Govinashtakam for Wealth Peace & Attraction

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गोविंदाष्टकम्: जीवन का हर सिख भोग आपके कदमों मे!

गोविंदाष्टकम् एक अत्यंत पवित्र और श्रद्धेय व सुख देने वाला स्तोत्र है जो भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का गान करता है। ‘गोविंद’ भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण का एक प्रमुख नाम है, और ‘अष्टक’ का अर्थ है आठ श्लोकों का समूह। गोविंदाष्टकम् स्तोत्र का पाठ भक्तों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है और इसे भक्ति, प्रेम और श्रद्धा के साथ किया जाता है।

गोविंदाष्टकम् का रचना का श्रेय आदि शंकराचार्य को दिया जाता है, जो एक महान दार्शनिक, योगी और अद्वैत वेदांत के संस्थापक माने जाते हैं। इस स्तोत्र में भगवान श्रीकृष्ण के आठ रूपों का वर्णन है, जो उनके अद्वितीय और दिव्य गुणों का विवरण करते हैं।

गोविंदाष्टकम् का संपूर्ण पाठ और उसका हिंदी अर्थ

श्लोक 1:
गोविन्द गोविन्द गोविन्द गोविन्दा,
नारायणं नारायणं वासुदेवं।
विष्णुं हृषीकेशं जनार्दनं च,
सर्वेषं सर्वेषं नमामि श्रीकृष्णम्॥

हिंदी अर्थ:
मैं भगवान गोविंद, नारायण, वासुदेव, विष्णु, हृषीकेश, और जनार्दन को प्रणाम करता हूँ, जो सभी प्राणियों के रक्षक और सृष्टि के आधार हैं।

श्लोक 2:
देवेश देवं सुरमौलि चक्रं,
श्रीवत्सलक्ष्मं कमलालयन्तम्।
कृष्णं मदानन्दमचिन्त्यरूपं,
वन्देऽहमाद्यं पुरुषं पुराणम्॥

हिंदी अर्थ:
मैं देवताओं के देवता, श्रीकृष्ण को प्रणाम करता हूँ, जिनके सीने पर श्रीवत्स चिन्ह है, और जो कमल में निवास करने वाली लक्ष्मी के साथ हैं। उनका रूप अवर्णनीय और अद्वितीय है, और वे सदा आनंद प्रदान करने वाले हैं।

श्लोक 3:
जगन्निवासं व्रजवासजालं,
श्रीनन्दनन्दं यशोदान्तरङ्गम्।
परात्मरूपं मनसा स्मराणं,
वन्देऽहमाद्यं पुरुषं पुराणम्॥

हिंदी अर्थ:
मैं भगवान श्रीकृष्ण को प्रणाम करता हूँ, जो इस जगत के निवास हैं, व्रज के प्रिय जनों के हृदय में निवास करते हैं, और जिनके रूप का ध्यान मन में करते ही अद्भुत शांति प्राप्त होती है। वे आदि पुरुष और सृष्टि के प्रारंभकर्ता हैं।

श्लोक 4:
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।
जिव्हा हृदयं नयनांघ्रिपद्मे,
नमोऽस्तु ते श्री पुरुषोत्तमाय॥

हिंदी अर्थ:
हे श्रीकृष्ण, गोविंद, हरे, मुरारी, नाथ, नारायण, वासुदेव, आपको मेरी वाणी, हृदय, नेत्र और चरणों से नमस्कार है। आप सर्वश्रेष्ठ पुरुष हैं।

श्लोक 5:
सत्यं शिवं सुन्दरमादिदेवं,
नन्दात्मजं वासुदेवं नताः स्म।
श्रीमन् नारायणं कृष्णमाद्यं,
प्रपन्ना अस्मि हरे पुरुषोत्तमं॥

हिंदी अर्थ:
मैं सच्चाई, शुभता और सुंदरता के आदि देव, नंदनंदन, वासुदेव और नारायण श्रीकृष्ण के प्रति समर्पित हूँ। आप ही सबके परम पुरुषोत्तम हैं।

श्लोक 6:
श्रीगोविन्दमभिषेच्यमधुत्मं,
श्रीरामचन्द्रं पिबन्ति ते नु।
कृष्णस्य पादांभुजमाश्रितं सदा,
नमोऽस्तु ते नारायणाय पूर्णाय॥

हिंदी अर्थ:
मैं उन श्रीकृष्ण को प्रणाम करता हूँ, जिनके चरण कमल का आश्रय लेने पर सभी प्रकार की शांति प्राप्त होती है।

श्लोक 7:
नमोऽस्तु ते वासुदेवाय विष्णवे,
नमः श्रीकृष्णाय माधवाय च।
हे नारायणाय च गोविन्दाय,
नमोऽस्तु ते पुरुषोत्तमाय॥

हिंदी अर्थ:
हे वासुदेव, विष्णु, श्रीकृष्ण, माधव, नारायण और गोविंद, आपको प्रणाम है। आप सर्वश्रेष्ठ पुरुष हैं।

श्लोक 8:
नमोऽस्तु ते नारायणाय पूर्णाय,
नमोऽस्तु ते श्री हरे वासुदेवाय।
नमोऽस्तु ते सर्वगताय साधवे,
नमोऽस्तु ते गोविन्दाय वेधसे॥

हिंदी अर्थ:
मैं नारायण, पूर्ण, श्री हरे, वासुदेव, सर्वव्यापी और साधु श्रीगोविंद को प्रणाम करता हूँ।

गोविंदाष्टकम् के लाभ

गोविंदाष्टकम् के नियमित पाठ से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। यहाँ मुख्य लाभ दिए जा रहे हैं:

  1. आध्यात्मिक उन्नति: गोविंदाष्टकम् का पाठ व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में सहायता करता है और उसे मोक्ष की ओर अग्रसर करता है।
  2. मानसिक शांति: इसका नियमित पाठ मन को शांति प्रदान करता है और तनाव से मुक्ति दिलाता है।
  3. कठिनाइयों से रक्षा: गोविंदाष्टकम् का पाठ करने से जीवन की कठिनाइयों और संकटों से रक्षा होती है।
  4. धन और समृद्धि की प्राप्ति: इसके पाठ से धन, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
  5. स्वास्थ्य लाभ: इसका पाठ शरीर को स्वस्थ और रोगमुक्त रखने में सहायक होता है।
  6. दुष्ट शक्तियों से रक्षा: गोविंदाष्टकम् के पाठ से व्यक्ति पर किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा या बुरी नजर का प्रभाव नहीं होता।
  7. पारिवारिक सुख: इसका पाठ करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
  8. विवाह और संतान सुख: जो व्यक्ति विवाह या संतान सुख की प्राप्ति चाहते हैं, उनके लिए यह स्तोत्र अत्यंत लाभकारी है।
  9. कार्य में सफलता: इसका पाठ कार्यक्षेत्र में सफलता दिलाने में सहायक होता है।
  10. भाग्य वृद्धि: गोविंदाष्टकम् के पाठ से भाग्य में वृद्धि होती है और जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं।
  11. भय का नाश: इसका पाठ व्यक्ति को किसी भी प्रकार के भय से मुक्त करता है।
  12. मुक्ति की प्राप्ति: गोविंदाष्टकम् का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  13. भक्तिभाव में वृद्धि: इसका पाठ करने से व्यक्ति के हृदय में भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति की भावना में वृद्धि होती है।
  14. सद्बुद्धि की प्राप्ति: यह पाठ व्यक्ति को सद्बुद्धि प्रदान करता है और उसे सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
  15. ध्यान में एकाग्रता: गोविंदाष्टकम् का पाठ ध्यान में एकाग्रता को बढ़ाता है और मन को स्थिर करता है।

गोविंदाष्टकम् पाठ की विधि

गोविंदाष्टकम् का पाठ करने के लिए विशेष विधि का पालन किया जाता है। इसका पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन शुभ मुहूर्त में इसका पाठ करना अधिक फलदायक होता है।

दिन: गोविंदाष्टकम् का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन इसे पूर्णिमा, एकादशी या भगवान श्रीकृष्ण के विशेष दिन, जैसे जन्माष्टमी के दिन करना अधिक शुभ माना जाता है।

अवधि: गोविंदाष्टकम् का पाठ 41 दिनों तक नियमित रूप से किया जाता है। इस अवधि के दौरान ब्रह्मचर्य और सात्विक जीवनशैली का पालन करना चाहिए।

मुहूर्त: सुबह के समय ब्रह्ममुहूर्त (4:00 बजे से 6:00 बजे तक) में इसका पाठ करना अत्यंत फलदायक होता है।

गोविंदाष्टकम् के पाठ के नियम

गोविंदाष्टकम् का पाठ करने से पहले कुछ नियमों का पालन करना चाहिए:

  1. शुद्धता: पाठ करने से पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें।
  2. भक्तिभाव: पाठ के दौरान भगवान के प्रति पूर्ण भक्तिभाव और श्रद्धा होनी चाहिए।
  3. शांत स्थान: पाठ एकांत और शांत स्थान पर करें।
  4. गुप्त साधना: यदि यह पाठ किसी विशेष उद्देश्य के लिए किया जा रहा है, तो अपनी साधना को गुप्त रखना चाहिए।
  5. ध्यान: पाठ के साथ ध्यान का अभ्यास भी करें, जिससे मन और आत्मा को शांति मिल सके।
  6. व्रत: यदि संभव हो तो पाठ के दौरान व्रत का पालन करें।

गोविंदाष्टकम् पाठ में सावधानियाँ

गोविंदाष्टकम् का पाठ करते समय कुछ सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए:

  1. सात्विक आहार: पाठ के दौरान सात्विक और शुद्ध आहार का सेवन करें। मांसाहार और नशे से दूर रहें।
  2. ब्रह्मचर्य: पाठ के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  3. अधूरी साधना: साधना को अधूरा छोड़ने से बचें। इसे 41 दिनों तक नियमित रूप से करें।
  4. समय की पाबंदी: पाठ को नियमित समय पर ही करें, इससे मन एकाग्र रहेगा।
  5. मन की शुद्धता: पाठ के दौरान मन को शांत और शुद्ध रखें, नकारात्मक विचारों से बचें।

गोविंदाष्टकम् के संबंध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर

1. गोविंदाष्टकम् क्या है?

  • उत्तर: गोविंदाष्टकम् भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति में रचित एक प्रार्थना है, जिसमें आठ श्लोक होते हैं। यह श्रीकृष्ण के विभिन्न गुणों और रूपों का वर्णन करता है और उनके प्रति भक्तिभाव को प्रकट करता है।

2. गोविंदाष्टकम् का पाठ कैसे और कब करना चाहिए?

  • उत्तर: गोविंदाष्टकम् का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन सुबह के समय, विशेष रूप से ब्रह्ममुहूर्त में इसका पाठ करना अधिक शुभ माना जाता है। पाठ करने से पहले स्नान करें, शुद्ध वस्त्र धारण करें, और भगवान के प्रति पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ इसका पाठ करें।

3. गोविंदाष्टकम् का पाठ करने के क्या लाभ हैं?

  • उत्तर: गोविंदाष्टकम् का पाठ मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, संकटों से रक्षा, और जीवन में समृद्धि और सुख की प्राप्ति में सहायक होता है। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।

4. क्या गोविंदाष्टकम् का पाठ विशेष अवसरों पर किया जा सकता है?

  • उत्तर: हां, गोविंदाष्टकम् का पाठ विशेष अवसरों जैसे जन्माष्टमी, एकादशी, पूर्णिमा, या किसी भी धार्मिक उत्सव के दौरान किया जा सकता है। इसे प्रतिदिन नियमित रूप से भी किया जा सकता है।

5. क्या गोविंदाष्टकम् का पाठ उपवास के साथ करना आवश्यक है?

  • उत्तर: उपवास करना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यदि संभव हो तो उपवास के साथ गोविंदाष्टकम् का पाठ करने से इसका प्रभाव अधिक बढ़ता है। यह भक्त की क्षमता और श्रद्धा पर निर्भर करता है।

6. गोविंदाष्टकम् का पाठ कितनी बार करना चाहिए?

  • उत्तर: इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ कम से कम एक बार प्रतिदिन करना चाहिए। यदि संभव हो तो इसका तीन, पांच, या सात बार पाठ करना अधिक फलदायक माना जाता है।

7. गोविंदाष्टकम् का पाठ कौन कर सकता है?

  • उत्तर: गोविंदाष्टकम् का पाठ कोई भी कर सकता है, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, जो भगवान श्रीकृष्ण के प्रति श्रद्धा और भक्ति रखता हो।

8. क्या गोविंदाष्टकम् का पाठ किसी विशेष मंत्र के साथ किया जाना चाहिए?

  • उत्तर: गोविंदाष्टकम् का पाठ स्वयं एक पूर्ण स्तोत्र है और इसे अकेले ही किया जा सकता है। हालांकि, आप इसे अन्य श्रीकृष्ण मंत्रों या भजनों के साथ भी जोड़ सकते हैं।

9. गोविंदाष्टकम् के पाठ के लिए कौन से स्थान उपयुक्त हैं?

  • उत्तर: गोविंदाष्टकम् का पाठ मंदिर में, घर के पूजा स्थल पर, या किसी भी पवित्र और शांत स्थान पर किया जा सकता है। यह महत्वपूर्ण है कि पाठ के दौरान वातावरण शांति और पवित्रता से भरा हो।

10. गोविंदाष्टकम् का पाठ करते समय कौन से नियमों का पालन करना चाहिए?

  • उत्तर: पाठ के दौरान शुद्धता का ध्यान रखें, साफ वस्त्र पहनें, शांत मन से पाठ करें, और भगवान श्रीकृष्ण के प्रति समर्पित रहें। यदि संभव हो तो ध्यान के साथ इसे करें और पाठ को गुप्त रखें।

11. गोविंदाष्टकम् का पाठ अधूरा छोड़ने पर क्या करना चाहिए?

  • उत्तर: गोविंदाष्टकम् का पाठ अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए। यदि किसी कारणवश पाठ अधूरा रह जाता है, तो अगली बार पूरा पाठ करने का प्रयास करें।

12. क्या गोविंदाष्टकम् का पाठ साधारण दिनों में भी किया जा सकता है?

  • उत्तर: हां, गोविंदाष्टकम् का पाठ साधारण दिनों में भी किया जा सकता है। यह किसी विशेष दिन या अवसर पर निर्भर नहीं करता है। इसे नियमित रूप से करना अत्यंत लाभकारी होता है।

13. गोविंदाष्टकम् का पाठ करने से क्या कष्ट दूर होते हैं?

  • उत्तर: गोविंदाष्टकम् का पाठ करने से मानसिक, शारीरिक, और भौतिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह भक्तों को सुरक्षा प्रदान करता है और सभी प्रकार की कठिनाइयों से बचाव करता है।

14. क्या गोविंदाष्टकम् का पाठ रात्रि के समय किया जा सकता है?

  • उत्तर: हां, गोविंदाष्टकम् का पाठ रात्रि के समय भी किया जा सकता है, विशेष रूप से सोने से पहले इसका पाठ करने से मानसिक शांति और सुखद नींद मिलती है।

15. क्या गोविंदाष्टकम् का पाठ किसी विशेष प्रकार की पूजा के साथ किया जा सकता है?

  • उत्तर: हां, गोविंदाष्टकम् का पाठ विशेष पूजा जैसे श्रीकृष्ण पूजा, जन्माष्टमी, या अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के साथ किया जा सकता है। यह पाठ पूजा की प्रभावशीलता को बढ़ाता है और भक्त को भगवान की कृपा प्राप्त करने में सहायता करता है।

गोविंदाष्टकम् का नियमित पाठ भगवान श्रीकृष्ण की अनुकंपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक उत्कृष्ट मार्ग है। इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ करें, और इसके नियमों का पालन करते हुए जीवन में सकारात्मक परिवर्तन का अनुभव करें।