धूमावती कवचम्- धन सुख समृद्धि, मान सम्मान जो चला गया है, उसे पुनः प्राप्त करने के लिये
धूमावती कवचम् का पाठ रविवार कि नियमित करने से डूबा हुआ मान सम्मान, धन, सुख समृद्धि को वापस पा सकते है। इस कवच के पाठ से साधकों को सुरक्षा, सिद्धि, और अनेक लाभ प्राप्त होते है। धूमावती देवी का संबंध तंत्रिक साधनाओं से होता है और उन्हें १० महाविद्याओं में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि जब कोई उपाय न बचा हो, तब धूमावती कवच का पाठ करना चाहिये।
धूमावती कवचम् का संपूर्ण पाठ और अर्थ
धूमावती कवचम् का पाठ कुछ इस प्रकार है:
ॐ अस्य श्रीधूमावती कवचस्य,
ऋषिः: दुर्वासा
छन्दः: गायत्री
देवी धूमावती देवता।
धूम्राय नमः बीजं
स्वाहा शक्तिः
हुं कीलकं।
मम धूमावती प्रीत्यर्थे, सर्वसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः।।
ध्यानम्
प्रसन्नवदनां श्यामां ताम्रवक्त्रां जटाधरां।
दधतीं पुस्तकं चर्म चापपाशाक्षसूत्रकं॥
एवं ध्यात्वा जपेन्नित्यं कवचं सर्वकामदम्।
इस प्रारंभिक श्लोक में इस कवच के ऋषि, छंद, देवी और उसके बीज मंत्र का वर्णन है। इसे जपने से पहले साधक को देवी का ध्यान करना चाहिए। इस ध्यान में देवी को प्रसन्नवदना, श्यामवर्णा, ताम्रवक्त्र और जटाधारी रूप में देखा जाता है। यह ध्यान साधक को देवी की कृपा प्राप्त करने में सहायता करता है।
धूमावती मे शिरः पातु,
भालं मे धूम्रवर्जिता।
चक्षुषी धूम्रसम्भूता,
श्रवणे धूमलक्षणा।। १।।
अर्थ: धूमावती देवी मेरे सिर की रक्षा करें। भाल (माथे) की रक्षा धूम्रवर्जिता करें। मेरी आँखों की रक्षा धूम्रसम्भूता करें और मेरे कानों की रक्षा धूमलक्षणा करें।
घ्राणं पातु धूमकेशी,
मुखं मे धूम्रघोषिणी।
जिव्हां धूमावती पातु,
कण्ठं मे धूम्रधारिणी।। २।।
अर्थ: मेरे नासिका (नाक) की रक्षा धूमकेशी करें। मुख की रक्षा धूम्रघोषिणी करें। जिव्हा (जीभ) की रक्षा धूमावती देवी करें और मेरे कण्ठ की रक्षा धूम्रधारिणी करें।
स्कन्धौ मे धूम्रनयना,
भुजौ पातु धूम्रचामुण्डा।
करौ मे धूम्रमालिनी,
हृदयं मे धूम्रवासिनी।। ३।।
अर्थ: मेरे कंधों की रक्षा धूम्रनयना करें। भुजाओं की रक्षा धूम्रचामुण्डा करें। करों (हाथों) की रक्षा धूम्रमालिनी करें और हृदय की रक्षा धूम्रवासिनी करें।
नाभिं पातु धूम्रमुखी,
कटिं मे धूम्रकांक्षा।
ऊरू धूम्रवर्णा मे,
जानुनी धूम्ररूपिणी।। ४।।
अर्थ: मेरी नाभि की रक्षा धूम्रमुखी करें। कटि (कमर) की रक्षा धूम्रकांक्षा करें। ऊरुओं (जांघों) की रक्षा धूम्रवर्णा करें और मेरे घुटनों की रक्षा धूम्ररूपिणी करें।
गुल्फौ पातु धूम्रलेखा,
पादौ मे धूम्रसिद्धिदा।
सर्वाण्यण्गानि मे पातु,
धूमावती महारणा।। ५।।
अर्थ: मेरे गुल्फ (एड़ियों) की रक्षा धूम्रलेखा करें। पादों (पैरों) की रक्षा धूम्रसिद्धिदा करें और मेरे संपूर्ण अंगों की रक्षा धूमावती महारणा करें।
ध्यान:
देवी धूमावती की ध्यान मुद्रा में साधक उन्हें प्रसन्नवदन, ताम्रवक्त्र, जटाधारी और पुस्तक, चर्म, चाप, पाश और अक्षसूत्र धारण किए हुए देखते हैं। यह ध्यान साधक को देवी की कृपा प्राप्त करने में सहायता करता है।
कवच का महत्व
धूमावती कवचम् का पाठ साधक के संपूर्ण शरीर की सुरक्षा के लिए किया जाता है। इसमें देवी धूमावती के विभिन्न नामों का आह्वान करके शरीर के अलग-अलग अंगों की रक्षा की जाती है। इस कवच के नियमित पाठ से साधक को शत्रु नाश, आत्मबल की वृद्धि, और मानसिक एवं शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है। यह कवच साधक को जीवन की कठिनाइयों से बचाने और उनकी साधना में सफलता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।
धूमावती कवचम् के लाभ
- बाधाओं का निवारण: धूमावती कवच का नियमित पाठ जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है।
- सुरक्षा: यह कवच साधक को सभी प्रकार के दुष्प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करता है।
- दुश्मनों से रक्षा: कवच दुश्मनों की कुटिल चालों से सुरक्षा करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक उन्नति के लिए धूमावती कवच अति महत्वपूर्ण है।
- भयमुक्ति: साधक को किसी भी प्रकार के भय से मुक्त करता है।
- धन-संपत्ति में वृद्धि: साधक की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
- स्वास्थ्य: कवच के प्रभाव से साधक का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
- संतान सुख: जिन साधकों को संतान सुख की प्राप्ति में बाधाएं हैं, उन्हें यह कवच मदद करता है।
- शत्रु नाश: कवच के प्रभाव से शत्रु नष्ट हो जाते हैं।
- ध्यान और साधना में सफलता: साधक की साधना और ध्यान में सफलता मिलती है।
- मन की शांति: साधक के मन में शांति का अनुभव होता है।
- मृत्यु भय से मुक्ति: कवच के प्रभाव से साधक मृत्यु के भय से मुक्त होता है।
- कलह का नाश: घर में चल रहे कलह और विवाद का नाश होता है।
- विद्या प्राप्ति: विद्यार्थी इस कवच का पाठ करें तो विद्या प्राप्ति में सफलता मिलती है।
- धन-वैभव की प्राप्ति: साधक को धूमावती कवच के प्रभाव से धन-वैभव की प्राप्ति होती है।
धूमावती कवचम् की विधि
- दिन और मुहूर्त:
- धूमावती कवच का पाठ किसी भी रविवार को या नवरात्रि मे शनिवार और रविवार को किया जा सकता है।
- मध्य रात्रि या सूर्योदय से पहले का समय सर्वोत्तम माना जाता है।
- अवधि (४१ दिन):
- १६ या ४१ रविवार लगातार इस कवच का पाठ करने से साधक को अत्यधिक लाभ मिलता है।
- यदि साधक ४१ रविवार तक नियमित रूप से पाठ नहीं कर सकता, तो कम से कम १६ रविवार इसका पाठ करना आवश्यक होता है।
- विधि:
- साधक को स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करने चाहिए।
- देवी धूमावती की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाना चाहिए।
- धूप, दीप और नैवेद्य के साथ पूजा करनी चाहिए।
- धूमावती कवच का पाठ १०८ बार किया जाना चाहिए।
- पाठ समाप्ति के बाद देवी से क्षमा याचना करें और मनोकामना की प्रार्थना करें।
धूमावती कवच के नियम
- पूजा और साधना को गुप्त रखना: धूमावती की साधना और कवच पाठ को गुप्त रखना अति आवश्यक है।
- पूजा घरः याद रखे इनकी पूजा घर के मंदिर को छोड़कर किसी भी जगह कर सकते है
- विशेष आहार नियम: साधना के दौरान तामसिक भोजन, मदिरा और मांस का सेवन वर्जित है।
- पवित्रता: साधक को मानसिक और शारीरिक पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए।
- नियमितता: धूमावती कवच का पाठ नियमपूर्वक करना चाहिए, बीच में कोई अवरोध नहीं होना चाहिए।
धूमावती कवचम् पाठ के दौरान सावधानियां
- पूजा के दौरान अपवित्रता से बचें: पाठ के समय किसी प्रकार की अपवित्रता ना हो, इसका विशेष ध्यान रखें।
- व्रत और उपवास: साधक को आवश्यकतानुसार व्रत और उपवास रखना चाहिए।
- सावधानीपूर्वक शब्दों का उच्चारण: धूमावती कवच का पाठ करते समय प्रत्येक शब्द का शुद्ध उच्चारण अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- साधना की गोपनीयता: साधना और कवच पाठ की जानकारी दूसरों से साझा नहीं करनी चाहिए।
- मन में कोई नकारात्मक विचार न रखें: साधना के समय मन में कोई नकारात्मक विचार नहीं होना चाहिए।
धूमावती कवचम् – प्रश्न-उत्तर
प्रश्न १: धूमावती कौन हैं?
उत्तर: धूमावती देवी अष्ट महाविद्याओं में से एक हैं, जो विधवा और दुख के रूप में पूजी जाती हैं। वे देवी पार्वती का उग्र रूप हैं।
प्रश्न २: धूमावती कवच का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: धूमावती कवच का उद्देश्य साधक की सुरक्षा, बाधाओं का निवारण और शत्रुओं का नाश करना है।
प्रश्न ३: धूमावती कवच का पाठ किसे करना चाहिए?
उत्तर: धूमावती कवच का पाठ वही साधक करें जो धूमावती देवी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं और जब हर उपाय करके थक चुके हो तो ही माता धूमावती की शरण मे जाना चाहिये।
प्रश्न ४: धूमावती कवच का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: धूमावती कवच का पाठ रविवार को किया जाता है, विशेष रूप से रात्रि या सूर्योदय से पहले।
प्रश्न ५: क्या धूमावती कवच का पाठ सभी कर सकते हैं?
उत्तर: धूमावती कवच का पाठ वही कर सकते हैं जो शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध हैं और साधना के नियमों का पालन कर सकते हैं।
प्रश्न ६: धूमावती कवच का पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?
उत्तर: धूमावती कवच का पाठ कम से कम १६ या ४१ रविवार तक कर सकते है, सिर्फ नवरात्रि को शनिवार रविवार के दिन इनकी पूजा होती है।
प्रश्न ७: क्या धूमावती कवच का पाठ करते समय विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, साधक को विशेष आहार नियम, शुद्धता और पूजा के गुप्त रखने के नियमों का पालन करना चाहिए।
प्रश्न ८: धूमावती कवच के क्या लाभ होते हैं?
उत्तर: धूमावती कवच के अनेक लाभ होते हैं जैसे बाधाओं का निवारण, शत्रुओं का नाश, स्वास्थ्य में सुधार और आर्थिक संपन्नता।
प्रश्न ९: धूमावती कवच का पाठ कैसे प्रारंभ करें?
उत्तर: स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण कर, देवी धूमावती की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर, धूप, दीप और नैवेद्य के साथ पूजा करके पाठ प्रारंभ करें।
प्रश्न १०: क्या धूमावती कवच का पाठ अन्य साधनों के साथ किया जा सकता है?
उत्तर: धूमावती कवच का पाठ अन्य पूजा पाठ के साथ नही किया जा सकता ।
प्रश्न ११: धूमावती कवच के पाठ के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर: साधना के दौरान पवित्रता, उच्चारण की शुद्धता और गोपनीयता का ध्यान रखना चाहिए।
प्रश्न १२: धूमावती कवच का पाठ करने के लिए क्या आवश्यक सामग्री चाहिए?
उत्तर: धूमावती कवच का पाठ करने के लिए धूप, दीप, नैवेद्य, फूल और शुद्ध वस्त्र आवश्यक हैं।
प्रश्न १३: धूमावती कवच का पाठ करते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर: साधक को अपवित्रता से बचना चाहिए और पाठ के दौरान मन में कोई नकारात्मक विचार नहीं रखना चाहिए।
प्रश्न १४: धूमावती कवच का पाठ सफल होने पर क्या अनुभव होता है?
उत्तर: साधक को आध्यात्मिक शांति, जीवन में सुधार, और देवी की कृपा का अनुभव होता है।
प्रश्न १५: क्या धूमावती कवच का पाठ असफल हो सकता है?
उत्तर: यदि साधक नियमों का पालन नहीं करता, शुद्धता का ध्यान नहीं रखता या साधना की गोपनीयता भंग करता है, तो कवच का पाठ असफल हो सकता है।
धूमावती कवचम् एक अति महत्वपूर्ण साधना स्तोत्र है जो साधक को अनेक लाभ प्रदान करता है। इसका सही विधि से पाठ करने से साधक को देवी धूमावती की कृपा प्राप्त होती है, और उनके जीवन की सभी बाधाओं का निवारण होता है। साधना के नियमों और गोपनीयता का पालन करने से साधक को अधिक लाभ मिलता है और उनकी साधना सफल होती है।