करता है। यह हनुमान मंत्र तुरन्त प्रभाव देता है और गुप्त रूप से कार्य सिद्धि कराने के लिए अचूक उपाय है।


हनुमान मंत्र के दिव्य लाभ

  1. रुके हुए कार्यों में शीघ्र सफलता
  2. कोर्ट केस, विवादों में विजय
  3. व्यापार में बढ़ोतरी और लाभ
  4. परीक्षा में उत्तीर्ण होने की शक्ति
  5. नौकरी पाने में सहायता
  6. इंटरव्यू या प्रमोशन में सफलता
  7. परिवारिक समस्याओं का समाधान
  8. मानसिक बल और आत्मविश्वास की वृद्धि
  9. शत्रु बाधा से सुरक्षा
  10. तांत्रिक प्रभाव और बुरे स्वप्न से मुक्ति
  11. विवाह में आ रही रुकावटें दूर
  12. प्रेम संबंधों में स्थिरता और सफलता
  13. कार्यक्षमता और निर्णय शक्ति में वृद्धि
  14. यात्रा में सुरक्षा और शुभ फल
  15. आध्यात्मिक उन्नति और सिद्धि प्राप्ति

कौन कर सकता है यह साधना?

  • स्त्री या पुरुष, कोई भी श्रद्धालु कर सकता है
  • विद्यार्थी, व्यापारी, अधिकारी, नौकरीपेशा, गृहिणी
  • जिनका कार्य बार-बार अटक रहा हो
  • जिन पर तांत्रिक बाधाएं हों या डर लगे
  • जिनका मनोबल कमजोर हो या आत्मविश्वास डगमगा गया हो

शर्त: श्रद्धा, नियम और 11 दिन तक निरंतरता आवश्यक है।


सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त (Best Muhurat)

  • दिन: मंगलवार या शनिवार से प्रारंभ करें
  • समय: प्रातः ब्रह्म मुहूर्त (4:30 AM – 6:00 AM)
  • नक्षत्र: मघा, चित्रा, विशाखा, अनुराधा उत्तम माने जाते हैं
  • चंद्रमा: जब चंद्रमा शुभ राशियों (मेष, सिंह, मकर) में हो

हनुमान कार्य सिद्धि साधना विधि

1. तैयारी:

  • स्नान करके स्वच्छ लाल वस्त्र पहनें
  • पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें
  • पूजा स्थान को साफ करके हनुमान जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें

2. पूजन सामग्री:

  • लाल फूल, लाल चंदन, रोली, दीपक, धूप
  • गुड़, चने, सिंदूर, पान, लौंग
  • मौली धागा, एक लाल आसन, जप माला (रुद्राक्ष या तुलसी)

3. मंत्र जप विधि:

  • दीप जलाएं और हनुमान जी को प्रणाम करें
  • मंत्र का उच्चारण करें –
    🔺 “ॐ हं हनुमंते सर्व कार्य सिद्धिम् देही देही नमः”
  • प्रतिदिन 108 बार (1 माला) मंत्र का जप करें
  • मंत्र जप के पश्चात अपनी समस्या हनुमान जी को मन ही मन प्रकट करें
  • भोग अर्पण करें – गुड़ चना या बूंदी
  • अंत में आरती करें

4. विशेष निर्देश:

  • यह साधना 11 दिन तक नियमित करें
  • साधना स्थल और समय एक ही रखें
  • पूर्ण ब्रह्मचर्य और सात्विक आहार रखें
  • सफलता के बाद मंदिर में हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं

सामान्य प्रश्न

Q1: क्या इस मंत्र का असर तुरंत होता है?

उत्तर: हाँ, कई साधकों ने 3-5 दिनों में ही कार्य सिद्ध होते देखा है।

Q2: क्या इसे किसी भी दिन शुरू किया जा सकता है?

उत्तर: श्रेष्ठ परिणाम हेतु मंगलवार या शनिवार को प्रारंभ करना उचित है।

Q3: क्या महिलाएं भी यह साधना कर सकती हैं?

उत्तर: हाँ, पूर्ण श्रद्धा और नियम से महिलाएं भी कर सकती हैं।

Q4: अगर एक दिन छूट जाए तो?

उत्तर: कोशिश करें न छूटे, लेकिन छूट जाए तो 11 दिनों के बाद अतिरिक्त दिन जोड़ लें।

Q5: क्या माला जरूरी है?

उत्तर: हाँ, तुलसी या रुद्राक्ष की माला से गिनकर मंत्र जपना अत्यंत फलदायी होता है।

Q6: क्या इस साधना से कोर्ट केस में भी विजय मिल सकती है?

उत्तर: हाँ, यह मंत्र कार्य सिद्धि के साथ न्याय में विजय दिलाने में भी समर्थ है।

Q7: क्या इस मंत्र को किसी और के लिए कर सकते हैं?

उत्तर: हाँ, आप अपने परिवार के सदस्य या प्रियजनों के लिए भी साधना कर सकते हैं।

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अंत मे

“ॐ हं हनुमंते सर्व कार्य सिद्धिम् देही देही नमः” एक चमत्कारी और अति सिद्ध हनुमान मंत्र है, जो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाने में समर्थ है। यह मंत्र सिर्फ शब्द नहीं, अपितु हनुमान जी की शक्ति का साक्षात स्वरूप है। श्रद्धा, नियम और समर्पण से 11 दिनों की यह साधना आपके जीवन की हर रुकावट को समाप्त कर सकती है।


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