Ganesha Bhujangam Strotra for Peace & Protection

Ganesha Bhujangam Strotra for Peace & Protection

गणेश भुजंगम् स्तोत्र का पाठ रखेगा हर संकट से दूर!

श्री गणेश भुजंगम् स्तोत्र भगवान गणेश की स्तुति में रचित एक पवित्र और शक्तिशाली स्तोत्र है। “भुजंगम्” का अर्थ है “साँप की गति”, और इस स्तोत्र का पाठ एक विशेष छंद में किया जाता है जो सर्प की गति की तरह लयबद्ध होता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने और जीवन के विघ्नों को दूर करने के लिए किया जाता है। भुजंगम् छंद में रचित होने के कारण, यह स्तोत्र एक अनोखे स्वर और ताल में उच्चारित होता है, जिससे मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि होती है।

गणेश भुजंगम् स्तोत्र व उसका अर्थ

भगवान गणेश की स्तुति में रचित एक अत्यंत प्रभावशाली और सुंदर स्तोत्र है। इसे आदिशंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। “भुजंगम्” का अर्थ है “साँप की गति”, और यह स्तोत्र भुजंगप्रयात छंद में रचित है, जो साँप की लहराती गति का प्रतीक है।

नीचे गणेश भुजंगम् स्तोत्र और उसका अर्थ प्रस्तुत है:

गणेश भुजंगम् स्तोत्र:

श्रीगणेशाय नमः।

1 से ४ श्लोक व उसका अर्थ

विनायकं ज्ञानदसिंहनाथं गजेन्द्रचर्माम्बरमिन्द्रगोपम्।
चारुं चतुर्बाहुं अकारणं च वन्दे महाकारणकारणं तम्॥ 1॥

अर्थ: मैं उस विनायक की वंदना करता हूँ, जो ज्ञान का सिंह है, गजेन्द्र के चर्म का वस्त्र धारण किए हुए हैं, इन्द्रगोप (लाल) के समान रंग वाले हैं, चार भुजाओं वाले हैं और बिना किसी कारण के सब कारणों का कारण हैं।

विध्याचलोद्भूतसुनीलवर्णं मौक्तिकदंतोज्ज्वलमंदहासम्।
वलारिकुंभोज्ज्वलवारिमेघं वन्दे महाकर्णिकसूनुसारम्॥ 2॥

अर्थ: मैं उन गणेश जी की वंदना करता हूँ, जिनका रंग विध्याचल पर्वत की तरह नीला है, जिनकी मोतियों जैसे सफेद दांत और मधुर हंसी है, जो शरद ऋतु के मेघ के समान चमकते हैं और जिनका शरीर गजराज की सूंड के समान है।

शंभुसुतं सुम्बितपार्वतीशं वन्दे सुरारातिविमर्ददक्षम्।
गजसुरेन्द्रस्य शरीरखण्डं निम्नं कुबेरस्य धनं च कुर्यात्॥ 3॥

अर्थ: मैं शंकर और पार्वती के पुत्र गणेश की वंदना करता हूँ, जो देवताओं के शत्रुओं का संहार करने में सक्षम हैं। गजासुर का शरीर टुकड़े-टुकड़े कर दिया और कुबेर का धन लेकर उसके सारा ऐश्वर्य प्रदान करते हैं।

गणेशपञ्चायुधमेकदन्तं लम्बोदरं नन्दिपारावतारम्।
वज्रांकुशौ दक्षकरावलम्बं वन्दे गुहेशं गुणितागुणं तम्॥ 4॥

५ से ८ श्लोक व उसका अर्थ

अर्थ: मैं गणेश की वंदना करता हूँ, जो पञ्चायुध धारण किए हुए हैं, एकदन्त हैं, लम्बोदर हैं और नन्दि तथा पारावत के रूप में प्रकट होते हैं। जिनके दक्षिण हाथ में वज्र और अंकुश शोभायमान हैं और जो गुण और निर्गुण दोनों से परे हैं।

त्रिकालमेकारणमेकरूपं शम्भुसुतं शंकरमेकदन्तम्।
गदासिनं पाशधनुःकपारं गजेश्वरं तं गणनाथमीढे॥ 5॥

अर्थ: मैं तीनों कालों (भूत, भविष्य और वर्तमान) के एकमात्र कारण, एकमात्र रूप, शंकर के पुत्र, एकदन्त, गदा, तलवार, पाश और धनुष धारण करने वाले गणेश जी की स्तुति करता हूँ, जो गज (हाथी) के ईश्वर हैं।

करोद्वितीयारुणपल्लवाभं शंखेन्दुवर्णं यशसा युतं तम्।
विपद्गतानां विगतानि सर्वा विपत्तयः सन्तु ममास्तु नाथः॥ 6॥

अर्थ: जिनका दूसरा हाथ अरुण (लाल) पल्लव के समान है, जो शंख और चन्द्र के समान उज्ज्वल हैं और यश से युक्त हैं, उन गणेश जी की मैं स्तुति करता हूँ। मेरी सभी विपत्तियाँ दूर हों और गणेश जी मेरी रक्षा करें।

एकाक्षरं परमं वेदवेद्यं ब्रह्मा शिवं सर्वगमादिदेवम्।
क्रीडावतारं भवसागरस्य पारं प्रभुं विघ्नहरं नमामि॥ 7॥

अर्थ: मैं एकाक्षर (ॐ) स्वरूप, परम, वेदों द्वारा जानने योग्य, ब्रह्मा और शिव के रूप, सर्वव्यापी आदि देव, जो इस संसार-सागर से पार कराने वाले और विघ्नों को हरने वाले प्रभु गणेश को नमस्कार करता हूँ।

यो भक्तियुक्तो भजते वरेण्यं स महापदांभोनिधिबीजमूलम्।
सारोत्तमं सर्वविभूतियुक्तं गणेशपञ्चायुधमीशमीडे॥ 8॥

अर्थ: जो भक्तिभाव से गणेश जी की आराधना करता है, वह सभी महापदों से मुक्त हो जाता है। वह गणेश, जो पंचायुध धारण किए हुए हैं, साररूप और सभी विभूतियों से युक्त हैं, उनकी मैं स्तुति करता हूँ।

इति श्रीमच्छंकराचार्यविरचितं श्रीगणेशभुजङ्गस्तोत्रं संपूर्णम्॥

अर्थ: इस प्रकार श्रीमदादिशंकराचार्य द्वारा रचित श्रीगणेश भुजंग स्तोत्र संपूर्ण हुआ।

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गणेश भुजंगम् स्तोत्र के लाभ

  1. बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति: पाठ से बुद्धि और ज्ञान की वृद्धि होती है।
  2. विघ्नों का नाश: जीवन में आने वाले सभी विघ्न और बाधाएँ दूर होती हैं।
  3. धन और समृद्धि: आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और समृद्धि प्राप्त होती है।
  4. स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  5. सफलता: किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
  6. संतान सुख: संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है।
  7. शत्रु नाश: शत्रुओं का नाश होता है और सुरक्षा मिलती है।
  8. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बढ़ती है।
  9. मन की शांति: मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
  10. आध्यात्मिक उन्नति: आत्मा की उन्नति और आध्यात्मिक जागरूकता प्राप्त होती है।
  11. मनोकामनाओं की पूर्ति: सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  12. मोक्ष की प्राप्ति: जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

गणेश भुजंगम् स्तोत्र की विधि

  1. दिन: किसी भी शुभ दिन से प्रारंभ कर सकते हैं, विशेषकर बुधवार या चतुर्थी तिथि पर।
  2. अवधि (41 दिन): इस स्तोत्र का पाठ 41 दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए।
  3. मुहूर्त: प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त (4-6 बजे) में पाठ करना सर्वोत्तम होता है।
  4. स्थान: स्वच्छ और शांत स्थान पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।

गणेश भुजंगम् स्तोत्र के नियम

  1. पूजा विधि: गणेश जी की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक जलाकर, पुष्प और नैवेद्य अर्पित करके स्तोत्र का पाठ करें।
  2. स्वच्छता: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  3. भक्ति और श्रद्धा: पाठ के समय भगवान गणेश के प्रति पूर्ण भक्ति और श्रद्धा रखें।
  4. साधना को गुप्त रखें: अपनी साधना और पाठ को गुप्त रखें, इसका अनावश्यक प्रचार न करें।

गणेश भुजंगम् स्तोत्र के समय सावधानियाँ

  1. संयमित आहार: सात्विक भोजन ग्रहण करें और तामसिक भोजन से बचें।
  2. शुद्ध मन: पाठ के समय मन को शांत और शुद्ध रखें।
  3. विकारों से दूर रहें: क्रोध, लोभ, और ईर्ष्या जैसी नकारात्मक भावनाओं से दूर रहें।
  4. ध्यान और एकाग्रता: पाठ के समय ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें।

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गणेश भुजंगम् स्तोत्र के प्रश्न और उत्तर

  1. प्रश्न: गणेश भुजंगम् स्तोत्र क्या है?
    उत्तर: यह भगवान गणेश की स्तुति में रचित एक पवित्र और शक्तिशाली स्तोत्र है।
  2. प्रश्न: गणेश भुजंगम् स्तोत्र का महत्व क्या है?
    उत्तर: यह स्तोत्र जीवन के विघ्नों को दूर करने और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
  3. प्रश्न: गणेश भुजंगम् स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए?
    उत्तर: प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में, विशेषकर बुधवार या चतुर्थी तिथि को पाठ करना श्रेष्ठ है।
  4. प्रश्न: गणेश भुजंगम् स्तोत्र की विधि क्या है?
    उत्तर: स्वच्छ स्थान पर बैठकर, गणेश जी की पूजा कर, ध्यानपूर्वक स्तोत्र का पाठ करें।
  5. प्रश्न: क्या गणेश भुजंगम् स्तोत्र को 41 दिनों तक करना चाहिए?
    उत्तर: हाँ, 41 दिनों तक नियमित रूप से पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
  6. प्रश्न: गणेश भुजंगम् स्तोत्र के क्या लाभ हैं?
    उत्तर: बुद्धि, ज्ञान, समृद्धि, स्वास्थ्य और शत्रु नाश जैसे लाभ होते हैं।
  7. प्रश्न: गणेश भुजंगम् स्तोत्र के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
    उत्तर: स्वच्छता, संयमित आहार, और मानसिक शांति का ध्यान रखें।
  8. प्रश्न: क्या गणेश भुजंगम् स्तोत्र को गुप्त रखना चाहिए?
    उत्तर: हाँ, साधना और पाठ को गुप्त रखना चाहिए, इसका प्रचार नहीं करना चाहिए।
  9. प्रश्न: गणेश भुजंगम् स्तोत्र का संपूर्ण अर्थ क्या है?
    उत्तर: इस स्तोत्र में भगवान गणेश की महिमा का वर्णन किया गया है, जो समस्त विघ्नों का नाश करते हैं।
  10. प्रश्न: गणेश भुजंगम् स्तोत्र के लिए कौन सा दिन शुभ होता है?
    उत्तर: बुधवार और चतुर्थी तिथि को यह स्तोत्र शुरू करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  11. प्रश्न: गणेश भुजंगम् स्तोत्र के समय किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?
    उत्तर: स्वच्छता, संयम, और साधना में एकाग्रता बनाए रखें।
  12. प्रश्न: क्या गणेश भुजंगम् स्तोत्र से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं?
    उत्तर: हाँ, श्रद्धा और भक्ति से पाठ करने पर सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।