मातंगी कवचम् – योग्यता के साथ बड़े सपने को पूरा करे
मातंगी देवी को विद्या, संगीत, कला और नई खोज की देवी माना जाता है। वे तंत्रिक देवी मानी जाती हैं, जो अपनी भक्तों को ज्ञान और सफलता का वरदान देती हैं। मातंगी कवचम् एक तांत्रिक स्तोत्र है, जो मातंगी देवी के संरक्षण और आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए पाठ किया जाता है। यह कवच भक्त को नकारात्मक शक्तियों से बचाता है और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।
संपूर्ण मातंगी कवचम् व उसका हिंदी अर्थ
मातंगी कवचम् एक तांत्रिक स्तोत्र है जो देवी मातंगी की स्तुति और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए पाठ किया जाता है। इस कवच के माध्यम से साधक देवी मातंगी से अपने जीवन में शांति, समृद्धि, और सुरक्षा की प्रार्थना करता है।
यहाँ संपूर्ण मातंगी कवचम् के श्लोक और उनके हिंदी अर्थ दिए गए हैं:
॥ अथ मातंग्याः कवचम् ॥
अस्य श्रीमातंगी कवचस्य गौतम ऋषिः।
श्री मातंगी देवता।
अनुष्टुप छन्दः।
श्री मातंगी प्रसाद सिद्ध्यर्थे पाठे विनियोगः॥
कवचम्
श्लोक 1:
ध्यानं प्रपद्ये शिरसा ज्वलन्तीं,
नानाविधां भूषण मण्डिताङ्गीम्।
दिव्यांगनासेवितपादपद्मां,
मातङ्ग कन्याम् सततं स्मरामि॥
श्लोक 2:
रक्ताम्बरा रक्तवराभिरामा,
ग्राम्यैः सदा सेव्यमानां सुवर्णाम्।
मातङ्ग कन्यां मदनारुणाङ्गीं,
बालेन्दुवक्रां प्रणमामि देवीं॥
श्लोक 3:
दुर्वारशक्तिर्मम पातु शीर्षं,
श्रीराजमाताऽवतु भालदेशम्।
विध्यादिनाथप्रमथेश्वरी मे,
नेत्रद्वयं पातु सुकेशिनी स्यात्॥
श्लोक 4:
श्रोत्रे सदोपातु सुशिष्टमाला,
नासां सदा पातु सुधाघटेशी।
वक्त्रं च पातु त्रिभुवनमाता,
दंष्ट्रा च मां पातु धरारविन्दा॥
श्लोक 6:
स्तनौ सदा पातु सुवर्णवर्णा,
हृदयं सदा पातु हरिप्रिया मे।
नाभिं सदा पातु सुरेश्वरी मे,
कटिं सदा पातु कपालमालिनी॥
श्लोक 5:
पातालवासिनी कण्ठदेशं,
स्कन्धौ सदा पातु सुशिष्टनेत्रा।
भुजौ सदा पातु भुजंगभूषा,
करौ मम पातु कपालयुक्ता॥
श्लोक 7:
ऊर्वोः सदा पातु कुशेशयानां,
जानु दवन्द्वं पातु जटाधरी मे।
गुल्फौ सदा पातु सुकेशिनी मे,
पादौ सदा पातु सुरेश्वरी मे॥
श्लोक 8:
सर्वाणि अङ्गानि सदा पातु सौम्या,
चण्डेश्वरी पातु पुरत्रयं मे।
महामाया सत्वरूढा महेशी,
सर्वत्र मां पातु मतङ्ग कन्या॥
श्लोक 9:
इति कवचं महादिव्यं विद्यासारमिदं महत्।
मातङ्ग्या: पठते यस्तु स याति परमां गतिम्॥
संपूर्ण अर्थ
- मैं अपने मस्तक से ज्वलंत, विभिन्न प्रकार के आभूषणों से सजी हुई, दिव्य स्त्रियों द्वारा सेवित मातंगी देवी का ध्यान करता हूँ।
- रक्त वस्त्र धारण करने वाली, अद्भुत रूपवती, ग्राम्य लोगों द्वारा पूजित, सुवर्ण रूपिणी, मदन के समान लाल अंगों वाली मातंगी देवी को मैं प्रणाम करता हूँ।
- जो अजेय शक्ति हैं, वे मेरे सिर की रक्षा करें। श्रीराजमाता मेरे मस्तक की रक्षा करें। विध्यादिनाथप्रमथेश्वरी देवी मेरे दोनों नेत्रों की रक्षा करें, और सुकेशिनी देवी मेरे केशों की रक्षा करें।
- सुशिष्टमाला देवी मेरे कानों की रक्षा करें। सुधाघटेशी देवी मेरी नासिका की रक्षा करें। त्रिभुवनमाता देवी मेरे मुख की रक्षा करें, और धरारविन्दा देवी मेरी दंष्ट्राओं की रक्षा करें।
- पाताल में वास करने वाली देवी मेरे कण्ठ की रक्षा करें। सुशिष्टनेत्रा देवी मेरे स्कन्धों की रक्षा करें। भुजंगभूषा देवी मेरे भुजाओं की रक्षा करें, और कपालयुक्ता देवी मेरे हाथों की रक्षा करें।
- सुवर्णवर्णा देवी मेरे स्तनों की रक्षा करें। हरिप्रिया देवी मेरे हृदय की रक्षा करें। सुरेश्वरी देवी मेरी नाभि की रक्षा करें, और कपालमालिनी देवी मेरी कटि की रक्षा करें।
- कुशेशयानां देवी मेरी ऊर्वों की रक्षा करें। जटाधरी देवी मेरे दोनों जांघों की रक्षा करें। सुकेशिनी देवी मेरे गुल्फों की रक्षा करें, और सुरेश्वरी देवी मेरे पांवों की रक्षा करें।
- सौम्या देवी मेरे सभी अंगों की रक्षा करें। चण्डेश्वरी देवी मेरे तीनों शरीर की रक्षा करें। महामाया, जो महेश्वर की पत्नी हैं, वे सर्वत्र मेरी रक्षा करें।
- इस प्रकार, यह महान और दिव्य कवच है, जो विद्या का सार है। जो व्यक्ति इस मातंगी कवच का पाठ करता है, वह परम गति को प्राप्त करता है।
लाभ
- बुद्धि का विकास: मातंगी कवचम् का नियमित पाठ व्यक्ति की बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: इस कवच का पाठ करने से साधक को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
- संगीत और कला में प्रवीणता: मातंगी देवी को संगीत और कला की देवी माना जाता है, इसलिए उनके कवच का पाठ करने से इन क्षेत्रों में निपुणता प्राप्त होती है।
- नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा: यह कवच व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षित रखता है।
- बुरी नजर से बचाव: कवच का पाठ करने से बुरी नजर से भी रक्षा होती है।
- स्वास्थ्य में सुधार: इस कवच के प्रभाव से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- शत्रुओं से सुरक्षा: कवच का पाठ करने से शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है।
- धन और समृद्धि: यह कवच व्यक्ति को धन और समृद्धि का वरदान देता है।
- मन की शांति: मातंगी कवचम् का पाठ करने से मन की शांति प्राप्त होती है।
- बड़े सपने: अगर आप अपने जीवन मे बड़े मुकाम पर पहुचना चाहते है ति इस कवच का पाठ अवश्य करना चाहिये।
- वाणी में मधुरता: कवच का पाठ करने से वाणी में मधुरता आती है।
- साहस और धैर्य: यह कवच साहस और धैर्य में वृद्धि करता है।
- परिवारिक कल्याण: मातंगी कवचम् का पाठ करने से परिवारिक कल्याण होता है।
- व्यापार में वृद्धि: इस कवच का पाठ करने से व्यापार में वृद्धि होती है।
- सभी प्रकार की बाधाओं का नाश: कवच का नियमित पाठ सभी प्रकार की बाधाओं का नाश करता है।
विधि
मातंगी कवचम् का पाठ करने के लिए विशेष विधि का पालन किया जाना चाहिए। इसके लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
- दिन: किसी भी शुभ दिन, विशेषकर बुधवार या रविवार को मातंगी कवचम् का आरंभ करें।
- अवधि (41 दिन): इस कवच का पाठ लगातार 41 दिन तक करना चाहिए।
- मुहूर्त: प्रातःकाल या संध्या के समय, शुभ मुहूर्त में कवच का पाठ आरंभ करें।
- स्नान और शुद्धि: पाठ से पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान: एक शुद्ध और शांत स्थान पर बैठकर देवी मातंगी का ध्यान करें।
- दिया जलाना: पाठ के दौरान एक दीपक जलाएं और धूप-दीप का प्रयोग करें।
- कवच पाठ: पाठ की शुरुआत में गणेश वंदना, मातंगी देवी का ध्यान, और फिर कवच का पाठ करें।
नियम
- पूजा और साधना को गुप्त रखें: इस कवच का पाठ गुप्त रूप से करना चाहिए। किसी को भी इसके बारे में जानकारी नहीं होनी चाहिए।
- शुद्धता बनाए रखें: पाठ के दौरान शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। मन, वचन और कर्म से पवित्र रहें।
- नियमितता: 41 दिन तक इस कवच का पाठ बिना किसी अवरोध के करना चाहिए।
- भोग अर्पण: देवी को भोग अर्पण करें, जिसमें फल, मिठाई, और नारियल हो सकते हैं।
- आसन: हमेशा एक ही आसन पर बैठकर पाठ करें।
- साधना के समय शांति: साधना के समय मन और वातावरण में शांति बनाए रखें।
- व्रत का पालन: यदि संभव हो, तो इस दौरान व्रत का पालन करें।
मातंगी कवचम् के पाठ में सावधानी
- मन का संयम: पाठ के समय मन को इधर-उधर न भटकने दें।
- शुद्धता: अशुद्ध वस्त्र या अशुद्ध स्थान पर पाठ न करें।
- नियमों का पालन: सभी नियमों का कठोरता से पालन करें।
- मासिक धर्म: महिलाएं मासिक धर्म के दौरान इस कवच का पाठ न करें।
- रात्रिकाल में पाठ: रात्रिकाल में पाठ करते समय विशेष सावधानी बरतें।
- दूषित भोजन: इस दौरान दूषित या तामसिक भोजन का सेवन न करें।
- आचार-विचार में संयम: आचार-विचार में संयम और पवित्रता का पालन करें।
मातंगी कवचम् पाठ – प्रश्न उत्तर
- प्रश्न: मातंगी कवचम् का मुख्य उद्देश्य क्या है? उत्तर: मातंगी कवचम् का मुख्य उद्देश्य देवी मातंगी का आशीर्वाद प्राप्त करना और नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा करना है।
- प्रश्न: मातंगी कवचम् का पाठ कितने दिन करना चाहिए? उत्तर: इस कवच का पाठ लगातार 41 दिन तक करना चाहिए।
- प्रश्न: मातंगी कवचम् के पाठ के लिए कौन-सा समय उपयुक्त है? उत्तर: प्रातःकाल या संध्या के समय, शुभ मुहूर्त में कवच का पाठ करना उपयुक्त है।
- प्रश्न: मातंगी कवचम् का पाठ किसके लिए फायदेमंद है? उत्तर: यह कवच उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो बुद्धि, कला, संगीत और आध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं।
- प्रश्न: क्या मातंगी कवचम् का पाठ करते समय कोई विशेष पूजा विधि अपनाई जाती है? उत्तर: हाँ, पाठ के समय दीपक जलाना, भोग अर्पण करना, और देवी का ध्यान करना आवश्यक है।
- प्रश्न: मातंगी कवचम् का पाठ करते समय किन नियमों का पालन करना चाहिए? उत्तर: शुद्धता बनाए रखना, साधना को गुप्त रखना, और नियमितता का पालन करना प्रमुख नियम हैं।
- प्रश्न: मातंगी कवचम् का पाठ करने से कौन-कौन से लाभ होते हैं? उत्तर: इस कवच का पाठ बुद्धि का विकास, नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा, और स्वास्थ्य में सुधार सहित 15 लाभ प्रदान करता है।
- प्रश्न: मातंगी कवचम् का पाठ किसके लिए नहीं करना चाहिए? उत्तर: मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को इस कवच का पाठ नहीं करना चाहिए।
- प्रश्न: क्या मातंगी कवचम् का पाठ रात्रिकाल में किया जा सकता है? उत्तर: हाँ, लेकिन रात्रिकाल में पाठ करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
- प्रश्न: मातंगी कवचम् का पाठ करने से क्या व्यक्ति के जीवन में समृद्धि आती है? उत्तर: हाँ, इस कवच का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में धन और समृद्धि आती है।