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Ekadashmukhi Hanuman Mantra -Protection from Evil & Enemies

एकादशमुखी हनुमान मंत्र: शत्रु और तंत्र बाधा से सुरक्षा का गूढ़ रहस्य

हनुमानजी के “एकादशमुखी हनुमान मंत्र” को अत्यंत प्रभावशाली और रक्षक माना गया है। यह मंत्र साधक को शत्रु, तंत्र बाधा, और ऊपरी बाधाओं से सुरक्षा प्रदान करता है, साथ ही धन, परिवार और विवाहित जीवन में सुख-समृद्धि लाने वाला है।

विनियोग मंत्र और उसका अर्थ

विनियोग:
“ॐ अस्य श्री एकादशमुखी हनुमान मंत्रस्य, महर्षि हनुमान ऋषिः, गायत्री छंदः, श्री एकादशमुखी हनुमान देवता, खल नाशय नाशय कार्य सिद्धये जपे विनियोगः।”

अर्थ: इस मंत्र का विनियोग हनुमानजी के एकादश रूपों की आराधना द्वारा शत्रुओं का नाश करने और कार्य सिद्धि के लिए है।

दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र और उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र:
“ॐ हं हुं हुं फट्”

अर्थ: यह दिग्बंधन मंत्र दसों दिशाओं में सुरक्षा घेरा बनाता है, जिससे साधक किसी भी नकारात्मक ऊर्जा या बाहरी बाधा से सुरक्षित रहता है।

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एकादशमुखी हनुमान मंत्र और अर्थ

एकादशमुखी हनुमान मंत्र
“ॐ हं एकादशमुखी हनुमंते खल नाशय नाशय फ्रौं नमः”

मंत्र का अर्थ

इस मंत्र का प्रत्येक शब्द विशेष शक्ति और उद्देश्य के साथ जुड़ा हुआ है:

  • : यह परम शांति और ऊर्जा का प्रतीक है, जो साधक की चेतना को उच्च स्तर पर पहुंचाने में सहायक है।
  • हं : यह हनुमानजी की शक्ति का प्रतीक है। यह ध्वनि साधक को मानसिक और शारीरिक शक्ति प्रदान करती है।
  • एकादशमुखी हनुमंते : हनुमानजी के ग्यारह मुखों का आह्वान। यह विशेष रूप से हनुमानजी के ग्यारह रूपों को समर्पित है, जो शत्रुओं और नकारात्मक शक्तियों का नाश करने में सक्षम हैं।
  • खल नाशय नाशय : इसका अर्थ है “दुष्टों का नाश करो, नाश करो।” साधक प्रार्थना करता है कि हनुमानजी उसकी रक्षा करें और उसके जीवन से सभी शत्रु, तंत्र बाधाएं और अन्य नकारात्मक शक्तियों को दूर करें।
  • फ्रौं : यह बीज मंत्र शक्ति और साहस का प्रतीक है। यह साधक को भयमुक्त रखता है और उसमें आत्मविश्वास का संचार करता है।
  • नमः : इसका अर्थ है “नमस्कार” या “आत्मसमर्पण”। साधक विनम्रता से हनुमानजी के चरणों में अपने आप को समर्पित करता है।

मंत्र का संपूर्ण अर्थ

इस मंत्र के द्वारा साधक हनुमानजी के ग्यारह रूपों का आह्वान करता है और उनसे प्रार्थना करता है कि वे उसके जीवन से सभी दुष्ट, तंत्र-मंत्र बाधाओं और शत्रुओं का नाश करें। यह मंत्र साधक को साहस, शक्ति, और सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा प्रदान करता है।

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जप काल में इन चीजों का सेवन अधिक करें

एकादशमुखी हनुमान मंत्र के जप के दौरान साधक को सात्त्विक और ऊर्जा देने वाले आहार का सेवन करना चाहिए। इससे मन में शांति और शरीर में ऊर्जा बनी रहती है, जो साधना में मददगार होती है।

1. दूध और दूध से बने पदार्थ

  • जप के समय दूध, छाछ, दही आदि का सेवन लाभकारी माना जाता है। यह शुद्ध और ऊर्जा देने वाले पदार्थ होते हैं, जो साधक की शक्ति और सहनशक्ति को बढ़ाते हैं।

2. फल और सूखे मेवे

  • फल जैसे केला, सेब, अनार, और संतरा आदि का सेवन करें। सूखे मेवे जैसे बादाम, अखरोट और किशमिश मानसिक शक्ति और एकाग्रता बढ़ाते हैं। यह सात्त्विक आहार भी माने जाते हैं।

3. पानी और जड़ी-बूटियों का सेवन

  • जप के समय अधिक मात्रा में पानी पीने से शरीर में तरलता बनी रहती है। तुलसी, गिलोय या अदरक का पानी पीना भी लाभदायक होता है, क्योंकि यह शरीर को शुद्ध और ऊर्जावान बनाए रखते हैं।

4. मिठास के लिए शहद

  • शुद्ध शहद का सेवन करें, जो कि शक्ति और मिठास प्रदान करता है। इससे शरीर की ऊर्जा और मानसिक स्थिरता में वृद्धि होती है।

5. सात्त्विक भोजन

  • बिना मसाले या हल्के मसाले का सात्त्विक भोजन करें। हरी सब्जियां, मूंग की दाल, और चावल जैसे आहार ग्रहण करें। इससे शरीर में शांति और संतुलन बना रहता है।

6. अन्न से अधिक आहार का त्याग करें

  • साधक को अत्यधिक भारी भोजन का त्याग करना चाहिए। केवल हल्का, सात्त्विक भोजन लेने से ऊर्जा और एकाग्रता बनी रहती है।

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एकादशमुखी हनुमान मंत्र के लाभ

  1. शत्रुओं से सुरक्षा
  2. तंत्र-मंत्र बाधा से रक्षा
  3. ऊपरी बाधाओं से सुरक्षा
  4. धन की रक्षा
  5. परिवार की रक्षा
  6. वैवाहिक जीवन में सुख
  7. जीवन में स्थिरता
  8. मानसिक शांति
  9. आत्मबल में वृद्धि
  10. कठिन समय में आत्मविश्वास
  11. किसी भी दुर्घटना से सुरक्षा
  12. संतान सुख
  13. व्यापार में उन्नति
  14. स्वास्थ्य की सुरक्षा
  15. करियर में सफलता
  16. यात्रा में सुरक्षा
  17. घर की सुख-समृद्धि
  18. शत्रुओं पर विजय

पूजा सामग्री और विधि

  • सामग्री: हनुमानी सिंदूर,तिल के तेल का दीपक, लाल आसन
  • विधि: हनुमानजी की तस्वीर के सामने तिल के तेल का दीपक जलाएं, उसमें एक बूंद चमेली का तेल डालें। हनुमान मुद्रा या सूकरी मुद्रा में बैठकर मंगलवार से 20 मिनट तक प्रतिदिन 9 दिन तक इस मंत्र का जप करें। 9 दिन बाद भोजन या अन्न का दान करें। अब हनुमानी सिंदूर को लाल कपड़े मे बांधकर घर के मंदिर, ऑफिस, दुकान मे रखे।

मंत्र जप के दिन, अवधि और मुहुर्त

  • मंगलवार से आरंभ करें
  • दिन में 20 मिनट प्रतिदिन जप करें
  • शुभ मुहुर्त में जप प्रारंभ करना लाभकारी होता है

मंत्र जप के नियम

  • उम्र 20 वर्ष से अधिक
  • स्त्री-पुरुष दोनों कर सकते हैं
  • नीले या काले वस्त्र न पहनें
  • धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार का त्याग करें
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें

जप के दौरान सावधानियाँ

  • पवित्रता बनाए रखें
  • किसी भी नकारात्मक विचार को मन में न आने दें
  • समर्पण और श्रद्धा के साथ जप करें

एकादशमुखी हनुमान मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: एकादशमुखी हनुमान मंत्र क्या है?
उत्तर: यह हनुमानजी के ग्यारह रूपों की आराधना का मंत्र है, जो साधक को शत्रु, तंत्र-मंत्र बाधाओं से सुरक्षा और कार्य सिद्धि में मदद करता है।

प्रश्न 2: इस मंत्र का जप कब किया जा सकता है?
उत्तर: यह मंत्र मंगलवार से शुरू करना शुभ माना जाता है। इसे प्रतिदिन सुबह या शाम के समय जप सकते हैं।

प्रश्न 3: इस मंत्र का कितने दिनों तक जप करना चाहिए?
उत्तर: लगातार 9 दिनों तक प्रतिदिन 20 मिनट के लिए जप करें।

प्रश्न 4: इस मंत्र के कौन-कौन से लाभ हैं?
उत्तर: यह मंत्र शत्रु से सुरक्षा, तंत्र बाधा से मुक्ति, धन और परिवार की रक्षा जैसे लाभ प्रदान करता है।

प्रश्न 5: क्या स्त्री और पुरुष दोनों इस मंत्र का जप कर सकते हैं?
उत्तर: हां, स्त्री और पुरुष दोनों इस मंत्र का जप कर सकते हैं, लेकिन नियमों का पालन करना आवश्यक है।

प्रश्न 6: मंत्र जप के समय किस प्रकार के वस्त्र पहनने चाहिए?
उत्तर: लाल, पीले या सफेद वस्त्र पहनना शुभ है; नीले या काले वस्त्र से बचना चाहिए।

प्रश्न 7: मंत्र जप के दौरान किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए?
उत्तर: मांसाहार, मद्यपान, धूम्रपान का सेवन न करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।

प्रश्न 8: इस मंत्र के जप के लिए कौन-कौन सी सामग्री चाहिए?
उत्तर: हनुमानी सिंदूर, तिल के तेल का दीपक, लाल आसन, और हनुमानजी की तस्वीर।

प्रश्न 9: क्या इस मंत्र का प्रभाव तुरंत दिखता है?
उत्तर: इस मंत्र का प्रभाव धीरे-धीरे साधक की श्रद्धा और समर्पण के अनुसार दिखता है।

प्रश्न 10: क्या इसे घर या ऑफिस में जप सकते हैं?
उत्तर: हां, घर और ऑफिस में एकांत स्थान पर इस मंत्र का जप किया जा सकता है।

प्रश्न 11: क्या इस मंत्र के लिए कोई विशेष दिशा में बैठना जरूरी है?
उत्तर: उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है।

प्रश्न 12: क्या यह मंत्र तंत्र-मंत्र बाधा से मुक्त कर सकता है?
उत्तर: हां, यह मंत्र तंत्र बाधाओं और ऊपरी बाधाओं से सुरक्षा प्रदान करता है, जिससे साधक सुरक्षित रहता है।

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