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Dattatreya Chalisa for Peace & Protection

दत्तात्रेय चालीसा एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक पाठ है जिसे भगवान दत्तात्रेय की आराधना के लिए पाठ किया जाता है। भगवान दत्तात्रेय, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश का संयुक्त अवतार माने जाते हैं। इनकी चालीसा का नियमित ४१ दिन पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्मिक शक्ति, समृद्धि और जीवन की विभिन्न समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

संपूर्ण दत्तात्रेय चालीसा

श्रीगणेशाय नमः 
 
दत्तगुरु के चरणों में, मेरा कोटि प्रणाम ।  
रक्षा करो हे दत्त प्रभु, रख लो अपनी शरण ।।  
रक्षा करो हे दत्त प्रभु, रख लो अपनी शरण ।। 

जयति जयति दत्तात्रेय, स्वामी दिगम्बर जय ।  
आदि ब्रह्मा, मध्यम विष्णु, देवा महेश्वर जय ।।  
जयति जयति त्रिमूर्ति रूप, भव बाधा हरते जय ।  
सहज प्राप्ति हर हर जय, शुभ फल सुख देते जय ।।  
जयति जयति अनसूया नन्दन, परम गम्भीर प्रभु जय ।  
हर कृपा कर सरसिज पद, भक्तों को सुख देते जय ।।  

श्रीगणेश, श्रीशारदा, लक्ष्मी सहित शिव जय ।  
सतगुरु चरन, कमल सेवा, भव निधि से त्राण कर जय ।।  
सिर झुकाये, हाथ जोड़े, करें भक्ति प्राण जय ।  
त्रिभुवन में, प्रकट प्रभु दत्त, ब्रह्मानन्द स्वरूप जय ।।  

गुरु गम्भीर, कृपा सागर, कर जोड़ों चरणारविन्द ।  
शरणागत, रक्षण कर्ता, रखों हमारी लाज प्रभु ।।  
श्रीदत्तात्रेय प्रभु, कृपाकर, सदा सहाय रहो प्रभु ।  
भक्तिवान, दुःख से त्राण, सदा सबन का करें कल्याण प्रभु ।।  

कर भरोसा, मन में आस, स्वामी सुखदाता जय ।  
मति हमारी शुद्ध कर प्रभु, दोष, दुष्कृत मिटा प्रभु ।  
ध्यान लगायें, चित्त मनायें, श्रीदत्त कृपा से प्रभु ।  
भक्त गण, करें सुमिरन, सदा सहाय हो प्रभु ।।  

जयति जयति दत्तगुरु, ब्रह्मानन्द दाता जय ।  
अघनाशक, त्रिविक्रम देव, ज्ञान भक्ति दो प्रभु ।  
सुमिरन से भव-बन्धन, से सदा मुक्त रहें प्रभु ।  
त्रिविध ताप, मिट जायें प्रभु, अन्त करण सुधीर हो प्रभु ।।  

श्रीदत्त शरणं, मोक्ष सुलभ, भव सागर से त्राण हो ।  
भव-भय हारक, सतगुरु, कष्ट निवारक हो प्रभु ।  
शरणागत, मोक्ष प्रदायक, सुलभ सरल करते प्रभु ।  
करुणामय, सन्तत हर्षायें, भव से मुक्ति हो प्रभु ।।  

श्रीदत्तात्रेय शरणं, भव बाधा हरण प्रभु ।  
श्रीदत्तात्रेय शरणं, पाप-ताप-त्रय हरण प्रभु ।  
श्रीदत्तात्रेय शरणं, मन में आस लगायें प्रभु ।  
भक्तजन, करें स्मरण, सदा सहाय हो प्रभु ।।  
जयति जयति दत्तगुरु, सर्व रोग हरते प्रभु ।  
जयति जयति दत्तगुरु, पाप-ताप निवारक प्रभु ।  
जयति जयति दत्तगुरु, करुणा कृपा निधान प्रभु ।  
जयति जयति दत्तगुरु, जगत तारन प्रभु ।।

तुलसीदास चालीसा के लाभ

  1. मानसिक शांति: तुलसीदास चालीसा के नियमित पाठ से मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन प्राप्त होता है।
  2. संकटों का निवारण: चालीसा का पाठ करने से जीवन के संकटों का समाधान होता है।
  3. भय और चिंता का नाश: इसका नियमित जप व्यक्ति को भय और चिंता से मुक्त करता है।
  4. धन-धान्य में वृद्धि: तुलसीदास चालीसा के पाठ से आर्थिक समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
  5. स्वास्थ्य लाभ: इसके पाठ से शारीरिक रोगों से मुक्ति और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
  6. दुश्मनों से रक्षा: चालीसा का पाठ व्यक्ति को दुश्मनों और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करता है।
  7. धार्मिक आस्था में वृद्धि: नियमित पाठ से व्यक्ति की धार्मिक आस्था और भक्ति में वृद्धि होती है।
  8. परिवार में शांति: इसके पाठ से परिवार में शांति और सौहार्द्र बना रहता है।
  9. सफलता: चालीसा का पाठ करने से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
  10. जीवन के संकल्प: इस चालीसा के माध्यम से जीवन में संकल्प और उद्देश्य की प्राप्ति होती है।
  11. विवाह में विलंब: चालीसा का पाठ विवाह में विलंब जैसी समस्याओं का समाधान करता है।
  12. आध्यात्मिक शक्ति: तुलसीदास चालीसा व्यक्ति को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।
  13. संतान सुख: चालीसा का नियमित पाठ संतान सुख प्रदान करता है।
  14. ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि: इसके पाठ से व्यक्ति की ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है।
  15. कल्याणकारी कार्यों में सफलता: चालीसा का पाठ करने से कल्याणकारी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  16. आध्यात्मिक मार्गदर्शन: इसके नियमित पाठ से व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्गदर्शन मिलता है।

दत्तात्रेय चालीसा की विधि

विधि:

  1. स्थान का चयन: शांत और पवित्र स्थान का चयन करें, जहां पर ध्यान लगाना आसान हो।
  2. स्वच्छता: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और पवित्र मन से चालीसा का पाठ करें।
  3. दत्तात्रेय की प्रतिमा: भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक और धूप जलाएं।
  4. नैवेद्य: फल, फूल, और प्रसाद अर्पित करें।
  5. मंत्रों का उच्चारण: “ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः” का जप करें और फिर दत्तात्रेय चालीसा का पाठ करें।

दिन और अवधि:

  1. शुभ दिन: दत्तात्रेय चालीसा का पाठ गुरुवार को विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। यह दिन भगवान दत्तात्रेय को समर्पित है।
  2. अवधि: किसी भी अवधि में, विशेष रूप से सुबह के समय, चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है।

मुहूर्त:

  • ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) सबसे उत्तम समय है।
  • संध्याकाल में भी इस चालीसा का पाठ करना फलदायी होता है।

दत्तात्रेय चालीसा के पाठ के नियम

  1. संकल्प: पाठ करने से पहले मन में एक संकल्प लें कि आप इसे पूरी श्रद्धा और निष्ठा से करेंगे।
  2. शुद्धता: मन, वाणी और शरीर की शुद्धता का ध्यान रखें।
  3. नियमितता: यदि आप कोई निश्चित संख्या में पाठ करने का संकल्प लेते हैं, तो इसे पूरे नियमितता से करें।
  4. ध्यान: पाठ करते समय भगवान दत्तात्रेय की छवि का ध्यान करें।
  5. भक्ति और श्रद्धा: पाठ करते समय आपकी भक्ति और श्रद्धा भगवान के प्रति सच्ची होनी चाहिए।
  6. शांतिपूर्ण वातावरण: ध्यान रखें कि पाठ के दौरान आपके चारों ओर का वातावरण शांत और व्यवधान-रहित हो।
  7. आहार का ध्यान: यदि आप चालीसा का पाठ कर रहे हैं, तो सात्विक आहार का सेवन करें और मांसाहार से परहेज करें।
  8. भोजन के बाद पाठ: पाठ को भोजन करने के बाद ही करना चाहिए, खाली पेट पाठ नहीं करना चाहिए।
  9. प्रसाद वितरण: पाठ के बाद प्रसाद को सभी सदस्यों में बांटें।
  10. ध्यान मुद्रा: पाठ करते समय ध्यान मुद्रा में बैठें और भगवान दत्तात्रेय का ध्यान करें।

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दत्तात्रेय चालीसा के पाठ में सावधानियां

  1. विराम: पाठ के दौरान बिना किसी व्यवधान के पूरा पाठ करें।
  2. अनुशासन: नियमों का पालन करते हुए अनुशासन में रहें।
  3. शुद्धता: अशुद्ध मन या विकारों से ग्रसित होने पर पाठ करने से बचें।
  4. ध्यान की कमी: पाठ करते समय मन को भटकने न दें, भगवान दत्तात्रेय के प्रति ध्यान केंद्रित करें।
  5. अशुद्ध स्थान: किसी अशुद्ध या अपवित्र स्थान पर पाठ नहीं करना चाहिए।
  6. संशय: पाठ करते समय भगवान के प्रति संशय नहीं होना चाहिए।
  7. अनुचित समय: रात के समय या अत्यधिक शोरगुल वाले स्थान पर पाठ से बचें।
  8. अपवित्र वस्त्र: पाठ के समय स्वच्छ और पवित्र वस्त्र धारण करें।
  9. आलस्य: आलस्य और थकान के समय पाठ से बचें, इसे ताजगी और ऊर्जा के साथ करें।
  10. अनुचित आहार: पाठ के समय मांसाहार या तामसिक आहार से परहेज करें।

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दत्तात्रेय चालीसा से जुड़े पृश्न उत्तर

दत्तात्रेय चालीसा क्या है?

  • यह भगवान दत्तात्रेय की स्तुति में रचित 40 चौपाइयों का एक समूह है।

चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?

  • इसका पाठ गुरुवार को सुबह ब्रह्ममुहूर्त में करना उत्तम माना जाता है।

दत्तात्रेय चालीसा का पाठ कितने दिन तक करना चाहिए?

  • इसे 40 दिनों तक निरंतर पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

क्या महिलाएं दत्तात्रेय चालीसा का पाठ कर सकती हैं?

  • हाँ, महिलाएं भी इस चालीसा का पाठ कर सकती हैं, केवल मासिक धर्म के दौरान पाठ से बचना चाहिए।

दत्तात्रेय चालीसा का पाठ किन फलों की प्राप्ति कराता है?

  • यह पाठ मानसिक शांति, आत्मिक बल, और धन-धान्य की प्राप्ति कराता है।

क्या दत्तात्रेय चालीसा का पाठ सभी कर सकते हैं?

  • हाँ, इसका पाठ कोई भी व्यक्ति कर सकता है, चाहे उसकी जाति, उम्र, या लिंग कुछ भी हो।

दत्तात्रेय चालीसा के पाठ का शुभ समय क्या है?

  • ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) और संध्याकाल उत्तम समय माने जाते हैं।

क्या दत्तात्रेय चालीसा का पाठ हर रोज करना चाहिए?

  • हाँ, इसे नियमित रूप से हर रोज करने से भगवान दत्तात्रेय की कृपा बनी रहती है।

दत्तात्रेय चालीसा के पाठ के दौरान क्या नियम हैं?

  • पाठ करते समय मन, वाणी और शरीर की शुद्धता का ध्यान रखें, और ध्यान को भगवान दत्तात्रेय पर केंद्रित करें।

क्या दत्तात्रेय चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?

  • हाँ, लेकिन सबसे शुभ समय ब्रह्ममुहूर्त और संध्याकाल का माना जाता है।

दत्तात्रेय चालीसा का पाठ किस स्थान पर करना चाहिए?

  • शांत और पवित्र स्थान पर पाठ करना चाहिए।

क्या दत्तात्रेय चालीसा का पाठ विशेष मांगलिक अवसरों पर किया जा सकता है?

  • हाँ, विवाह, गृह प्रवेश, और अन्य शुभ अवसरों पर इसका पाठ विशेष फलदायी होता है।
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