Ganesha Kavacham Path for Success & Protection

गणेश कवचम् पाठ जो चारो दिशाओं से रक्षा करे

गणेश कवचम् एक दिव्य स्तोत्र है, जिसमें भगवान गणेश की शक्ति और कृपा का वर्णन किया गया है। यह कवच किसी भी प्रकार की बाधा, नकारात्मक ऊर्जा, और अशुभ प्रभावों से रक्षा करने के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है। इस पाठ का नियमित जाप करने से साधक को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। गणेश कवचम् का पाठ विशेष रूप से संकटों के समय, नए कार्य की शुरुआत में, और विद्या, बुद्धि, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है।


गणेश कवचम् का संपूर्ण पाठ

गणेश कवचम् भगवान गणेश का एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जो साधक को हर प्रकार की बाधाओं और विघ्नों से मुक्ति दिलाता है। इसमें भगवान गणेश के विभिन्न रूपों की स्तुति की गई है और उनसे जीवन की विभिन्न समस्याओं और दु:खों से रक्षा की प्रार्थना की गई है। यहाँ गणेश कवचम् का संपूर्ण पाठ और उसका अर्थ प्रस्तुत है:

गणेश कवचम्:

ॐ अस्य श्री गणेश कवच स्तोत्र मंत्रस्य नारद ऋषिः। अनुष्टुप छन्दः। श्री महा गणपतिः देवता।
गं बीजं। ग्लौं शक्तिः। गं कीलकं। मम मनसः चंचलता परिहारार्थे जपे विनियोगः॥

ध्यानम्

सिंहप्रचारे उष्ट्रारूढं हरिद्राभं त्रिलोचनम्।
लम्बोदरं चतुर्बाहुं पाशांकुशधरं विभुम्॥1॥

पाशांकुशधरं वन्दे सर्वविघ्नोपशान्तये।
यो ध्यायति प्रभातकाले सर्वविघ्नात्प्रमुच्यते॥2॥

कवचम्

गणेशः पातु मे मूर्ध्नि, विनायकः पातु मे श्रुती।
हस्तिनादस्तु मे नेत्रे, गजमुखो पातु मे मुखम्॥3॥

विघ्नराजो ललाटं मे, फालमण्डलसंधिषु।
गणाधिपो नासिकायां, पातु जिव्हां सुरेश्वरः॥4॥

वाचं पातु गणक्रीडो, दन्तान पातु गुह्यकृत।
स्कन्धौ पातु गजानन्दो, भुजौ पातु गणाधिपः॥5॥

हस्तौ पातु गजक्रीडो, हृदयं गणनायकः।
स्तनौ पातु गणपति, मध्यं पातु सुरेश्वरः॥6॥

कटिं पातु महाकायो, गुह्यं पातु गणेश्वरः।
ऊरू पातु गजानन्दो, जानुनी विनायकः॥7॥

जंघे पातु जगद्वन्द्यः, पादौ पातु विभूषणः।
अन्यानि सर्वगात्राणि, पातु गणनायकः॥8॥

एवं ध्यात्वा यथाशक्ति, गणेशस्य महात्मनः।
कवचं धारयेन्नित्यं, सर्वविघ्नैः प्रमुच्यते॥9॥


गणेश कवचम् का अर्थ

ध्यानम्:

  • सिंहप्रचारे उष्ट्रारूढं हरिद्राभं त्रिलोचनम्।
    लम्बोदरं चतुर्बाहुं पाशांकुशधरं विभुम्॥1॥
    अर्थ: ध्यान में, भगवान गणेश को सिंह (सिंह पर सवार), उष्ट्र (ऊंट पर सवार), हल्दी के समान रंग, तीन नेत्र, बड़े पेट, चार भुजाओं वाले, पाश (फंदा) और अंकुश (हाथी अंकुश) धारण करने वाले और सर्वव्यापी के रूप में ध्यान किया जाता है।
  • पाशांकुशधरं वन्दे सर्वविघ्नोपशान्तये।
    यो ध्यायति प्रभातकाले सर्वविघ्नात्प्रमुच्यते॥2॥
    अर्थ: जो प्रभातकाल में पाश और अंकुश धारण करने वाले भगवान गणेश का ध्यान करता है, वह सभी विघ्नों से मुक्त हो जाता है।

कवचम्:

  1. गणेशः पातु मे मूर्ध्नि, विनायकः पातु मे श्रुती।
    अर्थ: गणेश जी मेरे मस्तक की रक्षा करें, और विनायक मेरे कानों की रक्षा करें।
  2. हस्तिनादस्तु मे नेत्रे, गजमुखो पातु मे मुखम्॥3॥
    अर्थ: हाथी के समान गर्जना करने वाले गणेश मेरे नेत्रों की रक्षा करें, और गजमुख (हाथी के मुख वाले) मेरे मुख की रक्षा करें।
  3. विघ्नराजो ललाटं मे, फालमण्डलसंधिषु।
    गणाधिपो नासिकायां, पातु जिव्हां सुरेश्वरः॥4॥
    अर्थ: विघ्नों के राजा (विघ्नराज) मेरे ललाट की रक्षा करें, और गणों के अधिपति (गणाधिप) मेरी नासिका (नाक) की और सुरेश्वर (देवताओं के स्वामी) मेरी जिव्हा (जीभ) की रक्षा करें।
  4. वाचं पातु गणक्रीडो, दन्तान पातु गुह्यकृत।
    अर्थ: गणों के साथ खेल करने वाले गणेश मेरी वाणी की और दाँतों की रक्षा करें।
  5. स्कन्धौ पातु गजानन्दो, भुजौ पातु गणाधिपः॥5॥
    अर्थ: गजानन (हाथी का मुख वाले) मेरे कंधों की और गणाधिप (गणों के अधिपति) मेरी भुजाओं की रक्षा करें।
  6. हस्तौ पातु गजक्रीडो, हृदयं गणनायकः।
    स्तनौ पातु गणपति, मध्यं पातु सुरेश्वरः॥6॥
    अर्थ: गजक्रीड़ा (हाथी के समान खेलने वाले) मेरे हाथों की रक्षा करें, गणनायक मेरे हृदय की, गणपति मेरे स्तनों की, और सुरेश्वर मेरे मध्य भाग की रक्षा करें।
  7. कटिं पातु महाकायो, गुह्यं पातु गणेश्वरः।
    ऊरू पातु गजानन्दो, जानुनी विनायकः॥7॥
    अर्थ: महाकाय (विस्तीर्ण शरीर वाले) मेरी कटि (कमर) की, गणेश्वर (गणों के स्वामी) मेरी गुप्त अंगों की, गजानंद (हाथी के मुख वाले) मेरे ऊरू (जांघों) की, और विनायक मेरे जानु (घुटनों) की रक्षा करें।
  8. जंघे पातु जगद्वन्द्यः, पादौ पातु विभूषणः।
    अन्यानि सर्वगात्राणि, पातु गणनायकः॥8॥
    अर्थ: जगद्वंद्य (संसार द्वारा पूजनीय) मेरी जंघाओं की रक्षा करें, विभूषण (गहनों से सुशोभित) मेरे पाँवों की, और गणनायक मेरे सभी अन्य अंगों की रक्षा करें।
  9. एवं ध्यात्वा यथाशक्ति, गणेशस्य महात्मनः।
    कवचं धारयेन्नित्यं, सर्वविघ्नैः प्रमुच्यते॥9॥
    अर्थ: इस प्रकार भगवान गणेश की शक्ति का ध्यान कर, इस कवच का नित्य धारण करने से साधक सभी विघ्नों से मुक्त हो जाता है।

गणेश कवचम् के लाभ

  1. विघ्नों से मुक्ति: सभी प्रकार के विघ्न, बाधाएं और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
  2. सुरक्षा कवच: यह कवच साधक के चारों ओर एक शक्तिशाली सुरक्षा कवच बनाता है।
  3. बुद्धि और विवेक: नियमित पाठ से बुद्धि और विवेक का विकास होता है।
  4. धन और समृद्धि: गणेश कवचम् का पाठ धन, वैभव, और समृद्धि में वृद्धि करता है।
  5. शारीरिक स्वास्थ्य: यह कवच शारीरिक स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति में सहायक है।
  6. मानसिक शांति: मानसिक तनाव और चिंता का नाश करता है।
  7. शिक्षा में सफलता: छात्रों के लिए यह कवच शिक्षा में सफलता और एकाग्रता में सहायक है।
  8. आध्यात्मिक विकास: यह कवच आध्यात्मिक उन्नति और ध्यान में प्रगति में मदद करता है।
  9. कार्य में सफलता: नए कार्यों और योजनाओं में सफलता प्राप्त होती है।
  10. शत्रुओं से सुरक्षा: शत्रुओं के षड्यंत्र और बुरे प्रभाव से सुरक्षा प्रदान करता है।
  11. कर्मों का सुधार: यह साधक के पिछले कर्मों का सुधार करता है।
  12. दुर्भाग्य का नाश: साधक के जीवन से दुर्भाग्य और असफलता का नाश होता है।
  13. स्वप्न दोष निवारण: बुरे सपनों और स्वप्न दोष से मुक्ति मिलती है।
  14. कर्मकांड में सहायक: विभिन्न धार्मिक कर्मकांड और अनुष्ठानों में सफलता प्रदान करता है।
  15. जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति: जीवन की सभी प्रकार की कठिनाइयों और संघर्षों से मुक्ति दिलाता है।

गणेश कवचम् पाठ विधि

  1. दिन: गणेश कवचम् का पाठ किसी भी दिन शुरू किया जा सकता है, परंतु बुधवार और चतुर्थी तिथि विशेष रूप से शुभ मानी जाती है।
  2. अवधि: 41 दिनों तक निरंतर पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।
  3. मुहूर्त: प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में, सूर्योदय से पहले, पाठ का सर्वोत्तम समय होता है।

Ganesha sadhana samagri with diksha


गणेश कवचम् के नियम

  1. पूजा की तैयारी: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। गणेश जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती अर्पित करें।
  2. साधना को गुप्त रखें: साधना का पालन करते समय इसे गोपनीय रखना चाहिए। इसे सार्वजनिक रूप से चर्चा नहीं करनी चाहिए।
  3. नियमितता: पाठ का समय और स्थान निश्चित होना चाहिए। इसे एक ही स्थान पर और एक ही समय पर करना चाहिए।
  4. भोजन का परहेज: साधना के दौरान सात्विक भोजन का पालन करें और तामसिक पदार्थों से दूर रहें।

गणेश कवचम् पाठ के दौरान सावधानियाँ

  1. शुद्धता बनाए रखें: शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
  2. आस्था और विश्वास: गणेश कवचम् का पाठ आस्था और पूर्ण विश्वास के साथ करना चाहिए।
  3. संयमित जीवन: साधना के दौरान संयमित जीवनशैली अपनाएं।
  4. ध्यान भंग से बचें: पाठ के समय ध्यान भंग न होने दें।

Know more about Ganesha mantra


गणेश कवचम् पाठ: प्रश्न और उत्तर

  1. प्रश्न: गणेश कवचम् क्या है?
    उत्तर: गणेश कवचम् एक सुरक्षा स्तोत्र है, जो भगवान गणेश की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है।
  2. प्रश्न: गणेश कवचम् का पाठ कब करना चाहिए?
    उत्तर: गणेश कवचम् का पाठ प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में या किसी शुभ मुहूर्त में किया जा सकता है।
  3. प्रश्न: गणेश कवचम् का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    उत्तर: इसका मुख्य उद्देश्य साधक को विघ्नों से मुक्ति, सुरक्षा, और समृद्धि प्रदान करना है।
  4. प्रश्न: गणेश कवचम् का पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?
    उत्तर: इसे 41 दिनों तक लगातार करने से विशेष लाभ मिलता है।
  5. प्रश्न: गणेश कवचम् पाठ के लिए कौन सा दिन विशेष शुभ है?
    उत्तर: बुधवार और चतुर्थी तिथि विशेष रूप से शुभ मानी जाती है।
  6. प्रश्न: गणेश कवचम् पाठ के दौरान किस प्रकार की साधना गुप्त रखनी चाहिए?
    उत्तर: साधना को व्यक्तिगत और गोपनीय रखना चाहिए।
  7. प्रश्न: क्या गणेश कवचम् का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?
    उत्तर: हाँ, लेकिन प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में इसका सर्वोत्तम फल प्राप्त होता है।
  8. प्रश्न: गणेश कवचम् के पाठ से क्या लाभ होते हैं?
    उत्तर: विघ्नों से मुक्ति, मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ, समृद्धि, और शिक्षा में सफलता जैसे लाभ प्राप्त होते हैं।
  9. प्रश्न: गणेश कवचम् पाठ के समय किन चीजों से बचना चाहिए?
    उत्तर: तामसिक भोजन, बुरे विचार, और नकारात्मकता से बचना चाहिए।
  10. प्रश्न: क्या गणेश कवचम् के पाठ के लिए विशेष तैयारी की आवश्यकता है?
    उत्तर: हाँ, शारीरिक और मानसिक शुद्धता, स्वच्छ वस्त्र, और पूजा सामग्री की तैयारी आवश्यक है।
  11. प्रश्न: गणेश कवचम् पाठ के लिए कौन सी दिशा में बैठना चाहिए?
    उत्तर: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है।
  12. प्रश्न: क्या गणेश कवचम् का पाठ सभी के लिए फायदेमंद है?
    उत्तर: हाँ, यह पाठ सभी के लिए फायदेमंद है, चाहे वे किसी भी उम्र, जाति, या पृष्ठभूमि के हों।

अंत मेः यह सभी जानकारी गणेश कवचम् के पाठ और उसके लाभों के बारे में विस्तृत रूप से प्रदान की गई है। इस पाठ का अनुसरण श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से साधक को अत्यधिक लाभ प्राप्त हो सकते हैं।

spot_img
spot_img

Related Articles

Stay Connected

65,000FansLike
782,365SubscribersSubscribe
spot_img
spot_img

Latest Articles

spot_img
spot_img
Select your currency