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Dattatreya Jayanti – Wealth Prosperity & Success

दत्तात्रेय जयंती 202५: महत्व, कथा, पूजा विधि और अद्भुत लाभ

दत्तात्रेय जयंती भगवान दत्तात्रेय के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। भगवान दत्तात्रेय त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) के संयुक्त अवतार हैं। यह दिन मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को आता है और इसे दत्त जयंती भी कहते हैं। इस पवित्र पर्व पर भक्तजन उपवास रखते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं और दत्तात्रेय चरित्र का पाठ करते हैं।

२०२५ में दत्तात्रेय जयंती का शुभ मुहूर्त

ये दिन भगवान दत्तात्रेय के प्राकट्य का पर्व है, जिसे मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह दिन आध्यात्मिक शांति और ज्ञान प्राप्ति के लिए अत्यंत पवित्र माना गया है।

तिथि और समय

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 4 दिसंबर 2025, सुबह 8:37 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 5 दिसंबर 2025, सुबह 4:43 बजे

अद्भुत लाभ

  1. मानसिक शांति और ध्यान में वृद्धि।
  2. साबर साधना मे सफलता
  3. सभी प्रकार के पापों का नाश।
  4. आत्मिक और भौतिक उन्नति।
  5. मंत्र साधना सिद्धि
  6. रोगों से मुक्ति।
  7. पारिवारिक सुख में वृद्धि।
  8. शत्रुओं पर विजय।
  9. आध्यात्मिक जागरूकता।
  10. धन और समृद्धि का आशीर्वाद।
  11. बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा।
  12. जीवन में सच्चे मार्गदर्शन का अनुभव।

पूजा विधि

  1. प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. धूप, दीप, चंदन, पुष्प और नैवेद्य चढ़ाएं।
  4. दत्तात्रेय मंत्र का जाप करें:
    “ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः”
  5. दत्तात्रेय चरित्र या गुरुचरित्र का पाठ करें।
  6. जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्र का दान करें।

दत्तात्रेय की संपूर्ण कथा

दत्तात्रेय के माता-पिता ऋषि अत्रि और उनकी पत्नी अनसूया थे। एक बार देवर्षि नारद ने त्रिदेवों को अनसूया की पतिव्रता धर्म की महानता की जानकारी दी। इसे परखने के लिए त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, और महेश) ने अत्रि ऋषि के आश्रम में साधु रूप में जाकर उनकी पत्नी अनसूया से भिक्षा मांगी।

त्रिदेवों ने भिक्षा के रूप में यह शर्त रखी कि उन्हें नग्न अवस्था में भोजन देना होगा। पतिव्रता अनसूया ने अपनी योग शक्ति से तीनों को शिशु बना दिया और उनका पालन-पोषण शुरू कर दिया।

त्रिदेवों ने जब अपनी लीला पूरी की, तो प्रसन्न होकर अनसूया से वरदान मांगा। अनसूया ने तीनों देवताओं का संयुक्त रूप मांगा, और इस प्रकार भगवान दत्तात्रेय का अवतरण हुआ।

जीवन और शिक्षा

दत्तात्रेय ने जीवन में 24 गुरु माने और उनसे विभिन्न ज्ञान अर्जित किया। उनके गुरु थे – पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश, सूर्य, चंद्रमा, समुद्र, और यहां तक कि पक्षी और पशु भी।
दत्तात्रेय ने इन गुरुओं से सीखा कि सादगी, त्याग, सेवा, और समर्पण ही जीवन के मूल मूल्य हैं।


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दत्तात्रेय की दिव्य शक्तियां

  1. त्रिदेवों के अवतार होने के कारण उनमें ब्रह्मा की सृष्टि शक्ति, विष्णु की पालन शक्ति और शिव की संहार शक्ति समाहित है।
  2. वे हर भक्त की समस्या को सुनते हैं और उनका समाधान करते हैं।
  3. उनके आशीर्वाद से साधक को भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि प्राप्त होती है।

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दत्तात्रेय की शिक्षा और संदेश

  1. जीवन में गुरु का महत्व सर्वोपरि है।
  2. सृष्टि के हर तत्व से सीखना चाहिए।
  3. स्वार्थ को त्यागकर सेवा और समर्पण का जीवन अपनाना चाहिए।
  4. आत्मज्ञान और भक्ति से ही जीवन में पूर्णता प्राप्त होती है।

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महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर

1. दत्तात्रेय जयंती क्यों मनाई जाती है?

भगवान दत्तात्रेय के जन्मदिन के उपलक्ष्य में यह पर्व मनाया जाता है।

2. दत्तात्रेय कौन हैं?

वे त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) के संयुक्त अवतार हैं।

3. दत्तात्रेय मंत्र का क्या महत्व है?

इस मंत्र से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

4. दत्तात्रेय जयंती के दिन उपवास क्यों रखते हैं?

उपवास करने से मन और आत्मा शुद्ध होती है।

5. दत्तात्रेय जयंती कब आती है?

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन।

6. क्या दत्तात्रेय जयंती केवल भारत में मनाई जाती है?

मुख्यतः भारत में, लेकिन विदेशों में भी भक्त इसे मनाते हैं।

7. दत्तात्रेय पूजा में कौन से प्रसाद चढ़ाए जाते हैं?

मिठाई, फल, और पंचामृत।

8. क्या दत्तात्रेय जयंती पर हवन आवश्यक है?

हवन वैकल्पिक है लेकिन लाभकारी होता है।

9. क्या बच्चों को दत्तात्रेय जयंती में शामिल किया जा सकता है?

हां, यह पर्व बच्चों के लिए भी शिक्षाप्रद है।

10. दत्तात्रेय जयंती पर क्या दान करना चाहिए?

अन्न, वस्त्र, और धन का दान।

11. दत्तात्रेय जयंती के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

झूठ बोलना और हिंसा से बचना चाहिए।

12. दत्तात्रेय जयंती का मुख्य संदेश क्या है?

समर्पण, सत्य और सेवा का पालन।

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