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Chandi Kavach Path for Strong Protection

रक्षा करने वाला चंडी कवचम् हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है, जिसमें देवी चंडी (दुर्गा) की स्तुति की गई है और उनसे सुरक्षा की प्रार्थना की गई है। यह कवच दुर्गा सप्तशती (चंडी पाठ) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें देवी चंडी की शक्ति, अनुकंपा, और उनके भक्तों के प्रति करुणा का वर्णन किया गया है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक सुरक्षा प्राप्त होती है।

चंडी कवचम्

चंडी कवचम् देवी दुर्गा के एक उग्र रूप को समर्पित है, जिसे चंडी कहा जाता है। यह कवच दुर्गा सप्तशती के अंग के रूप में पढ़ा जाता है और इसे पढ़ने से व्यक्ति को हर प्रकार की विपत्तियों और बाधाओं से सुरक्षा मिलती है। इसे पढ़ने के दौरान, भक्त देवी से प्रार्थना करता है कि वह उसके शरीर के विभिन्न अंगों की रक्षा करें और उसे सभी नकारात्मक शक्तियों से बचाएं।

विनियोग

ॐ अस्य श्री चण्डिकाकवचस्य ब्रह्मा ऋषिः। अनुष्टुप्छन्दः। चामुण्डा देवता। अंगन्यासोत्तरा शिरो ध्यानम्।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥

ध्यानम्
मार्कण्डेय उवाच।
ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥

  1. ॐ नमश्चण्डिकायै॥

ॐ अस्य श्रीचण्डिकाकवचस्य ब्रह्मा ऋषिः। अनुष्टुप्छन्दः। चामुण्डा देवता। अंगन्यासोत्तरा शिरो ध्यानम॥

हिंदी अर्थ:

इस चंडी कवच का ऋषि ब्रह्मा हैं, छंद अनुष्टुप है, और देवता चामुण्डा हैं। अंगन्यासोत्तरा शिरो ध्यानम का पाठ करते समय अपने शरीर के विभिन्न अंगों पर ध्यान केंद्रित करें।

ध्यानम्:
भगवान मार्कण्डेय जी ने कहा, “सभी मंगलों में मंगल करने वाली, सभी कार्यों को सिद्ध करने वाली, त्र्यम्बक और गौरी के रूप में तुम्हें शरणागत हूँ। हे नारायणी! तुम्हें नमस्कार है।”

“हे चण्डिका! तुम्हें नमस्कार है। इस चंडी कवच का ऋषि ब्रह्मा हैं, छंद अनुष्टुप है, और देवता चामुण्डा हैं। अंगन्यास और करन्यास के माध्यम से इसका पाठ करें।”

पाठ

1. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥

2. मार्कण्डेय उवाच।
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥

3. सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते॥

4. यथाऽहं तव तेजोऽभिरुपायामि जगद्भवनि।
तथाऽपि करुणामूर्तिरिति चण्डिके नमः॥

5. महाभयाद्रुते शत्रुमशेषं नाशयाशुता।
इति कृत्वा नमस्कृत्य कृपां कुरु महेश्वरी॥

6. शत्रुहन्त्री महादेवि दुर्गे सिंहवाहिनी।
त्राहि मां भवसङ्कटे स्मृता स्मृतार्तिनाशिनी॥

7. आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्।
लोकाभिरामां श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्॥

8. नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥

9. शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोऽस्तु ते।
महादेवि चण्डि चण्डघण्टे महाबले॥

10. महाकालि महाक्रूरा कालरात्रिस्तु भैरवी।
घोररूपे महादेवि नारायणी नमोऽस्तु ते॥

हिंदी अर्थ

  1. जयन्ती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा, स्वधा—इन सभी रूपों को मैं नमस्कार करता हूँ।
  2. हे देवी! जो दीन और दुःखी व्यक्तियों की रक्षा करती हो, तुम्हें नमस्कार है।
  3. सभी रूपों में, सभी शक्तियों से युक्त, हमें भय से बचाओ, हे दुर्गा देवी! तुम्हें नमस्कार है।
  4. जैसे ही मैं तुम्हारी महिमा से प्रेरित होता हूँ, हे करुणामूर्ति चंडी! तुम्हें नमस्कार है।
  5. हे महेश्वरी! कृपया मेरे शत्रुओं का नाश करें और मेरी रक्षा करें।
  6. शत्रु संहार करने वाली, महादेवी, सिंहवाहिनी दुर्गा, तुम्हें नमस्कार है। कृपया मुझे भवसागर से पार कराओ।
  7. जो सभी संकटों को हरते हैं, सभी संपत्तियों के दाता हैं, उन्हें मैं बार-बार नमस्कार करता हूँ।
  8. हे महामाया, श्रीपीठ में स्थित, सुरों द्वारा पूजित, शंख, चक्र और गदा धारण करने वाली महालक्ष्मी, तुम्हें नमस्कार है।
  9. त्र्यम्बके गौरी, शरणागत की रक्षा करने वाली नारायणी, तुम्हें नमस्कार है। हे महादेवी चण्डी, तुम्हें नमस्कार है।
  10. हे महाकाली, महाक्रूरा, कालरात्रि, भैरवी, भयानक रूप धारण करने वाली महादेवी, तुम्हें नमस्कार है।

लाभ

  1. सुरक्षा: चंडी कवचम् व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक सुरक्षा प्रदान करता है।
  2. शत्रु नाश: यह कवच शत्रुओं और बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।
  3. धन और समृद्धि: इसके नियमित पाठ से धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
  4. रोगों का नाश: यह कवच सभी प्रकार के रोगों का नाश करता है।
  5. आत्मविश्वास में वृद्धि: इसका पाठ आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
  6. सुख और शांति: चंडी कवचम् का पाठ व्यक्ति के जीवन में सुख और शांति लाता है।
  7. संकटों से मुक्ति: यह कवच सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति दिलाता है।
  8. कुंडली दोषों का निवारण: यह कवच कुंडली में मौजूद दोषों को दूर करता है।
  9. सफलता: यह कवच व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाता है।
  10. भय का नाश: इसका पाठ व्यक्ति के भीतर के सभी प्रकार के भय को नष्ट करता है।
  11. धार्मिकता: चंडी कवचम् का पाठ व्यक्ति को धार्मिकता के मार्ग पर ले जाता है।
  12. पारिवारिक शांति: यह कवच परिवार में शांति और सामंजस्य बनाए रखता है।
  13. विवाह में बाधा दूर करना: इसके पाठ से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
  14. बुद्धि की वृद्धि: यह कवच व्यक्ति की बुद्धि और विवेक को बढ़ाता है।
  15. सकारात्मक ऊर्जा: इसका पाठ व्यक्ति के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है।
  16. विपत्तियों से सुरक्षा: यह कवच व्यक्ति को सभी प्रकार की विपत्तियों से बचाता है।
  17. आध्यात्मिक उन्नति: चंडी कवचम् का पाठ व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
  18. संतान प्राप्ति: इसके नियमित पाठ से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  19. दुखों का नाश: यह कवच सभी प्रकार के दुखों का नाश करता है।
  20. भगवान की कृपा: चंडी कवचम् का पाठ करने से व्यक्ति को देवी की कृपा प्राप्त होती है।

विधि और मुहूर्त

  1. समय: चंडी कवचम् का पाठ करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) सबसे उत्तम समय है।
  2. दैनिक पाठ: इसका दैनिक पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।
  3. नवरात्रि के समय: नवरात्रि में इसका पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
  4. स्नान के बाद: स्नान के बाद पवित्र अवस्था में इसका पाठ करना चाहिए।
  5. आसन: पाठ के समय किसी शुद्ध आसन का प्रयोग करें, जैसे कि कुशासन या ऊनी आसन।
  6. धूप-दीप: पाठ से पहले धूप और दीप जलाना आवश्यक है।
  7. स्वच्छता: पाठ करने से पहले शारीरिक और मानसिक स्वच्छता का ध्यान रखें।
  8. माला: पाठ के लिए रुद्राक्ष या तुलसी की माला का प्रयोग करें।

Kamakhya sadhana shivir

चंडी कवचम् के नियम और सावधानियाँ

  1. श्रद्धा और विश्वास: पाठ करते समय पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ करें।
  2. व्रत: यदि संभव हो, तो पाठ के दिन उपवास रखें।
  3. अनुशासन: चंडी कवचम् का पाठ करने के लिए एक नियमित समय निर्धारित करें और उस समय का पालन करें।
  4. शुद्धता: पाठ के समय शरीर और मन की शुद्धता बनाए रखें।
  5. निर्मलता: पाठ करते समय मन को शांत और निर्मल रखें।
  6. सावधानी: यदि किसी विशेष समस्या के समाधान के लिए पाठ कर रहे हैं, तो उसकी उचित विधि का पालन करें।
  7. सतर्कता: स्त्रियों को मासिक धर्म के समय पाठ नहीं करना चाहिए।
  8. शांत वातावरण: पाठ करते समय वातावरण को शांत और पवित्र बनाए रखें।
  9. एकांत: यदि संभव हो, तो एकांत स्थान में बैठकर पाठ करें।
  10. दूसरों को ना बताएं: पाठ के बारे में अनावश्यक रूप से दूसरों को न बताएं, इसका लाभ कम हो सकता है।

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चंडी कवचम् – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. चंडी कवचम् क्या है?
    • चंडी कवचम् एक शक्तिशाली मंत्र है जो देवी चंडी से सुरक्षा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है।
  2. चंडी कवचम् का पाठ कब करना चाहिए?
    • इसका पाठ ब्रह्म मुहूर्त में करना सबसे उत्तम होता है।
  3. क्या चंडी कवचम् का पाठ रोज़ करना चाहिए?
    • हां, रोज़ पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।
  4. क्या चंडी कवचम् का पाठ घर में कर सकते हैं?
    • हां, इसे घर में करना सुरक्षित और लाभकारी होता है।
  5. चंडी कवचम् का पाठ कौन कर सकता है?
    • कोई भी व्यक्ति जो देवी चंडी में श्रद्धा रखता है, इसका पाठ कर सकता है।
  6. चंडी कवचम् का पाठ करने के लिए क्या तैयारी करनी चाहिए?
    • स्नान करें, पवित्र वस्त्र पहनें, और शुद्ध आसन पर बैठें।
  7. क्या चंडी कवचम् का पाठ करने के लिए व्रत रखना आवश्यक है?
    • व्रत रखने से अधिक फल प्राप्त होते हैं, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है।
  8. चंडी कवचम् का पाठ करने के क्या फायदे हैं?
    • इससे व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक सुरक्षा प्राप्त होती है।
  9. चंडी कवचम् का पाठ कौन से दिन करना चाहिए?
    • नवरात्रि, शुक्रवार, और अष्टमी के दिन विशेष रूप से फलदायक होते हैं।
  10. चंडी कवचम् का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    • इसका पाठ कम से कम 108 बार करना चाहिए।
  11. क्या चंडी कवचम् का पाठ करने से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं?
    • हां, इससे सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है।
  12. क्या चंडी कवचम् का पाठ संतान प्राप्ति के लिए किया जा सकता है?
    • हां, यह संतान प्राप्ति में भी सहायक होता है।
  13. क्या चंडी कवचम् का पाठ करने से धन की प्राप्ति होती है?
    • हां, इसका पाठ करने से धन और समृद्धि बढ़ती है।
  14. क्या चंडी कवचम् का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है?
    • हां, यह शत्रुओं का नाश करता है।

BOOK (३० APRIL 2025) MAHALAKSHMI PUJAN SHIVIR (AKSHAYA TRITIYA) AT DIVYAYOGA ASHRAM (ONLINE/ OFFLINE)

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