छिन्नमस्ता चालीसा का पाठ करने से साधक को मानसिक शांति, साहस, और अदम्य आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है। यह चालीसा नकारात्मक ऊर्जा, भय, और दुश्मनों से रक्षा करती है और साधक को अपार आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति प्रदान करती है। उनके भक्त मानते हैं कि छिन्नमस्ता चालीसा का नियमित पाठ जीवन में कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करता है और साधक को तांत्रिक सिद्धियों की प्राप्ति भी हो सकती है।
चिन्नमस्ता चालीसा पाठ के लाभ
- चिन्नमस्ता चालीसा पाठ करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और भय दूर होता है।
- इस पाठ से आत्मविश्वास बढ़ता है और व्यक्ति जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकता है।
- चालीसा पाठ मानसिक शांति प्रदान करता है और क्रोध पर नियंत्रण में सहायक होता है।
- चिन्नमस्ता देवी की कृपा से धन-संपत्ति की वृद्धि और आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।
- पाठ से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और रोगों से रक्षा होती है।
- यह पाठ आध्यात्मिक ऊर्जा को जागृत करता है और साधना में सफलता प्रदान करता है।
- पारिवारिक जीवन में सुख-शांति और आपसी समझ बढ़ाने में यह चालीसा प्रभावी होती है।
- इस पाठ से कुंडली के ग्रह दोष शांत होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- चिन्नमस्ता चालीसा पाठ व्यक्ति की इच्छाशक्ति को मजबूत करता है और निर्णय लेने में सहायता करता है।
- देवी की कृपा से कार्यों में सफलता और रुके हुए कार्यों में गति आती है।
- यह पाठ भय, चिंता और तनाव को दूर करके मनोबल बढ़ाता है।
- चिन्नमस्ता देवी के पाठ से साधक को मोक्ष प्राप्ति और आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है।
- चिन्नमस्ता चालीसा नियमित रूप से करने से भक्त को देवी की कृपा और जीवन में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं।
छिन्नमस्ता चालीसा पाठ
जय जय छिन्नमस्ते देवी महामाये। प्रियं शक्तिहे बिक्रमं सहस्त्राक्षें॥
रुद्ररूपेण संस्थिते ध्यायन्ति ये स्थावरं। तां देवीं छिन्नमस्तां प्रणमाम्यहम्॥
छिन्नमस्तास्तु ते विद्या निपुणा सर्वकामदा। भुक्तिमुक्तिप्रदा चैव प्रसन्ना स्थिरता भव॥
भवानि सुन्दरी ते जयन्ति कामसन्धिनि। त्वामेव जयन्ति संतो देवि छिन्नमस्तु ते॥
पठेद्यः शृणुयाद्वापि यो ध्यायेच्छ्छिन्नमस्तिकाम्। तस्य वश्यं विनश्यन्ति सभासद्य वशानुगाः॥
स्त्रीणामेकं तु यो विप्रः सुद्ध्यद्यास्यामि वास्तुनि। तस्य सर्वं सुलभं स्यात् पठनाद्यः कृपां यदि॥
पठेद्यः कीर्तयेच्छंभुन्यामर्चयेच्छिवाज्ञया। तस्य भक्तिर्न जायेत्क्वचिदपि स विमुच्यते॥
इति छिन्नमस्ताष्टकं संपूर्णम्॥
४० दिन नियमित पाठ करने से आपको उनकी कृपा, सुरक्षा, और समृद्धि मिलती है