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Mahamrityunjay Kavacham Path for Strong Protection

महामृत्युंजय कवचम्- शारीरिक व आर्थिक सुरक्षा के लिये

Mahamrityunjay Kavacham Path, भगवान शिव की स्तुति में रचित एक अत्यंत शक्तिशाली और पवित्र स्तोत्र है। इसे मृत्यु को जीतने वाला और सभी प्रकार के भय, रोग, और शत्रुओं से रक्षा करने वाला माना जाता है। इस कवच का नियमित पाठ व्यक्ति को अकाल मृत्यु, गंभीर बीमारियों, और दुर्घटनाओं से बचाता है। भगवान शिव की कृपा से, महामृत्युंजय कवचम् साधक के जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति लाता है।


महामृत्युंजय कवचम् का संपूर्ण पाठ

महामृत्युंजय कवचम्:

ॐ अस्य श्री महामृत्युंजय कवचस्य, रुद्र ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, श्री त्र्यम्बक त्रिनेत्रेश्वर महादेवो देवता।
ॐ जूं सः बीजम्, ॐ हौं शक्तिः, ॐ हं कीलकं, श्री त्र्यम्बक त्रिनेत्रेश्वर महादेवप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः॥

ध्यायेत् महेशं तं सौम्यं पाशांकुशधरं रथं।
त्रिनेत्रं शूलधरं चन्द्रार्धमौलिं जगत्पतिम्॥1॥

शिवो रक्षतु शीर्षदेशे, शिवशंकरः पातु ललाटदेशे।
नीलकण्ठः पातु नासिकायां, शूलपाणिः पातु च नेत्रयुग्मम्॥2॥

शिवो रक्षतु जिव्हायां, पातु कण्ठं च शंकरः।
हृदयम् पातु भवानीशः, स्कंधयोः पातु चण्डेशः॥3॥

करौ पातु महादेवः, त्रिनेत्रः पातु वक्षसि।
कटिं पातु पशुपतिः, पादौ पातु जगत्पतिः॥4॥

अणुग्रैवायां पातु देवः, पृष्ठदेशे नीललोहितः।
सर्वाङ्गे पातु परमेश्वरः, नाभिं मे पातु भूतपः॥5॥

गुह्यं पातु महादेवः, मूर्ध्नि पातु सदाशिवः।
सर्वत्र रक्षयेद्देवः, त्र्यम्बकः पातु सर्वदा॥6॥

इति ते कथितं दिव्यं कवचं सर्पनाशनम्।
महामृत्युंजयस्यास्य जपात्पापं व्यपोहति॥7॥

यं यं स्मरति च ब्रह्मा यं यं स्मरति च हरिः।
यं यं स्मरति चेशानो जगन्मृत्युं जयेद्धरः॥8॥

इति श्री स्कन्द पुराणे उमा महेश्वर संवादे श्री महामृत्युंजय कवचम् सम्पूर्णम्।

अर्थ

श्लोक 1-2:

भगवान शिव के महेश्वर रूप का ध्यान करें, जो सौम्य और शांत स्वभाव के हैं, पाश और अंकुश धारण करते हैं, रथ पर सवार हैं, त्रिनेत्र (तीन नेत्र वाले) हैं, और शूल (त्रिशूल) धारण करते हैं। चन्द्र के अर्धचन्द्र रूप को धारण करते हुए भगवान शिव ललाट और नासिका की रक्षा करें।

श्लोक 3-4:

भगवान शिव जिव्हा (जीभ) की, शंकर गले की, भवानीश हृदय की, चंडेश स्कंध (कंधे) की, महादेव हाथों की, त्रिनेत्र वक्षस्थल (छाती) की, और पशुपति कटि (कमर) की रक्षा करें। जगतपति पैर की रक्षा करें।

श्लोक 5-6:

भगवान शिव ग्रैवा (गर्दन) की, नीललोहित पृष्ठ (पीठ) की, परमेश्वर सभी अंगों की, भूतप नाभि की, महादेव गुप्तांगों की, सदाशिव सिर की, और त्र्यम्बक सभी स्थानों और समयों में रक्षा करें।

श्लोक 7-8:

यह दिव्य कवच, जिसे सुनकर सभी प्रकार के सर्पों का नाश होता है, महामृत्युंजय मंत्र के जप से पापों का नाश होता है। भगवान ब्रह्मा, हरि, और महेश्वर भी इस कवच का स्मरण करते हैं, जिससे मृत्यु पर विजय प्राप्त होती है।


महामृत्युंजय कवचम् के लाभ

  1. अकाल मृत्यु से बचाव: यह कवच साधक को अकाल मृत्यु से बचाता है।
  2. गंभीर बीमारियों से रक्षा: गंभीर रोगों और शारीरिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है।
  3. आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि: साधक की आध्यात्मिक शक्ति और एकाग्रता में वृद्धि होती है।
  4. मानसिक शांति: तनाव और चिंता का नाश कर मानसिक शांति प्रदान करता है।
  5. शत्रुओं से रक्षा: शत्रुओं और उनके षड्यंत्रों से सुरक्षा देता है।
  6. दुर्घटनाओं से बचाव: जीवन में होने वाली आकस्मिक दुर्घटनाओं से बचाव करता है।
  7. कर्मों का सुधार: साधक के पिछले कर्मों का सुधार करता है।
  8. पारिवारिक सुख: परिवार में सुख, शांति, और समृद्धि लाता है।
  9. धन लाभ: धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  10. व्यवसाय में सफलता: व्यापार और व्यवसाय में सफलता दिलाता है।
  11. स्वास्थ्य में सुधार: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
  12. संकटों से मुक्ति: जीवन के संकटों और कठिनाइयों से मुक्ति दिलाता है।
  13. सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार करता है।
  14. भय और भय से मुक्ति: सभी प्रकार के भय और डर को समाप्त करता है।
  15. मंत्र सिद्धि: साधक को मंत्र सिद्धि प्राप्त होती है।

महामृत्युंजय कवचम् पाठ विधि

  1. दिन: सोमवार या प्रदोष तिथि को पाठ शुरू करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  2. अवधि: 41 दिनों तक नियमित रूप से पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।
  3. मुहूर्त: प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में पाठ का सर्वोत्तम समय होता है।

Know about pashupat shiva mantra


महामृत्युंजय कवचम् के नियम

  1. पूजा की तैयारी: स्वच्छ वस्त्र धारण करें और शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति के सामने दीपक जलाएं।
  2. साधना को गुप्त रखें: साधना को गोपनीय रखें और इसे दूसरों से साझा न करें।
  3. नियमितता: पाठ का समय और स्थान निश्चित होना चाहिए और इसका पालन नियमित रूप से करें।
  4. भोजन का परहेज: साधना के दौरान सात्विक भोजन करें और तामसिक पदार्थों से दूर रहें।

महामृत्युंजय कवचम् पाठ के दौरान सावधानियाँ

  1. शुद्धता बनाए रखें: शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
  2. आस्था और विश्वास: पाठ के दौरान भगवान शिव के प्रति पूर्ण आस्था और विश्वास रखें।
  3. ध्यान केंद्रित रखें: पाठ के समय ध्यान को एकाग्र बनाए रखें और बाहरी विचारों से दूर रहें।
  4. आचरण में संयम: साधना के दौरान संयमित जीवनशैली अपनाएं और संयमित आचरण करें।

Aghor Mahamrityunjay kavach


महामृत्युंजय कवचम् पाठ: प्रश्न और उत्तर

  1. प्रश्न: महामृत्युंजय कवचम् क्या है?
    उत्तर: यह भगवान शिव की स्तुति में रचित एक शक्तिशाली कवच है, जो साधक को मृत्यु, रोग, और शत्रुओं से बचाने के लिए किया जाता है।
  2. प्रश्न: महामृत्युंजय कवचम् का पाठ कब करना चाहिए?
    उत्तर: इसका पाठ सोमवार या प्रदोष तिथि को प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में करना शुभ होता है।
  3. प्रश्न: महामृत्युंजय कवचम् का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    उत्तर: इसका मुख्य उद्देश्य साधक को अकाल मृत्यु, गंभीर बीमारियों, और शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करना है।
  4. प्रश्न: महामृत्युंजय कवचम् पाठ के लिए कौन सा दिन विशेष शुभ है?
    उत्तर: सोमवार और प्रदोष तिथि विशेष शुभ मानी जाती है।
  5. प्रश्न: क्या महामृत्युंजय कवचम् का पाठ सभी कर सकते हैं?
    उत्तर: हाँ, यह कवच सभी के लिए उपयोगी है और सभी कर सकते हैं।
  6. प्रश्न: महामृत्युंजय कवचम् के पाठ से क्या लाभ होते हैं?
    उत्तर: अकाल मृत्यु से बचाव, रोगों से रक्षा, मानसिक शांति, और समृद्धि जैसे लाभ होते हैं।
  7. प्रश्न: महामृत्युंजय कवचम् के पाठ के लिए कौन सी दिशा की ओर बैठना चाहिए?
    उत्तर: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है।
  8. प्रश्न: महामृत्युंजय कवचम् के पाठ के दौरान क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
    उत्तर: शुद्धता बनाए रखें, ध्यान एकाग्र रखें, और साधना को गोपनीय रखें।
  9. प्रश्न: क्या महामृत्युंजय कवचम् का पाठ करने से आर्थिक लाभ भी होता है?
    उत्तर: हाँ, इसका पाठ धन और समृद्धि की प्राप्ति में भी सहायक होता है।
  10. प्रश्न: महामृत्युंजय कवचम् का पाठ करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
    उत्तर: आस्था, विश्वास, और ध्यान केंद्रित रखना चाहिए।
  11. प्रश्न: महामृत्युंजय कवचम् का पाठ क्यों गोपनीय रखना चाहिए?
    उत्तर: साधना को गोपनीय रखने से उसकी शक्ति और प्रभावशीलता बढ़ती है।
  12. प्रश्न: क्या महामृत्युंजय कवचम् का पाठ सभी प्रकार के रोगों को समाप्त कर सकता है?
    उत्तर: यह सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोगों से रक्षा करता है।

BOOK (३० APRIL 2025) MAHALAKSHMI PUJAN SHIVIR (AKSHAYA TRITIYA) AT DIVYAYOGA ASHRAM (ONLINE/ OFFLINE)

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