Chandika Karya siddhi Mantra

Chandika Karya siddhi Mantra

इस विधि से पान के पत्ते पर ये शब्द लिख दे, कार्य सफल होना शुरु

चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र एक अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावशाली मंत्र है, जिसे देवी चंडिका (दुर्गा) की कृपा से अपने जीवन के कार्यों में सफलता प्राप्त करने के लिए जपा जाता है। इस मंत्र का विशेष महत्व है और इसे साधना करते समय विशेष विधि और नियमों का पालन करना आवश्यक है।

चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र का अर्थ

मंत्र: ॥ॐ क्रीं चंडिके देवदत्त हुं फट्ट॥

इस मंत्र के प्रत्येक शब्द का विशेष अर्थ है:

  1. : यह ब्रह्मांड की आदिशक्ति का प्रतीक है और साधक को ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जोड़ता है।
  2. क्रीं: यह बीज मंत्र है, जो शक्ति और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। इसे शक्ति का आधार माना जाता है।
  3. चंडिके: यह देवी चंडिका को संबोधित करता है, जो महाकाली, महालक्ष्मी, और महासरस्वती के समन्वित रूप हैं। वे सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान करने वाली देवी हैं।
  4. देवदत्त: “देवदत्त की जगह पर समस्या का नाम ले”
  5. हुं: यह शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक है, जो नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा करता है।
  6. फट्ट: यह शब्द सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने और नकारात्मकता को समाप्त करने के लिए उच्चारित किया जाता है।

चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र के लाभ

इस मंत्र का जप साधक को विभिन्न प्रकार के लाभ प्रदान करता है, जैसे:

  1. कार्य में असफलता: इस मंत्र का जप करने से जीवन में किसी भी प्रकार के कार्य में असफलता दूर होती है।
  2. कार्य में बाधा: यदि आपके कार्य में कोई बाधा उत्पन्न हो रही है, तो इस मंत्र का जप उसे दूर करने में सहायक होता है।
  3. असुरक्षा की भावना: जीवन में असुरक्षा की भावना से छुटकारा पाने के लिए यह मंत्र अत्यंत प्रभावी है।
  4. नौकरी की समस्या: नौकरी से संबंधित समस्याओं का समाधान करने के लिए इस मंत्र का जप किया जाता है।
  5. अपने जीवन को लेकर चिंता: जीवन में विभिन्न प्रकार की चिंताओं से मुक्ति पाने के लिए इस मंत्र का जप लाभकारी है।
  6. कर्ज: यदि आप कर्ज से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो इस मंत्र का जप अत्यंत लाभकारी होता है।
  7. व्यवसाय की चिंता: व्यवसाय में आने वाली समस्याओं और चिंताओं का समाधान प्राप्त करने के लिए इस मंत्र का जप किया जाता है।
  8. मंगल कार्य में अड़चन: यदि किसी शुभ कार्य में अड़चन आ रही हो, तो इस मंत्र का जप इसे दूर करने में सहायक होता है।
  9. सही निर्णय: जीवन में सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित करने के लिए इस मंत्र का जप लाभकारी है।
  10. हीन भावना: हीन भावना को दूर करने और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए यह मंत्र अत्यंत प्रभावी है।
  11. सफलता की प्राप्ति: यह मंत्र जीवन में सफलता प्राप्त करने में सहायक होता है।
  12. सकारात्मक ऊर्जा का संचार: इस मंत्र का जप सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और नकारात्मकता को दूर करता है।
  13. आत्मबल: आत्मबल और साहस को बढ़ाने के लिए यह मंत्र अत्यंत लाभकारी है।
  14. दुश्मनों से सुरक्षा: दुश्मनों और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए यह मंत्र प्रभावी है।
  15. समस्याओं का समाधान: जीवन में आने वाली विभिन्न प्रकार की समस्याओं का समाधान इस मंत्र के जप से प्राप्त किया जा सकता है।

चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र विधि

पान के पत्ते पर अष्टगंध या सिंदूर की स्याही से समस्या का नाम लिखे, जैसे कि बाधा, कर्ज, मंगल कार्य इत्यादि। फिर पान के पत्ते को सामने रखकर तीन बाती का दीपक जलाये, फिर मुडं मुद्रा लगाकर १० बार प्राणायाम करे, फिर यही मुद्रा लगाकर ३० मिनट मंत्र जप करे। इस तरह से ११ दिन तक मंत्र का जप करे, १२वे दिन किसी भोजन या फल दान करे। साधना मे पूरी श्रद्धा बनाये रखे, साधना के नतीजे आश्चर्य जनक रूप से आने शुरु हो जायेंगे। साधना के बाद उस पान के पत्ते को पानी मे विसर्जित कर दे।

Munda Mudra Video

मंत्र जप का दिन, अवधि और मुहूर्त

  1. मंत्र जप का दिन: इस मंत्र का जप किसी शुभ दिन, जैसे कि मंगलवार, अष्टमी, या नवमी के दिन किया जा सकता है। ये दिन देवी के विशेष दिन माने जाते हैं।
  2. अवधि: मंत्र जप की अवधि ११ से २१ दिन तक होनी चाहिए। इसे नियमित रूप से करना आवश्यक है।
  3. मुहूर्त: मंत्र जप का सबसे शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ३ से ५ बजे के बीच) माना जाता है। इसके अलावा, संध्या के समय भी जप करना लाभकारी होता है।

मंत्र जप की सामग्री

मंत्र जप के लिए आवश्यक सामग्री निम्नलिखित है:

  1. रुद्राक्ष या स्फटिक की माला: मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष या स्फटिक की माला का उपयोग किया जा सकता है।
  2. घी का दीपक: पूजा के दौरान घी का दीपक जलाना चाहिए।
  3. लाल या पीला आसन: साधना के लिए लाल या पीले रंग का आसन उपयोगी माना जाता है।
  4. देवी चंडिका की मूर्ति या तस्वीर: पूजा स्थल पर देवी चंडिका की मूर्ति या तस्वीर रखनी चाहिए।
  5. कुमकुम और लाल चंदन: पूजा में देवी को कुमकुम और लाल चंदन अर्पित करना चाहिए।
  6. लाल फूल: देवी को लाल फूलों की माला चढ़ानी चाहिए।

चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र जप संख्या

इस मंत्र का जप साधक को प्रतिदिन ११ माला यानी ११८८ मंत्र करना चाहिए। यह संख्या सुनिश्चित करती है कि साधक को मंत्र के अधिकतम लाभ प्राप्त हों।

चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र जप के नियम

मंत्र जप के कुछ निश्चित नियम होते हैं, जिनका पालन करना आवश्यक है:

  1. उम्र: साधक की उम्र २० वर्ष से ऊपर होनी चाहिए।
  2. स्त्री-पुरुष: स्त्री या पुरुष, कोई भी इस मंत्र का जप कर सकता है।
  3. कपड़े: साधक को ब्लू या ब्लैक कपड़े नहीं पहनने चाहिए। लाल, पीला या सफेद कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।
  4. धूम्रपान और मद्यपान: मंत्र जप के दौरान धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
  5. ब्रह्मचर्य: मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  6. साधना को गुप्त रखना: साधना को गुप्त रखना चाहिए। इसे किसी अन्य व्यक्ति के साथ साझा नहीं करना चाहिए।
  7. साधना का स्थान: साधना का स्थान निर्धारित होना चाहिए और इसे बार-बार नहीं बदलना चाहिए।

मंत्र जप की सावधानियाँ

चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र के जप के दौरान कुछ सावधानियाँ बरतनी चाहिए:

  1. श्रद्धा और विश्वास: मंत्र जप करते समय पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखना चाहिए। बिना विश्वास के किया गया जप फलदायी नहीं होता।
  2. शुद्धता: साधक को मानसिक और शारीरिक रूप से शुद्ध रहना चाहिए।
  3. भोजन: मंत्र जप के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए।
  4. साधना का समय: साधना का समय नियमित और निर्धारित होना चाहिए। इसे अनियमित नहीं करना चाहिए।
  5. अशुद्ध वस्त्र: साधना के दौरान अशुद्ध वस्त्र पहनने से बचना चाहिए।

चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र से संबंधित प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न 1: चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र क्या है?
उत्तर: यह देवी चंडिका को समर्पित एक मंत्र है, जिसका जप कार्यों में सफलता प्राप्त करने और समस्याओं का समाधान पाने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 2: इस मंत्र का अर्थ क्या है?
उत्तर: इस मंत्र का हर शब्द देवी चंडिका की शक्ति और कृपा को जागृत करता है, जिससे साधक को अपने कार्यों में सफलता और समस्याओं का समाधान प्राप्त होता है।

प्रश्न 3: चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र का जप किस दिन करना चाहिए?
उत्तर: इस मंत्र का जप मंगलवार, अष्टमी, या नवमी के दिन करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

प्रश्न 4: चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र का जप कितने दिन तक करना चाहिए?
उत्तर: इस मंत्र का जप ११ से २१ दिन तक नियमित रूप से करना चाहिए।

प्रश्न 5: इस मंत्र का जप कौन कर सकता है?
उत्तर: कोई भी व्यक्ति जो २० वर्ष से ऊपर हो, इस मंत्र का जप कर सकता है। स्त्री-पुरुष कोई भी कर सकता है।

प्रश्न 6: इस मंत्र का जप कितनी बार करना चाहिए?
उत्तर: इस मंत्र का जप ११ माला यानी ११८८ बार रोज करना चाहिए।

प्रश्न 7: चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र का जप करने से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर: इस मंत्र का जप करने से कार्य में असफलता, बाधाएं, असुरक्षा, नौकरी और व्यवसाय से संबंधित समस्याएं, कर्ज से मुक्ति, और जीवन में सही निर्णय लेने में सहायता मिलती है।

प्रश्न 8: इस मंत्र का जप करने के लिए कौन सी माला का उपयोग करना चाहिए?
उत्तर: इस मंत्र के जप के लिए रुद्राक्ष या स्फटिक की माला का उपयोग किया जाना चाहिए।

प्रश्न 9: चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र का जप करने से क्या शत्रु से सुरक्षा मिलती है?
उत्तर: हां, इस मंत्र का जप शत्रु से सुरक्षा प्रदान करता है और नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाता है।

प्रश्न 10: इस मंत्र का जप किस समय करना चाहिए?
उत्तर: इस मंत्र का जप ब्रह्म मुहूर्त या संध्या के समय करना सबसे अधिक शुभ माना जाता है।

प्रश्न 11: इस मंत्र का जप करते समय किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर: मंत्र जप करते समय श्रद्धा, शुद्धता, नियमितता, और सात्विक आहार का पालन करना चाहिए।

प्रश्न 12: इस मंत्र का जप करते समय क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
उत्तर: साधक को मानसिक और शारीरिक शुद्धता, नियमितता, और श्रद्धा का पालन करना चाहिए। साधना का समय और स्थान निर्धारित होना चाहिए।

प्रश्न 13: इस मंत्र का जप कैसे करना चाहिए?
उत्तर: इस मंत्र का जप पूरे विधि-विधान से करना चाहिए, जिसमें शुद्धता और पूजा सामग्री का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है।

प्रश्न 14: क्या इस मंत्र का जप करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है?
उत्तर: हां, इस मंत्र का जप मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक होता है।

प्रश्न 15: इस मंत्र का जप करने से क्या कर्ज से मुक्ति मिलती है?
उत्तर: हां, इस मंत्र का जप कर्ज से मुक्ति दिलाने में अत्यंत प्रभावकारी होता है।

चंडिका कार्य सिद्धी मंत्र का जप साधक को शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक रूप से लाभ प्रदान करता है। इसकी विधि और नियमों का पालन करते हुए जप करना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि साधक को अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके।