Devi Kavacham- Protection from all directions
देवी कवचम्: पूरे परिवार के साथ आपकी सुरक्षा
रक्षा करने वाली देवी कवचम् एक महत्वपूर्ण संस्कृत श्लोक है, जो दुर्गा सप्तशती (चंडी पाठ) का अंग है। यह कवच देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की स्तुति करता है और उनकी सुरक्षा, आशीर्वाद, और कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह माना जाता है कि देवी कवचम् का पाठ करने से व्यक्ति की चारों दिशाओं से सुरक्षा होती है और उसे सभी प्रकार की विपत्तियों और दुखों से मुक्ति मिलती है।
संपूर्ण देवी कवचम् व उसका अर्थ:
श्लोक 1: विनियोग
ॐ अस्य श्री चण्डी कवचस्य।
ब्रह्मा ऋषिः। अनुष्टुप् छन्दः।
चामुण्डा देवता। अंगन्यासोक्तमातरो बीजम्।
दिग्बन्ध देवतास्तत्त्वम्। श्रीजगदम्बा प्रीत्यर्थे सप्तशती पाठांङ्गत्वेन जपे विनियोगः॥
अर्थ:
इस चण्डी कवच का ऋषि ब्रह्मा है, छन्द अनुष्टुप् है, चामुण्डा देवी इसकी देवता हैं। यह कवच अंगों की रक्षा के लिए है और इसे विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए जपने का विधान है।
श्लोक 2:
ॐ नमश्चण्डिकायै॥
अर्थ:
चण्डिका देवी को नमस्कार है।
श्लोक 3:
मार्कण्डेय उवाच।
यद्गुह्यं परमं लोके सर्वरक्षाकरं नृणाम्। यन्न कस्यचिदाख्यातं तन्मे ब्रूहि पितामह॥
अर्थ:
मार्कण्डेय ऋषि कहते हैं, “हे पितामह, वह जो इस संसार में अत्यंत गुप्त और सर्व रक्षा करने वाला है, जो किसी को भी नहीं बताया गया है, कृपया मुझे बताएं।”
श्लोक 4:
ब्रह्मोवाच।
अस्ति गुह्यतमं विप्र सर्वभूतोपकारकम्। देव्यास्तु कवचं पुण्यं तच्छृणुष्व महामुने॥
अर्थ:
ब्रह्मा जी कहते हैं, “हे महर्षि, यह सबसे गुप्त और सब प्राणियों के लिए कल्याणकारी देवी का कवच है। इसे सुनो।”
श्लोक 5:
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्॥
अर्थ:
देवी के प्रथम रूप शैलपुत्री हैं, द्वितीय रूप ब्रह्मचारिणी हैं, तृतीय रूप चन्द्रघण्टा और चतुर्थ रूप कूष्माण्डा हैं।
श्लोक 6:
पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्॥
अर्थ:
पंचम रूप स्कन्दमाता हैं, षष्ठम रूप कात्यायनी, सप्तम रूप कालरात्रि और अष्टम रूप महागौरी हैं।
श्लोक 7:
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः। उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना॥
अर्थ:
नवम रूप सिद्धिदात्री है। ये नव दुर्गा के नाम ब्रह्मा जी द्वारा बताए गए हैं।
श्लोक 8:
अग्निना दह्यमानस्तु शत्रुमध्ये गतो रणे। विषमे दुर्गमे चैव भयार्ताः शरणं गताः॥
अर्थ:
जो अग्नि में जल रहे हों, शत्रुओं के मध्य युद्ध में हों, संकट में हों, वे भयभीत होकर इन नामों का स्मरण करें।
श्लोक 9:
न तेषां जायते किञ्चिदशुभं रणसङ्कटे। नापदं तस्य पश्यामि शोकदुःखभयं न हि॥
अर्थ:
उन लोगों को युद्ध के संकट में, या अन्य किसी प्रकार की विपत्ति में, किसी प्रकार का अनिष्ट नहीं होता। उन्हें शोक, दुःख, या भय की प्राप्ति नहीं होती।
श्लोक 10:
यैस्तु देवीस्मृताः नित्यं देवा वा शत्रुभिः सह। जयं प्राप्नोति संग्रामे न तेषां जायते भयम्॥
अर्थ:
जो व्यक्ति नित्य देवी का स्मरण करते हैं, वे चाहे युद्ध में हों, वे सदैव विजयी होते हैं और उन्हें भय की प्राप्ति नहीं होती।
श्लोक 11:
ऋषिरुवाच।
प्रयाणे वाजिनं ध्यायेत्कुमारं स्कन्दमातृकम्। एवं युध्यते शत्रुभिः संग्रामे जयमाप्नुयात्॥
अर्थ:
ऋषि कहते हैं, “यात्रा के समय स्कन्दमाता के पुत्र कुमार कार्तिकेय का ध्यान करना चाहिए। ऐसा करने से युद्ध में शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।”
श्लोक 12:
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्। पठन्ति कवचं पुण्यं यस्तु शत्रुक्षयं व्रजेत्॥
अर्थ:
मारण, मोहन, वशीकरण, स्तम्भन और उच्चाटन जैसे कार्यों के लिए इस पवित्र कवच का पाठ करना चाहिए। इससे शत्रुओं का नाश होता है।
श्लोक 13:
सर्वरक्षाकरं पुण्यं सर्वसम्पत्प्रदायकम्। सर्वतज्जयमाप्नोति वंशपुष्टिं प्रजायते॥
अर्थ:
यह कवच सर्वरक्षाकर है और सभी प्रकार की सम्पत्ति देने वाला है। इसका पाठ करने से व्यक्ति को सर्वत्र विजय मिलती है और उसका वंश पुष्ट होता है।
श्लोक 14:
धनधान्यसमृद्धिस्तु प्रजासम्पत्प्रवर्धते। पाठे ते देवि ते भक्त्या श्वेतं च दधि सर्पिषः॥
अर्थ:
इस कवच का पाठ करने से धन, धान्य, और संतान की प्राप्ति होती है। देवी के प्रति भक्ति से श्वेत वस्त्र, दधि (दही), और घी की आहुति दें।
श्लोक 15:
ततः सिद्धिर्भवेद्देवि सर्वकार्येषु निश्चलाम्। त्रैलोक्ये वशमाप्नोति पुण्यं यशोऽवाप्नुयात्॥
अर्थ:
ऐसा करने से देवी सिद्धि प्रदान करती हैं और व्यक्ति के सभी कार्य सफल होते हैं। उसे तीनों लोकों में विजय प्राप्त होती है और वह पुण्य और यश का भागी बनता है।
देवी कवचम् के लाभ
- सर्व रक्षण: देवी कवचम् का पाठ व्यक्ति को चारों दिशाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
- धन-संपत्ति: इसका पाठ करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है।
- शत्रु विजय: शत्रुओं से मुक्ति और विजय प्राप्त होती है।
- मानसिक शांति: इसका नियमित पाठ मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।
- संतान सुख: संतान सुख और वंश वृद्धि के लिए लाभकारी है।
- सम्पूर्ण सफलता: यह कवच जीवन के सभी कार्यों में सफलता सुनिश्चित करता है।
- स्वास्थ्य लाभ: इसके पाठ से स्वास्थ्य में सुधार होता है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
- भयमुक्ति: यह कवच सभी प्रकार के भय से मुक्ति दिलाता है।
- अलौकिक शक्ति: देवी की कृपा से अलौकिक शक्तियों की प्राप्ति होती है।
- प्रभुत्व प्राप्ति: समाज में सम्मान और प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।
- दुष्टों से रक्षा: दुष्ट आत्माओं और बुरी शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।
- भौतिक समृद्धि: सभी भौतिक इच्छाओं की पूर्ति होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- विपत्ति से रक्षा: यह कवच व्यक्ति को सभी प्रकार की विपत्तियों से सुरक्षित रखता है।
- शांति और समृद्धि: इसके नियमित पाठ से घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है।
देवी कवचम् पाठ की विधि
- दिन और अवधि: देवी कवचम् का पाठ किसी भी दिन प्रारंभ किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से मंगलवार और शुक्रवार को शुभ माना जाता है। यह पाठ ४१ दिनों तक लगातार किया जा सकता है।
- समय: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ४ से ६ बजे) इसका पाठ करने का सबसे शुभ समय माना जाता है।
- मुहूर्त: देवी के किसी भी शुभ पर्व या नवरात्रि के समय इसका प्रारंभ करना अत्यंत लाभकारी होता है।
- स्थान: पाठ को शुद्ध, शांत और स्वच्छ स्थान पर करना चाहिए।
- पूजा सामग्री: देवी कवचम् के पाठ के समय धूप, दीप, फूल, चंदन और नैवेद्य (भोग) अर्पित करना चाहिए।
देवी कवचम् के नियम
- गुप्त साधना: साधना को गुप्त रखना चाहिए और केवल वही लोग इसके बारे में जानें, जिन पर आप भरोसा करते हैं।
- शुद्धता: पाठ के समय मानसिक और शारीरिक शुद्धता बनाए रखें।
- नियमितता: नियमित रूप से पाठ करना चाहिए। अगर किसी कारणवश एक दिन छूट जाए, तो पुनः शुरुआत करें।
- संयम: पाठ के समय संयमित और सात्विक आहार लेना चाहिए।
- सद्गुणों का पालन: साधना के समय सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य और अन्य सद्गुणों का पालन करें।
देवी कवचम् के पाठ में सावधानियां
- आस्था: पाठ को श्रद्धा और आस्था के साथ करना चाहिए।
- विनम्रता: देवी की स्तुति करते समय अहंकार या गर्व नहीं करना चाहिए।
- भोजन नियम: पाठ के समय हल्का और सात्विक भोजन करें।
- विशेष परिस्थिति: बीमार या कमजोर स्थिति में पाठ ना करें।
- मंत्र शुद्धि: मंत्रों का उच्चारण शुद्धता के साथ करना चाहिए। गलत उच्चारण से बचें।
देवी कवचम् से जुड़े सामान्य प्रश्न
- प्रश्न: देवी कवचम् का पाठ किस उद्देश्य से किया जाता है?
उत्तर: देवी कवचम् का पाठ सुरक्षा, शांति, समृद्धि और देवी की कृपा प्राप्ति के लिए किया जाता है। - प्रश्न: क्या देवी कवचम् का पाठ किसी विशेष दिन करना चाहिए?
उत्तर: हाँ, मंगलवार या शुक्रवार को पाठ प्रारंभ करना शुभ माना जाता है। - प्रश्न: क्या देवी कवचम् का पाठ अकेले किया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, देवी कवचम् का पाठ अकेले भी किया जा सकता है, लेकिन नियम और संयम का पालन आवश्यक है। - प्रश्न: क्या देवी कवचम् का पाठ रात में किया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त में पाठ करना अधिक शुभ माना जाता है। - प्रश्न: क्या देवी कवचम् का पाठ करने के बाद किसी को बताना चाहिए?
उत्तर: नहीं, साधना को गुप्त रखना चाहिए। - प्रश्न: देवी कवचम् का पाठ कितने समय तक करना चाहिए?
उत्तर: देवी कवचम् का पाठ ४१ दिनों तक निरंतर करना शुभ होता है। - प्रश्न: क्या देवी कवचम् का पाठ करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं?
उत्तर: श्रद्धा और विश्वास के साथ किया गया पाठ सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाता है। - प्रश्न: क्या पाठ के समय विशेष वस्त्र पहनने चाहिए?
उत्तर: शुद्ध और स्वच्छ वस्त्र पहनना चाहिए। सफेद या लाल वस्त्र पहनना अधिक शुभ माना जाता है। - प्रश्न: क्या देवी कवचम् का पाठ केवल नवरात्रि में किया जा सकता है?
उत्तर: नहीं, इसे किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन नवरात्रि में इसका विशेष महत्व होता है। - प्रश्न: क्या बच्चों के लिए देवी कवचम् का पाठ शुभ होता है?
उत्तर: हाँ, बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए यह अत्यंत शुभ होता है। - प्रश्न: क्या देवी कवचम् का पाठ करने से शत्रु बाधा दूर होती है?
उत्तर: हाँ, यह कवच शत्रुओं से रक्षा करता है और उनकी बाधाओं को दूर करता है। - प्रश्न: क्या देवी कवचम् का पाठ करने के लिए कोई गुरु होना आवश्यक है?
उत्तर: नहीं, लेकिन यदि कोई गुरु हो तो उसका मार्गदर्शन लेना अच्छा होता है। - प्रश्न: क्या देवी कवचम् का पाठ करते समय ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, ध्यान और मन की शांति के साथ पाठ करना अत्यधिक लाभकारी होता है। - प्रश्न: क्या देवी कवचम् का पाठ बिना किसी विशेष उद्देश्य के किया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, इसे किसी विशेष उद्देश्य के बिना भी नियमित रूप से किया जा सकता है। - प्रश्न: क्या देवी कवचम् का पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है?
उत्तर: हाँ, इसका पाठ मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।
देवी कवचम् एक अद्भुत और शक्तिशाली स्तोत्र है, जो भक्तों को देवी दुर्गा की कृपा और सुरक्षा प्रदान करता है। इसका नियमित पाठ व्यक्ति को जीवन की कठिनाइयों से उबरने में मदद करता है और उसे आत्मिक और भौतिक समृद्धि प्रदान करता है। इसके साथ ही, इसका पाठ करते समय नियमों और सावधानियों का पालन करना आवश्यक है, जिससे इसका पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके।